शुक्रवार, 17 जुलाई 2020

अमेरिका के बाद भारत में सर्वाधिक जांच

वाशिंगटन डीसी। कोरोना वायरस संक्रमण का पता लगाने के लिए सर्वाधिक 4.2 करोड़ नमूनों की जांच अमेरिका ने की है, इसके बाद सर्वाधिक 1.2 करोड़ नमूनों की जांच भारत में हुई है। व्हाइट हाउस ने यह जानकारी दी।


व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कायले मैकनेनी ने बताया कि कोरोना वायरस की जांच के संबंध में, हमने 4.2 करोड़ से अधिक नमूनों की जांच की है। इसके बाद सर्वाधिक 1.2 करोड़ नमूनों की जांच भारत में हुई है। जांच के मामले में हम पूरे विश्व में सबसे आगे चल रहे हैं। उन्होंने कहा कि रिकॉर्ड जांच करने का ट्रंप प्रशासन का कदम पूर्ववर्ती प्रशासन द्वारा उठाए कदमों के ठीक विपरीत है।             


गर्भस्थ शिशु के लिए भेदभाव घातक

वाशिंगटन। कार्यस्थल पर महिलाओं के साथ भेदभाव की बात बेहद आम है लेकिन अगर यह भेदभाव गर्भवती महिला कर्मचारी के गर्भस्थ शिशु के लिए घातक साबित हो तो यह निश्चित ही चिंता का विषय है। जर्नल ऑफ एप्लाइड साइकोलॉजी में इस माह प्रकाशित अध्ययन रिपोर्ट ‘एग्जामिंनिंग द इफेक्ट्स ऑफ पर्सिव्ड प्रेग्नेंसी डिस्क्रिमिनेशन ऑन मदर एंड बेबी हेल्थ’ के मुताबिक कार्यस्थल पर बॉस के भेदभाव भरे बर्ताव से दुखी महिला कर्मचारी के बच्चे पर इसका गंभीर असर पड़ता है।


ऐसी महिला कर्मचारी तनावग्रस्त होती हैं तथा शिशु को जन्म देने के बाद अक्सर निराशा से घिर जाती हैं। इन महिला कर्मचारियों के बच्चे भी अक्सर नौ माह के निश्चित समय से पहले पैदा होते हैं और जन्म के समय उनका वजन कम होता है। इस शोध को अमेरिका के फ्लोरिडा के विभिन्न विश्वविद्यालयों के शोधार्थियों ने किया है। इस शोध के दौरान 250 से अधिक गर्भवती महिला कर्मचारियों से उनकी गर्भावस्था और बच्चे के जन्म के बाद जानकारी जुटायी गयी। शोध में शामिल इन महिलाओं ने कहा कि कार्यस्थल पर उनकी गर्भावस्था को लेकर भेदभावपूर्ण बर्ताव होता है। भेदभाव किसी भी रूप में हो सकता है। गर्भवती महिलाओं को सामाजिक दूरी , नकारात्मक रुढ़िवादिता या अभद्र व्यवहार का शिकार होना पड़ता है। कुछ अच्छे प्रबंधक या बॉस गर्भवती महिलाओं पर काम का दबाव कम बनाते हैं और उन्हें कम काम देते हैं लेकिन गर्भवती महिलाओं पर अक्सर इसका विपरीत असर पड़ता है। उनके लिए कम काम देना भेदभाव और उनके काम पर उंगली उठाने जैसा होता है।                                     

