मीडिया में फिर से काम शुरू करने के लिए सरकार ने जारी की एसओपी
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मीडिया और फ़िल्म जगत में फिर से काम शुरू करने के लिए एक विस्तृत स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (एसओपी) जारी किया है। इसके तहत कार्य स्थानों पर उचित दूरी, स्वच्छता, भीड़ प्रबंधन और सुरक्षात्मक उपकरणों के लिए प्रावधान सहित तमाम उपाय शामिल हैं।
सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावेडकर ने बताया कि मीडिया और फिल्म इंडस्ट्री में कार्य करते समय या फिर शूटिंग के समय कुछ बातों का एहतियात बरतना जरूरी है। कोरोना संक्रमण के चलते ये एसओपी जारी की गई है। एसओपी के अनुसार, शूट स्थानों और अन्य कार्य स्थानों पर पर्याप्त उचित दूरी को सुनिश्चित करना है। साथ ही इसमें उचित स्वच्छता, भीड़ प्रबंधन और सुरक्षात्मक उपकरणों के लिए प्रावधान सहित उपाय शामिल हैं।
रविवार, 23 अगस्त 2020
फिल्मी जगत के लिए एसओपी की जारी
महंगाई बनी अभिशाप 'विवेचना'
महंगाई बनी अभिशाप 'विवेचना'
विकासशील राष्ट्रों के सामने महंगाई और बेरोजगारी एक बड़ी समस्या बनती जा रही है। कोरोना वायरस के कारण परिस्थितियों की जटिलता बढ़ती जा रही है। विकास की गति स्थिर हो गई है, जिसका निम्न आय वर्ग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह कोरोना वायरस के समान घातक और खतरनाक सिद्ध होगा।
भारत की हालिया तस्वीर अनुमान के विपरीत है। देश में वायरस के साथ-साथ बेरोजगारी की मार झेल रही जनता के जीवन में महंगाई तांडव कर रही है। कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन में खूब कालाबाजारी की गई है। जिसका सीधा संबंध गरीब जनता से ही रहा है। अब सभी वस्तुओं पर मूल्य वृद्धि से व्यवस्था चरमरा गई है। अति आवश्यक और खाद सामग्री जैसी वस्तुओं के मूल्य में 10 से 25 फ़ीसदी तक वृद्धि की गई है। जिसके कारण जनता को अनावश्यक भार झेलना पड़ेगा। निम्न आय और बेरोजगारी से ग्रस्त परिवारों के लिए यह किसी अभिशाप से कम नहीं है। आधुनिक भारत कुपोषण और भुखमरी की राह पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। इसके लिए सरकार की नीतियों में दोष खोजे जा सकते हैं। लेकिन यह अकारण परिश्रम करने के जैसा है। सरकार की दोषपूर्ण नीतियों के परिणाम स्वरूप देश की जनता लंबे समय तक इस संकट को अपने साथ लेकर चलती रहेगी। इसका सरकार के पास ना कोई उपाय है और ना कोई उपचार। झूठे-सच्चे दावे और वायदों के साथ इस संकट को देश की गरीब जनता को झेलना होगा।
नेतृत्व की क्षमताओं का परीक्षण बुरा दौर होता है।
नेता तो नेता ही होता है, कोई एक-दो चोर होता है।
पालूराम
युवाओं को सरकारी नौकरी में भर्ती करें
केंद्र की राज्यों से एनआरए डाटा से युवाओं को करें नौकरियों में भर्ती।
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से एनआरए डाटा के इस्तेमाल की अपील की।केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने शनिवार को कहा कि राज्य अपने यहां सरकारी नौकरियों के लिए युवाओं को छांटने में नेशनल रिक्रूटमेंट एजेंसी एनआरए की तरफ से आयोजित कराए जा रही सामान्य योग्यता परीक्षा (सीईटी) के परिणाम का इस्तेमाल कर सकते हैं। उन्होंने इसके लिए राज्यों और केंद्र सरकार के बीच एमओयू भी करने का इशारा किया है।केंद्रीय कार्मिक राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा, राज्य और केंद्र शासित प्रदेश एनआरए की तरफ से नौकरी चयन के लिए आयोजित किए जा रहे सीईटी का इस्तेमाल कर सकते हैं। इस टेस्ट के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली कैबिनेट बुधवार को हरी झंडी दिखा चुकी है।
