सोमवार, 6 जुलाई 2020

वायरसः तीसरे नंबर पर पहुंचा भारत

अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। देश में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और दुनियाभर में सबसे ज्यादा संक्रमित केस के मामले में भारत तीसरे स्थान पर पहुंच गया है। रूस को पीछे छोड़ भारत कोरोना संक्रमितों की संख्या में तीसरे पायदान पर आ गया. हालांकि अब भी अमेरिका और ब्राजील इस मामले में भारत से आगे हैं। पाकिस्तान 12वें पायदान पर है। वर्ल्डोमीटर के अनुसार भारत में इस समय 687,760 कोरोना मरीज हैं जबकि रूस में अब तक 681,251 संक्रमित केस सामने आ चुके हैं। पिछले 24 घंटे में देश में 13 हजार से ज्यादा केस दर्ज हुए हैं। इस दौरान कुल 13,856 मामले दर्ज किए गए।


जबकि रूस में अभी 681,251 केस हैं जिसमें पिछले 24 घंटे में 6,736 मामले सामने आए। तीसरे स्थान पर पहुंचे भारत से आगे अब सिर्प अमेरिका और ब्राजील रह गए हैं। हालांकि इन दोनों देशों में कोरोना संक्रमण के केस भारत में कुल संक्रमण केस की तुलना में दोगुना से कहीं ज्यादा है। कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा त्रस्त देश अमेरिका है जहां पर अब तक 29 लाख से ज्यादा यानी 2,953,014 मामले सामने आ चुके हैं। पिछले 24 घंटे में 17,244 नए केस सामने आए। अमेरिका में अब तक 132,382 लोगों की मौत हो चुकी है।


अमेरिका के बाद ब्राजील का नंबर है और वहां 1,578,376 कोरोना केस सामने आ चुके हैं, जबकि इनमें से 64,365 लोगों की मौत हो चुकी है। तीसरे पायदान पर पहुंचे भारत में कुल 687,760 केस दर्ज हो चुके हैं जिसमें 19,568 लोगों की जान जा चुकी है। रूस में अभी 681,251 कोरोना केस हैं जिसमें 10,161 लोगों की मौत हो चुकी है। एक समय यूरोप में जमकर तबाही मचाने वाली यह महामारी अब वहां कम कहर बरपा रही है। यूरोप से रूस में सबसे ज्यादा महामारी फैली हुई है। रूस के बाद स्पेन (छठे), इंग्लैंड (आठवें) और इटली (10वें) शीर्ष 10 देशों में शामिल हैं।


एसएससी की प्रारंभिक परीक्षा का रिजल्ट

नितिन सिन्हा


नई दिल्ली। कर्मचारी चयन आयोग (एसएससी) की प्रारंभिक परीक्षा टियर-1 का रिजल्ट बुधवार को घोषित हो गया। परीक्षा में देशभर से शामिल हुए 9 लाख 78 हजार 103 परीक्षार्थियों में से 1 लाख 53 हजार 621 पास हुए हैं। यही छात्र अगले चरण की परीक्षा यानी टियर-टू के लिए लिए सफल हुए हैं।


एसएससी सीजीएल 2019 टियर 1 परीक्षा ( SSC CGL 2019 Tier 1 examination ) 3 मार्च 2020 से 9 मार्च 2020 के बीच हुई थी। जो कैंडीडेट्स सीजीएल टियर 1 परीक्षा 2019 में सफल हुए हैं, वो एसएससी सीजीएल टियर- 2 में शामिल होने के पात्र हैं। एसएससी CGL टियर- II परीक्षा को 14 से 17 अक्टूबर 2020 के बीच होने की संभावना है।


एसएससी सीजीएल ने पास हुए छात्रों की तीन लिस्ट जारी की है। असिस्टेंट ऑडिट ऑफिसर और असिस्टेंट अकाउंट ऑफिसर के लिए 8,951 छात्र पास हुए हैं। सांख्यिकी अधिकारी और सांख्यिकी अन्वेषक ग्रेड-टू के लिए 19,391 छात्र सफल हुए। तीसरी लिस्ट में शामिल 1,25,279 छात्र टियर-टू में पहले और दूसरे प्रश्न पत्र की परीक्षा देंगे।


SSC CGL 2019 Tier I Result: ऐसे कर सकेंगे चेक
एसएससी सीजीएल टियर 1 रिजल्ट 2019 की घोषणा आयोग की ऑफिशियल वेबसाइट ssc.nic.in पर की गयी है। परीक्षा में शामिल छात्रों को मिले नंबर के साथ अंसर शीट 7 जुलाई को इस वेबसाइट पर अपलोड की जाएगी।



