मंगलवार, 1 सितंबर 2020

नव नियुक्त महिला रेलकर्मी की संदिग्ध मौत

वाराणसी। सिगरा थाना क्षेत्र के तेलियाबाग स्थित सीएनआई क्रिश्चियन कॉलोनी में सोमवार को महिला रेलकर्मी की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। बाथरूम के पास महिला मृत मिली। मकान मालिक ने औंधे मुंह गिरा देखा तो पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने पूर्वोत्तर रेलवे वाराणसी मंडल के अधिकारियों को जानकारी दी। शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया। फोरेंसिंक टीम ने मौके से साक्ष्य जुटाये।


झारखंड के धनबाद की रोमा कुमारी (32) वाराणसी मंडल में कार्मिक विभाग में चतुर्थ श्रेणी की कर्मचारी थी। 30 जुलाई को ही उसकी नौकरी लगी थी। नौकरी लगने के बाद यहां रहने के लिए रोमा ने कुछ दिनों पहले कॉलोनी में किराए पर कमरा लिया था। दोपहर में मकान मालिक ने देखा कि वह बाथरूम के पास गिरी पड़ी है। उठाने की कोशिश की तो वह मृत मिली। मौके पर पहुंची पुलिस ने जांच-पड़ताल की। कमरे से मिले कागजात के आधार पर घर जानकारी दी गई।


पुलिस को आशंका है कि बाथरूम जाते समय फिसलकर गिर गई होगी और चोट लगने से मौत हो गई होगी। उसे अस्थमा की शिकायत भी बताई जा रही है। एक-दो दिन से उसकी तबीयत खराब थी। पुलिस ने शव पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। बताया जा रहा है कि रोमा की मां ने दोपहर में फोन भी किया था, लेकिन फोन रीसिव नहीं हुआ। रोमा के पति भी हाजीपुर रेलवे के सोनपुर में तकनीशियन हैं।                             


चुनाव आयोग ने केरल कांग्रेस को दी मान्यता

तिरुअनंतपुरम। निर्वाचन आयोग ने केरल कांग्रेस-(एम) गुट को अलग राजनीतिक दल के रूप में मान्यता दे दी है। इस गुट के नेता दिवंगत के. एम. मनि के बेटे जोस के. मनि हैं। जोस के. मनि के दावों पर चुनाव आयोग ने फैसला करते हुए उनके गुट को चुनाव चिन्ह भी आवंटित कर दिया।



जोस के. मनि ने इस पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए इसे सत्य की जीत बताया है। जोस के. मनि ने कहा, ये के. एम. मनि की जीत है। हम पाला उपचुनाव इसलिए हार गए क्योंकि हमें चुनाव चिन्ह नहीं मिला था। हम जोसेफ के नेतृत्व वाले केरल कांग्रेस के विधायकों से इस्तीफा मांगेंगे।


उधर जोसेफ गुट ने कहा है कि वो चुनाव आयोग के इस फैसले के खिलाफ अपील करेंगे। बता दें कि केरल कांग्रेस के जोसेफ गुट के पास तीन विधायक हैं जबकि जोस मनि गुट के पास दो।               


यूपी में बिजली महंगी करने का प्रस्ताव

यूपी में बिजली महंगी करने का प्रस्ताव
मिडिल क्लास उपभोक्ताओं पर बढ़ेगा बोझ
 बृजेश केसरवानी