उन्होंने कहा, इस प्रक्रिया से राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों समेत सभी भर्ती संस्थाओं को पैसा और समय बचाने में मदद मिलेगी, जबकि दूसरी तरफ यह नौकरी के इच्छुक युवाओं के लिए भी कम खर्च और सुविधा जनक तरीका साबित होगा।
उन्होंने कहा, राज्यों की तरफ से सीईटी स्कोर का इस्तेमाल करने के लिए एक एमओयू भी किया जा सकता है। इसके लिए केंद्रीय कार्मिक विभाग (डीओपीटी) और मैं खुद कई राज्यों के साथ संपर्क में हूं। अधिकतर मुख्यमंत्री इस व्यवस्था को अपनाने के पक्ष में हैं। उन्होंने कहा, सीईटी स्कोर सार्वजनिक क्षेत्र के उद्यमों और बाद में निजी क्षेत्र के साथ भी शेयर किया जा सकता है।
आरक्षित वर्ग को नियमों के तहत मिलेगी छूट।केंद्रीय मंत्री ने सीईटी को लेकर जताई जा रही चिंताओं का भी जवाब दिया। उन्होंने कहा, टेस्ट में भाग लेने वाले आरक्षित वर्ग के उम्मीदवारों को अधिकतम आयु सीमा में सरकारी नीति के तहत मिलने वाली सभी छूट का लाभ दिया जाएगा।
उन्होंने कहा, सीईटी का आयोजन केवल हिंदी या अंग्रेजी में नहीं बल्कि 12 भारतीय भाषाओं में किया जाएगा। साथ ही इसमें संविधान की 8वीं सूची में शामिल अन्य भाषाओं को भी इसमें शामिल किया जाएगा।
प्रतिबंधों के साथ 'ताजिया' की अनुमति
सरकार ने प्रतिबंधों के साथ मुहर्रम में ‘ताजिया’, ‘मजलिस’ रखने की दी अनुमति
बृजेश केसरवानी
लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार ने मुहर्रम को लेकर शिया धर्मगुरु मौलाना कल्बे जव्वाद की मांगों को स्वीकार करते हुए कुछ प्रतिबंधों के साथ लोगों को अपने घरों में ‘ताजिया’ रखने और मुहर्रम के दौरान ‘अजादारी’ का पालन करने की अनुमति दे दी है। कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर लगाए गए प्रतिबंधों के विरोध में जव्वाद ने शनिवार शाम को धरना दिया था। इसके बाद आधी रात को राज्य सरकार का यह फैसला लिया गया।
हालांकि सरकार ने हर जिले में शिया धर्मगुरुओं की उनके संपर्क नंबरों के साथ एक सूची मांगी है। ये मौलवी जिला नागरिक और पुलिस अधिकारियों से मिलकर मुहर्रम गतिविधियों का समन्वय करेंगे। मुहर्रम के दौरान मिलने वाली शिकायतों से निपटने के लिए एक सचिव रैंक के अधिकारी को भी नियुक्त किया गया है।
मजलिस-ए-उलमा-ए-हिंद के महासचिव मौलाना कल्बे जव्वाद ने भाजपा सरकार पर मोहर्रम की ‘मजलिस’ को लेकर हुई बात से मुकरने का आरोप लगाया है। मौलवी ने संवाददाताओं को बताया कि शियाओं और ‘अजादारी’ करने वाले सभी लोगों में खासा गुस्सा है। ‘अजादारी’ में इमाम हुसैन और उनके सहयोगियों की कर्बला में हुई शहादत पर दुख मनाया जाता है। वहीं मजलिस में देश भर के इमामवाड़ों में इसे लेकर प्रवचन दिए जाते हैं।
राज्य सरकार के साथ उच्च-स्तरीय वार्ता के बाद राजधानी में केवल सात इमामबाड़ों को पांच लोगों की उपस्थिति में 60 मिनट की ऑनलाइन ‘मजलिस’ की अनुमति दी गई है। मौलवी ने कहा, “बातचीत के दौरान हमने ‘मजलिस’ में सोशल डिस्टेंसिंग के साथ 1,000 लोगों की उपस्थिति की अनुमति मांग की थी। लेकिन सरकार ने केवल 20 लोगों की उपस्थित की अनुमति दी। हम इसके लिए भी सहमत हो गए लेकिन गुरुवार देर रात भेजे गए आदेश में शहर के केवल सात इमामबाड़ों में पांच-पांच लोगों की अनुमति की बात कही गई।”
पालघर मामले में सीबीआई जांच की मांग
संतों ने उठाई पालघर लिंचिंग मामले की सीबीआई जांच की मांग
बृजेश केसरवानी
प्रयागराज। दिवंगत अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच की जिम्मेदारी सीबीआई को सौंपने के बाद अब संतों ने भी पालघर भीड़ हिंसा के मामले की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग उठाई है। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद (एबीएपी) ने कहा कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत की जांच सीबीआई को सौंपने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने मुंबई पुलिस को अक्षम साबित कर दिया है।
