शुक्रवार, 28 अगस्त 2020

भारत-मोदी सरकार को लेकर चीन में सर्वे

भारत और मोदी सरकार को लेकर चीन में सर्वे…चीनी बोले पसंद है मोदी सरकार…फिर किया एडिट…पढ़ें चौंकाने वाली बातें।


अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। गलवान में हुए संघर्ष के बाद भारतीयों में चीन के खिलाफ आक्रोश है। तमाम भारतीय चीनी उत्पादों के बहिष्कार की मुहिम चला रहे हैं। लेकिन चीनी भारत को लेकर क्या सोचते हैं? इसे लेकर चीन की सरकार के मुखपत्र अखबार ग्लोबल टाइम्स ने चाइना इंस्टिट्यूट्स ऑफ कंटेंपरेररी इंटरनेशनल रिलेशन्स के साथ मिलकर एक सर्वे कराया है। इस सर्वे में चीन के 1960 प्रतिभागियों को शामिल किया गया है। सर्वे में मोदी सरकार से लेकर भारतीय सेना, अर्थव्यवस्था, भारत-चीन संबंध समेत तमाम सवाल किए गए हैं।
पहले ग्राफिक को एडिट करके पोस्ट किया
सर्वे के नतीजों में 70 फीसदी चीनी मानते हैं कि भारत चीन के प्रति जरूरत से ज्यादा शत्रुता दिखा रहा है,और भारत की उकसावे भरी कार्रवाई के खिलाफ अपनी सरकार के पलटवार का पूरी तरह से समर्थन करते हैं।
इस सर्वे में पाया गया कि 51 प्रतिशत लोग मोदी सरकार को पसंद करते हैं, जबकि 90 फीसदी लोग भारत के खिलाफ सैन्य कार्रवाई को सही ठहराते हैं। मोदी सरकार को पसंद करने वाली खबर ग्लोबल टाइम्स के पन्ने पर थी लेकिन गुरुवार दोपहर बाद वो हिस्सा हटा लिया गया था। हालांकि, ग्लोबल टाइम्स ने सर्वे का हिस्सा ट्वीट किया है, उसमें अब भी मोदी सरकार से जुड़े तथ्य शामिल हैं।
भारत भविष्य में उकसावे वाली अन्य गतिविधियां करता है और चीन के खिलाफ नए सीमा संघर्ष छेड़ता है तो 90 फीसदी प्रतिभागी चीन के सुरक्षात्मक कदम उठाने का समर्थन करते हैं और भारत पर हमला करने से भी सहमत हैं। हालांकि, चीन के 26.4 फीसदी लोग भारत के पड़ोसी देश होने के नाते उसे सबसे पसंदीदा देशों की सूची में चौथे नंबर पर रखते हैं।भारत से ऊपर रूस, पाकिस्तान और जापान हैं। ग्लोबल टाइम्स रिसर्च सेंटर और चाइना इंस्टिट्यूट्स ऑफ कंटेंपरेररी इंटरनेशनल रिलेशन्स सीआईसीआईआर ने 17 अगस्त से 20 अगस्त तक सर्वे कराया था। इसमें देश के 10 बड़े शहरों बीजिंग, शंघाई, शियान, वुहान, चेंगडू, झेंगझाउ समेत 10 शहरों में सर्वे कराया गया था।
ऐसा माना जाता है,कि चीनी लोगों को भारत और भारतीय संस्कृति के बारे में बहुत अच्छी समझ नहीं है।लेकिन सर्वे में चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। करीब 56 फीसदी से ज्यादा लोगों ने कहा कि उन्हें भारत की स्पष्ट समझ है और 16 फीसदी से ज्यादा लोगों ने कहा कि वे भारत से अच्छी तरह परिचित हैं।इंस्टिट्यूट ऑफ साउथ एशियन स्टडीज के डायरेक्टर हू शीशेंग ने ग्लोबल टाइम्स से कहा, आधे से ज्यादा लोग भारत को लेकर अपनी समझ को लेकर इसलिए भी आश्वस्त हैं क्योंकि लोगों के बीच आपसी संबंध हैं और वे भारत के सांस्कृतिक उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं।
