रविवार, 5 जुलाई 2020

कोविड नियंत्रण के लिए विशेष अभियान

श्रावस्ती। कोविड-19 पर प्रभावी नियंत्रण हेतु सरकार के निर्देश पर आगामी 05 जुलाई से 15 जुलाई तक विशेष अभियान संचालित कर टीमों द्वारा घर-घर जाकर कोविड-19 के संभावित लाक्षाणिक व्यक्तियों की जाॅंच कर पहचान की जायेगी। संवेदीकरण करने के साथ-साथ कन्टेनमेन्ट जोन में एस.ए.आर.आई. के रोगियो का भी गहन सर्वेक्षण किया जायेगा। सर्वेक्षण के दौरान आई.एल.आई. एवं एस.ए.आर.आई. सहित अन्य गंभीर रोगों से ग्रसित व्यक्तियों को भी सूचीबद्व करने के साथ ही उनके इलाज हेतु आवश्यक कार्यवाही की जायगी। उक्त विचार कलेक्ट्रेट सभागार में कोविड-19 जिला स्तरीय टास्क फोर्स बैठक की अध्यक्षता करते हुए जिलाधिकारी सुश्री यशु रूस्तगी ने व्यक्त किया। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि इस महामारी से बचाव हेतु मास्क एवं सोशल डिस्टेन्सिंग महत्वपूर्ण कदम है ,इसलिए यह एहतिहात सभी जनपदवासी अनिवार्य रूप से अपनाये ताकि इस बीमारी के संक्रमण को और फैलने से रोका जा सके।


सर्वेक्षण कार्य में लगी टीमे भी खुद एहतिहात बरते तथा मास्क लगाने, सोशल डिस्टेसिंग अपनाने एवं बार-बार साबुन से हाथ धुलने हेतु लोगों को प्रेरित भी करें। जिलाधिकारी ने बताया है कि जिले कि सभी ग्राम पंचायतों, नगर पंचायत एवं नगरपालिका के अन्तंर्गत स्थित सभी घरों का हाऊस टू हाऊस सर्वे होगा इस सर्वे कार्य हेतु टीमों का गठन स्वास्थ्य विभाग द्वारा कर दिया गया है, सर्वेक्षण टीम में आशा और आंगन कार्यक्रत्री को शामिल किया गया है,जो घर-घर जाकर कोविड-19 रोग हेतु सर्वे करेगी और प्रपत्र/टेलीसीट पर भर कर प्रतिदिन अपनी रिपोर्ट सम्बन्धित चिकित्साधिकारी को देगी। सर्वे के दौरान इनके द्वारा भ्रमण किये गये घरों की संख्या, घर में कुल व्यक्यिों की संख्या, घर में लक्षण युक्त व्यक्तियों की संख्या एवं लम्बी बीमारी से ग्रसित व्यक्तियों की संख्या का पूरा ब्यौरा दर्ज किया जायेगा।जिलाधिकारी ने मुख्य चिकित्साधिकारी एवं जिला पंचायत राज अधिकारी को निर्देश दिया है कि आपस में समन्वय बनाकर कोविड़-19 के ग्रामीण/नगरीय क्षेत्र के सर्वे कर्ता टीम को प्लस आक्सीमीटर, थर्मामीटर माॅक्स एवं सेनेटाइजर की उपलब्धता सुनिश्चित करेगे तथा टीम को भी सर्वे के दौरान इस बीमारी से बचाव हेतु उन्हें भी सर्तकता बरतने हेतु सुरक्षा उपाय भी पहले से ही बता देगे ताकि सुरक्षित ढ़ंग से वे सर्वे कार्य को संपादित कर सकें। जिलाधिकारी ने कहा कि यह सर्वे वास्तविक एवं समग्र रूप में समयान्तर्गत पूर्ण कर लिया जाए ताकि हम सब कोविड-19 के संक्रमण पर प्रभावी नियंत्रण में कामयाब हो सकें।


इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी अवनीश राय, प्रभागीय वनाधिकारी ए0पी0यादव, मुख्य चिकित्साधिकारी डा0 ए0पी0भार्गव, अपर पुलिस अधीक्षक बी0सी0दूबे, मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डा0 राम गोपाल, जिला पंचायत राज अधिकारी किरन, जिला कृषि अधिकारी आर0पी0राना, जिला कार्यक्रम अधिकारी आशा सिंह, नेहरू युवा केन्द्र की जिला समन्वयक कोमलं, एस0एम0ओ0 डा0 प्रिया बंसल, सहित सभी प्रभारी चिकित्साधिकारीगण उपस्थित रहे।


