नई दिल्ली। चीन की कम्युनिस्ट पार्टी और उसकी सैन्य शाखा मोबाइल नेटवर्क और एप के जरिये एकत्र किये जा रहे भारतीयों के डाटा का इस्तेमाल हथियार के तौर पर कर रही हैं और इस खतरे से निपटने के लिए एक बहुउद्देशीय राष्ट्रीय सुरक्षा कानून बनाये जाने की जरूरत है।
विशेषज्ञों का यह भी मानना है कि सस्ते सामान और कम्युनिस्ट सरकार की सब्सिडी की नीति के कारण फल फूल रहे चीन के आर्थिक विस्तारवाद पर अंकुश लगाने की भी जरूरत है। चीन की इस नीति से अमेरिका और अनेक यूरोपीय देशों में औद्योगिकरण बुरी तरह प्रभावित हुआ है। वेबिनार में पूर्व दूरसंचार सचिव तथा नेसकॉम के पूर्व अध्यक्ष आर चंद्रशेखर , डाटा संप्रभुता के क्षेत्र में सक्रिय कार्यकर्ता विनित गोयंका और वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ जराबी ने अपने विचार व्यक्त किये।
वेबिनार का आयोजन ‘लॉ एंड सोसायटी एलायंस और रक्षा तथा सामरिक मामलों की पत्रिका डिफेंस कैपिटल ने किया था। विशेषज्ञों ने कहा कि चीन ने विभिन्न देशों से डाटा जमा कर अपनी वैश्चिक पैठ बना ली है और उस पर लगाम लगाने के लिए दीर्घावधि रणनीति बनाया जाना जरूरी है जो स्वदेशी प्रौद्योगिकी और विनिर्माण क्षमता को मजबूत बनाये।
इसके साथ ही इस खतरे से निपटने के लिए एक बहुउद्देशीय राष्ट्रीय कानून बनाये जाने की भी दरकार है। वेबिनार का आयोजन ऐसे समय में किया गया है जब भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में पिछले दो महीने से सैन्य गतिरोध जारी है और भारत ने चीन की 59 ऐप पर प्रतिबंध लगा दिया है तथा विभिन्न ढांचागत परियोजनाओं में चीनी कंपनियों की भागीदारी पर पाबंदी लगा दी गयी है।
चंद्रमौलेश्वर शिवांशु 'निर्भयपुत्र'