नारायण सिंह रावत
सितारगंज। काले, नीले, पर्पल गेहू व काला, लाल चावल के बाद तिगड़ी फ्रॉम बिजट्टी के बराड़ फ्रॉम के किसान अनिलदीप सिँह महाल ने लाल रंग की भिंडी की सब्जी की पैदावार की लोगों में खासी चर्चा है। मालूम हो कि भारतीय लोग द्वारा भिंडी की सब्जी को बहुत ज्यादा पसंद किया जाता है। इसकी तरी वाली सब्जी के अलावा
प्याज के साथ सूखी सब्जी ज्यादातर लोगों की मनपसंद सब्जी है और कलौंजी वाली भरवां भिंडी की तो अपनी अलग पहचान है। ऐसे में हरी भिंडी की जगह लोग अपने स्वाद को और बेहत्तर बनाने के लिए लाल भिंडी का उपयोग कर सकेंगे।
जैसा कि हम सब जानते हैं कि भारत में लगभग हर प्रदेश में भिंडी की सब्जी लोगों को बहुत प्रिय है। इसे तरी के साथ सुखी सब्जी के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। कुल मिला कर शादी विवाह जैसे समारोहों तक की शान बनने वाली भिंडी की मांग साल भर बरकरार रहती है। आप लोगो ने भिंडी तो खाई ही होगी और उसका रंग हरा होता है यह भी जानते होगे, लेकिन क्या आपने कभी लाल भिंडी खाई है? अगर नहीं, तो जल्द ही आपको लाल भिंडी की बेहतरीन किस्म मिलने वाली है, क्योंकि वाराणसी के भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान ने कड़ी मेहनत के बाद आखिरकार भिंडी की नई प्रजाति ‘काशी लालिमा’ विकसित कर ली है जिसका रंग बैगनी-लाल है, इसकी लम्बाई सामान्य भिंडी जैसी ही है।
तिगड़ी फ्रॉम बिजट्टी के बराड़ फ्रॉम के किसान अनिलदीप सिँह महाल ने बताया कि भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के पूर्व निदेशक डॉक्टर बिजेंद्र जी के नेतृत्व में लाल भिंडी की प्रजाति पर वर्ष 1995-96 में शोध कार्य प्रारम्भ हो गया था। इसके बाद काशी लालिमा का विकास शुरू हुआ। इसमें डॉ. एस के सानवाल, डॉ. जी पी मिश्रा और तकनीकी सहायक सुभाष चंद्र ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। इस नई प्रजाति ‘काशी लालिमा’ विकसित लाल रंग की यह भिंडी एंटी ऑक्सीडेंट, आयरन और कैल्शियम सहित अन्य पोषक तत्वों से भरपूर है खास बात तो यह है कि ये भिंडी गर्भवती महिलाओं के लिए तथा शुगर और दिल की बीमारियों के लिए सबसे ज्यादा स्वास्थ वर्धक है। महिलाओं के गर्भ में जो शिशु पलता है, उसके मस्तिष्क के विकास के लिए ये बहुत उपयोगी है गर्भवती महिलाएं इस लाल भिंडी का सेवन करें तो उनके अंदर जो फोलिक एसिड की कमी है वो दूर हो जाती है।
किसान अनिलदीप सिँह महाल ने लाल भिंडी के बारे में बताया कि पहले छत्तीसगढ़ के कुछ जनजाति इलाकों में छात्र लाल भिंडी पैदा कर रहे हैं लेकिन सबसे पहले भारत में इसको परिष्कृत रूप में भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी में उगाया गया है। इससे पहले अमेरिका के क्लीमसन विश्व विद्यालय में भी लाल भिंडी को उगाया जा चुका है अमेरिका में इस लाल भिड़ी की पैदावार हुई, पर भारत में यह पैदा नहीं हो पाया था लाल रंग की भिंडी अभी तक पश्चिमी देशों में ही उगाई जा रही है और यह भारत में आयात होती है। इसकी विभिन्न प्रजातियों की कीमत 150 से 600 रुपये किलो तक है। इसके बाद 1995 से भिंडी की नयी प्रजाति पर रिसर्च चल रहा था और पिछले कुछ वर्षों में हमने लाल भिंडी पर विशेष ध्यान दिया और इसे विकसित किया है।
अब इस देशी प्रजाति के विकसित होने के बाद भारत के किसान भी इसका उत्पादन कर सकेंगे। संस्थान में इसका बीज आम लोगों के लिए उपलब्ध हो जाएगा। पोषक तत्वों से भरपूर इस भिंडी के उत्पादन से भारतीय किसानों को फायदा मिलेगा। इसकी मांग अंतर्राष्ट्रीय मार्केट में भी है भारत के साथ ही अमेरिका, मिस्र, मोरक्को, अफ्रीका, में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। महाल के अनुसार इस भिंडी का रंग बैगनी और लाल रंग का होता है इस भिंडी की लंबाई 11-14 सेमी और व्यास 1.5 और 1.6 सेमी होती है और यह 130 से 140 क्विंटल प्रति हेक्टेयर ये उपज देती है। भविष्य में शहरी क्षेत्र में इसकी भारी मांग होगी और इसका उत्पादन करने वाले किसानों को बहुत लाभ होगा। तिगड़ी फ्रॉम बिजट्टी के बराड़ फ्रॉम के किसान अनिलदीप सिँह महाल ने इस लाल रंग की भिंडी का अपने बराड़ फार्म में उत्पादन कर तहलका मचा दिया है। मालूम हो कि इसस पूर्व अनिलदीप सिंह महाल काले, नीले, पर्पल गेहू व काला, लाल चावल की भी बड़े पैमाने पर खेती कर रहे हैं। महाल एक इलाके के एक वैज्ञानिक सोच पर कृषि करने वाले किसान है। जो हर रोज कुछ नया करने का जज्बा रखते हैं। तमाम लोग भिंडी की लाल फसल को देखने उनके फार्म हाउस पर आ रहे हैं।