मंडी। हिमाचल प्रदेश के सीएम जय रामठाकुर आज अपने गृह जिला मंड़ी में पहुंचे हुए है। इस दौराना उन्होंने विपाशा सदन मंडी में जिले के अधिकारियों से बैठक कर विकास कार्यों की प्रगति की समीक्षा करेंगे। इसके बाद उनके अन्य कार्यक्रम भी हैं। सीएम दोपहर बाद मनाली का दौरा करेंगे।मनाली में बीआरओ अधिकारियों के साथ महत्वपूर्ण बैठक भी करेंगे, इसमें रोहतांग सुरंग के कार्य को लेकर चर्चा की जाएगी। अगस्त में सुरंग देश को समर्पित करने की तैयारी है।
गुरुवार, 2 जुलाई 2020
75 वर्षीय बुजुर्ग महिला से दुष्कर्म
नाहन। संगड़ाह उपमंडल के नौहराधार इलाके में 75 वर्षीय बुजुर्ग महिला से दुष्कर्म (Rape) का मामला सामने आया है। मामला 30 जून की रात का है। इस मामले में पीड़िता की बहू ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। मामले में पुलिस ने व्यक्ति के खिलाफ मामला दर्ज कर कार्रवाई शुरू कर दी है। पीड़िता की बहू (Daughter-in-law) के अनुसार रात उसे करीब 12 बजे सास के चीखने की आवाज सुनाई दी। उसने अपने पति को जगाया और बाहर आए तो देखा कि सास के कमरे का दरवाजा बाहर से बंद था और आरोपी मौके से फरार हो चुका था। जब उन्होंने दरवाजा खोलकर अंदर जाकर देखा तो बुजुर्ग महिला डरी हुई थी और उसके कपड़े फटे हुए थे। वह कुछ बोल नहीं पा रही थे।.वारदात से सहमी पीड़िता ने सिर्फ इतना बताया कि मनीष ने उसके साथ गलत काम किया है। इसके बाद महिला का मेडिकल कराया गया। मेडिकल रिपोर्ट जांच के लिए भेजी जा रही है। संगड़ाह पुलिस थाना प्रभारी जीतराम भारद्वाज ने मामले की पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया जा चुका है। पुलिस मामले की तफ्तीश में जुटी है।
राकेश शर्मा
दलालों के सामने शासन-प्रशासन लाचार
गाजीपुर। जनपद लखीमपुर-खीरी में तीन ठग अपनी दलाली की दुकान चलाने के लिए एक महिला पत्रकार का मनोबल तोड़ने के लिए अपनी नामर्दी का सुबूत दे रहे हैं। जिसमें एक व्यक्ति अपने नाम के आगे डाक्टर लिखता है। खोजी पत्रकार लिखता है जो डाक्टर के नाम का दुरूपयोग कर घर पर झोला छाप डाक्टरी कर एक दो मरीज भी देख लेता है। दोषी को फौरन सजा दी जाए गिरफ्तार कर जेल तत्काल भेजा जाय। सच में उस दरिन्दा को महिलाओं के व्यक्तिगत जिंदगी में घुसकर उनकी जान जोखिम में डालने के लिए समाज में उन्हें कहीं का ना, रखने के लिए पोस्टर वायरल कराता है। घटिया काम करने वाला अपने नाम के आगे वरिष्ठ पत्रकार लिखता है। नाम है अखलाक अहमद खां,जो न वरिष्ठ है न खोजी हैं न डॉक्टर हैं न ही पत्रकार हैं सूचना विभाग में कोई जानता तक नहीं इनको जो भड़काने में लगे हैं। इनके चेले सियाराम गौड़ जो राइटर लिखते हैं। जिन्हें दूसरो की बहन बेटी की व्यक्तिगत जिंदगी पर गंदी गंदी बातें लिखना अपमानित करना महिलाओं को झुकाना समाज में कहीं का ना रखना इतना गंदा लिखना कि कोई इनकी ओछी मानसिकता से पता लगा सकता है कि ये लोग बहन बेटीयो का सौदा करने वाले हैं इतना गंदा लिखने के बाद इन्हें शर्म नहीं आती है। अपने नाम के आगे राइटर लिखते हैं। उल्टा सीधा लिखना दाम पैदा करना और इनके बारे में अगर कोई सच लिखें तो बौखला जाते है। तीसरे महाश्य हैं। सुनील पांडे वह हर खबर को झूठी पोस्ट वायरल करना, फोन वार्ता पर पत्रकार को अनपढ़ निर्दोष लोगों को फंसाना, आप चाहे तो तीनों फर्जी पत्रकार से पत्रकारिता का सबूत मांगे, अगर नहीं हैं तो सोशल मीडिया पर न्यूज़ ग्रुपों में अपनी व्यक्तिगत भड़ास निकालने के लिए किसी महिला पत्रकार के चरित्र पर उंगली उठा कर ग्रुप में अभद्र चीजे वायरल करना ग्रुप में व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए इस तरह का कुकृत्य करना ग्रुप एडमिनओं को इस ओर ध्यान देना चाहिए। फिर वही कहना पड़ता है अगर यह मर्द होते तो किसी मर्द पर इस तरह से लगातार अपमान करते तो, वह मिनट में इनको गिरा गिरा कर पीट पीटकर कुत्ता बना देता, क्योंकि नारी कमजोर होती है जिसका फायदा उठाकर यह तथाकथित पत्रकार के नाम पर दलाली करने वाले सिर्फ विरोधियों से मिलते हैं इनका बस चले तो यह अपनी बेटी का सौदा करते, दाम के खातिर जबकि इनके विरुद्ध आईटी एक्ट में मुकदमा 0705/2020 धारा 506,67 दिनांक 19.06.2020 दर्ज है। उसके