शुक्रवार, 24 जुलाई 2020

अधिवक्ताः राखी खरीदने का रुपया नहीं

आईटीआई महिला मेहमान प्रवक्ताओं ने सीएम को भेजा पत्र 5 माह का वेतन अप्राप्त राखी खरीदने के लिए पैसे नहीं "



रायपुर। छत्तीसगढ़ के बहुत से आईटीआई के मेहमान प्रवक्ताओं का मार्च से लेकर जुलाई तक का वेतन उनके प्राचार्यो द्वारा रोका गया है। ऐसे में वहां कार्य कर रहे महिला मेहमान प्रवक्ताओं को राखी जैसे पावन पर्व पर अपने भाइयों के लिए राखी और मिठाई खरीदने के लिए आथिर्क समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। अपनी इन्हीं आथिर्क समस्याओं को ध्यान आकर्षित कराने के लिए महिला मेहमान प्रवक्ताओं ने सीएम को पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने लिखा है कि हम सब बहनों को वेतन नहीं मिलने के कारण हम सब अपने भाइयों और साथ ही साथ आपके लिए भी राखी खरीदने में असमर्थ है। परन्तु भूपेश भैय्या आप अपने भाई होने का फर्ज निभाते हुए हम सब बहनो को उपहार स्वरूप हमारे 5 माह का लंबित वेतन दिलवाये, ताकि हम सब बहने आपके लिए और अपने भाइयों के लिए राखी और मिठाई खरीद सके। इस संबंध में कांकेर सासंद माननीय श्री मोहन मंडावी द्वारा संचालनालय रोजगार एवं विभाग को पत्र भी लिखा गया था। जिसके जवाब में श्री मोती राम खुटे अवर सचिव द्वारा कहा गया कि संचालनालय का कार्य मेहमान प्रवक्ताओं के लिए बजट जारी करने का होता है और सभी संस्थाओं को वेतन के लिए बजट दे दिया गया है। अब रही मेहमान प्रवक्ताओं के वेतन की तो मेहमान प्रवक्ताओं की नियुक्ति और वेतन देने का अधिकार संस्था प्रमुख और नोडल अधिकारी का होता है, इस संबंध में संचालनालय की कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं रहती। उपरोक्त बातों से यह स्पष्ट हो जाता है कि मेहमान प्रवक्ताओं का वेतन संस्था प्रमुखों और नोडल अधिकारीयों द्वारा रोका जा रहा है। अंत में महिला मेहमान प्रवक्ताओं ने कहा कि सीएम माननीय श्री भूपेश भैय्या से हम सब बहनों को पूरा विश्वास और उम्मीद है कि वो इस संबंध में जल्द ही उचित कदम उठायेंगे ताकि हम सब बहनो को हमारा पूरा वेतन मिल सके।             


