मंगलवार, 14 जुलाई 2020

बिहार में संक्रमितो की संख्या-18853

पटना। बिहार में जानलेवा कोरोना वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है। इस वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ती ही जा रही है। हर दिन सैकड़ों की संख्या में मरीजों का इजाफा हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से ताजा अपडेट जारी की गई है। इस अपडेट के मुताबिक बिहार में 1432 लोग कोरोना पॉजिटव मिले हैं। इसके साथ ही राज्य में कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 18853हो गई है।


बिहार में अब तक 134 की मौत
बिहार में अब तक कोरोना से 134 लोगों की मौत हुई है। सबसे ज्यादा राजधानी पटना में 15 लोगों की मौत हुई है। भागलपुर और दरभंगा में 10-10 लोगों की मौत हुई है। समस्तीपुर में 7 मरीजों की जान गई है। मुजफ्फरपुर, नालंदा, पूर्वी चंपारण, रोहतास और सीवान  6-6 लोगों की मौत हुई है। बेगूसराय, और सारण जिले में 5-5 मरीजों की मौत हुई है।


इसके आलावा भोजपुर, पश्चिमी चंपारण और वैशाली  में 4-4 लोगों ने दम तोड़ा है। गया, खगड़िया, जहानाबाद, नवादा, सीतामढ़ी और में 3-3 लोगों की मौत हुई है। इसके साथ ही अररिया, कैमूर, किशनगंज और मधुबनी में 2-2 मरीजों की जान कोरोना से गई है। वहीं, अरवल, औरंगाबाद, जमुई, कटिहार, मधेपुरा, मुंगेर, सहरसा और शिवहर में 1-1 मरीज की मौत हुई है।


नाकाम-निकम्मी यूपी पुलिस का कारनामा

सुनील पुरी


फतेहपुर  उत्तर प्रदेश पुलिस की नाकामियां और उसके गलत क्रियाकलाप समय-समय पर उजागर होते रहते हैं। गैंगस्टर विकास दुबे के मामले ने यूपी पुलिस के कामकाज की पोल खोल कर रख दी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गैंगस्टर विकास दुबे का एनकाउंटर कराकर भले ही यूपी पुलिस की पीठ थपथपा रहे हों, मगर पुलिस की कारगुजारियां दर्शाती हैं कि इतनी नाकारा और निकम्मी पुलिस शायद ही किसी राज्य की हो। एक नाबालिग लड़की की गुमशुदगी की नामजद प्राथमिकी के बावजूद यूपी पुलिस उसे ढ़ाई साल बाद भी नहीं खोज पाई है। ऐसी निकम्मी पुलिस से आखिर सूबे की जनता क्या अपेक्षा कर सकती है।


थाना कल्याणपुर, जनपद फतेहपुर निवासी एक 15 वर्षीय नाबालिग लड़की पांच जनवरी, 2018 को अचानक अपने घर से गायब हो जाती है। उसकी गुमशुदगी की रपट 18 जनवरी, 2018 को कल्याणपुर थाने में दर्ज कराई जाती है। बाकायदा नामजद प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद कल्याणपुर थाना इस पर कोई कार्रवाई नहीं करता। उत्तर प्रदेश सरकार के पोर्टल पर ऑनलाइन शिकायत के बाद भी इस मामले में कोई कार्रवाई नहीं होती। बार – बार की शिकायत पर थाना की एक लाइन की आख्या होती है – श्रीमान जी रिपोर्ट अवलोकनार्थ सादर सेवा में प्रेषित है।


पुलिस महकमे के निकम्मेपन की इंतहा तो तब होती है, जब गुमशुदगी की शिकायत करने पर  रिपोर्ट लगाई जाती है कि यहां पर गलियारे और चकरोड का कोई विवाद नहीं है। पुलिस को जब फिर से यह बात याद दिलाई जाती है कि यह कोई जमीन विवाद का मामला नहीं नाबालिग लड़की की गुमशुदगी का मसला है तब वह फिर रिपोर्ट बदलकर वही घिसा पिटा जवाब देते हैं कि इस संदर्भ में एफआईआर दर्ज हो चुकी है और जांच चालू है। पिछले ढ़ाई साल में जो पुलिस एक नाबालिग लड़की को नहीं ढूंढ़ पायी, ऐसी नाकारा और निकम्मी पुलिस से आखिर क्या उम्मीद की जा सकती है। भला हो मध्य प्रदेश पुलिस का जिसने विकास दुबे को ढ़ूंढ़ निकाला। और जब मध्य प्रदेश की पुलिस ने विकास दुबे को उत्तर प्रदेश की पुलिस को सौंपा, तब भी उनमें अपने किए पर कोई शर्म नहीं आयी और न ही पछतावा हुआ। अब तो शिकार उनके हाथ में था, ऐसे में उसका कथित तौर पर फर्जी एनकाउंटर कर उसे लगा कि उसने बहुत बड़ा काम कर दिया है।           


