बुधवार, 26 अगस्त 2020

राजस्थान के कई जिलों में बारिश का अलर्ट

नरेश राघानी


जयपुर। राजस्थान में पिछले कई दिनों से हो रही बरसात ने अधिकतर जिलों को भिगो दिया है, अभी आगामी दो दिनों तक कुछ जिलों में भारी बरसात हो सकती है। इसकी जानकारी (Metrology Department Rajasthan) मौसम विभाग ने जारी की है। पूर्व राजस्थान में 27 अगस्त को भारी बारिश और 28 अगस्त को कोटा, उदयपुर संभाग में बारिश की संभावना जताई है। पश्चिमी राजस्थान के बीकानेर, जैसलमेर व बाड़मेर जिलों भारी बरसात की चेतावनी के चलते येलो अलर्ट जारी किया गया है। मौसम विभाग ने इस सप्ताह पश्चिमी राजस्थान के कई जिलों में भारी बारिश की चेतावनी जारी की है। मौसम विभाग ने जोधपुर, जैसलमेर, जालौर इत्यादि जिलों में भारी बारिश की चेतावनी के साथ अलर्ट जारी किया गया है। इन जिलों में तेज मेघ गर्जना के साथ बरसात हो सकती है।


मौसम विभाग ने मानसून के पश्चिमी राजस्थान की और बढ़ने के संकेत दिए है। जिससे इसके अंर्तगत आने वाले जिलों में भारी बरसात हो सकती है। इन जिलों में दो दिनों तक लगातार बरसात की संभावना जताई है।                         


पार्टी की विचार गोष्ठी कार्यक्रम आयोजित

मनीष कुमार यादव


मधुबनी। जिले के हरलाखी प्रखंड के झिटकी गांव स्थित पार्टी कार्यालय पर हिन्दुस्तान इन्कलाब पार्टी के द्वारा विचार गोष्ठी कार्यक्रम का आयोजन किया गया। जिसकी अध्यक्षता पंचायत के मुखिया ललटु मंडल और संचालन हिंदुस्तान इंकलाब पार्टी के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष महेश प्रसाद मंडल ने की। मुख्य अतिथि के रूप में पार्टी की राष्ट्रीय अध्यक्ष रविन्द्र चरण मंडल ने अपने सम्बोधन में कहा कि अजादी के बाद से ही विभिन्न राजनितिक पार्टियों के द्वारा पिछड़ा और अति पिछड़ा समाज के साथ शोषन किया जा रहा है। यह पार्टियां चुनाव आते ही हम पिछड़ा और अति पिछड़े समाज को चुनावी झांसे देकर वोट ले लेते है और उसके बाद दरकिनार कर देते है। कहा कि हमारी पार्टियाँ अपने समाज को आगे बढ़ाने के लिए खुद ही चुनाव लड़ने की सोच रही है,और हो सकता है की आगामी विधानसभा चुनाव के लिए हमारी पार्टी कई सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारेगी। वहीं महेश प्रसाद मंडल ने कहा कि हमारे समाज को पुरी एकता के साथ संगठित होना होगा तभी उचित न्याय और अधिकार मिल सकेगा। पिछड़ों के लिए हमारी पार्टी विभिन्न गावों में विचार गोष्ठी कार्यक्रम कर लोगों को संगठित करने के लिए जागरूक करेगी। मौके पर गंगा प्रसाद मंडल, राज कुमार मंडल, जय कुमार मंडल, वृजकिशोर भंडारी,देवेन्द्र कुमार चौधरी, उपेन्द्र राम, सुबोध मंडल, जामुन मंडल समेत दर्जनों लोगों ने समाजिक दूरी बनाकर बैठक में भाग लिए।              