हालांकि, सेंटर फॉर स्टडीज ऑफ फूडान यूनिवर्सिटी के डेप्युटी डायरेक्टर लिन मिनवांग ने इस पर अविश्वास जताते हुए कहा, लोग भारत की अपनी समझ को लेकर जितना विश्वास दिखा रहे हैं, वो सच्चाई से बहुत दूर है।असलियत में हमारे देश के लोग अमेरिका, जापान और यूरोप के बारे में भारत से ज्यादा जानते हैं और अधिकतर भारतीय पश्चिम को चीन से ज्यादा बेहतर तरीके से समझते हैं क्योंकि सांस्कृतिक रूप से दोनों देशों के बीच बहुत फर्क है और दोनों देशों के लोगों के बीच आपसी संवाद बहुत ही कम है। दोनों देशों के लोग पूरी तस्वीर देख पाने में असमर्थ हैं।
जब लोगों से भारत को लेकर अपना पहला इंप्रेशन बताने के लिए कहा गया तो 31 फीसदी ने कहा कि भारतीय महिलाओं का सामाजिक स्तर बहुत नीचा है।
उसके बाद 28 फीसदी लोगों ने कहा कि भारत दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी आबादी वाला देश है।
चीन के सबसे अच्छे पड़ोसी देशों की सूची में भारत की रैंकिंग दक्षिण कोरिया से ऊपर है जबकि दक्षिण कोरिया के पॉप कल्चर का चीनी यूथ पर काफी प्रभाव है।ग्लोबल टाइम्स ने अपनी टिप्पणी में तंज कसते हुए लिखा है कि चीनी जनता तार्किक रूप से भारत सरकार को मासूम लोगों और संस्कृति से अलग कर सकती है। जबकि भारत सरकार लोगों को उकसा रही है।
ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है, भारत और चीन के बीच समय-समय पर सीमा विवाद रहा है और बेल्ट ऐंड रोड जैसी परियोजना और पाकिस्तान जैसे मुद्दों पर मतभेद भी रहे हैं लेकिन दंगल और अंधाधुन जैसी बॉलीवुड फिल्में चीन में काफी लोकप्रिय रही हैं।कई चीनी योग करते हैं।सर्वे में पता चला कि 23 फीसदी लोग भारत की पहचान को योग से ही जोड़कर देखते हैं।
सर्वे में ये भी बताया गया है कि 25 फीसदी लोग भारत-चीन के संबंधों को लेकर सकारात्मक सोच रखते हैं।उन्हें लगता है कि लंबे वक्त में भारत-चीन के संबंध सुधरेंगे।हालांकि, 70 फीसदी चीनियों का मानना है कि भारतीय जरूरत से ज्यादा ही चीन के खिलाफ दुश्मनी दिखा रहे हैं।
अधिकतर चीनी ये मानते हैं कि भारत आर्थिक और सैन्य क्षमता में चीन से बहुत पीछे है।57 फीसदी लोगों का मानना है कि भारत चीन के लिए कोई खतरा नहीं है। 49 फीसदी लोगों का ये भी मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था चीन पर बुरी तरह निर्भर है।
सिंगुआ यूनिवर्सिटी में इंडियन स्टडीज के असिस्टेंट प्रोफेसर शी चाओ ने कहा, भारत 1947 में ब्रिटेन से आजाद हुआ और पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना 1949 में बना।उस वक्त भारत अर्थव्यवस्था और मूलभूत ढांचे के मामले में भारत से कहीं ज्यादा आगे था।लेकिन अब चीन मूलभूत ढांचा, शहरीकरण, आधुनिकीकरण, शिक्षा, विज्ञान, तकनीक, सेना और अर्थव्यवस्था सब मामले में भारत से बहुत आगे है। जब चीनी भारत की तरफ देखते हैं तो उनमें श्रेष्ठता का भाव होता है।
चीनी मिलिट्री एक्सपर्ट और टीवी कमेंटेटर सोंग झोंगपिंग ने ग्लोबल टाइम्स से कहा, ये सच है कि चीन की सेना भारत की सेना से ज्यादा मजबूत है और भारत के रक्षा क्षेत्र की इंडस्ट्री में भ्रष्टाचार समेत मामलों को लेकर मीडिया रिपोर्ट्स भी आती रहती हैं।ऐसे में चीन में कई लोगों को लगता है कि भारतीय आर्मी कहीं नहीं टिकेगी।उन्होंने कहा, हालांकि, भारतीय सेना को लेकर ये समझ सही नहीं है। भारतीय सेना पाकिस्तान के साथ लगातार सैन्य संघर्षों में उलझी रहती है इसलिए उन्हें जंग का अनुभव है और उन्होंने सीमाई इलाके में चीनी आर्मी से ज्यादा सैनिकों की तैनाती कर रखी है इसलिए अगर भविष्य में हमें अपने दुश्मनों को हराना है तो चाहे भारतीय हों या कोई और, हमें उन्हें हल्के में लेने के बजाय उनसे सीखना चाहिए।किसी को गंभीरता से ना लेने से युद्ध में जीत हासिल नहीं हो जाएगी।
बीजिंग के एक मिलिट्री एक्सपर्ट के हवाले से ग्लोबल टाइम्स ने लिखा है कि 1962 में भारतीय सेना को हराने की वजह से चीनी जनता में आत्मविश्वास भरा हुआ है।अधिकतर चीनी भारतीय सेना को कमजोर लेकिन मुश्किलें पैदा करने वाला मानते हैं। इसीलिए 70 फीसदी प्रतिभागी मानते हैं कि चीन को भारत के उकसावे के खिलाफ सख्ती से जवाब देना चाहिए और 89 फीसदी सैन्य कार्रवाई का भी समर्थन करते हैं।
सर्वे में प्रतिभागियों से सवाल किया गया कि भारत कितने वक्त में चीन को पीछे छोड़ देगा तो 54 फीसदी ने कहा कि भारत कभी भी चीन को नहीं पिछाड़ पाएगा।वहीं 10.4 फीसदी लोगों ने कहा कि ये 100 साल में ही मुमकिन हो पाएगा. साउथ एशियन स्टडीज के डेप्युटी डायरेक्टर लोउ चुनहाओ ने कहा, भारत का चीन के साथ व्यापार घाटा और चीन के सस्ते और मिडिल रेंज के प्रोडक्ट पर चीन की निर्भरता को लेकर लोगों की ऐसा राय बनी होगी। चीन कई सालों से भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार रहा है, साल 2019 में अमेरिका ने चीन की जगह ले ली थी। साल 2019 में भारत का चीन के साथ 50 अरब डॉलर का व्यापार घाटा था और दोनों के बीच कुल व्यापार ही 90 अरब डॉलर का हुआ था, भारत चीन पर दवाइयों से लेकर मशीन तक चीन पर निर्भर है। ये निर्भरता कोविड-19 महामारी के दौरान भी नजर आई जब वैश्विक आपूर्ति बाधित हो गई थी।
भारत में चीनी राजदूत सन वेइडोंग ने जुलाई महीने में एक सेमिनार में बताया था कि साल 2018-2019 में भारतीय बाजार में 92 फीसदी कंप्यूटर्स, 82 फीसदी कलर टीवी सेट्स, 80 फीसदी फाइबर ऑप्टिक्स और 85 फीसदी मोटरसायकल पार्ट्स चीन से आयातित किए गए थे।
जून महीने में लद्दाख में हुए संघर्ष के बाद से भारत ने चीनी कारोबार के हितों पर चोट करनी शुरू कर दी और चीनी सामान को कस्टम क्लीयरेंस में देरी, निवेश के लिए शर्तें कड़ी करना और 300 मोबाइल ऐप पर प्रतिबंध लगाने जैसे कदम उठाए। सर्वे में भारत के इस रुख को लेकर चीनी क्या सोचते हैं? इस सवाल के जवाब में 35 फीसदी ने कहा कि भारत के इन कदमों से बेहद खफा हैं और मानते हैं कि बदले की कार्रवाई जरूरी है। ग्लोबल टाइम्स ने चीनी एक्सपर्ट के हवाले से लिखा कि ये वक्त है कि भारत सरकार शोर मचाना बंद करे और सहयोग के रास्ते पर आए। मोदी सरकार की प्राथमिकता में भारतीय अर्थव्यवस्था ही होनी चाहिए। चीन में एक बड़ी आबादी का ये भी मानना है कि भारत-चीन के तनाव में अमेरिका का दखल भी एक वजह है।           


