गुरुवार, 2 जुलाई 2020

एमपी में 28 मंत्रियों को दिलाई शपथ








































भौपाल। सत्ता में आने के करीब 100 दिन बाद आज गुरुवार को शिवराज मंत्रिमंडल विस्तार (Shivraj Cabinet Expansion) हो गया है। एमपी की प्रभारी राज्यपाल आनंदी बेन पटेल (In-charge Governor Anandi Ben Patel) सिंधिया समर्थकों और भाजपा नेताओं को मंत्रीपद और गोपनीयता की शपथ दिलाई है। सबसे भाजपा के वरिष्ठ विधायक  गोपाल भार्गव ने कैबिनेट मंत्री की शपथ ली और फिर विजय शाह, जगदीश देवड़ा, बिसाहूलाल सिंह, यशोधरा राजे सिंधिया, भूपेंद्र सिंह एंदल सिंह कंसाना और बृजेंद्र प्रताप सिंह कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ली। विश्वास सारंग, इमरती देवी, प्रभुराम चौधरी, प्रद्युम्न सिंह तोमर, ओम प्रकाश सकलेचा, उषा ठाकुर और अरविंद सिंह भदौरिया ने कैबिनेट मंत्री पद की शपथ ले चुके हैं। वही भरत सिंह कुशवाह ,इंदर सिंह परमार ,रामखिलावन पटेल , रामकिशोर कांवरे, बृजेंद्र सिंह यादव , गिरिराज डिंडौतिया, सुरेश धाकड़ और ओपी भदौरिया ने राज्यमंत्री की शपथ ली। इसके बाद शपथ ग्रहण समारोह समाप्त हुआ। कुल 28मंत्रियों को शपथ दिलाई और पांच मंत्री पहले ही कैबिनेट में शामिल है, ऐसे मेंकुल मंत्रियों की संख्या अब 33 हो गई है । शपथ के बाद मंत्रियों में एक दूसरे को बधाई देने का सिलसिला शुरु हो गया है।अब इन 28 मंत्रियों में विभागों का बंटवारा किया जाएगा।इसमें देखना दिलचस्प होगा की सिंधिया समर्थकों और भाजपा के मंत्रियों को कौन कौन सा विभाग मिलता है।खास बात ये है कि देशभर की निगाहें इस मंत्रिमंडल पर टिकी हुई थी और विभागों के बंटवारे को लेकर सबको इंतजार है।
कार्यक्रम से पहले शिवराज ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को 20 कैबिनेट और 8 राज्यमंत्रियों की लिस्ट सौंपी। बताया जा रहा है कि पुराने चेहरों में पारस जैन, गौरीशंकर बिसेन, रामपाल सिंह, राजेंद्र शुक्ला, संजय पाठक, जालम सिंह पटेल और सुरेंद्र पटवा को लेकर सहमति नहीं बनी। लिहाजा इनके नामों पर देर रात तक असमंजस बरकरार रहा।देर रात तक चले मान मनौव्वल के दौर में प्रदेश प्रभारी विनय सहस्रबुद्धे ने पार्टी के सीनियर विधायकों से वन टू वन चर्चा की और फोन पर बात कर मनाने और समझाने की कोशिश की।
बताया जा रहा है कि पार्टी सीनियर विधायकों को घर बैठाने में सफल साबित हुई है। मंत्रिमंडल में अब नए चेहरों और खासतौर से सिंधिया समर्थकों को मौका दिया जा रहा है।पुराने चेहरों में पारस जैन, गौरीशंकर बिसेन, रामपाल सिंह, राजेंद्र शुक्ला, संजय पाठक, जालम सिंह पटेल और सुरेंद्र पटवा को लेकर सहमति नहीं बनी। लिहाजा इनके नामों पर देर रात तक असमंजस बरकरार रहा।
इन विधायकों के बंगलों पर पसरा सन्नाटा
इधर बीजेपी में पूर्व मंत्री गौरीशंकर बिसेन और रामपाल सिंह को अंतिम क्षणों तक मंत्री पद को लेकर उम्मीद कायम थी। किंतु अचानक से कैबिनेट में जगह नहीं मिल पाने पर उनके अंदर हताशा और निराशा छा गई है। जहां एक तरफ नवनियुक्त मंत्रियों के घर पर भीड़ इकट्ठा दिखाई दे रही है। वही दूसरी तरफ पूर्व मंत्रियों के घर पर सन्नाटा पसरा हुआ है। हालांकि उनका कहना है कि वह पार्टी के साथ हैं लेकिन यह स्पष्ट है कि चीज है जिस तरह दिखाई दे रही है, उस तरह नहीं है।