रिपोर्ट मोहित गुप्ता 


कोरोना से जीतने वालो की संख्या 4 लाख

नई दिल्ली। देश में कोविड-19 संक्रमण से मुक्त होने वाले मरीजों की संख्या अब चार लाख के पार पहुंच गई है, जिससे रिकवरी दर 60.77 प्रतिशत हो गई है।


केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय ने रविवार को बताया कि देश में फिलहाल कोरोना संक्रमण के 2,44,814 सक्रिय मामले हैं और 4,09,082 कोरोना संक्रमित मरीज अब तक पूरी तरह ठीक हो चुके हैं, जिससे संक्रमण मुक्ति दर 60.77 प्रतिशत हो गयी है। पिछले 24 घंटे में 14,856 कोरोना संक्रमित रोगमुक्त हुए हैं। संक्रमण मुक्त मरीजों और सक्रिय मामलों का फासला बढ़कर अब 1,64, 268 हो गया है।


हालांकि, पिछले तीन दिन से देश में प्रतिदिन 20,000 से अधिक व्यक्ति कोरोना संक्रमण की चपेट में आ रहे हैं । कोरोना संक्रमितों की पहचान के लिए जांच सुविधा उपलब्ध कराने वाले लैब की संख्या भी लगातार बढ़कर 1,100 हो गयी है जिससे नमूना जांच की गति भी तेजी हुई है। देश में अब तक 97,89,066 नमूनों की जांच की जा चुकी है। देश में सर्वाधिक 85.9 प्रतिशत रिकवरी दर चंडीगढ़ की है। इसके बाद लद्दाख 82.2 प्रतिशत, उत्तराखंड 80.9 प्रतिशत, छत्तीसगढ़ 80.6 प्रतिशत, राजस्थान 80.1 प्रतिशत, मिजोरम 79.3प्रतिशत, त्रिपुरा 77.7 प्रतिशत, मध्यप्रदेश 76.9 प्रतिशत, झारखंड 74.3 प्रतिशत और बिहार की रिकवरी दर 74.2 प्रतिशत है।


राज्य में बिजली-पानी की सब्सिडी जारी

नई दिल्ली। दिल्ली सरकार ने फैसला लिया कि फ्री दी जाने वाली 200 यूनिट बिजली की सुविधा जारी रहेगी। दिल्ली सरकार के मुताबिक लॉकडाउन से जिस तरह सरकार की आमदनी कम हुई है, उसी तरह से आम जनता पर भी बोझ पड़ा है। यही कारण है बिजली वितरण कंपनियों की सब्सिडी पर होने वाले खर्च की भरपाई दिल्ली सरकार करेगी। इसी प्रकार पानी बिल पर मिलने वाली छूट भी बरकरार रहेगी।


दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने पानी के बिलों पर अगले तीन महीने तक रियायत देने का फैसला किया है। दिल्ली जल बोर्ड द्वारा दी जाने वाली यह रियायत 30 सितंबर 2020 तक लागू होगी। दिल्ली जल बोर्ड ने इस विषय पर एक आधिकारिक आदेश पारित किया है। दिल्ली सरकार के मुताबिक सरकार को मिलने वाले रेवेन्यू में भारी कमी आई है। बावजूद इसके राजधानी में पानी-बिजली पर सब्सिडी जारी रखी जाएगी। बसों में महिलाओं को मुफ्त यात्रा मिलती रहेगी। जिन योजनाओं को दिल्ली सरकार मंजूरी दे चुकी है, उन्हें भी चालू रखा जाएगा।


दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा, “पिछले साल पहली तिमाही यानी अप्रैल से जून के तीन महीनों में दिल्ली सरकार को टैक्स के रूप में सात हजार करोड़ रुपये मिले थे। लेकिन इस साल यह कम होकर 2,500 करोड़ रुपये ही रह गए हैं। टैक्स कलेक्शन कम जरूर है, लेकिन सब्सिडी जारी रखने की बड़ी वजह यह है कि आम दिल्लीवालों का जो पैसा बचेगा, वे उसे खर्च भी करेंगे।” बीते मंगलवार को दिल्ली जल बोर्ड ने एक आदेश जारी किया है। इसी आदेश पर दिल्ली जल बोर्ड के उपाध्यक्ष राघव चड्ढा ने कहा, “कोरोना महामारी के कारण पानी के बिल संबंधी छूट स्कीम को तीन महीने के लिए बढ़ाया जा रहा है। यह स्कीम 30 सितंबर 2020 तक बढ़ा दी गई है। लॉकडाउन के कारण जो व्यक्ति इस स्कीम का लाभ नहीं ले सके थे वह सभी लोग अब 30 सितंबर तक इस योजना का लाभ ले सकते हैं।”            