सड़क मरम्मत की मांग, किया प्रदर्शन

सुपौल। पथरा गोरधई पंचायत के वार्ड 15 से एनएच 327 जागुर गांव तक जाने वाली जर्जर सड़क की मरम्मत कराने और नहर पर पुल बनाने की मांग को लेकर मंगलवार को ग्रामीणों ने प्रदर्शन किया। इस दौरान ग्रामीण जनप्रतिनिधियों और अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। ग्रामीणों ने कहा कि सरकार एक तरफ सड़कों का जाल बिछा रही है तो दस साल से जर्जर सड़क की सुधि नहीं ली जा रही है। सड़क क्षतिग्रस्त रहने से वाहन चालक अक्सर दुर्घटना के शिकार होते रहते हैं। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सड़क मरम्मत के लिए जनप्रतिनिधि और जिले के अधिकारियों को कई बार लिखा गया लेकिन सड़क मरम्मत को लेकर अब तक से कोई रूचि नहीं ली गई है। स्थिति यह है कि सड़क जर्जर रहने से आसपास की लगभग तीन हजार की आबादी को आवागमन में परेशानी होती है। बरसात के समय सड़क के दोनों ओर झील बन जाता है। सड़क पर पानी बहने से बूढ़े और महिलाओं को सड़क पार करने में परेशानी होती है। खास कर बच्चों के साथ हादसा होने की आशंका रहती है।           


गिरफ्तारी के लिए निकाला 'कैंडल मार्च'

मनीष कुमार यादव


मधुबनी। जिले के फुलपरास अनुमंडल मुख्यालय बाजार में देर शाम को कलुआही में नाबालिग के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या को लेकर शोशल एक्टिविस्ट फोरम फुलपरास के तत्वावधान में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने प्रदीप कुमार प्रभाकर के नेतृत्व में बलात्कारियों के विरुद्ध कैंडल मार्च निकालकर प्रर्दशन किया गया। इस दौरान युवकों ने बिहार सरकार व पुलिस प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की गई। ज्ञात हो कि कलुआही प्रखंड के एक गांव में बीते दिन 13 वर्षिय नाबालिक लड़की के साथ दुष्कर्म व हत्या करने वाले दरिंदों के खिलाफ कैंडल मार्च निकाला प्रदर्शन किया। युवकों ने कैंडल मार्च के साथ शहीद परमेश्वर चौक से अंडर पास होते हुए लोहिया चौक तक प्रर्दशन किया गया। प्रर्दशन के दौरान युवकों ने नाबालिग पीड़िता को न्याय दिलाने की मांग करते हुए नारेबाजी की गई। साथ ही बलात्कारियों को फांसी देने की मांग किया है। इस कैंडल मार्च में दिनेश कुमार दिवाकर, गुड्डू कुमार, योगेंद्र कुमार, विजय यदुवंशी, संजीव कुमार यादव, पप्पू कुमार, रूपेश कुमार, कृष्ण कुमार, नीतीश सिंह, संतोष कुमार, राजेश कुमार सहित बड़ी संख्या में युवक शामिल थे।           


1 लड़की की वजह से उजड़े '84 गांव'