कैबिनेट मंत्री

– गोपाल भार्गव

– विजय शाह

– जगदीश देवड़ा

– बिसाहू लाल सिंह

– यशोधरा राजे सिंधिया

– भूपेंद्र सिंह

– एदल सिंह कंषाना

– बृजेंद्र प्रताप सिंह

– विश्वास सारंग

– इमरती देवी

– प्रभुराम चौधरी

– महेंद्र सिंह सिसौदिया(संजू भैया)

– प्रद्युमन सिंह तोमर

– प्रेम सिंह पटेल

– ओमप्रकाश सकलेचा

– उषा ठाकुर

– अरविंद भदौरिया

– डॉ. मोहन यादव

– हरदीप सिंह डंग

– राजवर्धन सिंह प्रेमसिंह दत्तीगांव

राज्यमंत्री

– भरत सिंह कुशवाह

– इंदर सिंह परमार

– रामलेखावन पटेल

– राम किशोर कांवरे

– बृजेंद्र सिंह यादव

– गिर्राज दंडौतिया

 

 



 



 















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नेपाली पीएम ले सकते हैं बड़ा फैसला





















काठमांडू। नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली आज देश को संबोधित कर सकते है। देश को संबोधित करने से पहले राष्ट्रपति से मिलेंगे प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली। मुलाकात के दौरान कोई बड़ा फैसला हो सकता है। हाल ही में कम्युनिस्ट पार्टी के दूसरे अध्यक्ष पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’ सहित वरिष्ठ नेताओं ने ओली से इस्तीफा मांगा था। नेपाली प्रधानमंत्री ओली पर चीन के इशारे पर चलने और अपने देश में भारत विरोधी भावनाओं को हवा देने का भी आरोप लगा है। स्टैंडिंग कमिटी के एक सदस्य के मुताबिक, दहल, माधव कुमार नेपाल, झालानाथ खनल और बामदेव गौतम ने मंगलवार को ओली सरकार को नाकाम करार दिया और पद छोड़ने की मांग की। इतना ही नहीं ओली से प्रधानमंत्री के साथ-साथ पार्टी अध्यक्ष का पद भी छोड़ने को कह दिया गया है। गौरतलब है कि केपी शर्मा ओली की सरकार विवादों में घिर रही है।कुशासन, भ्रष्टाचार और अब कोविड-19 को लेकर नाकामी को लेकर ओली जनता और विपक्ष के साथ ही पार्टी के दूसरे नेताओं के निशाने पर रहे हैं।ओली ने भारतीय इलाकों को शामिल करते हुए देश का नया नक्शा जारी किया। उन्होंने राष्ट्रवाद के सहारे अपने खिलाफ उठती आवाजों को दबाने का प्रयास किया, लेकिन माना जा रहा है कि वह अपनी कुर्सी नहीं बचा पाएंगे।



















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यूजीसी जारी कर सकता है गाइडलाइन

 विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) अंतिम वर्ष की परीक्षा और शैक्षणिक कैलेंडर के बारे में जल्द ही जारी कर सकता हैं संशोधित दिशा-निर्देश। समाचार एजेंसी पीटीआई ने 24 जून को बताया था कि उच्च शिक्षा नियामक द्वारा एक सप्ताह के अंदर ही संशोधित दिशानिर्देशों की घोषणा की जा सकती है।