10 हजार बेड वाले सेंटर का उद्घाटन

अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। दिल्ली के उपराज्यपाल अनिल बैजल ने रविवार को दक्षिण दिल्ली में छत्तरपुर के राधा स्वामी सत्संग ब्यास परिसर में 10,000 बेड की क्षमता वाले सरदार पटेल कोविड-19 सेंटर का उद्घाटन किया। यह सुविधा लगभग 20 फुटबॉल मैदानों के आकार के क्षेत्र में फैली हुई है और प्रत्येक में 50 बेड के साथ 200 प्रांगण हैं।


भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) इस सुविधा को संचालित करने वाली नोडल एजेंसी है। आईटीबीपी के महानिदेशक सुरजीत सिंह देसवाल सेंटर के उद्घाटन के समय उपस्थित थे। सेंटर में हल्के लक्षणों वाले और जिन में कोरोना के लक्षण नहीं है उन मरीजों का इलाज होगा, बिना लक्षणों वाले कोरोना संक्रमित जो मरीज किसी कारणवश घर पर आइसोलेशन में नहीं रह सकते, उनका भी इलाज होगा। राधा स्वामी सत्संग ब्यास के स्वयंसेवक आईटीबीपी और दिल्ली सरकार को इस तरह की सुविधा के संचालन में मदद करेंगे। दिल्ली के मुख्य सचिव विजय कुमार देव ने शनिवार को केंद्र का दौरा किया था। एडिशनल डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (दक्षिण) अरुण गुप्ता ने आईएएनएस को बताया, “मरीजों का पहला समूह रविवार को केंद्र में आएगा।”

उपराज्यपाल ने इस अवसर पर एक सभा को संबोधित किया और सुविधा स्थापित करने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना की। बैजल ने कहा, “आईटीबीपी, दिल्ली प्रशासन, डेरा के अनुयायियों और अन्य अधिकारियों के संयुक्त प्रयासों के कारण ही इस बड़ी सुविधा की स्थापना संभव हो सकी है। यह निश्चित रूप से राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के समर्पित अस्पतालों में मरीजों की भीड़ को कम करने में मदद करेगी।”


हाल ही में, एनजीओ ‘एक प्रयास’ ने सुविधा के मरीजों के लिए सैनिटाइजेशन किट दान किए। डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट (दक्षिण) ने रिलायंस जियो से अनुरोध किया कि वह केंद्र में डेटा कनेक्टिविटी को बढ़ाकर इस प्रयास का समर्थन करे। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि दूरसंचार दिग्गज ने अनुरोध का सकारात्मक जवाब दिया है और कंपनी की एक टीम ने स्थिति का जायजा लेने के लिए केंद्र का दौरा किया था। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से रविवार को जारी आंकड़ों में कहा गया कि दिल्ली में 2,505 नए मामलों के साथ कोरोना के कुल मामले 97,200 हो चुके हैं। इनमें से 25,940 सक्रिय मामले हैं और 3,004 लोगों की मौत हो चुकी है।             


कुत्ते-घोड़ो की प्रजाति पर शोध करें

नितिन शर्मा


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैज्ञानिकों से कुत्तों और घोड़ों की स्वदेशी प्रजातियों पर अनुसंधान की आवश्यकता पर बल दिया है। मोदी ने शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कृषि अनुसंधान, विस्तार और शिक्षा (आईसीएआर) की प्रगति की समीक्षा के दौरान मवेशियों, भेड़ और बकरियों की नई प्रजातियों के विकास की समीक्षा भी की और कुत्तों एवं घोड़ों की स्वदेशी प्रजाति पर अनुसंधान पर जोर दिया।


