बुधवार, 29 जुलाई 2020

बाल श्रमिकों के लिए खुला योगी पिटारा

असगर नकी


सुलतानपुर। केंद्र की मोदी और प्रदेश की योगी सरकार 'अच्छे दिन' का नारा देकर सत्ता में आई थी। यूपी में क्राइम से हटकर अगर बात की जाए तो कई मुद्दों पर सरकार अच्छे दिन लेकर भी आई। अब बारी है होटल, ईंट-भट्टों आदि स्थानों पर मजदूरी करने वाले बाल श्रमिकों के अच्छे दिन की। सरकार की ओर से श्रम विभाग को निर्देशित किया गया है कि इन्हें चिह्नित करके बाल श्रमिक विद्या योजना के तहत इनकी पढ़ाई का जिम्मा उठाए। श्रम विभाग इन बाल श्रमिकों की पढ़ाई के साथ-साथ इन्हें छात्रवृत्ति भी देगा।





गरीबी और मजबूरी के तहत अक्सर करके बच्चे कम उम्र में मजदूरी करके अपने और परिवार के पेट की आग बुझाने के लिए कहीं होटलों पर झूठे बर्तन धुलते, कभी रिक्शा और ठेला खींचते तो कभी ईंट-भट्टों व भवन निर्माण में ईंट-गारे का काम करते नजर आते हैं। उनके बचपन का गला उनके अपने ही हाथों घुट रहा था। इसे भली भांति समझकर प्रदेश की योगी सरकार इनके लिए योजना लेकर आई। सरकार ने श्रम विभाग को निर्देश दिए कि अगस्त तक बाल मजदूरों को चिह्नित करने का काम निपटा लिया जाए।




इन बाल श्रमिकों को मिलेगी वरीयता
उप श्रमायुक्त नासिर खान बताते हैं कि सरकार कि कोरोना काल के चलते इस योजना का प्रचार-प्रसार जून माह में नहीं हो सका। इसलिए अब तक एक भी बाल श्रमिक चिह्नित नहीं हो सके हैं। उन्होंने बताया कि योजना के अंतर्गत संगठित तथा असंगठित क्षेत्र के सभी बाल मजदूरों को लाभ मिलेगा। उन बाल श्रमिकों को वरीयता मिलेगी जिनके माता- पिता की मृत्यु हो चुकी हो या माता- पिता में से किसी एक कि मृत्यु हो चुकी हो। जिनके मां-बाप दिव्यांग हैं उन्हें भी योजना का विशेष लाभ मिलेगा।
अटल आवासीय विद्यालय में मिलेगा प्रवेश
खान ने आगे बताया कि योजना के अन्तर्गत शिक्षा ग्रहण करने पर बाल मजदूरो को हर महीने एक हजार रुपये और लड़कियों को 1200 रुपये मिलेंगे। कक्षा 8-9 और 10 पास करने पर अलग से 6 हजार रुपये दिए जाएंगे। बाल मजदूर शिक्षा के मंदिर तक पहुंच जाए इसके लिए सरकार ने उसके मां-बाप को प्रोत्साहित करते हुए सरकार की सभी जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ देने का निर्देश दिया है। जिसमें अंत्योदय, पेंशन और आयुष्मान जैसी योजनाएं शामिल हैं। उपश्रमायुक्त नासिर खान ने बताया कि बाल श्रमिकों को चिह्नित किया जा रहा है। इन बाल श्रमिकों को वर्ष 2021 में शुरू होने वाले अटल आवासीय विद्यालय में प्रवेश दिया जाएगा।              