नई दिल्ली। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) अंतिम वर्ष की परीक्षा और शैक्षणिक कैलेंडर के बारे में जल्द ही संशोधित दिशानिर्देशों को जारी कर सकता है। दरअसल, समाचार एजेंसी पीटीआई ने 24 जून को बताया था कि उच्च शिक्षा नियामक द्वारा एक सप्ताह के अंदर ही संशोधित दिशानिर्देशों की घोषणा की जा सकती है। रिपोर्ट्स में अधिकारियों के हवाले से कहा गया था कि विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षा संस्थानों में अंतिम वर्ष के छात्रों के लिए परीक्षा जो जुलाई में आयोजित की जानी थी, उन्हें COVID-19 मामलों में बढ़ोतरी को देखते हुए रद्द करने और नए सत्र को अक्टूबर तक टालने की संभावना है।

मानव संसाधन विकास मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने 24 जून को विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) से अप्रैल में जारी की गई यूनिवर्सिटी के सेमेस्टर एग्जाम और अकेडमिक कैलेंडर पर अपने दिशानिर्देशों को संशोधित करने के लिए कहा था। मंत्री ने अपने ट्वीट में लिखा था, "मैंने UGC को इंटरमीडिएट और टर्मिनल सेमेस्टर परीक्षाओं और शैक्षणिक कैलेंडर के लिए पहले जारी हो चुकी गाइडलाइन्स को फिर से जारी करने की सलाह दी है।

संशोधित गाइडलाइन्स की नींव छात्रों, शिक्षकों और कर्मचारियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा को ध्यान में रखकर बनाई जाएंगी। वहीं, इस बीच महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और हरियाणा ने सभी विश्वविद्यालय के छात्रों के लिए परीक्षा रद्द करने का फैसला किया है। इन राज्यों में छात्रों को उनके पिछले प्रदर्शन के आधार पर पास किया जाएगा। अधिकारी ने ये भी जानकारी दी थी कि पिछले प्रदर्शन के आधार पर मिले अंकों से जो छात्र संतुष्ट नहीं होंगे, तो उन्हें बाद में स्थिति सामान्य होने के बाद परीक्षा में बैठकर अपने स्कोर को बेहतर करने का मौका दिया जाएगा। अधिकारी ने मिली जानकारी के मुताबिक, "इसी तरह नए शैक्षणिक सत्र की शुरुआत, जो पहले से रजिस्टर स्टूडेंट्स के लिए अगस्त में और फ्रेशर्स के लिए सितंबर के महीने में होने वाली थी, उसके अब अक्टूबर तक स्थगित होने की संभावना है। इस मामले पर विचार-विमर्श जारी है और अंतिम दिशा-निर्देश जल्द ही घोषित किए जाएंगे. हालांकि, दिशानिर्देश को कोविड-19 स्थिति की समीक्षा के आधार पर जारी किया जाएगा। "बता दें कि देशभर में कोरोनावायरस महामारी के चलते सभी स्कूल और शैक्षणिक संस्थान मार्च के महीने से ही बंद हैं। वहीं, हाल ही में गृह मंत्रालय की तरफ से जारी हुई अनलॉक 2 की गाइडलाइन्स में सभी स्कूल, क़ॉलेज और संस्थान को 31 जुलाई तक बंद रखने के आदेश दिए गए हैं।

