बुधवार, 19 अगस्त 2020

धूल और मलबे के बीच से गुजरेगी 'पृथ्वी'



धूल के गुबार और मलबे से भरे रास्ते से कोई भी गुज़रना नहीं चाहेगा। लेकिन कभी-कभी ऐसा कर के आप अचम्भे में पड़ सकते हैं। अगस्त के मध्य में अपनी धुरी पर घूमती पृथ्वी ब्रह्मांडीय मलबे और धूल के बीच से हो कर गुज़रेगी और इस दौरान आसमान रोशनी से जगमगा उठेगा। आसमान में उल्का पिंडों की बौछार, यानी शूटिंग स्टार की शानदार प्रदर्शन देखने का ये अहम मौक़ा होगा और अगर आपकी किस्मत ने साथ दिया तो आपको फायर-बॉल भी दिखेगा।





क्या है परसिड्स? स्विफ्ट-टर्टल नाम का धूमकेतु पृथ्वी की तरह सूरज के चारों तरफ चक्कर काटता है, लेकिन ये चक्कर काटते वक़्त एक ख़ास तरह का एंगल बनाता है। लंदन के ग्रीनविच में मौजूद रॉयल म्यूज़ियम से जुड़े खगोल विज्ञानी एडवर्ड ब्लूमर कहते हैं, "हर साल सूरज के चारों तरफ घूमती हुई पृथ्वी इस धूमकेतु की कक्षा से हो कर जाती है और इस दौरान वो इसके मलबे और धूल की गवाह बनती है।




बर्फ के टुकड़ों, धूल, चावल के दाने के जितने पत्थर के टुकड़ों से भरा ये ब्रह्मांडीय मलबा पृथ्वी के वायुमंडल की ऊपरी परत में प्रवेश करते हैं। ब्लूमर कहते हैं, "वायुमंडल में प्रवेश करते ही ये टुकड़े घर्षण के कारण जलने लगते हैं, भले ही कुछ सेकंड के लिए ये नज़ारा अद्भुत होता है। वो कहते हैं, "परसिड्स उल्का पिंड का बौछार इसलिए ख़ास है क्योंकि ये तय समय पर होता है। जुलाई के आख़िर से ही ये दिखवने लगता है और अगस्त में मध्य में अपने पीक पर पहुंचता है। आप इसे बिना किसी ख़ास चश्मे के आंखों से देख सकते हैं और आप लगातार कई दिनों तक रात के आकाश में इसका मज़ा ले सकते हैं। क्या पता किस रात आपको कुछ ख़ास रोशनी का जलवा दिख जाए। ब्लूमर कहते हैं कि कभी-कभी धूमकेतु का कोई बड़ा हिस्सा भी आपको दिख सकता है और "अगर आप लकी हुए तो आपको फायर बॉल भी दिख सकता है। वो कहते हैं कि दो साल की कोशिशों के बाद वो फायर बॉल की एक झलक पाने में कामयाब हुए थे।




लेकिन उल्का पिंडों को देखने के लिए इतना उत्साह?





ब्लूमर कहते हैं, "बिल्कुल होना ही चाहिए। घर की बत्तियां बुझाइए और कहीं खुले में जा कर इसका आनंद लीजिए।परसिड्स प्राकृति की आतिशबाज़ी की तरह है, और ये आतिशबाज़ी अपने आप में शानदार होती है और कभी-कभी घंटे भर में आपको सौ तक उल्का पिंड दिखते हैं। ये उल्का पिंड 215,000 किलोमीटर प्रतिघंटे की रफ्तार से धरती के वायुमंडल में प्रवेश करते हैं लेकिन फिर भी ये धरतीवासियों के लिए किसी तरह का ख़तरा नहीं हैं। ब्लूमर कहते हैं, "खुद के लिए थोड़ा वक्त निकालिए, एक खुली जगह पर चीदर बिछाइए और आसमान को निहारिए।आतिशबाज़ी का ये नज़ारा आपका तनाव भी कम कर देगा।





परसिड्स का मज़ा कैसे लें?