जापानी पीएम 'आबे' दे सकते हैं इस्तीफा

टोक्यो। जापान के प्रधानमंत्री शिंजो आबे शुक्रवार को अपने इस्तीफे का ऐलान कर सकते हैं। पिछले लंबे वक्त से वो बीमार चल रहे हैं, कुछ वक्त पहले ही उन्हें अस्पताल में भर्ती भी कराया गया था। इस बीच जापानी मीडिया ने रिपोर्ट किया है कि शुक्रवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिंजो आबे अपना इस्तीफा दे सकते हैं।


जापानी मीडिया के मुताबिक, शिंजो आबे की तबीयत लगातार बिगड़ रही है। इसी वजह से वो काम पर ध्यान नहीं दे पा रहे हैं ऐसे में वो शुक्रवार को इस्तीफा दे सकते हैं। पिछले काफी वक्त से शिंजो आबे की तबीयत को लेकर कई तरह की अटकलें लगाई जा रही थीं। क्योंकि काम को छोड़कर वो दो बार अस्पताल पहुंचे थे, जिसके बाद उनके इस्तीफे की बात सामने आई थी। इससे पहले 18 अगस्त को जब शिंजो आबे को अस्पताल ले जाया गया था, तब करीब सात घंटे तक उनका चेकअप चलता रहा। इस बीच मीडिया में कई तरह की बातें सामने आईं, लेकिन प्रधानमंत्री कार्यालय की ओर से सफाई दी गई थी।


इससे पहले भी बीमारी की वजह से 2007 में शिंजो आबे ने कुछ वक्त का ब्रेक लिया था, तब उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के शुरुआती दिन थे। शिंजो आबे 2012 से लगातार जापान के प्रधानमंत्री हैं, इससे पहले वह 2006 में कुछ वक्त के लिए देश के पीएम बने थे। जापान में शुरुआती वक्त में कोरोना वायरस का संकट रहा था, लेकिन अब हालात कुछ हदतक ठीक हैं।                