434 लोगों की मौत, 19,148 संक्रमित

 नई दिल्ली। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस से हाहाकार मचा हुआ है। भारत भी कोविड-19 से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इस महामारी का संकट भारत में हर दिन बढ़ता जा रहा है। केन्द्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी आंकड़ों के मुताबिक कोरोना संक्रमण के 19,148 नये मामलों के साथ कुल संक्रमितों की संख्या बढ़कर 6,04,641 हो गई है। पिछले 24 घंटों के दौरान इस संक्रमण से 434 लोगों की मौत हुई है, जिससे मृतकों की संख्या बढ़कर 17,834 हो गई है। इसी अवधि में 11,881 रोगी संक्रमणमुक्त हुए हैं, जिन्हें मिलाकर अब तक कुल 3,59,860 मरीज रोगमुक्त हो चुके हैं। देश में अभी कोरोना संक्रमण के 2,26,947 सक्रिय मामले हैं।


गूगल का सर्वर डाउन, हुई दिक्कत

नई दिल्ली। गूगल का सर्वर डाउन होने से भारत के करोड़ों यूजर्स को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। यूजर्स ने इसके लिए बकायदा हैशटैग चलाकर अपनी दिक्कत साझा की।



भारत में Google की कई सर्विसेज के सर्वर डाउन होने से भारतीय यूजर्स को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। Google सर्वर डाउन होने के बाद यूजर्स ने #Gmaildown हैशटैग चलाकर अपनी दिक्कत पोस्ट की। गूगल यूजर्स का ये हैशटैग देखते ही देखते सोशल मीडिया साइट ट्विटर पर टाप ट्रेंड करने लगा। यूजर्स के मुताबिक गूगल की कई सर्विसेज जैसे जीमेल, प्ले स्टोर और गूगल क्लाउड को एक्सेस करने में यूजर्स को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा।



यूजर्स के मुताबिक जो भी लोग एयरटेल ब्राडबैंड इस्तेमाल कर रहे थे उनको गूगल सर्वर ने खूब रुलाया। जानकारी के मुताबिक भारत के साथ साथ कई अन्य देशों में भी गूगल सर्वर डाउन रहा। इसके चलते कई देशों के यूजर्स घंटो परेशान रहे। हालांकि, गूगल की तरफ से अभी तक सर्वर डाउन होने की वजह को लेकर कोई खुलासा नहीं किया गया है।


सैनिकों की मौत छिपाई, चीन में गुस्सा

खतरे में जिनपिंग सरकार? सैनिकों की मौत छिपाने से चीन में गुस्सा, सेना में बगावत मुमकिन



लद्दाख। गलवन घाटी में भारतीय सैनिकों के साथ उलझना चीन की कम्युनिस्ट सरकार के लिए बहुत भारी पड़ रहा है। जिनपिंग सरकार ने गलवान में 40 से ज्यादा सैनिकों की मौत को छिपाया जिससे पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) के पूर्व दिग्गजों और मौजूदा जवानों के बीच इस कदर नाराजगी बढ़ती जा रही है कि वो कभी भी सरकार के खिलाफ सशस्त्र विद्रोह कर सकते हैं। वाशिंगटन पोस्ट के ओपिनियन में चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी) के एक पूर्व नेता के पुत्र और चीन के लिए सिटीजन पावर इनिशिएटिव के अध्यक्ष जियानली यांग ने इसका खुलासा किया। जियानली ने लिखा कि लंबे समय से पीएलए चीन की सत्ता का मुख्य हिस्सा रहा है। अगर देश की सेवा में कार्यरत पीएलए कैडर की भावनाएं आहत होती हैं तो ये रिटायर सैनिकों के साथ मिलकर देश की सरकार के खिलाफ मोर्चाबंदी करेगा।


वाशिंगटन पोस्ट में प्रकाशित लेख में कहा गया है कि बीजिंग को डर है कि अगर वह यह मान लेता है कि भारत से ज्यादा उसके अपने सैनिक मारे गए थे तो देश में अशांति फैल सकती है और सीसीपी की सत्ता भी दांव पर लग सकती है। यांग ने लिखा है, ‘सीसीपी की सरकार के लिए पीएलए ने अब तक एक मजबूत स्तंभ की तरह काम किया है। अगर पीएलए के मौजूदा सैनिकों की भावनाएं आहत होती हैं और वे लाखों दिग्गजों (इनमें पीएलए के वो सदस्य शामिल हैं जो शी से नाराज हैं..जिनमें पीएलए को व्यवसायिक गतिविधियों से अलग करने की शी की मुहिम के विरोधी हैं) के साथ आ जाते हैं तो शी के नेतृत्व को मजबूती के साथ चुनौती दे सकते हैं।’