चीन में बारिश का कहर, बहे हजारों घर




















बीजिंग। चीन में भारी बारिश ने तबाही मचा दी है। मौसम विभाग ने भारी बारिश की चेतावनी दी थी, जिसके बाद उत्तरी क्षेत्र में बारिश की वजह से करीब 120 लोगों की मौत हो गई। कई लोग गायब हैं। 12 जुलाई को भारी बारिश का अलर्ट था। रिपोर्ट के मुताबिक, शंघाई, चोंगकिंग और ऐसे करीब एक दर्जन जिलों में बारिश ने लगभग 17,000 घरों को तबाह कर दिया। करीब 5.9 बिलियन का नुकसान हो चुका है।


इस वक्त चीन के 27 प्रांतों में भारी बारिश की वजह से तबाही मची है। बुरी तरह प्रभावित इलाकों में जियांग्शी, अन्हुई, हुबेई और हुन्नान प्रांत हैं। राष्ट्रीय मौसम विज्ञान ने भविष्यवाणी की कि चीन के अनहुई, हुबेई, हुनान और झेजियांग प्रांत, जिनमें दो पूर्वोत्तर प्रांत हैं, हीलोंगजियांग और जिलिन में 4 से 9 इंच तक बारिश हो सकती है।


आपातकालीन प्रबंधन मंत्रालय ने घोषणा की कि मूसलाधार बारिश से कम से कम 36 मिलियन लोग किसी न किसी तरह से प्रभावित हुए और लगभग 300,000 लोगों को क्वेंटांग नदी (Qiantang) के किनारे से निकाला गया।


















दुर्लभ प्रजाति के मेंढको का झुंड मिला

नरसिंहपुर। सोशल मीडिया पर मेंढकों का वीडियो वायरल हो रहा है, जिसे देखकर सभी लोग इस वीडियो को सोशल मीडिया पर तेजी से वायरल कर रहे हैं।


मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले के एक गांव में दुर्लभ प्रजाति के मेंढकों का झुंड देखा गया, इन पीले रंग के दुर्लभ प्रजाति के मेंढकों को देखकर गांव वाले भी हैरान रह गए और अपने अपने मोबाइल में इसका वीडियो उतारने में लग गए। देखते देखते इन पीले रंग के मेंढकों का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया। आपको बता दें कि ये दुर्लभ मेंढक भारत में पाए जाते हैं, और इन्हे इंडियन बुल फ्रॉग कहा जाता है। प्रजनन काल में पीले मेंढक रंग बदलकर पीले हो जाते हैं, जो किसानों के लिए अच्छा माना जाता है।                


 


खाकी की गोद 'संपादकीय'

खादी एवं खाकी की गोद में पल रहे अपराधी एवं आतंक के प्राय बने विकास दूबे के अंत पर उठ रहे सवालों पर विशेष
  संपादकीय


