अश्वनी उपाध्याय
गाजियाबाद। उत्तर प्रदेश राज्य कोविड 19 नियंत्रण कक्ष द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार 10 अगस्त को गाज़ियाबाद में एक 37 वर्षीय कोरोना पॉज़िटिव पुरुष की मौत हो गई। जिला स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के मुताबिक, गाजियाबाद के एल 3 अस्पताल में उस व्यक्ति ने अंतिम सांस ली। 19 दिन बाद ऐसा हुआ है जब जिला स्वास्थ्य विभाग ने किसी कोरोना संक्रमित की मौत को स्वीकारा है। इसके साथ ही जिले में कोरोना वायरस से मरने वालों की संख्या 65 हो गई है। पिछले 19 दिनों के दौरान जिले के विभिन्न निजी और सरकारी अस्पतालों में हर दिन दो-तीन कोरोना संक्रमितों की मौतें होती रहीं हैं लेकिन सीएमओ कार्यालय उन्हें अपने रेकॉर्ड में शामिल नहीं कर रहा था।
इससे पहले 21 जुलाई को जिले में अंतिम मौत की सूचना दी गई थी। सोमवार को कोरोना संक्रमण से मरने वाला व्यक्ति संतोष अस्पताल में भर्ती था। 3 अगस्त से भर्ती इस मरीज का ऑक्सिजन लेवल काफी नीचे चला गया था और सांस लेने में तकलीफ के चलते उसकी मौत हो गई।स्वास्थ्य विभाग के एक कर्मचारी ने बताया कि मृतक व्यक्ति अंबेडकर नगर का रहने वाला था और आईसीयू में भर्ती था। अस्पताल में उसके ऑक्सिजन के स्तर को कायम रकने के लिए रेमेडीसवीर और अन्य जीवन रक्षक दवाइयों के साथ-साथ लगातार ऑक्सिजन दी जा रही थी। 5 अगस्त को मरीज को प्लाज्मा दिया गया। इलाज के बाद मरीज के शरीर में ऑक्सिजन स्तर में मामूली बढ़ौतरी हुई। लेकिन 8 अगस्त को उनके गुर्दे घरब हो गए और 9 अगस्त को मरीज का निधन हो गया।
एमएमजी अस्पताल में डॉक्टरों की लापरवाही से हुई एक मौत
एक अन्य मामले में, जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय ने सोमवार को एमएमजी जिला अस्पताल के परिसर में मरने वाले 92 वर्षीय व्यक्ति के परिवार द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच के लिए सिटी मजिस्ट्रेट को एक जांच सौंपी। मृतक मंगु राम के बेटे अनिल कुमार ने बताया कि उनके पिता डायरिया से पीड़ित थे। हम उन्हें इलाज के लिए कवि नगर स्थित सर्वोदय अस्पताल ले गए। भर्ती करते समय उनका कोरोना टेस्ट हुआ जिसमें वे कोरोना पॉज़िटिव पाए गए। हालत खराब होने के कारण हम उन्हें निजी कार से रात 1:30 बजे एमएमजी के इमरजेंसी वार्ड में ले गए लेकिन सुबह 6 बजे तक उसे देखने के लिए कोई भी डॉक्टर नहीं आया। 6 बजे डॉक्टरों की टीम आई और मरीज को मरुत घोषित कर दिया गया।
जिलाधिकारी अजय शंकर पाण्डेय ने इस पूरे मामले की जांच सिटी मजिस्ट्रेट शिव प्रताप शुक्ल को सौंप दी है। डीएम पाण्डेय ने कहा कि “मृतक के परिजनों द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच कर 2-3 दिन में रिपोर्ट आने की उम्मीद है। यदि कोई कर्मचारी दोषी पाया जाता है तो उसके विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी”।
सर्वोदय अस्पताल ने दी सफाई
वहीं सर्वोदय अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. नीरज गर्ग ने कहा कि मरीज को हमारे अस्पताल में भर्ती नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि “जब उनका परिवार उन्हें अस्पताल ले आया, तो हमने उनका कोविड 19 टेस्ट किया जिसमें वे पॉज़िटिव पाए गए। हमारे यहाँ भर्ती कराने से पहले मंगु राम का एक अन्य निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। हमारे यहाँ मरीज को 9 अगस्त को 12.30 बजे यहां लाया गया। जब मरीज कोविड पॉज़िटिव निकले तो परिजनों ने कहा कि सरकारी अस्पताल में हमारे कुछ संपर्क हैं और उनका इलाज हम एमएमजी अस्पताल में ही कारेंगे।
एमएमजी अस्पताल के कार्यवाहक मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉ. सुनील कात्याल ने इस मामले पर कोई भी टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि उन्होंने इस बारे में एक रिपोर्ट मुख्य चिकित्सा अधिकारी को सौंप दी है। आपको बता दें कि मंगु राम की मौत को स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों में शामिल नहीं किया गया है। सीएमओ का कहना है कि मामले की जांच के बाद यदि मौत कोरोना पॉज़िटिव होने के कारण सिद्ध होती है तो उसे रेकॉर्ड में शामिल कर लिया जाएगा।