दिल्ली दंगाः वकीलों का पैनल किया रद्द

रवि चौहान


नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल ने 15 मई को दिल्ली सरकार के पैनल को खारिज करते हुए दिल्ली पुलिस के पैनल को मंजूर कर लिया था। इस पर 17 मई को दिल्ली के गृह मंत्री ने रिपोर्ट बनाई थी। इसमें उन्होंने कहा था कि सरकारी वकील नियुक्ति का अधिकार दिल्ली पुलिस के पास नहीं है।
उन्होंने नियमों का हवाला देते हुए कहा था कि यह काम दिल्ली सरकार का है। करीब 8 पेज के नोट में गृह मंत्री ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का जिक्र करते हुए कहा था कि संविधान को बचाने के लिए ही एलजी चुनी हुई सरकार के जनहित से जुड़े निर्णय को अवलोकन के लिए राष्ट्रपति के पास भेजेंगे। अगर जनहित के मसले को खारिज करेंगे तो उसका कारण बताएंगे। हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट का 2016 और 2018 का आदेश है कि सरकारी वकील को सरकार नियुक्त करेगी। ताजा मामला नॉर्थ ईस्ट दंगों को लेकर मंगलवार को दिल्ली हिंसा से जुड़े मामलों पर सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए बनाए गए वकीलों के पैनल पर चर्चा हुई. इस बैठक में कैबिनेट ने कहा कि दिल्ली हिंसा को लेकर कोर्ट पहले ही दिल्ली पुलिस की जांच को लेकर सवाल खड़े कर चुका है। इसीलिए दिल्ली पुलिस की तरफ से चुने गए वकीलों के पैनल से इस मामले की जांच कराना ठीक नहीं होगा। दिल्ली कैबिनेट ने इसे क्रिमिनल जस्टिस के सिद्धांतों के खिलाफ बताया।
दिल्ली कैबिनेट ने अपनी इस बैठक में उपराज्यपाल और दिल्ली पुलिस के प्रपोजल को स्टडी करते हुए कहा कि,
इस हिंसा को लेकर जो भी जिम्मेदार हैं उन्हें इसकी सजा जरूर मिलनी चाहिए। लेकिन इसी तरह इस मामले में किसी भी निर्दोष को सजा नहीं मिलनी चाहिए। इसीलिए दिल्ली कैबिनेट ने उपराज्यपाल के उस प्रस्ताव को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया था कि दिल्ली पुलिस ने जो वकीलों का पैनल तैयार किया है उसे मंजूरी दी जाए।
इस कैबिनेट बैठक में दिल्ली पुलिस पर हिंसा की जांच को लेकर उठ रहे सवालों का भी जिक्र किया गया। जिसमें सबसे पहले दिल्ली हाईकोर्ट के जस्टिस सुरेश कुमार का नाम लेते हुए कहा गया है कि उन्होंने कहा था, दिल्ली हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस पूरी न्यायिक व्यवस्था को ताक पर रख रही है। कैबिनेट ने कई सेशन कोर्ट और मीडिया रिपोर्ट्स का भी हवाला दिया, जिनमें दिल्ली पुलिस की जांच पर कई सवाल उठाए गए थे। कहा गया कि, दिल्ली पुलिस हिंसा मामलों की जांच में किसी को भी उचित न्याय नहीं दिला सकती है. जांच करने वाली एजेंसी को कभी भी वकील तय करने का अधिकार नहीं दिया जाना चाहिए। क्योंकि ये सभी केस काफी सेंसिटिव हैं, इसीलिए अब दिल्ली सरकार के वकीलों का पैनल इन्हें देखेगा।
दिल्ली कैबिनेट की तरफ से जारी किए गए बयान में उपराज्यपाल पर भी तीखा हमला बोला गया है। जिसमें कहा गया है कि राज्यपाल को सिर्फ अत्यंत जरूरी मामले में हस्तक्षेप करने का अधिकार है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट के आदेश का जिक्र किया गया है। जिसमें कहा गया था कि चुनी हुई सरकार के फैसलों के खिलाफ उपराज्यपाल किसी बहुत जरूरी मामले में ही अपने अधिकारों का इस्तेमाल कर सकते हैं। नहीं तो ये लोकतंत्र की भावना के खिलाफ होगा। कहा गया है कि वकीलों की नियुक्ति का मामला कोई बहुत बड़ा हस्तक्षेप करने वाला मामला नहीं है, इसीलिए दिल्ली सरकार को अधिकार है कि वो अपने वकील नियुक्त कर सकती है।गौरतलब है कि हाल ही में दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में अतिरिक्त सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने कहा था। की ऐसा लगता है कि “जांच में सिर्फ एक पक्ष को निशाना बनाया जा रहा है।”मीडिया में आई खबरों के मुताबिक, दंगों से जुड़े एक मामले पर सुनवाई के बाद अपने आदेश में जज राणा ने कहा, “केस डायरी को पढ़ने से एक परेशान करने वाला तथ्य निकल कर आता है। ऐसा लगता है कि जांच में सिर्फ एक पक्ष को निशाना बनाया जा रहा है। जांच अधिकारी भी अभी तक ये नहीं बता पाए हैं कि दूसरे पक्ष की संलग्नता में क्या जांच की गई है।” जज ने मामले से संबंधित डीसीपी को केस पर “निगरानी” रखने को और “निष्पक्ष जांच सुनिश्चित” करने को कहा था।