बाद ग्रुप में खबर वायरल करना इनकी हिम्मत की दाद देनी होगी लोग कहते हैं इंसान से लड़ सकते हो नीच से नहीं। इन लोगों ने नीचता की सारी हदें पार कर ली है। जो एक नारी के व्यक्तिगत जीवन पर कटाक्ष कर उसके जीवन को अंधेरे में ढकेले उससे बड़ा कोई गंदा काम नहीं है। लगातार महिला से अभद्रता प्रकरण पर खबरें प्रकाशित हो रही हैं। सरेआम पत्रकार का अपमान होता है। सूत्र बताते है पर सूबे की योगी सरकार व जिला प्रशासन महिला पत्रकार पर हो रहे जुर्म को देख और जानकर अनजान बना हुआ है। जिससे साफ जाहिर होता है कि इन तीनो दलालो के आगे सरकार क्यो बेबस नजर आ रही है। जिससे अखलाक अहमद खां, सियाराम गौड़, सुनील पांडे के हौसले बुलंद है। जब एक महिला पत्रकार इस जिले में भ्रष्टाचार की आवाज़ उठाएं तो उसके स्वर दबाने के लिए यह तीन दलाल लगा दिए जाते हैं। तो अन्य पीड़ितों का क्या होगा जो पत्रकारों के पास न्याय मांगने आते हैं।
3 महीने से नहीं मिला वेतन, हलकान
मार्च से जून तक का वेतन नहीं मिलने से निगम-कर्मचारी हलकान
नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के हालात और बदतर हो गए हैं। कर्मचारियों का चार महीने का वेतन नहीं मिल पाने की वजह से कर्मियों में आंदोलन का मूड जोर पकड़ता जा रहा है। शिक्षकों और पेंशनर्स के मामले में कोर्ट से फटकार पड़ने के बाद भी निगम अधिकारियों ने कोई प्रयास शुरू नहीं किये हैं। अब हालात यह हैं कि डॉक्टर्स की सेलरी नहीं मिलने की वजह से नगर निगम के आला अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो सकती है। उत्तरी दिल्ली नगर निगम के सी एवं डी श्रेणी के कर्मचारियों और डॉक्टर्स को मार्च तक का ही वेतन दिया गया है। इसके चलते निगम के डॉक्टर्स की तीन महीने की सेलरी बकाया है। जबकि बाकी ए व बी श्रेणी के अधिकारियों को पिछले 4 महीनों से वेतन नहीं दिया गया है। खास बात है कि सेलरी मिलने में हो रही देरी हर महीने और ज्यादा बढ़ती जा रही है। वेतन मिलने में हो रही लगातार देरी की वजह से निगमकर्मी आंदोलन के मूड में आ गए हैं। कर्मचारियों की अलग अलग एसोसिएशनें विरोध-प्रदर्शन की भूमिका बनाने में जुट गई हैं। बुधवार को निगम कर्मियों के कुछ संगठनों से जुड़े कर्मचारियों ने वेतन की मांग को लेकर महापौर जय प्रकाश से मुलाकात की। हालांकि जय प्रकाश ने भरोसा दिलाया है कि जल्दी ही समस्या का समाधान निकाल लिया जाएगा। कानूनी कार्रवाई की तैयारी में एमसीडीए
सेलरी न मिलने से परेशान उत्तरी दिल्ली नगर निगम के डॉक्टर्स की एसोसिएशन भी आक्रामक मुद्रा में आ गई है। म्यूनिसिपल कॉरपोरेशन डॉक्टर्स एसोसिएशन (एमसीडीए) ने मामले के कानूनी पहलुओं पर विचार करना शुरू कर दिया है। मोदी सरकार ने कोरोना को महामारी घोषित कर दिया है। इसमें डॉक्टर्स को लेकर कुछ विशेष दिशानिर्देश जारी किये गए हैं। इनमें सबसे बड़ी बात डॉक्टर्स को समय पर सेलरी देने की है। एसोसिएशन के एक पदाधिकारी ने बताया कि जल्दी ही हम इस मामले में कानूनी कदम उठाएंगे।
केंद्र सरकार की ओर से जारी दिशानिर्देशों की अवहेलना पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कानूनी कार्रवाई करने की बात भी कही गई है। ऐसे में यदि सेलरी का मामला ज्यादा लंबा खिंचता है तो निगम का स्वास्थ्य विभाग संभालने वाले अतिरिक्त आयुक्त भी कानूनी कार्रवाई के दायरे में आ सकते हैं।
कोर्ट ने नगर निगम को लगाई फटकार
कोर्ट ने नगर निगम के टीचर्स और पेंशनर्स को लेकर पहले ही उत्तरी दिल्ली नगर निगम को लताड़ लगाई है। निगम की ओर से कोर्ट में पेश वकील ने कहा था कि कोरोना की ड्यूटी पर लगे 5 हजार टीचर्स को सेलरी दे दी गई है। तब कोर्ट ने कहा था कि बाकी के टीचर्स ने क्या गुनाह किया है कि उन्हें सेलरी नहीं दी गई? बता दें के उत्तरी दिल्ली नगर निगम के करीब 9 हजार टीचर्स और करीब 24 हजार पेंशनर्स की सेलरी का मामला दिल्ली हाईकोर्ट पहुंचा था।
फिलहाल अतिरिक्त आयुक्त का कार्यभार रश्मि सिंह के पास है।
सीएमओ को गुलदस्ता देकर किया सम्मान
पुलिस ने चलाया सघन चेकिंग अभियान
पत्रकार संघ की बैठक, लिए कई निर्णय
'सीएम' शिंदे ने अपने पद से इस्तीफा दिया
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