याचिका की सुनवाई से इनकारः एससी

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने पूरे देश में छह से 14 वर्ष की उम्र के बच्चों के लिए समान शिक्षा प्रणाली लागू करने को लेकर एक राष्ट्र एक शिक्षा बोर्ड गठित करने के निर्देश देने संबंधी याचिका की सुनवाई से शुक्रवार को इनकार कर दिया। न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने पेशे से वकील अश्विनी उपाध्याय की जनहित याचिका यह कहते हुए ठुकरा दी कि यह नीतिगत मामला है और वह इस मामले में हस्तक्षेप नहीं कर सकती। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़़ ने कहा कि देश की शिक्षा प्रणाली के कारण बच्चों पर बस्ते का बोझ पहले से ही अधिक है और क्या पाठ्यक्रमों को एक साथ मिलाकर याचिकाकर्ता यह बोझ और बढ़ाना चाहते हैं? उन्होंने कहा, आप चाहते हैं कि न्यायालय सभी बोर्डों को विलय करके एक बोर्ड बनाने का आदेश दे। यह हम नहीं कर सकते। यह नीतिगत मामला है और इसमें हम कोई निर्णय नहीं ले सकते। याचिकाकर्ता चाहें तो अपनी बात लेकर सरकार के पास जा सकते हैं। उपाध्याय ने पूरे देश में समान शिक्षा प्रणाली लागू करने के लिए वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) परिषद की तर्ज पर राष्ट्रीय शिक्षा परिषद अथवा राष्ट्रीय शिक्षा आयोग के गठन की संभावना तलाशने का केंद्र को निर्देश देने का अनुरोध न्यायालय से किया था। याचिकाकर्ता ने छह से 14 वर्ष की आयु वाले बच्चों के लिए एक समान पाठ्यक्रम शुरू करने का केंद्र को निर्देश देने की मांग की थी। याचिकाकर्ता का कहना था कि संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 38(2), 39(एफ), 46 और 51ए की भावना को कायम रखने के लिए ऐसा करना जरूरी है। उपाध्याय ने छह से 14 वर्ष की आयु के बच्चों के पाठ्यक्रमों में मौलिक अधिकारों, कर्तव्यों, नीति निर्देशक तत्वों के अलावा संविधान की प्रस्तावना के उद्देश्यों को शामिल किये जाने और इनकी पढ़ाई सबके लिए अनिवार्य किए जाने की आवश्यकता जताई थी। याचिका में इंडियन सर्टिफिकेट ऑफ सेकंडरी एजुकेशन (आईसीएसई) बोर्ड और केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) को आपस में मिलाकर वन नेशन वन एजुकेशन बोर्ड गठित करने की संभावना तलाशने का केंद्र को निर्देश देने की मांग की गई थी। इस बीच उपाध्याय ने यूनीवार्ता को बताया कि वह अपने अनुरोध के साथ सरकार का दरवाजा खटखटाएंगे।          


प्लाज्मा डोनेट पर 50 हजार देगी सरकार

नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस का संक्रमण खतरनाक स्तर पर पहुंचता जा रहा है। ऐसे में देश में प्लाज्मा की मांग बढ़ती जा रही है। अब कर्नाटक सरकार ने इसको लेकर एक अच्छी पहल की है। दरअसल, कोरोना संक्रमित लोगों की जान बचाने के लिए इलाज में प्लाज्मा की काफी जरूरत होती है। अब कर्नाटक सरकार ने फैसला लिया है कि प्लाज्मा डोनेट करने वालों को सरकार प्रोत्साहित करने के लिए 500 रुपये की राशि देगी।  ऐसा इसलिए किया जा रहा है ताकि लोग ज्यादा से ज्यादा प्लाज्मा डोनेट कर सकें और कोरोना पीड़ितों की जान बचाई जा सके। यह लोगों को प्लाज्मा डोनेट करने के लिए प्रोत्साहित करेगा। कर्नाटक के स्वास्थ्य शिक्षा मंत्री के. सुधाकर ने बताया कि कर्नाटक में 17,390 कोरोना संक्रमित अब तक सामने आ चुके हैं। जिनमें से लगभग पांच हजार लोग बेंगलुरू से हैंं। राजधानी में कोरोना संक्रमण काफी तेजी से लोगों को अपनी चपेट में ले रहा है। इस कारण कोरोना संक्रमण का इलाज करा चुके लोगों का प्लाज्मा कोरोना संक्रमितों के इलाज में काफी सहायक होने की वजह से सरकार लोगों को स्वेच्छा से प्लाजमा का दान करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहती है, जिसके लिए उन्हें इनामी राशि के तौर पर 5000 रुपये भी दिए जा रहे हैं।           