कोरोनाः चीनी डॉक्टर ने किया बड़ा खुलासा

बीजिंग । चीन में कोरोना वायरस के मामलों का शुरू में ही पता लगाने वाले एक चीनी डॉक्टर ने स्थानीय प्रशासन पर इस मामले में लीपापोती का आरोप लगाया है। डॉक्टर ने कहा कि कोरोना वायरस के केंद्र वुहान में इस महामारी को लेकर प्रारंभिक स्तर पर लीपापोती की गई और जब वह जांच के लिए गए उससे पहले ही सबूत नष्ट कर दिए गए थे। हांगकांग के सूक्ष्मजीव विज्ञान एवं चिकित्सा के प्रोफेसर क्वोक-यंग युएन ने यह आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि हुनान के वन्यजीव बाजार में सबूत नष्ट कर दिए गए थे और चिकित्सकीय निष्कर्ष के प्रति जवाबी कार्रवाई बहुत धीमी थी। बता दें कि युएन ने चीनी शहर वुहान में कोविड-19 महामारी के फैलने की जांच में मदद की थी। उन्होंने कहा कि जब हम हुनान के सुपर मार्केट में गए तब वाकई वहां देखने के लिए कुछ था ही नहीं, क्योंकि बाजार की पहले ही सफाई कर दी गई थी। हम ऐसा कुछ नहीं पहचान पाए जो इंसानों में इस वायरस को पहुंचा रहा हो। उन्होंने कहा कि मुझे संदेह है वुहान में स्थानीय स्तर पर कुछ लीपापोती की गई है। जिन स्थानीय अधिकारियों को तत्काल सूचना आगे भेजनी थी, उन्होंने उसे उतनी तत्परता से नहीं भेजा।               
 


अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए बहस आयोजित

वाशिंगटन । अमेरिका के राष्ट्रपति पद के लिए पहली बहस 29 सितंबर को आयोजित होने जा रही है। इसका आयोजन ओहियो के क्लीवलैंड में होगा। इससे संबंधित आयोग सीपीडी ने इसकी जानकारी दी। इस पहली बहस में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने प्रतिद्वंदी और डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बिडेन के सामने होंगे। आयोग ने इस बहस के लिए 29 सितंबर की तिथि निर्धारित करते हुए कहा, सीपीडी को यह बताते हुए खुशी हो रही है कि राष्ट्रपति पद के लिए पहली बहस की सह-मेजबानी केस वेस्टर्न रिजर्व यूनिवर्सिटी और क्लीवलैंड क्लीनिक करेंगे। इस बहस को क्लीवलैंड में हेल्थ एजुकेशन कैंपस (एचईसी) में आयोजित किया जाएगा। तीन नवंबर को होने वाले राष्ट्रपति चुनावों में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का मुकाबला डेमोक्रेट प्रतिद्वंदी और पूर्व उपराष्ट्रपति जो बिडेन से हो रहा है। सीपीडी ने कहा कि ट्रंप और बिडेन के बीच दूसरी बहस 15 अक्तूबर को मियामी, फ्लोरिडा में एड्रिएन आर्ट सेंटर फॉर द परफॉर्मिंग आट्र्स में होगी। जबकि दोनों के बीच तीसरी बहस का आयोजन 22 अक्तूबर को नेशवील, टैनेसी के बेलमोंट यूनिवर्सिटी में किया जाएगा।  सभी बहस की अवधि 90 मिनट होगी और ये रात 9 बजे से 10.30 बजे तक बिना किसी विज्ञापन के प्रसारित की जाएंगी। इसका लाइव प्रसारण व्हाइट हाउस पूल नेटवर्क द्वारा किया जाएगा।             
 


3 साल की मासूम से ताऊ ने किया रेप


  • सगे ताऊ ने किया था दुष्कर्म, हरदोई अस्पताल ने लखनऊ किया रेफर, केजीएमयू ने कोराना की आड़ लेकर भर्ती नहीं किया

  • सिविल और लोहिया ने भी किया इंकार, लोहिया के गेट पर बच्ची को लिए खड़ा था बेबस पिता


