तमिलनाडु। नेवेली (Neyveli) में नेवेली लिग्नाइट कॉर्पोरेशन (एनएलसी) में बॉयरल ब्लास्ट हुआ है। एनएलसी के पास खुद की फायर बिग्रेड टीम है, जो हालात पर काबू पाने की कोशिश कर रही है। इसके साथ ही हालात का जायजा लेने के लिए कुड्डालोर जिला प्रशासन की एक टीम मौके पर पहुंच गई है। अभी धमाके के कारण पता नहीं चल पाया है। शुरुआती रिपोर्ट में बॉयलर ब्लास्ट के कारण पांच लोगों की मौत और 17 लोगों के घायल होने की खबर है। संभावना जताई जा रही है कि हताहतों की संख्या बढ़ सकती है। ऐसा ही ब्लास्ट 7 मई को हुआ था, जिसमें 5 लोगों की मौत हो गई थी।
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बुधवार, 1 जुलाई 2020
बॉयलर फटा, 5 की मौत 17 गंभीर
होऊ यान्की का सहयोग भी कम नहीं
नई दिल्ली। नेपाल के भारत से दूर जाने और चीन के नजदीक आने के पीछे कई राजनैतिक कारण हो सकते हैं। लेकिन नेपाल में चीन के पक्ष बनाने में चीन की नेपाल में राजनयिक होउ यान्की का योगदान भी कम नहीं है। नेपाल में चीनी राजदूत काफी सक्रिय रहती हैं और भारत के पड़ोसी देश में चीन की मौजूदगी अपनी कूटनीति से मजबूत कर रही हैं। राजदूत यान्की ने मंगलवार को ही इंडियन आर्मी चीफ मनोज नरवणे के नेपाल में चीन के दखल करने के आरोप का जवाब दिया। आर्मी चीफ ने कहा था कि नेपाल भारत के खिलाफ किसी और के इशारे पर कदम उठा रहा है। राइजिंग नेपाल को दिए इंटरव्यू में चीनी राजदूत होउ ने कहा, नेपाल की सरकार ने अपनी संप्रभुता और क्षेत्रीय संप्रुभता की सुरक्षा के लिए जनभावनाओं के तहत ये कदम उठाया। कथित तौर पर चीन के इशारे पर नेपाल की कार्रवाई का आरोप बेबुनियाद है और ऐसे आरोप गलत मंशा से लगाए गए हैं। ऐसे आरोप सिर्फ केवल नेपाल की महत्वाकांक्षाओं का ही अपमान नहीं करते हैं बल्कि चीन-नेपाल के संबंधों को नुकसान पहुंचाने के इरादे से लगाए जा रहे हैं।
चीनी राजदूत केवल बयान देने तक ही अपनी कूटनीति सीमित नहीं रखती हैं। वह नेपाल के कई सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी हिस्सा लेती हैं। अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर वह स्थानीय युवतियों के साथ नृत्य भी करती हैं। साथ ही नेपाल के टूरिज्म को बढ़ावा देने के लिए फोटो सेशन भी करती हैं। इतना ही नहीं, नेपाल की राजनीति में भी उनकी बहुत रूचि है और कई बार वो ओली सरकार के लिए संकटमोचन का काम भी कर चुकी हैं। होउ यान्की 2018 से नेपाल में चीन की राजदूत है और ये देखा जा सकता है कि उनके आने के बाद नेपाल चीन के और करीब आ गया है। नेपाल और चीन की बढ़ती करीबी में चीनी राजदूत अहम भूमिका अदा कर रही हैं।
भले ही कोरोना वायरस चीन से आया हो, लेकिन इस संक्रमण काल में जनता को राहत पहुंचाने के लिए हमेशा तत्पर रही हैं। उन्होंने कोरोना सहयोग के नाम पर सेना से लेकर सरकार और आम जनता तक सीधे पहुंच बनाई और संभव मेडिकल सामग्री पहुंचाई। यान्की का अधिकतर समय या तो नेपाल के विभिन्न मंत्रालयों में गुजरता है या फिर विडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए विभिन्न मंत्रालयों के काम काज में सहयोग के नाम पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराने में। लॉकडाउन के दौरान भी वह नेपाल के राजनैतिक दलों से लगातार वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जुड़ी रहीं। नेपाल में दोनों कम्युनिस्ट पार्टी के चुनाव से पहले गठबंधन करवाने और यूएमएल-माओवादी को एकजुट करवाने में इनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही है। ओली सरकार पर जब-जब संकट आया है और जब-जब पार्टी विभाजन की कगार पर पहुंची है, तब-तब इन्होंने ही पार्टी को टूटने से बचाया है। होउ यान्की 1996 से चीन के विदेश विभाग में काम कर रही हैं। वो दक्षिण एशिया मामलों में डिप्टी डायरेक्टर जनरल के पद पर रह चुकी हैं और लॉस ऐन्जलिस में चीन की कॉन्सुलेट जनरल रह चुकी हैं। नेपाल आने से पहले वह पाकिस्तान में भी चीन की राजदूत रह चुकी हैं। इंग्लिश और चीनी भाषा के अलावा वह हिन्दी और उर्दू भाषा का भी ज्ञान रखती हैं। यान्की नेपाली भाषा को समझकर उसका जवाब भी दे देती हैं। नेपाल को चीन के पाले में ले जाने के लिए वह कोई कोर-कसर नहीं छोड़ रही हैं।
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मक्कड़ उर्फ 'गोल्डन बाबा' का निधन
नई दिल्ली। पूर्वी दिल्ली स्थित गांधी नगर के रहने वाले सुधीर कुमार मक्कड़ उर्फ गोल्डन बाबा का निधन हो गया है। लंबी बीमारी के बाद गोल्डन बाबा ने मंगलवार देर रात आखिरी सांस ली उनका इलाज एम्स में चल रहा था। गोल्डन बाबा हरिद्वार के कई अखाड़ों से जुड़े रहे हैं और उनके खिलाफ कई आपराधिक मामले दर्ज थे। गोल्डन बाबा का असली नाम सुधीर कुमार मक्कड़ है। वह मूल रूप से गाजियाबाद के रहने वाले थे बताया जाता है कि संन्यासी बनने से पहले सुधीर कुमार मक्कड़ दिल्ली में गारमेंट्स का कारोबार करते थे। अपने पापों का प्रायश्चित करने के लिए सुधीर कुमार मक्कड़ गोल्डन बाबा बन गए। गांधी नगर के अशोक गली में गोल्डन बाबा का आश्रम है।
पत्नी की दलीलों से कोर्ट खफा, तलाक
नई दिल्ली। हिंदू मान्यताओं के अनुसार शादी के बाद सिंदूर और चुड़ियां महिलाओं का श्रृंगार होती है। लेकिन एक महिला ने महज इसलिए सिंदूर लगाने और चूड़ी पहनने से मना कर दिया क्योंकि वह नहीं चाहती थी कि वह शादीशुदा दिखे। बस फिर क्या था। पत्नी का कहना था कि ये उसे बोझ लगते हैं, पत्नी मॉडन लगना चाहती और इसके लिए वह यह नहीं बताना चाहती थी कि वह विवाहित है। लिहाजा पत्नी के इन्हीं नखरों को देखते हुए पति ने तलाक के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और गौहाटी हाई कोर्ट ने तलाक के एक मामले में फैसला सुनाते हुए कहा कि अगर कोई हिंदू महिला विवाहित है और वह सिंदूर और चूड़ी पहनने से मना करती है तो इसका अर्थ साफ है कि उसे शादी मंजूर नहीं है। लिहाजा पीड़ित को तलाक दे दिया जाए। लेकिन हाई के मुख्य न्यायाधीश अजय लांबा और जस्टिस सौमित्र सैकिया की दो सदस्यीय खंडपीठ ने इस पर पारिवारिक अदालत के फैसले को पलट दिया और तलाक को मंजूर कर दिया। जबकि पारिवारिक अदालत ने पति को तलाक नहीं दिया। असल में पारिवारिक कोर्ट ने यह कहते हुए पति को तलाक नहीं दिया कि पत्नी का चूड़ी और सिंदूर नहीं पहनना उसके साथ अत्याचार नहीं है। वहीं हाईकोर्ट ने कहा कि सभी परिस्थितियों में अगर पति को तलाक नहीं मिला और उसे पत्नी के साथ रहने को मजबूर किया जाए तो यह उसका उत्पीड़न होगा। कोर्ट ने कहा कि पत्नी अगर साखा चूड़ी और सिंदूर नहीं लगाना चाहती है और वह कुंवारी दिखाना चाहती है तो इसका अर्थ साफ है उसे शादी मंजूर नहीं है। पत्नी का इस तरह का व्यवहार यह जताता है कि वह अपने विवाह को जारी रखना नहीं चाहती है। असल में पारिवारिक अदालत ने पति की याचिका पर तलाक की मंजूरी नहीं देने के बाद पति ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की थी और उसे हाईकोर्ट में न्याय मिला था।
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लापता व्यापारी जांच में मुजफ्फरनगर मिला
अकाशुं उपाध्याय
गाजियाबाद। राजनगर एक्सटेंशन इलाके में सिथित केडीपी ग्रांड सवाना में रहने वाले 36 बर्षीय कंस्ट्रक्शन कारोबारी विक्रम त्यागी बीती शुक्रवार शाम करीब पौने सात बजे अपने पटेल नगर सिथित कार्यालय से अपनी इनोवा कार लेकर घर के लिए निकल था। जिसके एक घण्टे बाद उनकी अपने चचेरे भाई अरुण से मोबाइल बात हुयी। जिसके बाद रात करीब 10 बजे तक जब लापता कारोबारी अपने घर नही पहुचे तो उनकी पत्नी ने उनके चचेरे भाई अरुण को फोन कर विक्रम के घर पहुचने की जानकारी दी। जिसके बाद परिवार ने लापता हुये विक्रम की तलाश शुरू कर दी और स्थानीय पुलिस को घटना की जानकारी दी लापता विक्रम का चचेरा भाई
अभय त्यागी ने बतया की घटना के एक दिन बाद 27 जून को दोपहर करीब 2 बजे विक्रम की इनोवा कार मुजफ्फरनगर के तितावी थाना क्षेत्र में लावारिस हालत में खड़ी मिली । कार की पिछली सीट पर खून पड़ा मिला हैं । हालांकि लापता विक्रम का कोई सुराग अभी तक पुलिस को नही मिला है । परिवार के अनुसार विक्रम की किसी से कोई दुश्मनी नही थी। वही परिवार के अनुसार विक्रम के गायब होने के कुछ ही घण्टो के अंदर परिवार ने गाजियाबाद पुलिस को घटना की सूचना दे दी थी लेकिन पुलिस ने उस समय गायब विक्रम को ढूढने में गम्भीरता नही दिखायी शिकायत भी घटना की सूचना के अगले दिन जाकर दर्ज की गई। लापता विक्रम त्यागी के भाई सिद्धार्थ त्यागी का कहना है की कोरोना काल मे घटी यह घटना बेहद परेशान करने वाली है।विक्रम को गायब हुए 5 दिन बीत चुके हैं लेकिन मंत्री की भेस को 24 घण्टे में ढूढने वाली यूपी पुलिस अभी तक कारोबारी विक्रम का कोई सुराग तक नही पता लगा पायी हैं।
आतंकियों ने दल पर की ताबड़तोड़ गोलीबारी
श्रीनगर। उत्तरी कश्मीर के सोपोर में बुधवार की सुबह को सीआरपीएफ दल पर आतंकवादियों के हमले में एक सीआरपीएफ हेड कांस्टेबल और एक नागरिक की मौत हो गई, जबकि तीन अन्य सुरक्षाकर्मी घायल हो गए। जानकारी के अनुसार, आतंकवादियों ने सीआरपीएफ दल पर ताबड़तोड़ गोलीबारी की।
लिहाजा गैस-सिलेंडर के दाम जून में बढ़े
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उपचुनाव: 9 विधानसभा सीटों पर मतगणना जारी संदीप मिश्र लखनऊ। उत्तर प्रदेश में नौ विधानसभा सीटों पर उपचुनाव के लिए मतगणना जारी है। यूपी कीे क...
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