खगोल विज्ञानी एडवर्ड ब्लूमर कहते हैं- आसमान में पूर्व और उत्तर पूर्व की तरफ देखें। अगर आप नक्षत्रों को जानते हैं तो कैसियोपिया नक्षत्र के नज़दीक परसिड्स को ढूंढें। अगर आप इसे नहीं ढूंढ पातो इसके लिए मोबाइल एप की मदद लें।





कोरोना महामारी से पहले तारे देखना थोड़ा आसान था, लेकिन अब भी सोशल डिस्टेन्सिंग का पालन करते हुए आप ऐसा कर सकते हैं। जहां से आप आकाश देखना चाहते हैं उस जगह की तलाश शाम से ही कर लें। वहां चादर बिछाएं और आराम से रात होने का इंतज़ार करें। आसपास लाइटें हों तो बंद कर दें, अपने मोबाइल फ़ोन को भी बंद करे या फिर लाइट पॉल्यूशन करने वाली कोई और चीज़ आसपास हो तो उसे बंद करें। अब प्रकृति के अद्भुत नज़ार का आनंद लें। आपको घंटे भर में क़रीब सौ उल्का पिंड तो दिखेंगे ही, हो सकता है कि आपको फायर बॉल भी दिख जाए।


परसिड्स का नाम क्यों है ख़ास?





ब्लूमर बताते हैं, "उल्का पिंड की ये बौछार परसियस नक्षत्र से आती दिखती है इस कारण इसे परसिड्स कहते हैं। लेकिन इस तरह की बौछार पहले भी कई अलग-अलग संस्कृतियों में देखी गई है। कैथोलिक परंपरा में रोम शहर के सात अहम चर्च अधिकारियों में से एक लॉरेन्टियस की याद में इसे 'टीयर्स ऑफ़ सेंट लॉरेन्स' यानी संत लॉरेन्स के आंसू कहा गया है। 258 ईस्वी में रोमन्स ने जिन ईसाईयों को मार दिया था उनमें से एक संत लॉरेन्टियस भी थे। कहा जाता है कि 10 अगस्त को इस संत को मारने के लिए उन्हें ज़िंदा आग के ऊपर रख दिया गया था। भूमध्यसागरीय इलाक़ों में प्रचलित लोककथाओं की मानें तो साल के इस दौरान दिखने वाले उल्का पिंड उसी आग के निशान हैं जो आसमान में बिखरते दिखते हैं। लेकिन रोमन से पहले पर्शिया, बेबीलोन, मिस्र, कोरिया और जापान में ऐसे सही खगोलीय रिकॉर्ड मिले हैं जो उल्का पिंडों की बौछार के बारे में विस्तार से बताते हैं। माना जाता है कि परसिड्स के नज़ारे का सबसे पहला उल्लेख चीन के हान राजवंश के दौर में मिलता है। 36 ईस्वी के उस दौर खगोल शास्त्रियों ने लिखा था कि पूरी रात आकाश में "सौ से अधिक उल्का पिंड देखे गए थे।               




जमीर इजराइल को स्वीकार नहीं करेगा



इस्लामाबाद। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने इसराइल के साथ द्विपक्षीय रिश्ते स्थापित करने की किसी भी संभावना होने से इनकार किया है। उन्होंने कहा कि उनका ज़मीर कभी इसराइल को स्वीकार नहीं कर सकता। हाल ही में इसराइल और संयुक्त अरब अमीरात के बीच ऐतिहासिक समझौते के संदर्भ में उन्होंने यह बात की। दोनों देशों ने सामान्य द्विपक्षीय रिश्ते बहाल कर दिए हैं।