प्रयागराज। उत्तर प्रदेश पावर कॉरपोरेशन लिमिटेड (यूपीपीसीएल) ने प्रस्तावित नए स्लैब पर बिजली की नई दरों का प्रस्ताव नियामक आयोग में दाखिल कर दिया है। प्रस्तावित दरों से कुछ उपभोक्ताओं को लाभ हो रहा है तो कुछ को नुकसान भी होगा। गरीब उपभोक्ताओं के दर में कोई बदलाव नहीं है। मध्यम श्रेणी के उपभोक्ता जिनकी संख्या अधिक है, उन पर अतिरिक्त भार डाला गया है। बिजली की अधिक खपत करने वाले बड़े उपभोक्ताओं को भी राहत दी गई है।
किसानों और उद्योगों को बिजली की दर में कोई बदलाव नहीं किया गया है। नए स्लैब और दर से घरेलू शहरी और ग्रामीण के वे उपभोक्ता जो 101 से 150 यूनिट तक खर्च करते हैं, प्रभावित होंगे। नियामक आयोग ने पावर कॉरपोरेशन की प्रस्तावित दर को तीन दिन के अंदर समाचार पत्रों में प्रकाशित कराने का आदेश बिजली कंपनियों को दिया है। 15 दिन में इस दर पर उपभोक्ताओं की आपत्तियां ली जाएंगी। बिजली दर पर आयोग में सुनवाई अब 24 तथा 28 सितंबर को होगी।
यूनिटवर्तमान  दर (घरेलू, शहरी)यूनिटप्रस्तावित दर0-1505.50 रुपये प्रति यूनिट0-1005.50 रुपये प्रति यूनिट151-3006.00 रुपये प्रति यूनिट101-3005.80 रुपये प्रति यूनिट301-5006.50 रुपये प्रति यूनिट300 से ऊपर6.65 रुपये प्रति यूनिट500 यूनिट से ऊपर  7.00 रुपये प्रति यूनिट


घरेलू शहरी उपभोक्ताओं के इस चार्ट से स्पष्ट है कि 100 यूनिट तक खर्च करने वाले उपभोक्ताओं पर कोई भार नहीं पड़ेगा। वहीं जो उपभोक्ता150 यूनिट तक खर्च करते हैं उन पर प्रति यूनिट 30 पैसे का बोझ बढ़ेगा। उपभोक्ताओं के इस वर्ग की संख्या अधिक है। वहीं 151 से 300 यूनिट तक खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को 20 पैसे प्रति यूनिटन का लाभ हो रहा है। 301 से 500 यूनिट तक खर्च करने वाले उपभोक्ताओं पर भी प्रति यूनिट 15 पैसे का अतिरिक्त भार पड़ेगा। वहीं 500 यूनिट से अधिक खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 35 पैसे का लाभ हो रहा है।
यूनिटवर्तमान दर (घरेलू, ग्रामीण)यूनिटप्रस्तावित दर0-1003.35 रुपये प्रति यूनिट0-1003.35 रुपये प्रति यूनिट101-1503.85 रुपये प्रति यूनिट101-3004.40 रुपये प्रति यूनिट151-3005.00 रुपेय प्रति यूनिट300 से ऊपर5.60 रुपये प्रति यूनिट300 के ऊपर  6.00 रुपये प्रति यूनिट
घरेलू ग्रामीण उपभोक्ताओं के इस चार्ट में भी 100 यूनिट से कम खर्च करने वाले गरीब उपभोक्ताओं पर कोई बोझ नहीं डाला गया है। वहीं 101 से 150 यूनिट तक खर्च करने वाले उपभोक्ताओं के बड़े वर्ग पर सीधे प्रति यूनिट 55 पैसे का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा। हालांकि 151 से 300 यूनिट तक खर्च करने वाले उपभोक्ताओं को प्रति यूनिट 60 पैसे की बचत भी दिख रही है। 300 यूनिट से अधिक खपाने वाले उपभोक्ताओं को भी 40 पैसे प्रति यूनिट का लाभ होगा। 


*बीपीएल उपभोक्ताओं के दर में कोई बदलाव नहीं*
ग्रामीण व शहरी घरेलू बीपीएल विद्युत उपभोक्ताओं की एक किलोवाट 100 यूनिट तीन रुपये प्रति यूनिट में कोई बदलाव प्रस्तावित नहीं है। ग्रामीण घरेलू उपभोक्ताओं के फिक्सड चार्ज को 90 रुपये प्रति किलोवाट व शहरी घरेलू का 110 रुपये प्रति किलोवाट यथावत प्रस्तावित है। पावर कारपोरेशन ने घरेलू ग्रामीण अनमीटर्ड उपभोक्ताओं की दरें यथावत 500 रुपये प्रति किलोवाट ही रखी है। घरेलू ग्रामीण व शहरी की दरें निम्नवत प्रस्तावित है।                      