उन्होंने कहा कि चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजियान से जब पूछा गया कि इस झड़प में कितने सैनिक मारे गए तो उन्होंने साफ कह दिया कि इस बारे में उनके पास कोई जानकारी ही नहीं ही। अगले दिन जब उनसे भारतीय मीडिया की खबरों का हवाला दिया, जिसमें चीन के 40 से ज्यादा सैनिकों के मारे जाने की बात थी तो उन्होंने इसे गलत सूचना करार दे दिया।


फारुख खान



सड़क जैसी सुविधा से वंचित लोग

हमीरपुर। वर्तमान समय में भी ऐसे क्षेत्र हैं जो अब भी सड़क सुविधा से वंचित हैं। इनमें से एक ऐसी ही बस्ती है पुखरू। जो कि रक्कड़ तहसील की ग्राम पंचायत कुड़ना-सलेटी के अंतर्गत आती है। स्थानीय ग्रामीणों की मानें तो उनकी बस्ती को आज तक सड़क सुविधा नसीब नहीं हो पाई है।
गौरतलब है कि सड़क मार्ग बनने से पुखरू बस्ती मुख्य सड़क सुविधा से जुड़ जायेगी और इससे सभी स्थानीय निवासी लाभान्वित होंगे। वहीं जानकारी के मुताबिक उक्त बस्ती के लिए जहां से सड़क का निर्माण किया जाना है, वहां वन विभाग की भूमि भी है। हालांकि ग्रामीणों की मानें तो ग्रामसभा में सड़क निर्माण सम्बंधी प्रस्ताव भी डाला गया और माननीय प्रदेश उद्योगमंत्री बिक्रम सिंह ठाकुर को भी उक्त समस्या से अवगत करवाया गया, लेकिन उक्त सड़क का निर्माण कार्य कागजों में ही सिमट कर रह गया। हालात यह हैं कि स्थानीय निवासियों को आज भी पैदल दूरी तय करनी पड़ती है। वहीं सबसे अधिक परेशानी तब होती है जब कोई बीमार होता है या फिर मकान इत्यादि बनाने का सामान लाना पड़ता है। बहरहाल, स्थानीय निवासियों में विनोद कुमार, मुकेश राणा, जुल्फी राम, सुखदेव सिंह, नरेश कुमार, रणजीत सिंह, बलदेव सिंह, कमलेश कुमारी, रसालो देवी, माया देवी, सुनीता व प्रियंका आदि ने प्रशासन व प्रदेश सरकार से उनके गांव को सड़क सुविधा उपलब्ध करवाने की गुहार लगाई है।


क्या कहते हैं पंचायत प्रतिनिधि-
इस बारे कुड़ना-सलेटी पंचायत के प्रधान पूर्ण चन्द ने बताया कि उक्त बस्ती के लिए सड़क निर्माण सम्बंधी ग्रामसभा में प्रस्ताव डाला गया था, लेकिन अभी तक मार्ग को स्वीकृति नहीं मिल पाई है, वहीं उन्होंने कहा कि पुखरू बस्ती के लिए सड़क का निर्माण किया जाना आवश्यक है, क्योंकि सड़क सुविधा न होने से स्थानीय निवासियों को परेशानी का सामना करना पड़ता है।


मनोज सिंह ठाकुर


'सीएम' शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दिया

'सीएम' शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दिया  कविता गर्ग  मुंबई। राजभवन पहुंचे मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने राज्यपाल सीपी राधा कृष्णन से मु...