पाकिस्तान के एक निजी चैनल 'दुनिया' को दिए इंटरव्यू में इमरान ख़ान ने इसराइल को लेकर पूछे गए सवाल के जवाब में कहा, "इसराइल पर हमारा रुख़ एकदम साफ़ है। पाकिस्तान इसराइल को मान्यता नहीं दे सकता। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने कहा, "क़ायद-ए-आज़म मोहम्मद अली जिन्ना ने 1948 में साफ़ कर दिया था कि हम इसराइल को तब तक तस्लीम नहीं कर सकते जब तक कि फ़लस्तीनियों को उनका हक़ नहीं मिलता। फ़लस्तीनियों की टू नेशन थ्योरी थी कि उन्हें उनका देश मिले। यह फ़ैसला होने से पहले ही अगर हम इसराइल को स्वीकार कर लेते हैं तो कश्मीर की भी ऐसी ही स्थिति है, हमें वो मुद्दा भी छोड़ देना चाहिए। इसलिए पाकिस्तान कभी इसराइल को स्वीकार कर नहीं कर सकता।






इमरान ख़ान ने कहा, "इंसान अल्लाह को जवाबदेह है। आप जब इसराइल और फ़लस्तीन की बात करते हैं, तो सोचना चाहिए कि हम अल्लाह को क्या जवाब देंगे। जिन लोगों पर हर क़िस्म की ज़्यादतियां हुई हैं, जिनके सारे हक़ छीन लिए गए, क्या हम उनको यूं ही बेसहारा छोड़ सकते हैं? मेरा तो ज़मीर ऐसा करने के लिए कभी नहीं मानेगा। मैं इसे कभी स्वीकार नहीं कर सकता।             




शिक्षा मंत्रालय को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली



नई दिल्ली। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करने को मंजूरी दे दी है। यह जानकारी एक आधिकारिक अधिसूचना में दी गयी है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) के मसौदे में मंत्रालय का नाम बदलने समेत कई अहम सिफारिशें की गई थीं। पिछले ही महीने केंद्रीय मंत्रिमंडल ने इस नीति को मंजूरी दी थी। सोमवार रात प्रकाशित गजट अधिसूचना में कहा गया है कि राष्ट्रपति ने मानव संसाधन विकास मंत्रालय का नाम बदलकर शिक्षा मंत्रालय करने को मंजूरी दे दी है। अधिसूचना के अनुसार, अब मानव संसाधन विकास मंत्रालय के स्थान पर शिक्षा मंत्रालय लिखा जाएगा। शिक्षा मंत्रालय का नाम 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी के कार्यकाल में बदलकर मानव संसाधन विकास मंत्रालय कर दिया गया था। इसके अगले साल एनईपी लायी गई थी और उसे 1992 में संशोधित किया गया था। पी वी नरसिम्हा राव, राजीव गांधी मंत्रिमंडल में पहले मानव संसाधन विकास मंत्री बने थे।               



बिना संसद चलें, देश कैसे चल रहा है ?

मोदी सरकार बिना संसद चलाए देश कैसे चला रही है? - पूर्व जज जस्टिस एपी शाह


नई दिल्ली। कोविड महामारी के समय हमारी संसद न सिर्फ़ बंद रही बल्कि उसने लोगों का नेतृत्व भी नहीं किया। मनमाने तरीक़े से काम करने की सरकार को अब छूट मिल गई है। उनके ख़िलाफ़ सवाल उठाने का कोई भी संस्थागत तरीक़ा अब नहीं बचा है। ये कहना है पूर्व जज जस्टिस एपी शाह का जिन्होंने रविवार यानी 16 अगस्त से शुरू हुए छह दिवसीय जनता संसद में ये बातें कही।