झारखंड सीएम को जान से मारने की धमकी

रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को मेल के जरिए जान से मारने की धमकी मिली है। सीएम को सुधर जाने की नसीहत देते हुए कहा गया है कि अगर नहीं सुधरे तो जान से मार देंगे। ई-मेल पर दी गई जान से मारने की धमकी के खुलासे के बाद पुलिस-प्रशासन में हड़कंप मच गया है। सीआईडी मामले की शिकायत दर्ज कर जांच कर रही है।
धमकी के बाद से ही मुख्यमंत्री के सुरक्षाकर्मियों को विशेष चौकसी बरतने का निर्देश दिया गया है। इस मामले में रांची के साइबर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई है। सूचना मिली है कि सीआईडी ने उस ईमेल एड्रेस के आईपी एड्रेस को निकाल लिया है जिसके आधार पर अपराधियों की तलाश जारी है।
सीएम हेमंत सोरेन को धमकी दिए जाने पर जेएमएम ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। पार्टी के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडे ने कहा कि सीएम की लोकप्रियता से घबराकर ऐसी हरकत की गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार पूरे मामले की जांच कराएगी। राजनीतिक प्रतिद्वंदिता पर मनोज पांडे ने कहा कि सीएम की छवि ऐसी है कि सभी राजनीतिक दलों के लोग उनके बेहद करीब हैं। लिहाजा उन्होंने किसी भी राजनीतिक धमकी से साफ इनकार किया। उन्होंने कहा कि इसके पीछे जिस किसी का भी हाथ होगा सरकार कड़ी कार्रवाई करने से नहीं चूकेगी।


शिवांश 'निर्भयपुत्र'


18 जुलाई से शुरू होगी सारी 'घरेलू उड़ान'

नई दिल्ली। कोरोना महामारी के कारण पूरे भारत में 22 मार्च को संपूर्ण लॉकडाउन घोषित किया गया जिसके बाद हर तरह की सेवाओं को रोक देना पड़ा। इससे सबसे ज्यादा राष्ट्रीय उड़ान हो और रेल सेवाओं को पढ़ा। इतना ही नहीं महामारी के चलते कई अंतरराष्ट्रीय उड़ानों को भी रद्द करना पड़ा और सारी उड़ाने रद्द कर दी गई।


लेकिन अब इस विषय को लेकर के राष्ट्रीय उद्यान मंत्री हरदीप पूरी ने बड़ी जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि 18 जुलाई से एक अगस्त के बीच दिल्ली, मुंबई और बेंगलुरू से पेरिस के लिए 28 उड़ानें संचालित करेगा।             


मनोज सिंह ठाकुर


संक्रमित-1.37 करोड़, मृतक-5.87 लाख

विश्व में कोरोना वायरस से अब तक 1.37 करोड़ से ज्यादा लोग संक्रमित हो चुके हैं। ताजा जानकारी के मुताबिक, मरने वालों की संख्या 5.87 लाख के पार जा चुकी है। चीन से शुरू हुई यह महामारी भले ही अब पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था को तोड़ रही हो लेकिन चीन ने पहली तिमाही में रिकॉर्ड 6.8 फीसदी की मंदी के बाद दूसरी तिमाही में 3.2 फीसदी की वृद्धि दर्ज कराई है।
विशेषज्ञों की नजर में कोरोना महामारी की वजह से आई गिरावट के बाद चीन की जीडीपी का उठना अच्छे संकेत भी हैं जो उम्मीद बंधाते हैं कि इस कठिन दौर से उबरने के बाद हालात सामान्य होंगे। चीन के राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के मुताबिक, महामारी के बीच इस साल के पहले हॉफ में चीन की जीडीपी 1.6 फीसद गिर गई थी। इस साल के पहले 3 महीने में चीनी अर्थव्यवस्था को 1.4 खरब डॉलर की चोट पहुंची थी। इस दौरान जीडीपी में 6.8 फीसद की गिरावट हुई, जो 1992 के बाद सबसे बड़ी गिरावट थी। इस बीच, अमेरिका में कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 36.18 लाख पार हो गई है जबकि अब तक 1.40 लाख लोग जान गंवा चुके हैं। इसी तरह, लेटिन अमेरिकी देशों में मृतकों की संख्या 1.50 लाख पार हो गई है। इस क्षेत्र के 33 देशों में संक्रमितों की संख्या 35 लाख पार कर गई है।             


सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली  इकबाल अंसारी  रांची। झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन ने गुरुवार को शपथ ली। ...