25 जुलाई को करें कालसर्प दोष निवारण

नागपंचमी 25 जुलाई पर करें कालसर्प दोष का निवारण
-मदन गुप्ता सपाटू, ज्योतिर्विद्,
विश्व में भारत ही एकमात्र देश है जहां पृथ्वी, समुद्र, नदियों, वृक्षों,  ग्रहों, देवताओं आदि की पूजा तो होती ही है। परंतु आदिकाल से पशु पक्षियों के संरक्षण, पर्यावरण एवं प्राकतिक संतुलन बनाए रखने के उद्देश्य से उनकी पूजा भी की जाती है। इसके लिए लगभग हर पशु पक्षी को किसी न किसी देवी या देवता से जोड़ा गया है ताकि देवों के साथ साथ उनकी भी रक्षा होती रहे। 
गाय को तो पूज्यनीय माना ही गया है, परंतु भगवान कृष्ण का इससे अटूट संबंध भी जोड़ा गया है। 
बैल-शिवजी का वाहन, शेर-दुर्गाजी का वाहन, मोर- कार्तीकेय , चूहा-गणेशजी, सर्प-शिवजी के गले में एवं विष्णुजी की शैय़्या के रुप में रहता है। हंस-देवी सरस्वती का, उल्लू-देवी लक्ष्मी का वाहन भैंसा-यमराज का।
इसी श्रृंखला में नाग पंचमी पर नागों की पूजा का पारंपरिक विधान है।
नाग पंचमी का पर्व 25 जुलाई को मनाया जाएगा। हर साल यह पर्व सावन माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को मनाया जाता है। नाग पंचमी के दिन सांपों (नाग देवताओं) को पूजने का विधान है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, माना जाता है कि इस दिन नागदेव की पूजा करने से कुंडली के राहु और केतु से संबंधित दोष दूर होते हैं। सांप के भय एवं सर्पदंश से मुक्ति पाने के लिए नाग पंचमी के दिन कालसर्प योग की पूजा भी करवाई जाती है। इस दिन महिलाएं सर्प को भाई मानकर उसकी पूजा करती हैं और भाई से अपने परिजनों की रक्षा का आशीर्वाद मांगती हैं।
नाग पंचमी का मुहूर्त
पंचमी तिथि प्रारंभ- 14:33 (24 जुलाई 2020)
पंचमी तिथि समाप्ति- 12:01 (25 जुलाई 2020)  
नाग पंचमी पूजा मुहूर्त- 05:38:42 बजे से 08:22:11 बजे तक
अवधि - 2 घंटे 43 मिनट
नाग पंचमी - महत्व
1.  हिन्दू मान्यताओं के अनुसार सर्पों को पौराणिक काल से ही देवता के रूप में पूजा जाता रहा है। इसलिए नाग पंचमी के दिन नाग पूजन का अत्यधिक महत्व है।
2.  ऐसी भी मान्यता है कि नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा करने वाले व्यक्ति को सांप के डसने का भय नहीं होता।
3.  ऐसा माना जाता है कि इस दिन सर्पों को दूध से स्नान और पूजन कर दूध से पिलाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है।
4.  यह पर्व सपेरों के लिए भी विशेष महत्व का होता है। इस दिन उन्हें सर्पों के निमित्त दूध और पैसे दिए जाते हैं।
5.  इस दिन घर के प्रवेश द्वार पर नाग चित्र बनाने की भी परम्परा है। मान्यता है कि इससे वह घर नाग-कृपा से सुरक्षित रहता है।
नाग पंचमी का त्यौहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। पौराणिक काल से ही नागों को देवता के रूप में पूजा जाता रहा है। इसलिए नाग पंचमी के दिन नाग पूजन का बहुत महत्व माना गया है। मान्यता है कि इस दिन सर्पों को दूध से स्नान और पूजन कर दूध से पिलाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है।
गुप्त धन की रक्षा
शास्त्रों में ऐसा माना जाता है कि नाग देव गुप्त धन की रक्षा करते हैं। इस कारण यह माना जाता है कि नागपंचमी के दिन नागों की पूजा करने से जीवन में धन-समृद्धि का भी आगमन होता है। इस दिन व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। जिस व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष होता है तो उसे इस दोष से बचने के लिए नाग पंचमी का व्रत करना चाहिए। 
नाग पंचमी से जुडी कुछ कथाएं व मान्यताएँ
1.  हिन्दू पुराणों के अनुसार ब्रह्मा जी के पुत्र ऋषि कश्यप की चार पत्नियाँ थी। मान्यता यह है कि उनकी पहली पत्नी से देवता, दूसरी पत्नी से गरुड़ और चौथी पत्नी से दैत्य उत्पन्न हुए, परन्तु उनकी जो तीसरी पत्नी कद्रू थी, जिनका ताल्लुक नाग वंश से था, उन्होंने नागों को उत्पन्न किया।
2.  पुराणों के मतानुसार सर्पों के दो प्रकार बताए गए हैं— दिव्य और भौम। दिव्य सर्प वासुकि और तक्षक आदि हैं। इन्हें पृथ्वी का बोझ उठाने वाला और प्रज्ज्वलित अग्नि के समान तेजस्वी बताया गया है। वे अगर कुपित हो जाएँ तो फुफकार और दृष्टिमात्र से सम्पूर्ण जगत को दग्ध कर सकते हैं। इनके डसने की भी कोई दवा नहीं बताई गई है। परन्तु जो भूमि पर उत्पन्न होने वाले सर्प हैं, जिनकी दाढ़ों में विष होता है तथा जो मनुष्य को काटते हैं उनकी संख्या अस्सी बताई गई है।