  • कैंडीडेट्स सबसे पहले ऑफिशियल साईट ssc.nic.in को लॉग इन करें।

  • Result सेक्शन पर जाकर CGL टैब पर क्लिक करें।

  • “Combined Graduate Level Examination Tier-1 Result 2019” के लिंक पर क्लिक करें।

  • क्लिक करते ही SSC CGL Tier-I Result (PDF File) आपके सामने ओपन हो जाएगी।


हवा से फैल रहा है कोरोना संक्रमण

नई दिल्ली। साइंटिस्ट्स का कहना है कि कोरोनावायरस एयरबोर्न है, जो कि एक कमरे में छोटे कणों के जरिए लोगों के सांस लेने पर उन्हें संक्रमित कर सकता है। सैकड़ों साइंटिस्ट्स कहते हैं कि इस बात के प्रमाण हैं कि हवा में छोटे कणों के जरिए कोरोनावायरस लोगों को संक्रमित कर सकता है। न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, अब साइंटिस्ट्स द्वारा विश्व स्वास्थ्य संगठन को कोरोनावायरस नियमों को संशोधित करने के लिए कहा जा रहा है। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने कहा था कि कोरोनोवायरस डिजीज मुख्य रूप से व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में नाक या मुंह से निकलने वाली छोटी बूंदों के जरिए फैलता है।


रिपोर्ट के अनुसार, WHO को लिख गए एक ओपन लेटर में, जिसे रिसर्चर्स ने अगले सप्ताह एक साइंटिफिक जरनल में पब्लिश करने की योजना बनाई है, उसमें 32 देशों के 239 साइंटिस्ट्स ने छोटे कणों को दिखाते हुए सबूतों को रेखांकित किया है। उनका कहना है कि ये छोटे कण लोगों को प्रभावित कर सकते हैं। हालांकि अभी WHO ने अभी इस मामले पर अपनी कोई टिप्पणी नहीं की है। साइंटिस्ट्स का कहना है कि चाहे बड़े ड्रॉप्लेट्स हों जो छींकने के बाद हवा के जरिए जूम होते हैं, या बहुत छोटी एक्सहेल्ड ड्रॉप्लेट्स हों जो एक कमरे में घूम सकते हैं वो लोगों को संक्रमित कर सकते हैं। कोरोनोवायरस हवा के माध्यम से पैदा होता है और लोगों द्वारा सांस लेने पर उन्हें संक्रमित कर सकता है। हालांकि, स्वास्थ्य एजेंसी का कहना है कि वायरस के एयरबोर्न होने के प्रमाण पुख्ता नहीं हैं।


रिपोर्ट के अनुसार, WHO के संक्रमण की रोकथाम और नियंत्रण के तकनीकी लीडर डॉ. बेनेडेट्टा अलेनग्रांजी ने कहा कि विशेष रूप से पिछले कुछ महीनों में, हम कई बार यह कहते रहे हैं कि हम एयरबोर्न ट्रांसमिशन को संभव मानते हैं लेकिन इसके कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले हैं।


प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


 जुलाई 07, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-329 (साल-01)
2. मंगलवार, जुलाई-07, 2020
3. शक-1943, श्रावण, कृष्ण-पक्ष, तिथि- दूज, विक्रमी संवत 2077।


4. सूर्योदय प्रातः 05:31,सूर्यास्त 07:27।


5. न्‍यूनतम तापमान 26+ डी.सै.,अधिकतम-39+ डी.सै.। बरसात की संभावना।


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रविवार, 5 जुलाई 2020

2036 तक पुतिन राष्ट्रपति बने रहेंगे

मास्को। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन वर्ष 2036 तक राष्ट्रपति पद पर बने रहेंगे। उन्हें एक्सटेंशन दिए जाने से जुड़े संवैधानिक संशोधन पर रूस की जनता ने अपनी मुहर लगा दी है। व्लादिमिर पुतिन को वर्ष 2024 में अपना पद छोड़ना था लेकिन अब वो 2036 तक अपने पद पर बने रहेंगे। उन्हें  12 वर्षों का एक्सटेंशन मिला है। और इसी के साथ वो रूस में सबसे लंबे समय तक सत्ता में रहने वाले सर्वोच्च नेता बन जाएंगे। इससे पहले 29 वर्षों तक सत्ता में रहे थे। पुतिन की छवि एक राष्ट्रवादी नेता की है। पुतिन रूस को एक बार फिर से महाशक्ति बनाना चाहते हैं और रूस की 78 प्रतिशत जनता ने उनके पक्ष में मतदान करके एक बार फिर उन पर विश्वास जताया है। व्लादिमीर पुतिन का रूस की सत्ता के शिखर पर पहुंचने का सफर काफी दिलचस्प रहा है। साल 1952 में सेंट पीट्सबर्ग में पैदा हुए पुतिन ने अपने करियर की शुरुआत केजीबी (KGB) से की केजीबी सोवियत युग की सिक्योरिटी पुलिस हुआ करती थी। साल 1990 से 1996 तक मॉस्को आने से पहले वह सेंट पीट्सबर्ग एडमिनिस्ट्रेशन में काम करते रहे। अगस्त 1999 में रूस के प्रधानमंत्री बने।