लखनऊ/हरदोई। खून के रिश्ते भी किस तरह कलंकित होते हैं इसकी मिसाल हरदोई में देखने को मिली। यहां वासना में अंधे हुए एक सगे ताऊ ने अपनी तीन वर्षीय मासूम भतीजी के साथ दुष्कर्म कर डाला। इतना ही नहीं वारदात को अंजाम देने के बाद आरोपी ताऊ बच्ची को लहुलुहान हालत में घर पर छोड़कर मौके से फरार हो गया। बच्ची को गंभीर हालत में महिला जिला अस्पताल में एडमिट कराया गया, जहां से उसे राजधानी लखनऊ रेफर कर दिया गया। वही राजधानी लखनऊ में भी इस बच्ची को कहीं इलाज नहीं मिल रहा है। कोरोना के कारण केजीएमयू प्रशासन ने बच्ची को भर्ती करने से मना कर दिया है। शहर के दूसरे अस्पतालों ने भी बच्ची को भर्ती करने से इंकार कर दिया है। देर रात तक पिता अपनी बच्ची को लिये लोहिया अस्पताल के गेट पर खड़ा था और बच्ची की हालत बिगड़ती जा रही थी।


शर्मशार करने वाली यह घटना हरदोई के सांडी थाना इलाके के एक गांव की है। यहां एक सगा ताऊ ईश्वर लाल अपनी तीन वर्षीय मासूम बच्ची को टॉफी खिलाने के बहाने घर से बाहर ले गया। इसके बाद उसके अंदर का राक्षस जागा और उसने हैवानियत की घटना को अंजाम दिया और बच्ची को रोते हुए वह घर लाया और घर मे डालकर फरार हो गया। परिजनों ने जब खून देखा तो मामला समझ में आया। बच्ची के माता-पिता और अन्य परिजन मासूम को लेकर थाने पहुंचे। बच्ची को गंभीर हालत में महिला जिला अस्पताल में एडमिट कराया गया, जहां से उसे राजधानी लखनऊ रेफर कर दिया गया।राजधानी पहुंचने के बाद भी दुष्कर्म पीड़ित बच्ची की तकलीफों को किसी डाक्टर ने नहीं सुना। केजीएमयू में कोरोना की आड़ लेकर बच्ची को भर्ती करने से मना कर दिया। पिता एम्बूलेन्स में बच्ची को लेकर दूसरे अस्पतालों में भी भटका पर कहीं सुनवाई नहीं हुयी। देर रात तक पिता अपनी बच्ची को लिये लोहिया अस्पताल के गेट पर खड़ा था। सिविल और लोहिया अस्पताल में भी बच्ची को भर्ती नहीं किया गया। देर रात तक पिता लोहिया अस्पताल के गेट पर लहूलुहान बच्ची को लिए बेबस होकर धरती के भगवान कहे जाने वाले डाक्टरों की मिन्नत करने में जुटा हुआ था। वहीं हरदोई पुलिस ने दुष्कर्म की रिपोर्ट तो दर्ज कर ली पर आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर है।


अयोध्या व आसपास सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम

बृजेन्द्र वीर सिंह


अयोध्या। अयोध्या में 5 अगस्त को राम मंदिर पूजन के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन के मद्देनजर सुरक्षा एजेंसियां सतर्क हो गई हैं। सभी जिलों मे अलर्ट जारी कर सुरक्षा कड़ी करने को कहा गया है। खासतौर से अयोध्या के आसपास के जिलों में पुख्ता इंतजाम किए जा रहे हैं। कहीं कोई गड़बड़ी न होने पाए इसके मद्देनज़र उत्तर प्रदेश सरकार ने अयोध्या के आसपास के जिलों अंबेडकरनगर, गोण्डा, बहराइच, सुलतानपुर, अमेठी, बस्ती, बाराबंकी, महाराजगंज और सिद्धार्थनगर में नौ वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों को भेजा है।प्रदेश के एडीजी कानून-व्यवस्था प्रशांत कुमार ने बताया कि भूमि पूजन के मद्देनज़र पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। सभी जिलों को सतर्क रहने को कहा गया है। उन्होंने कहा कि खुफिया एजेंसियों की ओर से कोई पुख्ता सूचना नहीं है। फिर भी कहीं कोई चूक न हो और कानून-व्यवस्था संबंधी अथवा अन्य प्रकार की अप्रिय स्थिति न पैदा हो इसलिए अयोध्या के आसपास के नौ जिलों में वरिष्ठ आईपीएस अधिकारियों की ड्यूटी लगाई गई है।



अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश अवस्थी की ओर से जारी आदेश के मुताबिक, अमेठी में एडीजी अभियोजन आशुतोष पाण्डेय, गोण्डा में एडीजी यातायात अशोक कुमार सिंह, बहराइच में एडीजी पीएसी रामकुमार, सुलतानपुर में आईजी फायर विजय प्रकाश, अंबेडकरनगर में आईजी प्रतीक्षारत पीयूष मोर्डिया, बस्ती में आईजी बस्ती रेंज एके राय, बाराबंकी में आईजी भर्ती बोर्ड विजय भूषण, महाराजगंज में डीआईजी चंद्रप्रकाश द्वितीय और सिद्धार्थनगर में डीआईजी प्रशासन आरके भारद्वाज की तैनाती की गई है। इन अधिकारियों को अपने पर्यवेक्षण में अचूक सुरक्षा इंतजाम करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने 29 जुलाई की शाम से 6 अगस्त की सुबह तक व्यवस्था संभालने को कहा गया है। उन्हें स्थानीय अधिकारियों का मार्गदर्शन करने और गहन समीक्षा कर पुख्ता व्यवस्था करने के निर्देश दिए गए हैं।               



अस्पताल के बाहर भीगती रही डेडबॉडी


  • सहारनपुर के जिला अस्पताल में दिखी दम तोड़ती स्वास्थ्य सेवाएं

  • इमरजेन्सी वार्ड के बाहर बगैर इलाज के ही मर गया मरीज

  • बिलखती रही पत्नी, किसी ने उठाया तक नहीं भीगता हुआ शव

  • वीडियो वायरल होने पर डाक्टर गढ़ने लगे कहानी,सीएमएस बोले, जांच होगी


लखनऊ। झांसी में कोरोना संक्रमित मरीज ने मरने से पहले मेडकिल कालेज की अव्यवस्थाओं का पूरा चिट्ठा वीडियो बनाकर वायरल कर दिया पर लगता है योगी सरकार सरकार के अफसरों को इन तमाम शिकायतों से कोई लेना देना नहीं है। हरदोई की रेप पीड़ित मासूम का पिता राजधानी के अस्पतालों के चक्कर काट-काट कर टूट चुका है। अब सहारनपुर से मेडिकल सेवाओं को कटघरे में खड़ा करने वाली ये खबर आ रही है कि अपने पति को इलाज के लिए जिला अस्पताल आई एक महिला को इलाज तो दूर की बात, उनके गुजरने के बाद पति का शव उठाने वाला भी कोई नहीं मिला।यूपी की लचर मेडिकल सेवाओं की जमीनी हकीकत ये है कि मरीज अब अस्पताल जाने से भी डर रहे हैं। झांसी में ऐसा ही कुछ हुआ। मिली जानकारी के मुताबिक साजिदा नाम की महिला अपने पति सुखराम को इलाज के लिए सोमवार सुबह जिला अस्पताल ले कर आई थी। वह काफी देर तक अस्पताल के इमरजेंसी वार्ड के बाहर अपने पति के इलाज के लिए डॉक्टरों और अन्य स्वास्थ्यकर्मियों से मिन्नतें करती रही लेकिन किसी जिम्मेदार ने उसकी ये गुहार नहीं सुनी। बताया गया है कि डाक्टरों की अनदेखी के कारण मरीज सुखराम काफी देर तक इमरजेंसी वार्ड में फर्श पर पड़ा रहा पर न तो डाक्टरों को दिल पसीजा और न मेडिकल कर्मियों ने ही कुछ किया। इलाज के अभाव में फर्श पर पड़े पड़े ही मरीज ने दम तोड़ दिया।



मरीज के मरने के बाद भी मुसबीतों ने थमने का नाम नहीं लिया। सुखराम की लाश इमरजेन्सी वार्ड के बाहर फर्श पर ही पड़ी रही पर किसी ने उसे उठाने मे मृतक की पत्नी की मदद नहीं की। इसी बीच बारिश होने लगी और शव देर तक बारिश में भीगता रहा। लोग तमाशबीन बने घटना का वीडिय बनाते रहे लेकिन कोई मदद को आगे नहीं आया। इसी बीच काफी देर बात महिला के रोने की आवाजें सुनकर कुछ लोगों का दिल पसीजा और उन लोगं ने शव को वहां से उठाकर पास बने रैन बसेरा में रख दिया। इतना सब होने के बाद भी अस्पताल प्रशासन का दिल नहीं पसीजा और मेडिकल कर्मियों ने यह कहना शुरु कर दिया किइमरजेंसी वॉर्ड के सामने कोई शव छोड़कर गया था। हालांकि इस घटना का वीडियो सामने आने के बाद दो चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों को हटाया गया है और मामले की जांच के आदेश दिए गए हैं।             



'सीएम' शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दिया

'सीएम' शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दिया  कविता गर्ग  मुंबई। राजभवन पहुंचे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन से मु...