3.  अनन्त, वासुकि, तक्षक, कर्कोटक, पद्म, महापदम, शंखपाल और कुलिक— इन आठ नागों को सभी नागों में श्रेष्ठ बताया गया है। इन नागों में से दो नाग ब्राह्मण, दो क्षत्रिय, दो वैश्य और दो शूद्र हैं। अनन्त और कुलिक— ब्राह्मण, वासुकि और शंखपाल— क्षत्रिय, तक्षक और महापदम— वैश्य, व पदम और कर्कोटक को शुद्र बताया गया है।
4.  पौराणिक कथानुसार जन्मजेय जो अर्जुन के पौत्र और परीक्षित के पुत्र थे, उन्होंने सर्पों से बदला लेने व नाग वंश के विनाश हेतु एक नाग यज्ञ किया क्योंकि उनके पिता राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नामक सर्प के काटने से हुई थी। नागों की रक्षा के लिए इस यज्ञ को ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने रोका था। जिस दिन इस यज्ञ को रोका गया उस दिन श्रावण मास की शुक्लपक्ष की पंचमी तिथि थी और तक्षक नाग व उसका शेष बचा वंश विनाश से बच गया। मान्यता है कि यहीं से नाग पंचमी पर्व मनाने की परंपरा प्रचलित हुई।
नाग पंचमी की पूजा विधि
नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा की जाती है और इस दिन. अगर किसी को नागों के दर्शन होते हैं तो उसे बेहद शुभ माना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस नाग पंचमी की पूजा को करने से धन-धान्य की प्राप्ति होती है और सर्पदंश का डर भी दूर होता है। आइए जानते हैं नाग पंचमी की पूजा विधि।
- नाग पंचमी के दिन अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख नामक अष्टनागों की पूजा की जाती है।
- चतुर्थी के दिन एक बार भोजन कर पंचमी के दिन उपवास करके शाम को भोजन करना चाहिए।
- पूजा करने के लिए नाग चित्र या मिट्टी की सर्प मूर्ति बनाकर इसे लकड़ी की चौकी के ऊपर स्थापित करें।
- हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़कर नाग देवता की पूजा करें।
- कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर सर्प देवता को अर्पित करें।
- पूजन करने के बाद सर्प देवता की आरती उतारी जाती है।
- अंत में नाग पंचमी की कथा अवश्य सुनें।
कालसर्प दोष क्या है व कुंडली में कैसे बनता है कालसर्प दोष?
जब किसी व्यक्ति की कुंडली में राहु  और केतू ग्रहों के बीच अन्य सभी ग्रह आ जाते हैं तो कालसर्प दोष का निर्माण होता है। क्योकि कुंडली के एक घर में राहु  और दूसरे घर में केतु के बैठे होने से अन्य सभी ग्रहों से आ रहे फल रूक जाते हैं। इन दोनों ग्रहों के बीच में सभी ग्रह फँस जाते हैं और यह जातक के लिए एक समस्या बन जाती है। इस दोष के कारण फिर काम में बाधा, नौकरी में रूकावट, शादी में देरी और धन संबंधित परेशानियाँ, उत्पन्न होने लगती हैं।
काल सर्प योग उपाय-
विशेषज्ञों काल सर्प योग के असभ्य प्रभाव को कम करने के उपाय बताएं है। उनमें से कुछ नीचे बताये गये है-
ओम नमः शिवाय का जप करने या रोजाना कम से कम 108 बार महामृत्युजंय जप को करने से इस योग के खराब प्रभाव को कम करने में मदद मिलेगी।
नाग देवता की पूजा करना या नाग पंचमी को व्रत करना प्रभावी रहता है।
धातु से बनी हुई नाग और नागिन की जोड़ी नदी या एक मंदिर में चढ़ाना भी अच्छा परिणाम दिखाता है।
इस योग के साथ हर व्यक्ति दिए गए प्रभावों और लक्षणों से ग्रस्त नहीं होता है। यह सब जन्म के समय किसी व्यक्ति की कुंडली पर निर्भर करता है। ऐसे अन्य उपाय भी हैं जो आप किसी विशेषज्ञ या पुजारी से जान सकते है। इस दोष का जल्दी से जल्दी उपाय करने का सुझाव दिया जाता है।
नागपंचमी के दिन किए जाने वाले कुछ प्रयोग निम्नलिखित हैं जिनके करने से कालसर्प दोष शिथिल होता है-
1. नाग-नागिन का जोड़ा चांदी का बनवाकर पूजन कर जल में बहाएं।
2. नारियल पर ऐसा ही जोड़ा बनाकर मौली से लपेटकर जल में बहाएं।
3. सपेरे से नाग या जोड़ा पैसे देकर जंगल में स्वतंत्र करें।
4. किसी ऐसे शिव मंदिर में, जहां शिवजी पर नाग नहीं हों, वहां प्रतिष्ठा करवाकर नाग चढ़ाएं।
5. चंदन की लकड़ी के बने 7 मौली प्रत्येक बुधवार या शनिवार शिव मंदिर में चढ़ाएं।
6. शिवजी को चंदन तथा चंदन का इत्र चढ़ाएं तथा नित्य स्वयं लगाएं।
7. नागपंचमी को शिव मंदिर की सफाई, मरम्मत तथा पुताई करवाएं।
8. निम्न मंत्रों के जप-हवन करें या करवाएं।
(अ) 'नागेन्द्र हाराय ॐ नम: शिवाय'
(ब) 'ॐ नागदेवतायै नम:' या नागपंचमी मंत्र 'ॐ नागकुलाय विद्महे विषदन्ताय धीमहि तन्नौ सर्प प्रचोद्यात्।'
(9) शिवजी को विजया, अर्क पुष्प, धतूर पुष्प, फल चढ़ाएं तथा दूध से रुद्राभिषेक करवाएं।
(10) अपने वजन के बराबर कोयले पानी में बहाएं।            