अवैध एनएसए, डाक्टर को तुरन्त रिहा करे

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा- डॉ. कफील खान पर NSA अवैध, तत्काल रिहा करें
 बृजेश केसरवानी
प्रयागराज। गोरखपुर के बाबा राघव दास (बीआरडी) मेडिकल कॉलेज में दो वर्ष पहले बच्चों की मौत के बाद से चर्चा में आए डॉ. कफील खान अब बेहद सुर्खियों में हैं। अलीगढ़ के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीएए, एनआरसी व एनपीए के विरोध में उनके ऊपर एनएसए के तहत कार्रवाई को इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अवैध करार दिया है। इसके साथ ही करीब छह महीने से जेल में बंद डॉ. कफील खान को तत्काल रिहा भी करने का निर्देश दिया है।माना जा रहा है कि मंगलवार शाम तक डाक्टर कफील की रिहाई हो सकती है।यह आदेश मुख्य न्यायाधीश गोविंद माथुर तथा न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह की खंडपीठ ने नुजहत परवीन की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर दिया है। हाईकोर्ट ने आदेश सुनाते हुए कहा कि एनएसए के तहत डॉक्टर कफील को हिरासत में लेना और इसके बाद हिरासत की अवधि को बढ़ाना गैरकानूनी है। कफील खान को तुरंत रिहा किया जाए। अलीगढ़ के डीएम ने नफरत अलीगढ़ में फैलाने के आरोप में डॉ. कफील पर रासुका लगाया था, उसके बाद से ही जेल में बंद हैं। इस कार्रवाई के खिलाफ कफील की मां ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में अपील की थी।इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉक्टर कफील खान को एनएसए के तहत गिरफ्तार करने तथा लगातार उसकी अवधि बढ़ाने के मामले को गैरकानूनी करार दिया। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने डॉक्टर कफील खान को तुरंत रिहा करने के आदेश दिए हैं। गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज के प्रवक्ता और बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कफील खान को 13 दिसंबर 2019 को अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में सीएए, एनआरसी तथा एनपीए के विरोध के दौरान भड़काऊ भाषण देने के आरोप में पुलिस ने गिरफ्तार किया था। कोर्ट ने रासुका के तहत डॉक्टर कफील को हिरासत में लेने और हिरासत की अवधि को बढ़ाए जाने को गैरकानूनी करार दिया।अलीगढ़ में 13 फरवरी 2020 को कफील पर रासुका लगाया गया था। इसके बाद हाल ही में उनकी हिरासत अवधि बढ़ा दी गई थी। इस दौरान हाल ही में उनकी हिरासत को तीन महीने के लिए बढ़ाया गया था। इसके बाद डॉक्टर कफील ने जेल से पीएम मोदी को चिट्ठी लिख रिहा करने की अपील के साथ कोविड-19 मरीजों की सेवा करने की मांग की थी, उन्होंने सरकार के लिए एक रोडमैड भी भेजा था। वह करीब छह महीने से मथुरा की जेल में बंद हैं। कफील खान को गोरखपुर के गुलहरिया थाने में दर्ज एक केस में 29 जनवरी 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया था। जेल में रहते हुए रासुका की तामील कराई गई।नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लेकर डॉ कफील ने एएमयू में भड़काऊ भाषण दिया था। भड़काऊ बयानबाजी करने के लिए जिलाधिकारी अलीगढ़ ने 13 फरवरी 2020 को डॉ. कफील खान को रासुका में निरुद्ध करने का आदेश दिया। यह अवधि दो बार बढ़ा दी गई। हालांकि कफील खान को गोरखपुर के गुलहरिया थाना में दर्ज एक मुकदमे में 29 जनवरी, 2020 को गिरफ्तार कर जेल भेजा जा चुका था। जेल में रहते हुए रासुका तामील कराई गई है। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई की है। 11 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट से डॉ. कफील खान की मां की याचिका पर 15 दिन में फैसला लेने को कहा था। इसके बाद ही मंगलवार को हाईकोर्ट ने डॉ कफील की रिहाई का आदेश दिया है।               