प्रियंका और प्रसाद के बीच हुई तनातनी

मुसीबत, यूपी में प्रियंका गांधी और जितिन प्रसाद के बीच नेतृत्व को लेकर तनातनी , सिंधिया , सचिन पायलट के बाद गांधी समर्थक नेताओं का जितिन प्रसाद पर हमला , कपिल सिब्बल ने ट्वीट कर बताया दुर्भाग्यपूर्ण।
नई दिल्ली/ लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के नेतृत्व को लेकर प्रियंका गांधी और जितिन प्रसाद के बीच छिड़ी जंग साथ पर आ गई है। बताया जा रहा है कि यूपी में लंबे समय से वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और गांधी परिवार के करीब रहे जितेंद्र प्रसाद के बेटे जितिन प्रसाद ने कांग्रेस की बागडोर संभाली थी। वे मैदानी इलाकों में पार्टी की मजबूती के लिए प्रयासरत थे। लेकिन प्रियंका गांधी ने अचानक पार्टी की बागडोर अपने हाथो में थाम ली। सोनिया गांधी समर्थक नेताओं ने इसके बाद जितिन प्रसाद के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। प्रियंका गांधी की सक्रियता बढ़ने के साथ ही उत्तर प्रदेश में जितिन प्रसाद को हाशिये में ढकेलना शुरू कर दिया गया। लेकिन अब सोनिया गांधी को लिखे मांग पत्र को हथियार बनाकर जितिन प्रसाद को पार्टी से बाहर करने के लिए मुहीम छेड़ दी गई है। इससे पार्टी के वरिष्ठ नेताओ ने हैरानी जताई है।
दरअसल लखीमपुर खीरी की कांग्रेस की जिला इकाई ने जितिन प्रसाद को पार्टी से निष्कासित करने का प्रस्ताव पास किया है। प्रस्ताव पर जिलाध्यक्ष प्रहलाद पटेल और लखीमपुर खीरी के अन्य पदाधिकारियों ने हस्ताक्षर किए हैं। उन्होंने सोनिया गांधी के नेतृत्व पर सवाल उठाने वाली चिट्ठी पर जिन नेताओं के हस्ताक्षर हैं। उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की है। इन नेताओं को पार्टी से बाहर निकालने की मांग की गई है  हालांकि जितिन प्रसाद ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है |   
प्रियंका गांधी उत्तर प्रदेश की प्रभारी हैं, और पार्टी की महासचिव हैं। राजनैतिक गलियारों में चर्चा है कि ये प्रस्ताव बिना उनकी जानकारी के पारित नहीं हुआ होगा। वहीं, एक ऐसा ऑडियो भी वायरल हो रहा है जिसमें जिलाध्यक्ष प्रहलाद पटेल कांग्रेस के एक कार्यकर्ता से बात कर रहे हैं। वह कह रहे हैं कि उनको ऐसी कार्रवाई करने के लिए मजबूर किया गया था  | प्रहलाद पटेल और अन्य नेताओं की ओर से जारी चिट्ठी में खासतौर से जितिन प्रसाद पर निशाना साधा गया है | इसमें उनके पिता जितेंद्र प्रसाद के बागी तेवर की भी याद दिलाई गई है। जब उन्होंने सोनिया गांधी के खिलाफ बगावती सुर अपनाए थे और उनके खिलाफ चुनावी मैदान में उतरे थे। प्रस्ताव में आगे कहा गया है, कि अब जितिन प्रसाद भी अपने पिता के रास्ते पर चल पड़े हैं। समिति ने इस कदम की निंदा की है, और उनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की मांग की है। 
हाल ही में सीडबल्यूसी की बैठक में वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं की चिट्ठी विवाद को लेकर घमासान अभी खत्म नहीं हुआ है,कि कांग्रेस और सोनिया गांधी के सामने एक और नई उलझन खड़ी हो गई है। खबर है कि पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ये दिखाना चाहती हैं।,कि कांग्रेस में सबकुछ ठीक हो गया और नाराज नेताओं को मना लिया गया है। लेकिन उत्तर प्रदेश में खड़े हुए इस नए मामले ने पार्टी की पोल खोल दी है।कांग्रेस में ऐसा नहीं है कि , सब कुछ ठीकठाक चल रहा हो।पार्टी के भीतर जंग अभी भी जारी है। पार्टी की हालत को लेकर जिन 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को पत्र लिखा था उसमे पूर्व केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के भी हस्ताक्षर थे। बताया जाता है कि लखीमपुर खीरी से ही उनके विरोध की रणनीति तैयार की गई है।                 


3500 खिलाड़ी किए जाएंगे सम्मानित

रायपुर। 29 अगस्त मेजर ध्यानचंद की जयंती राष्ट्रीय खेल दिवस के अवसर पर छत्तीसगढ़ राज्य के सम्पूर्ण खेल जगत को प्रोत्साहित करने के उद्देश्य से छत्तीसगढ़ खेल कांग्रेस द्वारा "कांग्रेस खेल प्रतिभा सम्मान" समारोह प्रदेश भर के सभी जिला कांग्रेस मुख्यालयों में आयोजित कराया जा रहा है। छत्तीसगढ़ खेल कांग्रेस के अध्यक्ष अधि. प्रवीण जैन ने जानकारी देते हुए बताया कि कांग्रेस के शहीद नेताओं की स्मृति में इस वर्ष 3500 से ज्यादा मैडलिस्ट खिलाड़ियों, प्रशिक्षकों, निर्णायकों, खेल पत्रकारों व खेल और खिलाड़ियों को बढ़ावा देने वालों को सम्मानित किया जा रहा है। रायपुर में यह आयोजन राजीव भवन, शंकर नगर में आयोजित होगा, जहां कोरोना संक्रमण से बचाव के खास इंतजाम किए गए है तथा शासन की गाइडलाइन का पूर्ण पालन कर सीमित खिलाड़ियों को ही आमंत्रित किया गया है। कई खिलाड़ियों को ऑनलाइन प्रमाण पत्र भी भेजा जायेगा।                         