छात्रों के भविष्य के साथ सरकार का खिलवाड़

दिल्ली विश्वविद्यालय में एडहॉक अध्यापकों की व्यवस्था जिंदा रखकर लाखों छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रही है सरकार ;डॉ. अनिल कुमार मीणा


अकाशुं उपाध्याय


नई दिल्ली। दिल्ली विश्वविद्यालय में लगभग 5000 एडहॉक अध्यापक पढ़ाते हैं लेकिन उनकी लेकिन प्रत्येक 4 महीने बाद जॉइनिंग को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन असंवेदनशील रवैया अपनाता रहता है | मानव संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार ने स्थाई नियुक्ति तक किसी प्रकार की छेड़छाड़ नहीं करने का आदेश जारी किया था| लेकिन प्रशासन बार बार शैक्षणिक कैलेंडर बदलना, परीक्षा तिथियों को आगे बढ़ाना, ऑन लाईन परीक्षा लेने पर अड़े रहने की जिद्द तदर्थ शिक्षकों के लिए कोरोना संकट के समय तनाव को बढ़ाने, उनके लिए रोजी रोटी का संकट के साथ साथ उनके रोजगार पर भी गम्भीर प्रभाव डाल रहा है। एडहॉक अध्यापकों ने प्रशासन की शोषण करने की मानसिकता के खिलाफ अनेक आंदोलन किए लेकिन सफलता नहीं मिली |


