बेंगलुरु। केरल पुलिस ने कोरोना वायरस की महामारी को नियंत्रित करने के लिए लागू लॉकडाउन के दौरान इंटरनेट पर कथित रूप से बच्चों से संबंधित अश्लील सामग्री तलाश रहे 47 लोगों को गिरफ्तार किया है। जिनमें कई युवा भी शामिल हैं। राज्य पुलिस ने शनिवार (27 जून) को यह जानकारी दी। पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार लोगों से करीब 140 इलेक्ट्रॉनिक उपकरण जब्त की गई है। केरल के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक (एडीजीपी) मनोज अब्राहम ने बताया कि राज्य में बच्चों के यौन उत्पीड़न की सामग्री को लेकर ऑनलाइन गतिविधि खासतौर पर डॉर्कनेट (गुप्त वेबसाइट जिसका उपयोग केवल विशिष्ट सॉफ़्टवेयर आदि के साथ ही किया जा सकता है) पर बढ़ने के बाद बाल यौन शोषण निषेध (सीसीएसई) टीम सक्रिय हुई।अब्राहम ने बताया कि इसके बाद पूरे राज्य में शनिवार सुबह छापे मारे गए और इन लोगों की गिरफ्तारी की गई। उन्होंने बताया कि कई लोगों पर नजर रखी जा रही है और जब्त किए गए मोबाइल फोन, मॉडम, हार्ड ड्राइव, मेमोरी कार्ड, लैपटॉप और कंप्यूटर जैसे उपकरणों में मौजूद बच्चों के गैरकानूनी वीडियो एवं तस्वीरों की वैज्ञानिक पड़ताल करने के बाद और गिरफ्तारी की जाएगी।
अब्राहम ने कहा कि सबसे परेशान करने वाली बात यह है कि वीडियों और तस्वीरों में दिख रहे छह से 15 साल के बच्चे स्थानीय लग रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह व्हाट्सएप और टेलीग्राम पर कई पोर्न समूहों के संचालन की बात सामने आई। कोविड-19 के चलते लागू लॉकडाउन के दौरान यह चलन बढ़ा है। अब्राहम ने बताया कि देश के विभिन्न इलाकों में वायरस के जरिए वेबकैम को हैक कर पीड़ित बच्चों की सूचना चोरी करने के मामले भी सामने आए हैं। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन की वजह से घरों में बंद बच्चों का उत्पीड़न होने के सबूत हैं और इस अवधि में अपलोड तस्वीर/ वीडियो से संदेह पैदा होता है कि कई लोग बच्चों की तस्करी में शामिल हैं और उनके उपकरणों में इस संबंध में कई चैट हैं।
अब्राहम ने कहा कि पुलिस महानिरीक्षक (अपराध) की देखरेख में 117 टीमों का गठन किया गया है, जो एक साथ छापेमारी कर रही हैं। उन्होंने कहा कि 89 मामले दर्ज किए गए हैं और बच्चों की तस्वीरों और वीडियों का प्रसार करने में शामिल और लोगों की जानकारी जुटाई जा रही है। केरल पुलिस की सीसीएसई इकाई का गठन इस साल जनवरी में किया गया था ताकि बच्चों के ऑनलाइन उत्पीड़न और अश्लील सामग्री को रोका जा सके। टीम, इंटरपोल की बाल अपराध रोधी इकाई और अंतरराष्ट्रीय गुमशुदा और शोषित बाल केंद्र (आईसीएमईसी) के करीबी संपर्क में कार्य कर रही है।
पुलिस ने कहा कि लोग इस संबंध में उच्च प्रौद्योगिकी अपराध पूछताछ प्रकोष्ठ, साइबरडोम या साइबर प्रकोष्ठ को यथा शीघ्र सूचना दें। पुलिस ने बताया कि कोल्लम जिले में नौ लोगों को, एर्नाकुलम एवं पलक्कड़ जिलों में पांच-पांच, तिरुवनंतपुरम और कोझिकोड में चार-चार, कन्नूर-अलप्पुझा- कोटट्यम जिलों में तीन-तीन, पथनमथिट्टा-मल्लापुरम-त्रिशूर-
पुलिस विज्ञप्ति के अनुसार- मौजूदा कानून के तहत बाल अश्लील सामग्री को देखना, वितरण करना और जमा करना दंडात्मक अपराध है और दोषी पाए जाने पर पांच साल कारावास और 10 लाख रुपए तक जुर्माना हो सकता है। पुलिस ने कहा कि बाल सुरक्षा समाज के सभी व्यक्तियों की जिम्मेदारी है। पुलिस ने समुदाय से सहयोग करने की अपील करते हुए कहा कि वे ऐसे चैनल और समूह की जानकारी दें जो बाल यौन उत्पीड़न की सामग्री का प्रसार करते हैं।