नगर पालिक निगम चिरमिरी कर रहा है चारा घोटाला ₹7 का भूसा खिलाकर 150 का बिल फाड़ने का आरोप।
संजीव सिंह-
चिरमिरी(छत्तीसगढ़)। केंद्र के चारा घोटाले के बाद अब चिरमिरी में हुआ है चारा घोटाला भाजयुमो मंडल अध्यक्ष पुरुषोत्तम सोनकर ने लगाया है चिरमिरी नगर पालिक निगम के अधिकारियों पर चारा घोटाले का आरोप।पुरुषोत्तम सोनकर की मानें तो नगर पालिक निगम पैसे जुटाने के अलग-अलग हथकंडे अपना रही है जिसके तहत सड़कों पर घूम रहे गयो को सड़कों से उठाकर कांजी हाउस में रखा जा रहा है और जब किसी गाय को लेने उसका मालिक वहां पहुंचता है तो उसे ₹300 की दर से कांजी हाउस मे रखने की फीस व 150 रुपए प्रतिदिन की दर से गाय के चारे की कीमत अदायगी के लिए कहा जाता है। पुरुषोत्तम सोनकर के मुताबिक मवेशियों के इलाज की व्यवस्था भी निगम प्रशासन ने कांजी हाउस में नहीं की है ऐसे में सड़कों पर मवेशियों की मौत हो या ना हो लेकिन कांजी हाउस में गायो की मौत निश्चित है क्योंकि इन मवेशियों को खाने के नाम पर मात्र सूखा भूसा खिलाया जा रहा है जबकि इनके खाने के लिए पर्याप्त मात्रा में पशु आहार देना तय किया गया था भाजयुमो मंडल अध्यक्ष पुरुषोत्तम सोनकर ने निगम के अधिकारियों से बात कर जानने की कोशिश भी की थी कांजी हाउस में रखे गए मवेशियों के खाने की क्या व्यवस्था है तो जो जानकारी मिली उसका 25% भी पशुओं को आहार के रूप में नहीं दिया जा रहा है इस बारे में जब नगर पालिक निगम आयुक्त से बात की गई तो पता चला कि नगर पालिक निगम द्वारा कांजी हाउस के गायो के लिए बेहतर आहार तय किया गया है लेकिन इसमें किसी तरह की चुक या कोई गड़बड़ी की जानकारी मिली तो जिम्मेदार अधिकारियों पर सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी यह सब देखते हुए भाजयुमो मंडल अध्यक्ष पुरुषोत्तम सोनकर ने निगम के अधिकारियों पर चारा घोटाले का आरोप लगाया।
केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक में एक सीमित आकार तक की इकाइयों में नियोक्ताओं और कर्मचारियों के हिस्से का भविष्य निधि में भुगतान सरकार की तरफ से किए जाने की योजना तीन महीने यानी अगस्त तक के लिए बढ़ाने के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने बताया कि मंत्रिमंडल ने योजना अगस्त तक बढ़ाये जाने का मंजूरी दे दी है जिसके तहत सरकार कर्मचारियों और नियोक्ताओं का भविष्य निधि में योगदान राशि देगी।
प्रधानमंत्री गरीब कल्याण पैकेज के तहत भविष्य निधि में नियोक्ता और कर्मचारियों का 12-12 फीसदी मिलाकर कुल 24 फीसदी योगदान सरकार कर रही है। सरकार ने लॉकडाउन से प्रभावित हुए छोटे प्रतिष्ठानों और उसमें काम करने वाले कर्मचारियों को राहत देने के लिए यह कदम उठाया है। यह योजना उन यूनिट के लिए है जहां कर्मचारियों की संख्या 100 तक है तथा उनमें से 90 फीसदी कर्मचारियों का मासिक वेतन 15,000 रुपये से कम है। इससे पहले यह योजना मार्च, अप्रैल और मई के लिए थी, जिसे अब बढ़ाकर जून, जुलाई और अगस्त तक कर दिया है।