एबीएपी ने मांग की है कि 16 अप्रैल को महाराष्ट्र के पालघर में दो साधुओं के साथ हुई भीड़ हिंसा की जांच भी सीबीआई से कराई जाए।परिषद के अध्यक्ष नरेंद्र गिरि ने कहा, “एबीएपी 26 अगस्त को हरिद्वार में एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित करने जा रहा है जिसमें अगले साल कुंभ की तैयारियों पर चर्चा करने के अलावा पालघर में हुई हत्याओं की सीबीआई जांच के लिए एक प्रस्ताव भी पारित किया जाएगा और अगर जरूरत पड़ी तो अखाड़ा परिषद द्वारा कोर्ट का दरवाजा भी खटखटाया जाएगा।”
16 अप्रैल की रात को देशव्यापी लॉकडाउन के बीच दो साधू एक कार में सवार होकर ड्राइवर संग मुंबई के कांदिवली से गुजरात के सूरत में एक अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए जा रहे थे। इस बीच गडचिनचाइल गांव में एक भीड़ ने पुलिस टीम की मौजूदगी में उन पर हमला किया और बेहद ही बर्बरता के साथ उनकी हत्या कर दी गई।
कल्पवृक्ष गिरि महाराज और सुशील गिरि महाराज संग उनके ड्राइवर को नीलेश यालगडे को भीड़ ने पीट-पीटकर मार डाला और पुलिस कथित तौर पर मूक दर्शक बनी रही। नरेंद्र गिरि ने कहा, “प्रस्ताव पारित करने के बाद अखाड़ा परिषद महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हत्याओं की सीबीआई जांच की मांग करेगा।”
पीसी शर्मा ने भाजपा पर हमला बोला
पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने ग्वालियर में हो रहे आयोजन में बीजेपी पर हमला बोला
नई दिल्ली। भाजपा के कार्यक्रमो के लिए कोई नियम कानून नहीं है, लेकिन हिन्दू धर्म मे गणेश उत्सव नहीं मनाने दिया जा रहा ग्वालियर में कांग्रेस के एक भी व्यक्ति ने भाजपा की सदस्यता नहीं ली है कांग्रेस के नेताओं पर झूठे प्रकरण दर्ज हो रहे हैं, इसलिए हमने समिति बनाई है, भाजपा कुछ भी करे जनता हमारे साथ है।
विधानसभा सभा अध्यक्ष-उपाध्यक्ष चुनाव पर कहा
कांग्रेस उचित समय पर अपने पत्ते खोलेगी ,भाजपा ने अध्यक्ष पद के लिए कैंडिडेट उतारा था, इसलिए हमने उपाध्यक्ष पद नहीं दिया।
जमातियों पर कोरोना फैलाने का आरोप लगाया, इन्हें माफी मांगनी चाहिए
'राम मंदिर का मुद्दा कांग्रेस के पक्ष में, राजीव गांधी ने खुलवाए थे दरवाजे राजधानी सहित आसपास हो रही बारिश पर पूर्व मंत्री ने कहा कलियासोत डेम के गेट खोले गए लेकिन इससे पहले पुख्ता इंतजाम नहीं किए निचली बस्तीयों में पानी भर गया।
ऑनलाइन पढ़ाई का फायदा और नुकसान
छात्रों का भविष्य ऑनलाइन पढ़ाई कितना फायदा कितना नुकसान
ऑनलाइन पढ़ाई में कुछ विद्यार्थी अभिभावकों के साथ कर रहें विश्वासघात
नई दिल्ली। ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए छात्र अपने भविष्य के साथ कहीं खिलवाड़ तो नहीं कर रहे।
अभिभावक और बच्चों के बीच सवांद और विश्वास की कमी,अभिभावकों को देना होंगा ध्यान।
कोरोना महामारी से तो पूरा विश्व जूझ रहा है देश में भी लॉकडाउन के चलते सभी स्कूल कॉलेज बंद चल रहे हैं ऐसे में बच्चों का भविष्य क्या होगा जिसके चलते ऑनलाइन पढ़ाई का चलन बढ़ता जा रहा है। अभिभावकों को भी ऑनलाइन पढ़ाई बेहतर लगती है। बच्चे जब उनके नजर के पास रहते हैं।
शहर तो शहर अब गाँव में भी ऑनलाइन पढ़ाई का चलन तेज होता जा रहा है कितने ऐसे माता-पिता भी है जिन्होंने कभी भी स्मार्ट फोन का इस्तेमाल नहीं किया लेकिन अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए ऑनलाइन पढ़ाई के लिए एंड्रॉयड स्मार्टफोन खरीद कर बच्चों को दिया।
क्या ऑनलाइन पढ़ाई से बदलेगा छात्रों का भविष्य?