 एडहॉक अध्यापकों के आंदोलन की असफलता के कारण  


वह नियमित नहीं है हर 4 महीने बाद विभागाध्यक्ष एवं कॉलेज के प्राचार्य के रहमों करम पर जिंदा रहना पड़ता है| उन्हीं के बनाए हुए विधान एवं नियमों के अनुसार उनको चलना पड़ता है| जब कॉलेज के प्रशासन की मानसिक शोषण की पराकाष्ठा चरमोत्कर्ष सीमा पर पहुंच जाता है तब तदर्थ अध्यापक पर बेदखल होने की तलवार लटकने लग जाती है, उस असहाय वक्त पर वह आंदोलन  भागीदार बनने के लिए मजबूर हो जाता है| और जैसे ही उनके निजी फायदे पूरे हो जाते हैं वह अपने आप को आंदोलन से दूर कर देता है | कुछ एडहॉक अध्यापक कॉलेज प्रशासन की नजरों में अच्छा  बने रहने एवं भविष्य में नियमित होने का सहयोग लेने के लिए आंदोलन से दूरी बनाकर रखते हैं समय-समय पर जिसका दुष्परिणाम यही होता है कि वह भी खतरों की तलवारों से नहीं बच पाता | दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा समय-समय पर स्क्रीनिंग लिस्ट आउट करने का खेल खेला जाता है |जिसके कारण तदर्थ अध्यापक सब कुछ भूल कर साक्षात्कार में अपना नाम डलवाने, अपने को नियमित करवाने के जुगाड़ में लग जाता है और वह पूरी तरह से आंदोलन से दूरियां बना देता है| विश्वविद्यालय में अध्यापकों के हितों की रक्षा के लिए कई संगठन बने हुए हैं जो समय समय पर अध्यापकों के मुद्दों को लेकर लड़ाई लड़ते हैं| जब जब आंदोलन बुलंदियों पर होता है तब तक संगठनों के हित आपस में टकराने से संगठन के लोग अपने आप को धीरे आंदोलन से दूर कर लेते हैं जिसका नुकसान एडहॉक अध्यापकों को उठाना पड़ता है|


असफलता का कारण यह भी माना जाता है कि आंदोलन के लिए जो रोड मैप तदर्थ अध्यापक तैयार करते हैं उसे टूटा नजरअंदाज करके अपने बनाए हुए रोड मैप के अनुसार चलता है| जब जब आंदोलन सरकार को दिखाने के लिए अपने चरम पर होता है उसी वक्त डूटा अपने महत्वकांक्षी मुद्दों के साथ प्रशासन से समझौता कर लेता है | दूरगामी परिणाम यह होता है कि ना डूटा की मांग पूरी हो पाती है और ना ही एडहॉक अध्यापकों की समस्याओं का समाधान होता है |  जिसका दुष्परिणाम सबको खाली बेबस हाथों से लौटना पड़ता है फिर से उस आंदोलन को ऊंचाइयों पर पहुंचाना और सभी का विश्वास जीत पाना एक चुनौती बन जाता है | जब-जब अध्यापकों को नियमित करने की मांग ऊंचाइयों पर होती है तब तब प्रशासन रोस्टर के मुद्दे पर उलझा कर रख देता है| यह भ्रम फैलाने का प्रयास किया जाता है  सामान्य वर्ग की सीट आरक्षित वर्ग में बदल गई है और आरक्षित वर्ग की सीट सामान्य वर्ग में बदल गई है| ऐसे माहौल में एडहॉक अध्यापक नियमित होने की लड़ाई को छोड़कर तदर्थ अध्यापक बने रहने की लड़ाई लड़ने लग जाता है|


आखिर सरकार एडहॉक अध्यापकों को नियमित नहीं करने के पीछे मंशा क्या है:-सरकार को ऐसा लगता है कि शिक्षण संस्थानों को चलाने के लिए नियमित अध्यापकों को पर जितना खर्च किया जाता है शायद उससे बहुत कम मात्रा में एडहॉक अध्यापकों पर खर्च करके संस्थाएं आराम से चलाई जा सकती है। 