एक लड़की की वजह से उजड़ गए थे 84 गांव, आज भी दहशत बरकरार है , जानिए वजह


जयपुर। यह बात वास्तव में हैरान कर देने वाली है कि एक लड़की की खूबसूरती के कारण पूरा गाँव श्मशान घाट में बदल गया, पर यही हकीकत है । एक लड़की की सुंदरता ने न केवल उसके परिवार को बल्कि 84 गांव को रातों रात उजाड़ दिया था।
राजस्थान के जैसलमेर शहर से 25 किमी की दूरी पर स्थित कुलधरा गांव है, जिसे आज इस गांव को एक डरावना गांव माना जाता है।ये ब्राह्मणों का गांव था, जहां की एक सुंदर लड़की पर वहां के एक शख्स की नजर पड़ी तो देखते ही देखते सब कुछ उजड़ गया। यह गांव शापित माना जाता है। कहा जाता है कि यह गांव अचानक ही एक रात में वीरान हो गया था। उसके बाद से इस गांव में कोई भी बस नहीं पाया।यह गांव आज पूरी तरह वीरान है । इस गांव के वीराने में भी भानगढ़ के किले की तरह एक खूबसूरत लड़की की दास्तान छुपी हुई है। माना जाता है कि 1825 के आसपास कुलधारा पालीवाल ब्राह्मणों का गांव हुआ करता था। पालीवाल ब्राह्मणों के पूर्वजों का संबंध भगवान श्रीकृष्ण की पत्नी रुक्मिणी से जुड़ा हुआ है। माना जाता है कि पालीवाल ब्राह्मण इनके पुरोहित हुआ करते थे।लेकिन यह घटना तब की है, जब पालीवाल किसान हुआ करते थे। यह कृषि के अलावा भवन निर्माण कला में निपुण थे। राज्य के दूसरे गांवों से यह गांव खुशहाल और संपन्न हुआ करता था। अब भी इस गांव में कोई नही जाता है। और लोगों के दिल दिमाग में आज भी दहशत बनी हुई है।             


समुदाय को पुनर्वासित करने की योजना

समुदाय को रोजगार के लिए अब तक गठित नहीं हो पाई समिति


दुर्गेश मिश्रा


ऋषिकेष। गुजर समुदाय को पुनर्वासित करने की योजना फाइलों में ग़ज़ल की पंक्तियां बनकर रह गई हैं। सरकारी अफसरों और लाभार्थियों की दशा ऐसी है मानो एक दूसरे से कह रहे हों कि ‘अपनी धुन में रहता हूँ, मैं भी तेरे जैसा हूं। ऐसा इसलिए भी है कि एक ओर तो सूचीबद्ध हुए लाभार्थी योजना का लाभ लेने के लिए सामने नहीं आ रहे हैं दूसरी ओर समीक्षा बैठक में तय हुई रूपरेखा पर वन विभाग के अफसर कुंडली मारकर बैठ गए हैं। 
गुजर पुनर्वास योजना की हालत बिल्कुल कॉमेडी सर्कस जैसी हो गई है। यानी समीक्षा बैठक के नाम पर बड़े बड़े अफसर गंभीर मुखमुद्रा में रणनीति बनाते हैं। उसके बाद वर्षों तक सरकारी स्याही फाइलों में मटमैली होती रहती है। ऐसी ही एक बैठक बीते 20 जुलाई को बड़े भारी मंसूबे के साथ वन विभाग के दिग्गज अफसरों ने की थी। सरकारी भाषा मे इसे समीक्षा बैठक कहा गया। जाहिर है इस दौरान चाय की चुस्कियों के साथ गुजर समाज के विकास की रूपरेखा भी सुनहरे अक्षरों में दर्ज की गई। फिलहाल जो मौजूद नतीजा है वो ये साबित करने के लिए काफी है कि गुजर समुदाय के जो लोग पुनर्वास का लाभ पाने के लिए सूचीबद्ध किए गए थे दरअसल उन्हें सरकारी योजना की मलाई खाने का शौक ही नहीं है। खामख्वाह सरकारी अमला उन्हें जमीन आवंटित करने पर तुला हुआ है। वजह ये है कि सरकारी दस्तावेज भी कह रहे हैं कि 104 परिवारों में से सिर्फ 28 ने लाभ उठाने में रुचि दिखाई। हालांकि इसमें वन विभाग के अफसरों ने भी कम लापरवाही नहीं बरती है। काफी दिनों तक तो राजाजी रिजर्व प्रशासन को 28 की सूची भी नहीं सौपी गई। 
दूसरी ओर सरकारी मुलाजिमों की दलील है कि कई बार गेड़ी खत्ता/पथरी के लाभान्वितों को भूमि आवंटित करने के बाद नोटिस जारी किया गया फिर भी कब्जा करने नहीं पहुंचे।