देखने मे आ रहा हैं कि कम उम्र के बच्चों को उनके माता पिता ने ऑनलाइन पढ़ाई के लिए महंगे मोबाईल उपलब्ध करा रखें हैं। तथा वह माता पिता मोबाईल दिलवाने के बाद अपने बच्चो पर नजर नही रखते हैं। अधिकांश विद्यार्थी कक्षा ग्यारवी और बारहवीं के हैं और संपन्न परिवारों से ताल्लुक रखते हैं। हैरानी की बात यह है कि जब लॉक डाउन की वजह से ट्यूशन और स्कूल बंद हैं तो किशोर छात्र इस तरह के कामों में अपना समय बिता रहे हैं और इनके माता-पिता को भनक तक नहीं लग रही है कि बच्चे कर क्या रहे हैं। कोरोना के चलते ऑनलाइन कक्षाओं का चलन बढ़ गया हैं और अभिभावक भी सोचते हैं। कि उनके बच्चे मोबाइल पर पढ़ रहे हैं, इसलिए वे उन पर शक नहीं करते। लेकिन कुछ छात्र अभिभावकों के साथ विश्वासघात कर रहे हैं और कुछ छात्र ऐसे भी हैं जो ऑनलाइन पढ़ाई के जरिए अपने भविष्य को खराब कर रहे हैं।आजकल अभिभावक और बच्चों के बीच सवांद और विश्वास की कमी साफ देखने को मिल रही हैं। इसी का नतीजा है कि बच्चे हमेशा मोबाइल, वीडियो गेम और अन्य गैजेटों में उलझे रहते हैं सभी अभिभावकों से अपील की अपनी जिम्मेदारी समझे और वे बच्चों पर नजर रखें, देखें कि उनका बच्चा घंटों उस आभासी दुनिया में क्या कर रहा है, किसके साथ संपर्क में है। एक रिपोर्ट के अनुसार सोशल मीडिया के ज्यादा प्रयोग से बच्चा इसका आदी हो जाता है और मन ही मन अकेला महसूस करने लगता है। यहीं से अवसाद की शुरूआत हो जाती है। इसलिए अभिभावकों एवं बच्चे के बीच हमेशा संवाद बना रहना चाहिए, ताकि वह बाहरी आभासी आकर्षण एवं गलत लोगों की संगत से बचा रहे। आजकल विविध ऑनलाइन चैनलों के माध्यम से अश्लीलता एवं फूहड़ता से परिपूर्ण वेब सीरीज दिखाई जा रही हैं जिसका गलत असर किशोर के दिलो दिमाग पर पड़ रहा है और इसे देखने से शारीरिक आकर्षण के प्रति उनका मोह एवं रुझान और भी ज्यादा बढ़ने लगता हैं। जिस वजह से उनका मन पढ़ाई -लिखाई से भटक जाता हैं एवं वे बॉयज लॉकर रूम जैसे ग्रुप बनाने की ओर बढ़ने लगते हैं।सरकार की भी जिम्मेदारी है कि ऐसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म जिनका बॉयज लॉकर रूम जैसे ग्रुप पर नियंत्रण नहीं है, उन पर कठोर कार्रवाई करे और यह सुनिश्चित करे कि नाबालिग इसका उपयोग न कर पाएं।
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