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देश के कई सामाजिक संगठनों और एकेडमिशियन ने इस कार्यक्रम का आयोजन किया है। इसमें लोग ऑनलाइन हिस्सा ले सकते हैं। कोरोना महामारी की वजह से संसद के बजट सत्र की अवधि कम कर दी गई है। संसदीय समिति दो महीने से काम नहीं कर रही और संसद का मॉनसून सत्र भी जुलाई के मध्य से शुरू होना चाहिए था लेकिन नहीं हो सका है। इस कार्यक्रम के आयोजकों का मानना है कि कोरोना महामारी की वजह से चूंकि संसद नहीं चल रही है इसलिए सरकार से जवाबदेही मांगना कठिन हो गया है। इस मक़सद से ही वर्चुअल जनता संसद का आयोजन किया गया है। जनता संसद के उद्घाटन सत्र में जस्टिस एपी शाह, सामाजिक कार्यकर्ता सैयदा हमीद, सोनी सोरी और गुजरात से विधायक जिग्नेश मेवानी ने हिस्सा लिया।


ऑनलाइन क्यों नहीं चल सकती संसद?


जस्टिस एपी शाह ने इस मौक़े पर कहा, "संसद का बजट सत्र जनवरी में हुआ था। उसके बाद कोविड के कारण यह फ़ैसला लिया गया कि संसद को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित किया जाएगा लेकिन इस संकट के वक़्त भी कई दूसरे देशों में हमने संसद को काम करते देखा है। कनाडा और ब्रिटेन जैसे देशों की संसद ने अपने काम करने के तरीक़ों में बदलाव करते हुए वीडियो कॉन्फ्रेंस के ज़रिए सत्र आयोजित किए हैं। कुछ देशों में इंटरनेट के माध्यम से वोट करके यह भी निश्चित किया गया है कि संसद की कार्यवाही चलती रहे।


"फ़्रांस, इटली, और चिली जैसे देशों में संसद की कार्यवाही चलाई गई है। स्पेन जैसा देश जहाँ पर महामारी का असर ज़्यादा है, वहाँ संसद की कार्यवाही जारी है। मालदीव में एक सॉफ़्टवेयर की मदद से वीडियो कॉन्फ़्रेंसिंग कर संसद का काम चल रहा है। वहाँ के स्पीकर ने कहा है कि संसद अपने लोगों का प्रतिनिधित्व करना कभी ख़त्म नहीं कर सकती फिर चाहे महामारी का वक़्त ही क्यों न हो।         


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस   (हिंदी-दैनिक)



 अगस्त 20, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-06 (साल-02)
2. बृहस्पतिवार, अगस्त 20, 2020
3. शक-1943, भाद्रपद, शुुुक्ल-पक्ष, तिथि- दूज, विक्रमी संवत 2077।


4. सूर्योदय प्रातः 05:27, सूर्यास्त 07:12


5. न्‍यूनतम तापमान 23+ डी.सै.,अधिकतम-35+ डी.सै.। आद्रता बनी रहेगी।


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मंगलवार, 18 अगस्त 2020

सीमा पर चीनी सेना का रवैया अडियल

बीजिंग। लद्दाख सीमा पर चीनी सेना का अड़ियल रवैया जारी है। चीन की पीपुल्स लिबरेशन आर्मी लद्दाख के पैंगोंग त्सो और गोगरा-हॉट स्प्रिंग्स क्षेत्र पर अब भी फॉरवर्ड पोजिशन पर काबिज है और वादे के मुताबिक ड्रैगन डी-एस्केलेशन के कोई संकेत नहीं दे रहा है। ऐसी स्थिति में चीन को सबक सिखाने और उसकी हेकड़ी तोड़ने के लिए नरेंद्र मोदी सरकार आर्थिक मोर्चे पर एक और एक्शन लेने की योजना बना रही है। भारत का अर्थ व्यापार है, यह संदेश देने के लिए मोदी सरकार आर्थिक मोर्चे पर चीन के साथ आगे की कार्रवाई पर विचार कर रही है। 


