ग्वालियर। शहर में पहला संक्रमित मरीज 26 मार्च को चेतकपुरी निवासी मिला था। कोरोना की रफ्तार को रोकने के लिए लागू किए गए लॉकडाउन ने काफी हद तक कोरोना की रफ्तार पर ब्रेक लगा रखा था।
अनलॉक-1 व 2 के शुरू होते ही प्रशासन ने शहरवासियों को इसमें राहत दी। इसका लोगों ने फायदा उठाया और जमकर लापरवाही बरती। इस कारण कोरोना ने रफ्तार पकड़ ली। एक दिन में 25-25 कोरोना पॉजीटिव मरीज सामने आ रहे हैं। अब कोरोना सरकारी कार्यालयों के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ शहर के छोड़े-बड़े कारोबारियों तक जा पहुंचा है। अब तक 11 विभागों में कोरोना पॉजीटिव मरीज मिल चुके हैं। शहर में मार्च महीने के अंतिम सप्ताह में दस्तक देने वाला कोरोना संक्रमण लॉकडाउन के दौरान दूसरे रेड जोन वाले इलाकों से शहर में आने वाले लोगों तक ही सीमित था।
लेकिन अनलॉक-1 में प्रशासन ने शहरवासियों को छूृट दी। छूट के साथ मॉनीटरिंग में बरती गई लापरवाी प्रशासन के लिए मुसिबत बन गई। अब कोरोना का डंक दूसरे शहरों से आने वाले कोरोना कैरियर्स तक ही सीमित नहीं होकर सरकारी कार्यालयों के अधिकारियों और कर्मचारियों के साथ शहर के छोड़े-बड़े कारोबारियों तक जा पहुंचा है। कोरोना की रफ्तार का आलम यह है कि कोरोना का डंक घरों से बाहर नहीं निकलने वाली महिलाओं, बुजुर्गों व बच्चों तक को शिकार बना रहा है। अब तक नगर निगम, पुलिस, एसएएफ, बीएसएफ, एयरफोर्स, टीचर, वन विभाग, डॉक्टर, डाकघर, बैंक और स्मार्ट सिटी के ऑफिस में कोरोना पॉजीटिव मरीज मिल चुके हैं।
नियमों का पालन नहीं करना पड़ा भारी
कोरोना संक्रमितों की संख्या में एकाएक बढ़ोत्तरी होने का कारण कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए बनाए गए नियमों की अवेहना करना ही लोगों को भारी पड़ता दिख रहा है। शहर में 80 फीसदी शहरवासी न तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कर रहे हैं और न ही कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए चेहरे पर मास्क लगा रहे हैं। नियमों की अवहेलना करना ही शहरवासियों को भारी पड़ रहा है। जिसके चलते रोजाना ही संक्रमित मरीज सामने आ रहे हैं।
सरकारी विभागों में फैल गया है सनसनी का माहौल
दरअसल ग्वालियर चंबल संभाग में जितने भी सरकारी ऑफिस है। वहां पर पिछले कई समय से विविन पत्रकार संस्थाओं के द्वारा लगातार साफ सफाई स्वच्छता को लेकर खबरें छापी जाती थी। जिसमें दिखाया जाता था कि वास्तव में ग्वालियर के जितने भी सरकारी विभाग है। वहां पर साफ सफाई का नितांत अभाव रहता है। वहां पर जो बाथरूम है वह बेहद गंदे रहते हैं और वहां पर अधिकारी वर्ग वास्तव में किसी भी प्रकार की स्वच्छता के लिए ध्यान नहीं देते थे। जब अखबार समाचार पत्रों और विभिन्न वेबसाइटों के द्वारा इस विषय पर लेख लिखे गए इस विषय पर कई बार अधिकारियों को जागरूक करने का प्रयास किया गया। फिर भी ग्वालियर चंबल संभाग के अधिकारी वर्ग इस विषय पर जागरूक ना हुए उन्होंने अपनी मुद्रा को जारी रखा और आज इसी का परिणाम है कि ग्वालियर चंबल संभाग में सरकारी विभागों में तेजी से फैल रहा है। क्योंकि वहां पर साफ सफाई बिल्कुल नहीं रहती है और किसी भी प्रकार की सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान नहीं रखा जाता है। अधिकारी सिर्फ और सिर्फ अपने विषय में सोचते हैं और कर्मचारी अधिकारियों के सामने घुटने टेकने पर मजबूर हो जाते हैं। इस प्रकार से वाली चंबल संभाग वास्तव में गहरी गफलत में चला जा रहा है।