भूमाफिया 'चीन' की नहीं मिट रही भूख

बीजिंग। 'भूमाफिया चीन' की भूख नहीं मिट रही है। पूरी दुनिया को कोरोना बांटने के बाद चीन कई देशों के साथ तनावपूर्ण रिश्तों को बढ़ावा देने में लगा हुआ है। भारत, म्यांमार, जापान के बाद अब चीन ने रूस से दुश्मनी मोल ली है। वो रूस, जो चीन के साथ ऐसे समय साथ रहा, जब पूरी दुनिया कोरोना वायरस के लिए उसकी आलोचना कर रही है।


रूस इस समय कोरोना से कहर झेल रहा है लेकिन उसने चीन पर आरोप नहीं लगाए। रूस ने हांगकांग के मुद्दे पर भी चुप्पी साध रखी है। एक भी शब्द चीन के खिलाफ नहीं बोला। लेकिन चीन ने रूस को बदले में क्या दिया? चीन ने रूस के एक शहर पर अपना दावा ठोक दिया है। आप सही पढ़ रहे हैं। चीन ने रूस के शहर व्लादिवोस्तोक पर दावा ठोका है। यह शहर कभी किंग राजवंश से संबंधित था। रूस ने द्वितीय अफीम युद्ध में चीन को हराने के बाद इस क्षेत्र पर नियंत्रण स्थापित कर लिया। चीन को यह क्षेत्र रूस को देना पड़ा। इसके लिए दोनों देशों के बीच 1860 में एक संधि भी हुई थी। तब से यह शहर रूस के आधिपत्य में है लेकिन चीन ने इस संधि को मानने से इनकार कर दिया है।


2 घंटे 43 मिनट तक रहेगा चंद्र ग्रहण

श्रीराम उपाध्याय


नई दिल्ली। चंद्र ग्रहण ज्योतिष और खगोल शास्त्र दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण विषय है। बीते दिनों में 21 जून को सूर्य ग्रहण लगा था और अब 5 जुलाई को साल का तीसरा चंद्र ग्रहण लगा। जो कि एक उपच्छाया चंद्र ग्रहण था। लेकिन भारत के लोग इस ग्रहण को नहीं देख पाए।


ग्रहण का समय और सूतक काल: ये ग्रहण भारत में नहीं दिखाई दिया जिस वजह से इसका सूतक काल भी मान्य नहीं था। धार्मिक मान्यताओं अनुसार सूतक काल ग्रहण लगने से पहले की वो अवधि होती है जिसमें किसी भी तरह के शुभ कार्य नहीं किये जाते। ग्रहण की शुरुआत 5 जुलाई की सुबह 08:38 AM से हुई। इसका परमग्रास 09:59 AM पर और इसकी समाप्ति 11:21 AM पर। ग्रहण की कुल अवधि 02 घण्टे 43 मिनट की रही। अगला चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को लगेगा।


चंद्र ग्रहण और उपच्छाया चंद्र ग्रहण में अंतर: चन्द्रग्रहण उस घटना को कहते हैं जब चन्द्रमा और सूर्य के बीच में धरती आ जाती है जिससे चंद्रमा आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाता है। इससे चांद बिंब काला पड़ जाता है। आपको बता दें कि ग्रहण लगने से पहले चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करता है जिसे चंद्र मालिन्य कहते हैं और अंग्रेजी में इसको कहते हैं। इसके बाद चांद पृथ्वी की वास्तविक छाया भूभा में प्रवेश करता है। जब ऐसा होता है तब ही वास्तविक ग्रहण होता है। लेकिन कई बार चंद्रमा पृथ्वी की उपच्छाया में प्रवेश करके बिना भूभा में प्रवेश किए बिना ही बाहर निकल जाता है। इस स्थिति में चंद्रमा का बिंब केवल धुंधला पड़ता है, काला नहीं । इस धुंधलापन को सामान्य रूप से देखा भी नहीं जा सकता है। इसलिए चंद्र मालिन्य मात्र होने की वजह से ही इसे उपच्छाया चंद्र ग्रहण कहते हैं ना कि चंद्र ग्रहण।               


सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली  इकबाल अंसारी  रांची। झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन ने गुरुवार को शपथ ली। ...