इस मामले से परिचित वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों के अनुसार, शीर्ष चीन अध्ययन समूह (सीएसजी) ने सोमवार को लद्दाख में जमीन पर चीनी सेना की कार्रवाई और तिब्बत के कब्जे वाले अक्साई चीन क्षेत्र में उसकी सैन्य मुद्रा पर चर्चा की। दरअसल, सीएसजी वह निकाय है, जो चीन के साथ कार्रवाई पर देश की क्या रणनीति होगी, इसकी सिफारिश करता है। सीएसजी में केंद्र सरकार के महत्वपूर्ण सदस्य शामिल होते हैं। इसमें भारत सरकार के वरिष्ठ मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल सहित सैन्य और अन्य संबंधित सरकारी एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल हैं। चीन चाहता है कि भारत सीमा पर अभी की स्थिति के आधार पर राजनयिक संबंधों को सामान्य करे, जबकि मोदी सरकार का दृढ़ता से मानना है कि लद्दाख क्षेत्र में यथास्थिति (पहले की स्थिति) से कम कुछ भी अस्वीकार्य है। आक्रामक होने के बावजूद चीनी सेना यानी पीएलए का मानना है कि उसके सैनिक लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा की अपनी धारणा के भीतर ही हैं। अधिकारियों के अनुसार, भारतीय सेना को लद्दाख में 1597 किलोमीटर वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ फॉर्वर्ड पोजिशन पर बने रहने के लिए कहा गया है। 5 जुलाई को सीमा वार्ता पर भारतीय विशेष प्रतिनिधि ने दो घंटे से अधिक समय तक अपने चीनी समकक्ष से बात की। दोनों ने तय किया था कि दोनों पक्ष पूरी तरह से अलग हो जाएंगे और फिर डी-एस्केलेट हो जाएंगे, मगर एक महीने बाद स्थिति चीन के साथ एक कूटनीतिक पेशकश के साथ एक गतिरोध पर पहुंच गई है। दरअसल, चीन दुनिया की नजर में अच्छा बने रहने के लिए कूटनीतिक पेशकश कर शांति वार्ता के जरिए इसे सुलझाने की बात कर रहा है, मगर वह पीछे हटने को भी तैयार नहीं है। भारत को आपत्ति इसी बात से है कि जब तक चीनी सेना पीछे नहीं हटती, तब तक शांति की बात करना भी बेमानी ही है।


क्योंकि अब अमेरिका ने हुवावई और इसकी सहयोगी कंपनी पर जासूसी के लिए एक्शन लेकर चीन को झटका दिया है। ऐसे में संभव है कि भारत भी निकट भविष्य में बड़ा एक्शन लेगा। यह स्पष्ट है कि भारत चीनी संचार और बिजली कंपनियों को भविष्य की किसी भी परियोजना से बाहर रखेगा। मोदी सरकार स्पष्ट है कि द्विपक्षीय संबंध सीमा शांति के साथ सीधे जुड़े हुए हैं और अतीत की तरह उन्हें समानांतर ट्रैक पर नहीं आने देंगे। बता दें कि अमेरिका ने सोमवार को हुवावेई को लेकर सख्ती बढ़ा दी। इसके तहत उसने कंपनी की 21 देशों में 38 संबद्ध इकाइयों को अपनी निगरानी सूची में शामिल किया है। अमेरिका इन कदमों के जरिए यह सुनिश्चित कर रहा है कि कंपनी किसी तरीके से उसके कानून के साथ खिलवाड़ नहीं करे।           


मृतक -51,797, संक्रमित-27,02,742

नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों में पिछले दिनों से थोड़ी कमी आई है। मंगलवार को 55,078 नए मामले सामने आए। वहीं, संक्रमित मरीजों का आंकड़ा 27 लाख के पार पहुंच गया है। लेकिन अच्छी बात यह है कि संक्रमण से स्वस्थ होने वाले लोगों की संख्या साढ़े 19 लाख से ज्यादा हो गई है और जांच में तेजी आई है। 