एडहॉक शिक्षकों को अतिरिक्त सेवायें में नहीं देनी पड़ती |


सरकार के कदम निजीकरण  की तरफ बढ़ने के कारण भी उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं को सरकारी नौकरियों से वंचित रखना चाहती है। सरकार तदर्थ अध्यापकों के मुद्दों पर उलझा कर दिल्ली विश्वविद्यालय में लंबे समय से कार्यरत नियमित अध्यापकों की पदोन्नति करने से बचना चाहती है| अर्थात कम खर्चे पर विश्वविद्यालय चलाना चाहती है | सरकार अपने पूंजीपति मित्रों को फायदा पहुंचाने के लिए धीरे-धीरे सरकारी संस्थाओं को कमजोर करने का काम कर रही है|  केंद्रीय विश्वविद्यालय में भी निजीकरण के द्वार खुल जाए | 


एडहॉक अध्यापकों को नियमित करना क्यों जरूरी है:-


 दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रत्येक वर्ष 300 अध्यापक सेवानिवृत्त होते हैं | पिछले 13 सालों  का हिसाब लगाएं 3900 रिक्त पद सृजित होते हैं| 2009 में विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने ओबीसी वर्ग के विस्तार के लिए विश्वविद्यालय में 2000 नए पद सृजित किए थे| दूसरे किश्त के तहत 2010 से थे, उन्हें पिछले साल 2019 में यूजीसी ने भरने के लिए निर्देश जारी किए थे उसे अभी तक नहीं भर पाए | इस साल 300 सीटें मिलेंगी सेवानिवृत्ति के कारण बनाया गया, विश्वविद्यालय ईडब्ल्यूएस (आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग) विस्तार योजना के तहत लगभग 2000 पदों की उम्मीद है।इस तरह से कुल रिक्त सर्जित पद 10200 बनते हैं जिनको सरकार ने पिछले 13 सालों में 1400 नियुक्तियां करने का साहस जुटा पाई है| फिलहाल दिल्ली विश्वविद्यालय में 8800 पद खाली हैं जिनको भरने एवं फिलहाल दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के पास 3500 से अधिक सहायक अध्यापकों की विलंबित पदोन्नति के मामलों को पूरा करने के लिए लगभग 10-15 साल लगेंगे | 


दिल्ली विश्वविद्यालय में लंबे समय से पढ़ाने वाले  अध्यापकों को कई बार  उस मंजर को भी सामना करना पड़ा जिन छात्रों को उन्होंने अध्यापन करवाया एडहॉक के साक्षात्कार के समय उनको भी साथ-साथ इंटरव्यू का सामना करना पड़ा | कई कॉलेजों में ऐसी परिस्थितियां भी आई जिनको पढ़ाया वहीं पढ़ाने वाले तदर्थ अध्यापक का साक्षात्कार ले रहा था| तदर्थ अध्यापक प्रशासन की व्यवस्था के कारण अपने आप को नियमित नहीं पाता है और उसको अंदर ही अंदर अपनी योग्यता पर अनेक प्रश्न चिन्ह खड़ा होते हुए पाता है | विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की दिशानिर्देशों को पूरा करने वाले, लंबे समय से पढ़ा रहे एडहॉक अध्यापक रहते हुए कई अध्यापक सेवानिवृत्त हो गए| कई अध्यापक मानसिक उत्पीड़न के कारण आत्महत्या के शिकार हो गए| यह भी माना जाता है मझधार में लटके हुए अध्यापक एवं मानसिक उत्पीड़नता के कारण जितना अच्छा कर सकते थे उतना अच्छा नहीं कर पा रहे हैं|