कोरोना की वजह से डब्लूएचओ की चैतावनी

लंदन। विश्व स्वास्थ्य संगठन के एक सर्वे में सामने आया है कि दुनिया के 90% से ज्यादा देशों का हेल्थ सिस्टम कोरोना की वजह से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। मार्च से जून के बीच मिले डेटा से पता चलता है कि स्वास्थ्य व्यवस्थाएं चरमरा रही हैं और ऐसे ही चलता रहा तो इनका और ज्यादा दिनों तक टिका रहना काफी मुश्किल होगा। WHO ने चेताया है कि जो देश बिना तैयारी के लॉकडाउन हटा रहे हैं, वे तबाही को बुलावा दे रहे हैं।
WHO के मुताबिक कोरोना के चलते कई रूटीन अपॉइंटमेंट और स्क्रीनिंग कैंसल करनी पड़ रही हैं। वहीं महामारी की वजह से कैंसर के इलाज जैसे क्रिटिकल केयर पर भी बहुत बुरा असर पड़ा।

मध्यम और कम आय वाले देशों को सबसे ज़्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ा। आधे से ज़्यादा देशों में गर्भनिरोध और फैमिली प्लेनिंग (68%), मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याओं का इलाज (61%) और कैंसर का इलाज (55%) प्रभावित हुआ। एक चौथाई देशों में जीवनरक्षक आपातकालीन सेवाएं प्रभावित हुईं।               

लाचारीः एक लाख में बेचा नवजात शिशु

आगरा। 36 साल की बबिता ने पिछले हफ्ते एक बच्चे को जन्म दिया। उसकी यह डिलीवरी सर्जरी से हुई। अस्पताल वालों ने उसे सर्जरी के 30,000 रुपये और दवाओं के 5,000 रुपये समेत 35 हजार रुपये के बिल थमाया। बबिता के पति शिवचरण (45) रिक्शा चलाते हैं। उनके पास इतने रुपये नहीं थे। दंपती का आरोप है कि अस्पताल वालों ने उनसे कहा कि बिल चुकाने के लिए अपने बच्चे को एक लाख रुपये में बेच दें।
दंपती का यह पांचवां बच्चा है। वे उत्तर प्रदेश के आगरा में शंभू नगर इलाके में किराए के कमरे में रहते हैं। रिक्शा चलाकर शिवचरण की रोज 100 रुपये आमदनी होती है। यह आमदनी भी रोज नहीं होती है। उनका सबसे बड़ा बेटा 18 साल का है। वह एक जूता कंपनी में मजदूरी करता है। कोरोना लॉकडाउन में उसकी फैक्ट्री बंद हो गई तो वह बेरोजगार हो गया।
आशा वर्कर ले गई थी अस्पताल
बबिता ने बताया कि एक आशा वर्कर उनके घर आई। उसने कहा कि वह उसकी फ्री में डिलीवरी करवा देगी। शिवचरण ने कहा कि उन लोगों का नाम आयुष्मान भारत योजना में नहीं है लेकिन आशा ने कहा कि फ्री इलाज करवा देगी। जब बबिता अस्पताल पहुंची तो अस्पताल वालों ने कहा कि सर्जरी करनी पड़ेगी। 24 अगस्त की शाम 6 बजकर 45 मिनट पर उसने एक लड़के को जन्म दिया। अस्पताल वालों ने उन लोगों को बिल थमाया। शिवचरण ने कहा, 'मेरी पत्नी और मैं पढ़ लिख नहीं सकते हैं। हम लोगों का अस्पताल वालों ने कुछ कागजों में अंगूठा लगवा लिया। हम लोगों को डिस्चार्ज पेपर नहीं दिए गए। उन्होंने बच्चे को एक लाख रुपये में खरीद लिया।'
डीएम ने कहा, कराएंगे जांच
इस मामले में डीएम प्रभूनाथ सिंह ने कहा, 'यह मामला गंभीर है। इसकी जांच की जाएगी और दोषी पाए जाने वालों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी।' नगर निगम के वॉर्ड पार्षद हरि मोहन ने कहा कि वह जानते हैं कि दंपती को अस्पताल के बिलों का भुगतान नहीं करने के कारण अपने बच्चे को बेचना पड़ा। उन्होंने कहा कि शिवचरण गंभीर वित्तीय संकट का सामना कर रहे थे।
अस्पताल प्रशासन ने दी सफाई
वहीं अस्पताल ने सभी आरोपों को खारिज किया है। उन्होंने कहा है कि बच्चे को दंपती ने छोड़ दिया था। उसे गोद लिया गया है, खरीदा या बेचा नहीं गया है। हम लोगों ने उन्हें बच्चे को छोड़ने के लिए मजबूर नहीं किया। ट्रांस यमुना इलाके के जेपी अस्पताल की प्रबंधक सीमा गुप्ता ने कहा, 'मेरे पास माता-पिता के हस्ताक्षर वाली लिखित समझौते की एक प्रति है। इसमें उन्हें खुद बच्चे को छोड़ने की इच्छा जाहिर की है।'
'लिखित समझौते का कोई मोल नहीं'
बाल अधिकार कार्यकर्ता नरेश पारस ने कहा कि अस्पताल के स्पष्टीकरण से उनका अपराध नहीं कम होता। हर बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया केंद्रीय दत्तक ग्रहण संसाधन प्राधिकरण ने निर्धारित की है। उसी प्रक्रिया के तहत ही बच्चे को गोद दिया और लिया जाना चाहिए। अस्पताल प्रशासन के पास जो लिखित समझौता है, उसका कोई मूल्य नहीं है। उन्होंने अपराध किया है।'                   