अधिकारियों की उम्मीद अब भी बरकरार


ऋषिकेश। समीक्षा बैठक में मौजूद अफसरों को अब भी उम्मीद है कि अंतिम सूची के शेष रह गए 76 आवंटी कभी भी भूखंड पर कब्जा लेने आ सकते हैं। लिहाज भूखंड अब भी सुरक्षित रखे गए हैं। 
कागजों में दौड़ रहीं सुनहरी योजनाएं
ऋषिकेश। प्रमुख वन संरक्षक की ओर से निर्देश जारी किया गया था कि गूजरों के मवेशियों की रक्षा के लिए पशुचिकित्सक उपलब्ध कराए जाएं। साथ ही युवाओं को रोजगार मुहैया कराने के लिए एक सोसाइटी का गठन हो। जमीनी हकीकत ये है कि गुर्जर परिवार के युवा सोसायटी बनने का इंतजार कर रहे हैं। शासन का सपना था कि बेरोजगार युवक युवतियों को नेचर गाइड आदि का प्रशिक्षण देकर उन्हें उद्यमी बनाया जाय। इसके साथ ही आवंटित प्लाटों को दलदल की समस्या से मुक्त करने के लिए स्थलीय परीक्षण कर समाधान के निर्देश थे। फिलहाल गुजर परिवार अपनी धुन में हैं और वन विभाग के अफसर फाइलों में अलग ही इतिहास रच रहे हैं।






                   





मामलों के 3 प्रमुख राज्यों में 'बिहार' शामिल

नई दिल्ली। कोरोना संक्रमित मरीजों के स्वस्थ होने की बेहतर दर (रिकवरी रेट) वाले तीन प्रमुख राज्यों में बिहार शामिल हो गया। यहां कोरोना संक्रमितों के स्वस्थ होने की दर 83.74 फीसदी दर्ज की गई। जबकि बिहार के अतिरिक्त दिल्ली में 90 फीसदी और तमिलनाडु में 84 फीसदी हैं। वहीं देश में रिकवरी रेट 75 फीसदी दर्ज की गई है। 
बिहार में कोरोना मरीजों के इलाज को लेकर अबतक पांच कोविड 19 डेडिकेटेड अस्पताल बनाये गए हैं और छठे 500 बेड के कोरोना  डेडिकेटेड अस्पताल का निर्माण मुजफ्फरपुर में हो रहा है। 


कोरोना की सर्वाधिक जांच करने वाले पांच राज्यों में बिहार शामिल 
दूसरी ओर, बिहार कोरोना संक्रमितों की जांच करने वाले पांच प्रमुख राज्यों में शामिल हो गया है। अबतक उत्तरप्रदेश में सर्वाधिक 46, 74, 620 सैम्पल की जांच हुई है। जबकि दूसरे स्थान पर तमिलनाडु है जहां 42,76,640, तीसरे स्थान पर महाराष्ट्र है जहां 32, 82, 501 और चौथे स्थान पर आंध्रप्रदेश है जहां 32,82, 501 सैम्पल की जांच हुई है। जबकि बिहार में अबतक 25 लाख 70 हजार 970 सैम्पल की जांच की जा चुकी है। वहीं, कर्नाटक छठे स्थान पर बिहार के ठीक पीछे है जहां अबतक 25 लाख 30 हजार सैम्पल की जांच हुई है। 


बिहार में कोरोना संक्रमितों के स्वस्थ होने की दर देश में सबसे अधिक होने के लक्ष्य की ओर हम बढ़ रहे हैं। मरीजों की मांग के अनुसार जांच और इलाज की व्यवस्था दुरुस्त की गई है। स्वास्थ्य सुविधाओं में लगातार सुधार किया जा रहा है।           


यूपी: 7 दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की गई

यूपी: 7 दिनों के राजकीय शोक की घोषणा की गई  संदीप मिश्र  लखनऊ। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के निधन को लेकर उत्तर प्रदेश में भी 7 दिनों के...