उत्तर प्रदेश पुलिस एवं राजनीति के संरक्षण में पला बढ़ा शासन प्रशासन को अपनी जेब में रखने वाला रातोंरात अपने गाँव में पुलिस के अधिकारियों कर्मचारियों की सामूहिक नृशंस हत्या करने के बाद मोस्ट वॉन्टेड गैंगस्टर बने विकास दुबे का अंत आखिरकार उसी कानपुर की सीमा एवं उसी प्रदेश पुलिस की गोलियों से हो गया।जिस कानपुर से उसने खौफ का कारोबार शुरू किया था अन्ततः उसी जिले में ही कारोबार समाप्त हो गया। कहते हैं कि  कानपुर ही नही बल्कि अब मध्यप्रदेश बम्बई जैसे कई शहरों में उसके खौफ का कारोबार शुरू हो गया था और वह अपने विश्वासपात्र लोगों के माध्यम से सारे अपराधिक कारोबार को एक सम्राट की तरह सीना ठोंक कर चला रहा था।उसकी प्रदेश की राजनैतिक दलों से मधुर विश्वसनीय संबंध थे तो पुलिस में भी उस पर जान छिड़कने वाले उसके विश्वासपात्र खाकीधारी भी थे।खाकी एवं खादी के दामन में पल पोसकर दोनों के लिए सिरदर्द बनकर गले की हड्डी बने आतंक के युग का अंत हो गया जो जरूरी था।विकास अकेले प्रदेश में ऐसा अपराधी नहीं था जिसके आतंक से लोग आतंकित थे और खाकी एवं खादी का सरंक्षण प्राप्त है।इधर प्रदेश की राजनीति ही अपराधियों के बलबूते पर चलने लगी है और ऐसा कोई पक्ष विपक्ष की राजनैतिक पार्टी नहीं है जिसमें अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों की सहभागिता न हो।राजनैतिक दल अपराधियों को अपने दल में शामिल कर अपने को बेझिझक गौरान्वित महसूस करने लगे हैं।इसमें दो राय नहीं है कि विकास दूबे एक खूंखार अपराधी था और हत्या कर आतंक फैलाना उसका पेशा बन गया है लेकिन विकास को यहाँ तक पहुंचाने वाले राजनेता एवं पुलिस भी उससे कम अपराधी नहीं है।विकास जैसे अपराधियों के साथ उनका भी अंत होना जरूरी है जो ऐसे लोगों को संरक्षण देकर अपराध और अपराधियों को बढ़ावा देते हैं।विकास अगर जिंदा होता तो यह पता चल सकता था कि उसे जीरो से सुपर हीरो बनाने में कौन कौन लोगों का योगदान था। हत्याकांड के बाद प्रदेश पुलिस को चकमा देकर नींद हराम कर देखते ही देखते लाखों का इनामियां बदमाश बने विकास की कहानी के अंत की शुरुआत उसके खुद किसी की जान बचाने की शह पर मध्यप्रदेश के उस शिवमंदिर में पहुंचते ही हो गई थी। जिसे कालो का काल महाकाल कहा जाता है और धारणा है कि वहाँ जाने वाले की अकाल मौत नहीं होती है। उज्जैन के शिव के मंदिर से  एसटीएफ की टीम उसे  लेकर कानपुर आ रही थी इसी दौरान एसटीएफ की गाड़ी पलट गई जिस पर आधा दर्जन से अधिक पुलिस कर्मियों की मौजूदगी में वह उनकी पिस्तौल छीनकर लगड़ा होने के बावजूद गोली बरसाते हुये भाग खड़ा हुआ और बाद में मुठभेड़ के बाद उसके जीवन की लीला का अंत हो गया।आतंक के प्राय बने विकास दूबे जानता था कि उत्तर प्रदेश पुलिस उसे मुठभेड़ दिखाकर मार देगी और इसीलिए वह घटना के बाद यूपी पुलिस से बचता रहा और आखिर में जिन्दा पकड़े जाने की ख्वाहिश में मध्यप्रदेश पहुंच गया और खुद अपना नाम उजागर कर दिया।उसे स्वप्न में भी विश्वास नहीं था कि रास्ते में ही अकाल काल के गाल में जाना पड़ेगा। उसे यह यकीन था कि यूपी पुलिस उसे जिंदा नहीं छोड़ेगी इसलिए उसके वकील ने उज्जैन में उसकी गिरफ्तारी होते ही मुठभेड़ में हत्या की आशंका जताते हुए जान बचाने की सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर दी थी।यूपी पुलिस और एसटीएफ की टीम ने शुक्रवार की सुबह कानपुर की सीमा के अंदर ही इस एनकाउंटर को अंजाम दिया।


लेकिन अब इस मुठभेड़ को लेकर कई बड़े सवाल उठने लगे हैं जिनके जवाब लोग अपने अपने अनुसार लगाने लगे हैं।सभी विपक्षी दल मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए इसकी सीबीआई से जांच कराने की मांग करने लगे हैं।लोग चर्चा कर रहे हैं कि कानपुर की सीमा में आने के बाद एसटीएफ के काफिले की मात्र एक गाड़ी का एक्सीडेंट कैसे हो गया? अचानक गाड़ी पलटने से पीछे की गाड़ी दुर्घटनाग्रस्त क्यों नहीं हुयी? क्या लगातार भागने वाला लगंड़ा  विकास दुबे इस हालत में था कि उसने एक्सीडेंट होते ही पुलिस के हथियार छीन लिए? आखिरकार उस बहू का क्या गुनाह था जो कुछ दिनों पहले ही उसके घर आई थी और उसे भी गिरफ्तार करके जेल में ठूंस दिया गया।
भोलानाथ मिश्र