 दिल्ली विश्वविद्यालय में तदर्थ अध्यापकों की दुर्दशा को देखते हुए मानव संसाधन मंत्रालय, भारत सरकार ने 5 दिसंबर को नियमित होने तक बने रहने का कानून पास किया|  दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन ने अमानवीयता का परिचय देते हुए कोरोना वायरस के कारण फैली महामारी में भी तदर्थ अध्यापकों की सैलरी पर रोक लगा दी | इस परिस्थिति में वह अपने जीवन की मूलभूत आवश्यकताएं पूरी नहीं कर पा रहा है| प्रशासन समय-समय पर परेशान करने के लिए अनेक हथकंडे अपनाता रहता है | इसलिए  विश्वविद्यालय में शिक्षा के माहौल को बनाए रखने के लिए प्रशासनिक राजनीति से बचाने के लिए एडहॉक अध्यापकों का नियमित  करना जरूरी है|                    


मथुरा में समिति ने मास्क बैंक बनाया

ब्रज यातायात एवं पर्यावरण जन जागरूकता समिति रजि उत्तर प्रदेश ने मास्क बैंक बनाई
सुश्री ओजस्विनी शर्मा संयोजिका वा सुश्री काजल शर्मा सह संयोजिका मास्क बैंक की बनाई गई           


विनोद दीक्षित     


मथुरा। ब्रज यातायात एवं पर्यावरण जन जागरूकता समिति ने लोगों को जागरूक करने के साथ जरूरतमंद लोगों को निशुल्क मास्क देने के उद्देश्य से मास्क बैंक बनाई जिसका शुभारंभ समिति के संरक्षक वा बल्देव के विधायक पूरन प्रकाश ने किया  l शुभारंभ के अवसर पर विधायक पूरन प्रकाश ने कहा ब्रज यातायात एवं पर्यावरण जन जागरूकता समिति लॉकडाउन के समय से ही लोगों की सेवा में लगी हुई है l आज इसी कड़ी में मास्क बैंक का शुभारंभ किया है इस पुनीत कार्य के लिए उन्होंने समिति के सभी सदस्यों को बधाई दी l प्रदेश अध्यक्ष विनोद दीक्षित ने कहा हमारी टीम लॉक डाउन के समय से ही अलग-अलग तरह के कार्यक्रम के माध्यम से लोगों को सहयोग कर रही है आज इसी कड़ी में मास्क बैंक का शुभारंभ किया गया है इस बैंक को संचालन करने के लिए महिला टीम को जिम्मेदारी दी गई है l जिसमें युवा महिला प्रदेश अध्यक्ष ओजस्वी शर्मा को संयोजिका व मथुरा युवा जिला अध्यक्ष सुश्री काजल शर्मा को सह संयोजिका बनाया गया है l महिला प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती श्वेता शर्मा ने कहा हमारी महिला टीम पूरे लॉकडाउन में एक से एक बढ़कर काम कर रही है इसके लिए सभी लोगों को बधाई साथ ही महिला टीम को आज नई जिम्मेदारी मिली है इसके माध्यम से कोई भी हमें मास्क दे सकता है और जरूरतमंद लोग हमारे से ले सकते हैं जो लोग खरीद कर दे सकते हैं वह खरीद के दे सकते हैं जो लोग अपने घर में बनाकर हमें दे सकते हैं जिससे हम लोगों को जागरूक करने के साथ मास्क लगाने के लिए प्रेरित करेंगे और मास्क निशुल्क देंगे इसके लिए उन्होंने लोगों के संपर्क करने के लिए व्हाट्सएप नंबर 9027880729 भी दिया है l जिससे लोग बैंक में मास्क जमा करवा सकते हैं और ले सकते हैं l इस अवसर पर सत्यदेव शर्मा, चंद्र मोहन दीक्षित, मनोज शर्मा, अर्जुन पंडित श्रीमती सुनीता उपाध्याय ,श्रीमती सरोज गोला, हेमंत वर्मा आदि मुख्य रूप से उपस्थित रहे l      ब्रज यातायात एवं पर्यावरण जन जागरूकता समिति रजिस्टर उत्तर प्रदेश के द्वारा संचालित मास्क बैंक का शुभारंभ करते हुए प्रदेश संरक्षक विधायक पूरन प्रकाश साथ में प्रदेश अध्यक्ष विनोद दीक्षित महिला प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती श्वेता शर्मा,  प्रदेश अध्यक्ष मनोज शर्मा व अन्य।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