सोनिया ने कांग्रेस दल में किएं बदलाव

नई दिल्ली। अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकसभा में कांग्रेस दल में किए बड़े बदलाव…युवा सांसद गौरव गोगोई को बनाया उपनेता…चिट्ठी लिखने वालों को जगह नहीं। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने लोकसभा में कांग्रेस दल में बड़े बदलाव के एलान किए हैं। असम से पार्टी के युवा सांसद गौरव गोगोई को लोकसभा में कांग्रेस का उपनेता बनाया गया है। पश्चिम बंगाल से पार्टी के सांसद अधीर रंजन चौधरी पार्टी के लोकसभा में नेता हैं।
इसके अलावा पंजाब से पार्टी के युवा सांसद रवनीत सिंह बिट्टू को पार्टी का व्हिप बनाया गया है।कांग्रेस सांसद के सुरेश लोकसभा मे पार्टी के चीफ व्हिप हैं जिनके साथ गौरव गोगोई और मणिक्कम टैगोर पार्टी के व्हिप थे और अब गौरव गोगोई की जगह रवनीत सिंह बिट्टू को व्हिप बनाया गया है।कमलनाथ और कैप्टन अमरिन्दर सिंह के लोकसभा से जाने के बाद से लोकसभा में कांग्रेस के उपनेता का पद खाली था।
गौरतलब है कि लोकसभा में शशि थरूर और मनीष तिवारी पार्टी के सांसद हैं,जिन्होंने ने भी हाल में सोनिया गांधी को भेजी गई उस चिट्ठी पर हस्ताक्षर किए थे जिसे लेकर कांग्रेस कार्यसमिति में काफी विवाद हुआ था। नई नियुक्तियों में इन दोनों को जगह नहीं मिली है।                


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण




यूनिवर्सल एक्सप्रेस   (हिंदी-दैनिक)









 अगस्त 29, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-15 (साल-02)
2. शनिवार, अगस्त 29, 2020
3. शक-1943, भाद्रपद, शुुुक्ल-पक्ष, तिथि-एकादशी, विक्रमी संवत 2077।


4. सूर्योदय प्रातः 05:27, सूर्यास्त 07:10


5. न्‍यूनतम तापमान 23+ डी.सै.,अधिकतम-34+ डी.सै.। आद्रता बनी रहेगी।


6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7. स्वामी, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहींं है।


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गुरुवार, 27 अगस्त 2020

चीन ने भारत को 'युद्ध' की धमकी दी

नई दिल्‍ली। चीन के सरकारी अखबार ग्‍लोबल टाइम्‍स ने भारत के खिलाफ चीनी सेना के मिलिट्री एक्शन को लेकर चीनी लोगों से राय मांगी है। उसने ट्वीट करते इस बारे में जानकारी दी है कि पीएलए को चीनी नागरिकों का भरपूर समर्थन मिली है। ट्वीट में कहा गया है कि अखबार द्वारा किए गए सर्वे में 90 फीसदी चीनी लोगों ने भारत पर सैन्य कार्रवाई किए जाने का समर्थन किया।


ग्लोबल टाइम्स और चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेम्परेरी इंटरनेशनल रिलेशंस (CICIR) ने हाल ही में चीन में 1,960 प्रतिभागियों के चीन-भारत संबंधों पर एक सर्वेक्षण किया और परिणामों से पता चला कि 70 प्रतिशत से अधिक लोगों का मानना है कि भारत ने चीन के खिलाफ दुश्‍मनों वाली नीति अपनाई है और सरकार को भारतीय उकसावों के खिलाफ जोरदार पलटवार करना चाहिए।                       


सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली  इकबाल अंसारी  रांची। झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन ने गुरुवार को शपथ ली। ...