खिलौने का पंचनामा भर पीएम को भेजा

बुलढाणा। महाराष्ट्र के बुलढाणा में पुलिस और अस्पताल की कार्यशैली पर सवाल उठने लगे हैं। दरअसल पुलिस ने खिलौने को नवजात का शव समझकर का पंचनामा कर पोस्टमार्टम के लिए भेजा। अस्पताल ने भी पोस्टमार्टम की प्रक्रिया शुरू कर दी। खिलौने से कपास और स्पंज निकलने पर पता चला जिसका पोस्टमार्टम हो रहा है तो प्लास्टिक की गुड़िया है। यह घटना जिले भर में चर्चा का विषय बन गई है। बुलढाणा जिले के खामगाव तालुका स्थित बोर के पास एक नदी के किनारे कपड़े में एक नवजात का शव फेंके जाने की  सूचना पर पिंपलगांव राजा पुलिस बोरजवाला गांव मे नदी के किनारे मौके पर पहुंची। पुलिस ने शव का पंचनामा किया और नवजात का शव अपने कब्जे में लेकर खामगाव के अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया।


लेकिन, पुलिस की तरह ही अस्पताल की कार्यशैली में लापरवाही सामने आई है। पोस्टमार्टम के समय जब उसकी चीरफाड़ की गई तो उसमें से कपास और स्पंज निकाला। इसके बाद पता चला कि यह नवजात का शव नहीं बल्कि खिलौना है। पुलिस इंस्पेक्टर एस.एल.चव्हाण ने कहा कि गांव के पुलिस पाटिल ने ही यह जानकारी दी थी कि नदी के पास 7-8 महीने के नवजात का शव पड़ा है। दूसरे दिन पंचनामा कर दस्तावेज बनाए गए। पोस्टमार्टम के समय शरीर में से कपास और स्पंज निकलने के बाद समझ में आया कि वह मानव शरीर नही बल्कि गुड़िया है। कीचड़ में सने होने के कारण वह नवजात बच्चे का शव ही दिखाई दे रहा था।             


पीटीआई पर 84.48 करोड का जुर्माना

नई दिल्ली। हरदीप सिंह पुरी की अध्यक्षता में केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय ने समाचार एजेंसी प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया (पीटीआई) को एक नोटिस भेजकर 84.48 करोड़ रुपये के जुर्माने का भुगतान करने को कहा गया है। 7 जुलाई को दिए गए नोटिस में कहा गया है कि यह जुर्माना दिल्ली में अपने कार्यालय में “उल्लंघनों” के कारण लगाया गया है। मंत्रालय के नोटिस में यह भी कहा गया है कि समाचार एजेंसी को गैर-न्यायिक स्टांप पेपर पर लिखकर देना होगा कि यह “दुरुपयोग / क्षति शुल्क” के अंतर का भुगतान करेगा यदि सरकार की ओर से 01 अप्रैल 2016 से भूमि दरों को संशोधित किया जाता है और 14 जुलाई 2020 तक “उल्लंघनों” को भी हटा दें।


84,48,23,281 रुपये की मांग करने वाले नोटिस में कहा गया है कि “14 जुलाई 2020 तक अस्थायी रूप से दिल्ली कार्यालय के परिसर में उल्लंघनों को सुधारना होगा और निम्नलिखित शर्तों को इस पत्र के जारी होने की तारीख के 30 दिनों के भीतर पूरा कर लिया जाना चाहिए वरना परिसर में प्रवेश के को प्रतिबंधित कर दिया जायेगा।”


नोटिस में यह भी चेतावनी दी गई है कि दस्तावेज को निष्पादित करने के लिए आगे की कार्रवाई से पहले पूर्ण भुगतान किया जाना चाहिए और इसे मास्टरप्लान के अनुसार उपयोग नियमों के अधीन होना चाहिए। भूमि और विकास कार्यालय ने चेतावनी दी कि यदि समय अवधि के भीतर संबंधित राशि देने में विफल रहता है तो अतिरिक्त 10 प्रतिशत ब्याज पीटीआई को देना पड़ सकता है। इसके अतिरिक्त, यदि समाचार एजेंसी उक्त अवधि के भीतर शर्तों का पालन करने में विफल रहती है, तो रियायत वापस ले ली जाएंगी। दूसरे शब्दों में, उन्हें भुगतान की वास्तविक तारीख तक जुर्माना देना होगा और कार्रवाई के अधीन भी होंगे। पीटीआई के कथित उल्लंघनों के लिए यह कड़ा नोटिस, राष्ट्रीय प्रसारक प्रसार भारती की ओर से पीटीआई की रिपोर्ट पर हुई बहस और इसे ‘एंटी नेशनल’ बताए जाने के बाद आया है।


बता दें कि, पीटीआई द्वारा चीन में भारतीय राजदूत का साक्षात्कार करने के बाद उनके बयान प्रसारित करने पर प्रसार भारती ने समाचार एजेंसी पीटीआई को ‘देशद्रोही’ कहते हुए उनसे सभी संबंध तोड़ने की धमकी दी थी।             


'सीएम' शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दिया

'सीएम' शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दिया  कविता गर्ग  मुंबई। राजभवन पहुंचे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन से मु...