उन्होंने पशुओं के पैरों और मुंह से संबंधित बीमारियों के लिए टीकाकरण पर एक केन्द्रित अभियान पर भी जोर दिया। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक एवं कृषि अनुसंधान एवं विस्तार विभाग में सचिव डॉ. त्रिलोचन महापात्रा ने प्राथमिकताओं, प्रदर्शन और विभिन्न चुनौतियों से निपटने की तैयारियों पर प्रस्तुतीकरण दिया। प्रधानमंत्री ने पोषण मूल्य को समझने के लिए घास और स्थानीय चारा फसलों पर अध्ययन की जरूरत पर जोर दिया।

उन्होंने पौष्टिक औषधीय पदार्थों के व्यावसायिक प्रयोग की संभावनाओं को खंगालने के अलावा मृदा स्वास्थ्य पर समुद्री खरपतवार नाशक के उपयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया है। मोदी ने कृषि उपकरणों की पहुंच आसान बनाने पर जोर देते हुए कहा कि खेत से बाजार तक के लिए ढुलाई सुविधाएं सुनिश्चित की जानी चाहिए। इस संबंध में कृषि, सहकारिता और किसान कल्याण विभाग ने ‘किसानरथ’ ऐप पेश किया है। प्रधानंमत्री ने क्लस्टर आधारित रणनीति पर जैविक और प्राकृतिक कृषि प्रक्रियाओं को अपनाने की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने कृषि एवं सहायक क्षेत्रों में नवाचार और तकनीक का उपयोग सुनिश्चित करने के लिए स्टार्टअप्स और कृषि उद्यमियों को प्रोत्साहित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने किसानों की मांग पर सूचना उपलब्ध कराने में सूचना प्रौद्योगिकी के उपयोग की आवश्यकता को रेखांकित किया। उन्होंने चिह्नित समस्या के समाधान और टूल्स तथा उपकरणों की डिजाइन संबंधी जरूरतों को पूरा करने के लिए वर्ष में दो बार हैकॉथन का आयोजन किए जाने का निर्देश देते हुए कहा कि इससे कृषि कामगारों में महिलाओं की बड़ी संख्या को देखते हुए खेती में काम के बोझ को कम किया जा सकता है।


उन्होंने सेहतमंद खुराक सुनिश्चित करने के लिए ज्वार, बाजरा, रागी और कई अन्य अनाज को शामिल करने के संबंध में जागरूकता फैलाने की जरूरत पर जोर दिया। गरम हवाओं, सूखा, ठंडी हवाओं, भारी बारिश के कारण बाढ़ जैसे जलवायु संबंधी संकट की वजह से भारी नुकसान होता है और कृषि आजीविका के लिए ये बड़ी चुनौती साबित होते हैं। ऐसे नुकसान से किसानों को बचाने के लिए एकीकृत कृषि प्रणालियां विकसित की गई हैं। किसानों द्वारा पीढ़ियों से पैदा की जा रही पारंपरिक किस्मों की सहनशीलता और अन्य गुणों की जांच की जा रही है। पानी के इस्तेमाल में दक्षता बढ़ाने के क्रम में प्रधानमंत्री ने जागरूकता और विस्तार कार्यक्रम कराए जाने की इच्छा प्रकट की।   


राज भवन में राष्ट्रपति से की मुलाकात

अकांशु उपाध्याय


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से राष्ट्रपति भवन में मुलाकात की। राष्ट्रपति भवन के सूत्रों ने बताया कि मोदी ने राष्ट्रपति को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय महत्व के हालिया मसलों से अवगत कराया।


लद्दाख की गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प के बाद मोदी ने लेह का दौरा किया था। समझा जाता है कि मोदी ने वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर दोनों देशों के बीच जारी तनावपूर्ण स्थिति पर भी राष्ट्रपति से चर्चा की। 


नहीं मिला इंसाफ तो हो जाएगा सफाया

अनिल मिश्रा


नई दिल्ली। किसी समुदाय को जब अपना अस्तित्व बचाना होता है तो वह उसके लिए शांत रहने का समय नहीं होता। कुछ इसी कारण से आज बुद्ध के अहिंसा-शांति के उपदेशों के रास्ते को छोड़कर आक्रमण की नीति अपनाने को मजबूर हो रहा बौद्ध समुदाय। मोक्ष की साधना आखिर शांतिमय वातावरण चाहती है। किंतु अपनी परंपरा, अपनी संस्कृति और समुदाय को बचाने के कई बार अन्य रास्ते भी तलाश करने पड़ते हैं। शायद इसी कारण लद्दाख के बौद्ध उग्र हो रहे हैं। उन्होंने चिंता जाहिर की है कि अब यदि इंसाफ नहीं मिला तो देश से बौद्धों का सफाया हो जाएगा और लद्दाख मुस्लिम देश हो जाएगा। 


