मुंबई। बॉम्बे उच्च न्यायालय की नागपुर पीठ ने सोमवार को केंद्र सरकार सहित उत्तरदाताओं को निर्देश दिया कि वे अपने इस फैसले पर विचार करें कि क्या बाढ़ग्रस्त इलाकों में रहने वाले छात्रों के लिए संयुक्त प्रवेश परीक्षा (जेईई-मेन्स) स्थगित की जा सकती है क्योंकि वे परीक्षा केंद्रों तक पहुंचने में असमर्थ हैं। अमर उजाला पर छपी खबर के अनुसार, जेईई और अन्य परीक्षा का संचालन करने वाली राष्ट्रीय परीक्षण एजेंसी (एनटीए) को नोटिस जारी करते हुए न्यायमूर्ति रवि देशपांडे और पुष्पा गनेदीवाला की खंडपीठ ने मंगलवार सुबह 8.30 बजे के लिए सुनवाई तय की है क्योंकि परीक्षा सुबह 9 बजे से शुरू होगी।
न्यायधीशों ने कहा, ‘परीक्षा एक सितंबर को सुबह नौ बजे से शुरू होनी है और इसलिए मामला आवश्यक है। इसलिए हमने रजिस्ट्री (न्यायिक) द्वारा, सरकारी वकील और भारत के सहायक महाधिवक्ता (एएसजीआई) को सूचना के साथ जनहित याचिका में इस मुद्दे को उठाने के लिए एक आदेश पारित किया।’
उच्च न्यायालय ने भंडारा में रहने वाले छात्र नितेश बावनकर के पत्र पर स्वत: संज्ञान लिया जिसने नागपुर, अमरावती, अकोला, भंडारा, चंद्रपुर, गोंदिया और गढ़चिरौली जिलों के छात्रों को होने वाली समस्याओं पर प्रकाश डाला था। ये जिले पिछले कुछ दिनों से लगातार बारिश और बाढ़ की मार झेल रहे हैं।
इन जिलों में कई शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों से बांधों से पानी छोड़ने के कारण बाढ़ आ गई है, इसमें गोसीखुर्द भी शामिल है।
यहां सरकार द्वारा राहत और बचाव का कार्य जारी है। उच्च न्यायालय ने नागपुर नगर निगम (एनएमसी) आयुक्त के साथ उत्तरदाताओं के रूप में सभी पांच जिलों के कलेक्टरों को भी जोड़ा और उन्हें मंगलवार तक जवाब दाखिल करने के लिए कहा है।
पीठ ने कहा, ‘हमें यह सूचित किया गया है कि आपदा प्रबंधन अधिनियम के तहत, एक क्षेत्र में कलेक्टर, जो एक नगर निगम नहीं है, किसी विशेष केंद्र में परीक्षा आयोजित करने या स्थगित करने का निर्णय ले सकता है।
यदि क्षेत्र नगर निगम द्वारा कवर किया जाता है, तो अधिनियम के तहत प्राधिकरण नागरिक प्रमुख है।