 जुलाई 25, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-347 (साल-01)
2. शनिवार, जुलाई-25, 2020
3. शक-1943, श्रावण,शुक्ल-पक्ष, तिथि- पंचमी, विक्रमी संवत 2077।


4. सूर्योदय प्रातः 05:27,सूर्यास्त 07:23।


5. न्‍यूनतम तापमान 25+ डी.सै.,अधिकतम-37+ डी.सै.। भारी बरसात की संभावना।


6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा। सभी पद अवैतनिक है।
7. स्वामी, प्रकाशक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित। प्रकाशित समाचार, विज्ञापन एवं लेखोंं से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहींं है।


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गुरुवार, 23 जुलाई 2020

प्रभावितों के प्रति संवेदना व्यक्तः पुतिन

मास्को। भारत के विभिन्न हिस्सों में आई बाढ़ के कारण कई लोगों की जान चली गई है और लाखों जिंदगीयां इससे प्रभावित हुई हैं। इसे लेकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बुधवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गहरी संवेदना व्यक्त की है।


रूसी राष्ट्रपति के कार्यालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है, "रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने भारत के कई राज्यों में आई बाढ़ के के कारण सामने आए दुखद परिणामों पर भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को गहरी संवेदना व्यक्त की हैं। पुतिन ने एक संदेश में कहा, "रूस उन लोगों के प्रति अपना दुःख व्यक्त करता है जिन्होंने अपने प्रियजनों को खो दिया, और सभी घायल लोगों के शीघ्र ठीक होने की उम्मीद करता है।    


असम में अभी जारी रहेगी भारी बारिश : मौसम विभाग


भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तरपूर्वी राज्यों में अभी भारी बारिश जारी रहेगी जबकि उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में अलग-अलग स्थानों पर भारी बारिश से लेकर मध्यम बौछारें पड़ सकती हैं। असम में बाढ़ के चलते दो और लोगों की मौत हो गई है। असम के आपदा प्रबंधन के अनुसार, राज्य के 33 जिलों में से 26 में लगभग 26.32 लाख लोग बाढ़ से प्रभावित हुए हैं। राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) के महानिदेशक एस. एन. प्रधान ने कहा कि असम में एनडीआरएफ की 16 टीमें और बिहार में 20 टीमें तैनात हैं। राज्य में अब तक, बाढ़ से 89 लोगों की जान जा चुकी है। वहीं, धेमाजी, लखीमपुर, बिश्वनाथ, दारंग, बक्सा, नालबाड़ी, बारपेटा, चिरांग, कोकराझार, ढुबरी, गोलपारा समेत 26 जिलों में स्थिति काफी गंभीर है।           


ब्राजील में 67,960 नए संक्रमित मिलेंं

ब्रासीलिया। ब्राजील में पिछले 24 घंटों के दौरान कोरोना वायरस (कोविड-19) के 67960 नये मामले दर्ज किये गये और इसके बाद यहां पर इससे संक्रमित होने वाले लोगों की संख्या बढ़कर 2227514 हो गयी है। ब्राजील के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बुधवार को यह जानकारी दी। मंत्रालय ने बताया कि इस दौरान 1284 मरीजों की मृत्यु होने से मृतकों का आंकड़ा 82771 हो गया है। इससे एक दिन पहले यहां पर इस संक्रमण के 41008 नये मामले दर्ज किये गये थे तथा 1367 मरीजों की मृत्यु हुई थी। ब्राजील विश्व में अमेरिका के बाद इस जानलेवा विषाण से सर्वाधिक प्रभावित होने वाला देश है। भारत में कोरोना संक्रमण बढ़ने की रफ्तार अब अमेरिका और ब्राजील जैसी होती जा रही है।                


यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

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