मंगलवार सुबह अद्यतन किए गए आंकड़े के अनुसार, पिछले 24 घंटे में 876 लोगों की मौत होने से मृतकों की संख्या बढ़कर 51,797 हो गई है। देश में संक्रमण के मामले बढ़कर 27,02,742 हो गए हैं, जिनमें से 6,73,166 लोगों का उपचार चल रहा है और 19,77,779 लोग उपचार के बाद इस बीमारी से उबर चुके हैं। संक्रमण के कुल मामलों में विदेशी नागरिक भी शामिल हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़े के मुताबिक, मरीजों के स्वस्थ होने की दर बढ़कर 73.18 फीसदी हो गई है जबकि मृत्यु दर में गिरावट आई है और यह 1.92 फीसदी है। वहीं, 24.91 फीसदी मरीजों का अभी इलाज चल रहा है। पिछले 24 घंटे में करीब नौ लाख नमूनों की जांच
भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) की ओर से जारी आंकड़े के मुताबिक, देशभर में 17 अगस्त तक कुल 3,09,41,264 नमूनों की जांच की गई, जिनमें से सोमवार को एक दिन में 8,99,864 नमूनों की जांच की गई, यह अब तक एक दिन में जांच की सर्वाधिक संख्या है।


आंकड़ों के अनुसार पिछले 24 घंटे में जिन 876 लोगों की जान गई है, उनमें से सबसे अधिक 228 लोग महाराष्ट्र के थे। इसके बाद तमिलनाडु के 120, कर्नाटक के 115, आंध्र प्रदेश के 82, उत्तर प्रदेश के 66, पंजाब के 51, पश्चिम बंगाल के 45, मध्यप्रदेश के 23, दिल्ली के 18, गुजरात के 15, केरल के 13 , हरियाणा के 12, राजस्थान के 11, और ओडिशा के 10 लोग थे। वहीं छत्तीसगढ़ में नौ, असम तथा तेलंगाना में आठ-आठ, बिहार तथा गोवा में सात-सात, जम्मू-कश्मीर, झारखंड तथा उत्तराखंड में छह-छह, पुदुचेरी में चार, त्रिपुरा में तीन, अंडमान- निकोबार द्वीपसमूह, चंडीगढ़ और मणिपुर में एक-एक व्यक्ति की जान गई। मंत्रालय ने बताया कि अब तक देश में कोविड-19 से हुई कुल 51,797 मौतों में सबसे अधिक महराष्ट्र में 20,265 लोगों की जान गई है। इसके अलावा तमिलनाडु में 5,886, दिल्ली में 4,214, कर्नाटक में 4,062 , गुजरात में 2,800 , आंध्र प्रदेश में 2,732 , उत्तर प्रदेश में 2,515 , पश्चिम बंगाल में 2,473 और मध्य प्रदेश में 1,128 लोगों की मौत कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से हुई है।


केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक राजस्थान मे 887, पंजाब में 863, तेलंगाना में 711 , हरियाणा में 550, जम्मू-कश्मीर में 548, बिहार में 468, ओडिशा में 353, झारखंड में 250, असम में 197, केरल में 169 और उत्तराखंड में 158 लोगों की जान कोरोना वायरस के संक्रमण की वजह से गई।


छत्तीसगढ़ में 150, पुदुचेरी में 114, गोवा में 111, त्रिपुरा में 62, चंडीगढ़ में 30, अंडमान-निकोबार द्वीपसमूह में 29, हिमाचल प्रदेश में 19, मणिपुर में 17, लद्दाख में 14, नगालैंड में आठ, मेघालय में छह, अरुणाचल प्रदेश में पांच, दादरा एवं नगर हवेली एवं दमन-दीव में दो तथा सिक्किम में एक मरीज की मौत कोविड-19 की वजह से हुई है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि संक्रमण के कारण मरने वाले 70 प्रतिशत से अधिक लोगों को पहले से भी कोई बीमारी थी।           


यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...