दरअसल लद्दाख में बौद्ध लड़कियां लव जिहाद का शिकार बनाई जा रही हैं, ताकि लद्दाख को भी मुस्लिम बहुल क्षेत्र बनाया जा सके। एलबीए यानी लद्दाख बुद्धिस्ट एसोसिएशन का कहना है कि मुस्लिम नौजवान खुद को बौद्ध बताकर लड़कियों से जान पहचान बढ़ाते हैं और शादी कर लेते हैं। बाद में पता चलता है कि वह बौद्ध नहीं, बल्कि मुस्लिम है। लद्दाख में लेह और कारगिल दो जिले हैं और यहां की कुल आबादी 2,74,000 है। यहां मुस्लिमों की आबादी 49 फीसद है, जबकि बौद्धों की आबादी 51 फीसद है। एलबीए की आपत्ति इस बात पर है कि प्रशासन कथित तौर पर बौद्ध लड़की के धर्म परिवर्तन के मामले की अनदेखी कर रहा है।


वर्ष 1989 में यहां बौद्धों और मुस्लिमों के बीच हिंसा हुई थी। इसके बाद एलबीए ने मुस्लिमों का सामाजिक-आर्थिक बहिष्कार किया, जो 1992 में हटा लिया गया था। दरअसल जम्मू-कश्मीर के भारत में विलय के फैसले के ठीक बाद लद्दाख के बौद्ध, राज्य में शेख अब्दुल्ला और कश्मीर के प्रभुत्व का विरोध करने लगे। वर्ष 1947 के बाद कश्मीर के पहले बजट में लद्दाख के लिए कोई फंड निर्धारित नहीं किया गया।


वर्ष 1961 तक इस क्षेत्र के लिए अलग से कोई योजना नहीं बनाई गई थी। मई 1949 में एलबीए के अध्यक्ष चेवांग रिग्जिन ने तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू से कहा था कि लद्दाख का प्रशासन सीधे भारत सरकार के हाथों में हो या जम्मू के हिंदू बहुल इलाकों के साथ मिलाकर इसे अलग राज्य बना दिया जाना चाहिए। इस बीच लद्दाख पर पाकिस्तान की भी नजरें गड़ी रहीं और ये लव जिहाद पाकिस्तान की ही एक नीति का हिस्सा है, क्योंकि पाकिस्तान चाहता है कि लद्दाख में मुस्लिम आबादी में वृद्धि हो या किसी तरह से वहां के लोग मुस्लिम धर्म अपनाते जाएं, ताकि मुस्लिम धर्मावलंबियों का अधिक संख्या में होना उसके पक्ष में माहौल बनाने के काम आए।


वर्ष 2003 से अब तक यहां पर सौ से ज्यादा लड़कियों को लव जिहाद का शिकार बनाया गया और हमेशा की तरह दावा यही किया गया कि उन्होंने ऐसा अपनी इच्छा से किया है। जब केरल, बंगाल और उत्तर प्रदेश से लव जिहाद की खबरें आ रही हैं कि पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया के लोग हिंदू लड़कियों को लव जिहाद का शिकार बना रहे हैं, तब सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद यहां के एक खास मामले की जांच एनआइए को सौंपे जाने के बाद उसने अपनी जांच में इन आरोपों को सही पाया।


हालांकि इन घटनाओं पर पूर्व की भांति राजनीति होगी। शायद अल्पसंख्यक कौन होते हैं, कैसे होते हैं, यह बात इराक का यजीदी समुदाय और पाकिस्तान के हिंदू समुदाय से बेहतर कौन जान सकता है। लेकिन प्रकृति पूजक, बौद्ध तंत्र तथा बौद्ध मत को मानने वाला यह समुदाय है, जो न तो घृणा फैलाने में विश्वास रखते हैं और न ही हिंसा के समर्थक हैं, लेकिन कब तक मौन रहकर हिंसा और अत्याचार को ङोलते रह सकते हैं?              


सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली  इकबाल अंसारी  रांची। झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन ने गुरुवार को शपथ ली। ...