प्रमोद कुमार
औरंगाबाद। केन्द्र सरकार द्वारा औरंगाबाद को स्मार्ट सिटी योजना में शामिल कर 291 करोड़ का निधि उपलब्ध कराया गया। इस निधि से शहर में विकास कार्यों का नियोजन कर उन्हें पूरा करने में स्मार्ट सिटी प्रशासन नाकाम रहा। यहीं कारण हैं कि केन्द्रीय नगर विकास मंत्रालय की ओर से किए गए मूल्यांकन में औरंगाबाद स्मार्ट सिटी ने महाराष्ट्र में सबसे निचला स्थान पाया। औरंगाबाद को पूरे देश में 66 वां स्थान मिला.वहीं, महाराष्ट्र में सबसे निचला स्थान।
बता दे कि केन्द्रीय गृह निर्माण व नगर विकास मंत्रालय की ओर से स्मार्ट सिटी को लेकर काम का जायजा लेकर हर माह में शहरों का मूल्यांकन किया जाता। हाल ही में घोषित हुए मूल्यांकन में औरंगाबाद शहर निचले स्तर पर पहुंचा। केन्द्र सरकार द्वारा औरंगाबाद स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कार्पाेरेशन को 291 करोड़ का निधि उपलब्ध कराने के बावजूद सिर्फ सिटी बस को छोड़कर किसी भी प्रकल्प का काम शुरु नहीं हो पाया।
सफारी पार्क, एमएसआय, सोलार पैनल प्रकल्प, सहित कई प्रकल्पों का काम अधुरा है। कई प्रकल्पों के काम की निविदा ही प्रकाशित नहीं हो पायी. यहीं कारण है औरंगाबाद शहर का स्थान 49 वें स्थान से 66 वें स्थान पर पहुंचा। बीते चार माह से कोरोना संकट को लेकर जारी लॉकडाउन के चलते स्मार्ट सिटी योजना का काम अधर में लटका है। इसी दरमियान स्मार्ट सिटी डेवलपमेंट कार्पाेरेशन के एक वरिष्ठ अधिकारी कोरोना संक्रमित पाए गए। जिससे यह कार्यालय दो दिन बंद था. कार्यालय को दो दिन बंद कर वहां बड़े पैमाने पर दवाओं का छिडकाव किया गया. इधर, औरंगाबाद ने 66वां स्थान पाने के साथ ही पुणे ने 28वां, नागपुर ने 42वां, नाशिक ने 15वां, ठाणे ने 55वां, पिंपरी चिंचवड ने 61वां तथा कल्याण-डोंबिवली ने 61वां स्थान पाया।