यमुना बचाओ अभियान की शुरुआत

रवि चौहान


नई दिल्ली। विश्व पुरोहित यजमान न्याय परिसंघ द्वारा संचालित यमुना बचाओ अभियान की शुरुआत दिल्ली के आईटीओ के पास यमुना घाट पर हवन पूजा एवं तुलसी के पौधा रोपण कर की गई। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि यमुना बचाओ अभियान का मुख्य उद्देश पर्यावरण को देखते हुए दिल्ली स्थित यमुना नदी के दोनों ओर 60 किलोमीटर तक 2 करोड़ औषधीय पौधे लगाए जाएंगे। यमुना बचाओ अभियान के तहत समन्वय समिति में आज वैदिक वीरांगना सॉन्ग हिंदू रक्षा दल एवं से कई संगठनों द्वारा यमुना बचाओ अभियान की समन्वय समिति द्वारा 108 तुलसी पौधरोपण कर शुरुआत की गई। यमुना बचाओ अभियान की अध्यक्षता प्रोमिला आर्य मुख्य प्रशासनिक गुरुजी पंडित लक्ष्मण बाल योगी समिति के वरिष्ठ पदाधिकारी आशीष मिश्रा वरिष्ठ पत्रकार एवं सामाजिक संस्था ऑल इंडिया क्राईम रिफॉर्म्स ऑर्गेनाइजेशन के प्रदेश अध्यक्ष प्रमोद गर्ग समाजसेवी जनचेतना के अध्यक्ष डॉ अनिल शर्मा जानकी सक्सेना,ऋषि सक्सेना, प्रदीप कुमार, टीटू गोस्वामी आदि समन्वय समिति के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता मौजूद रहे।


'समाधान दिवस' में फरियादियों की समस्याएं सुनीं

'समाधान दिवस' में फरियादियों की समस्याएं सुनीं  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। उत्तर प्रदेश शासन के निर्देश पर थाना खालापार पर आय...