सोमवार, 22 जून 2020
पटना में बदमाशों ने लूट को दिया अंजाम
1962 का नहीं 2020 का 'भारत' है
चीन पर गरजे रविशंकर प्रसाद, बोले- याद रखना.. यह 1962 का नहीं 2020 का भारत है
रविशंकर प्रसाद ने हिमाचल जन संवाद वर्चुअल रैली को संबोधित करते हुए कहा कि भारत शांतिपूर्ण तरीके से विवादों का हल चाहता है। लेकिन भारत की तरफ कोई आंख उठाकर नहीं देख सकता है। उन्होंने कहा, ‘आज का भारत 2020 का भारत है, 1962 का नहीं। आज भारत का नेतृत्व नरेंद्र मोदी जैसे साहसिक नेता के हाथ में है, काग्रेस के नेताओं के हाथ में नहीं। उल्लेखनीय है कि भारत को 1962 में चीन के हाथों शिकस्त का सामना करना पड़ा था। चीन के अखबार ग्लोबल टाइम्स ने पूर्वी लद्दाख में दोनों सेनाओं के बीच चल रही तनातनी के बीच भारत को 1962 के युद्ध की याद दिलाई थी। दोनों देशों के बीच लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल (LAC) पर तनाव कम करने के लिए सैन्य स्तर पर कई बातचीत हो चुकी हैं। 6 जून को लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की वार्ता के बाद चीन के तेवर कुछ नरम पड़े हैं लेकिन अब भी वह पुरानी स्थिति में लौटने को तैयार नहीं है।
राहुल गांधी को जवाब
इससे पहले कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने सरकार से चीन सीमा पर स्थिति स्पष्ट करने को कहा था। इस पर रविशंकर प्रसाद ने कहा कि राहुल गांधी वही व्यक्ति हैं जिन्होंने बालाकोट एयर स्ट्राइक के भी सबूत मांगे थे।
उन्होंने कहा कि चीन से मुद्दे पर ट्विटर पर सवाल नहीं पूछे जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी को यह समझना चाहिए कि चीन जैसे अतंरराष्ट्रीय मसलों पर ट्विटर पर सवाल नहीं पूछे जाने चाहिए। उन्होंने कहा, ‘ये वही राहुल गांधी हैं जिन्होंने बालाकोट एयरस्ट्राइक और 2016 में उड़ी हमले पर सवाल पूछे थे।’लेफ्टिनेंट जनरल नितिन कोहली, लेफ्टिनेंट जनरल आरएन सिंह और मेजर जनरल एम श्रीवास्तव समेत 9 पूर्व आर्मी अफसरों ने भी एक बयान जारी कर राहुल गांधी के बयानों को दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। इसमें कहा गया, ‘हम सीनियर आर्म्ड फोर्सेज वेटरंस के समूह के तौर पर गलत सोच से प्रभावित और गलत वक्त में दिए गए राहुल गांधी के बयानों और उनके ट्वीट्स की कड़ी निंदा करते हैं जिनके जरिए राहुल ने भारत-चीन सीमा विवाद से निपटने को लेकर हमारी सेना और सरकार पर सवाल उठाए हैं
’
कोरोना की दवा ₹130 की एक गोली
कोरोना के इलाज के लिए आई दवाई, 103 रुपये की है 1 गोली
भारत में तेजी से बढ़ रहे कोरोना मरीज
कंपनी ने कहा कि फैबिफ्लू कोविड-19 के इलाज के लिए फेविपिराविर दवा है, जिसे मंजूरी मिली है। ग्लेमार्क फार्मास्युटिल्स के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक ग्लेन सल्दान्हा ने कहा, ‘यह मंजूरी ऐसे समय मिली है जबकि भारत में कोरोना वायरस के मामले पहले की तुलना में अधिक तेजी से बढ़ रहे हैं। इससे हमारी स्वास्थ्य सेवा प्रणाली काफी दबाव में है।’ उन्होंने उम्मीद जताई कि फैबिफ्लू जैसे प्रभावी इलाज की उपलब्धता से इस दबाव को काफी हद तक कम करने में मदद मिलेगी।
कोरोना के हल्के पीड़ितों पर कारगर
सल्दान्हा ने कहा कि क्लिनिकल परीक्षणों में फैबिफ्लू ने कोरोना वायरस के हल्के संक्रमण से पीड़ित मरीजों पर काफी अच्छे नतीजे दिखाए। उन्होंने कहा कि इसके अलावा यह खाने वाली दवा है जो इलाज का एक सुविधाजनक विकल्प है।
उन्होंने कहा कि कंपनी सरकार और चिकित्सा समुदाय के साथ मिलकर काम करेगी ताकि देशभर में मरीजों को यह दवा आसानी से उपलब्ध हो सके। यह दवा चिकित्सक की सलाह पर 103 रुपये प्रति टैबलेट के दाम पर मिलेगी।
ऐसी होगी खुराक
पहले दिन इसकी 1800 एमजी की दो खुराक लेनी होगी। उसके बाद 14 दिन तक 800 एमजी की दो खुराक लेनी होगी। ग्लेनमार्क फार्मा ने कहा कि मामूली संक्रमण वाले ऐसे मरीज जो मधुमेह या दिल की बीमारी से पीड़ित हैं, उन्हें भी यह दवा दी जा सकती है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार देश में शनिवार को कोरोना वायरस के एक दिन में रिकॉर्ड 14,516 मामले सामने आए। अब देश में इस महामारी से संक्रमित लोगों की संख्या 3,95,048 हो गई है। यह महामारी अब तक 12,948 लोगों की जान ले चुकी है।
बॉर्डर पर चीनी एयरफोर्स की हरकत
लद्दाख बॉर्डर के पास चीनी एयरफोर्स की हरकत, फारवर्ड एयरबेसेज पर एयरक्राफ्ट तैनात
IAF चीफ एयर चीफ मार्शल राकेश कुमार सिंह भदौरिया ने इस बात की जानकारी दी। वह एयरफोर्स एकैडमी, दुन्दिगल की कम्बाइंड ग्रैजुएशन डे परेड में हिस्सा लेने आए थे। उन्होंने कहा कि IAF को चीन के एयरबेसेज और LAC के पास उनके एयरक्राफ्ट्स (PLA Air Force Activity) की तैनाती की जानकारी है। सिंह ने कहा, “गर्मी के दिनों में नॉर्मल अभ्यास चलता रहता है। लेकिन इस वक्त, हमने सामान्य से ज्यादा विमानों की तैनाती देखी है। हमने जरूरी कदम उठाए हैं।”
चीन से जंग नहीं मगर इमर्जेंसी के लिए तैयार
IAF चीफ से जब पूछा गया कि भारत और चीन में जंग होगी या नहीं तो उन्होंने कहा, “नहीं, हम चीन के साथ युद्ध नहीं लड़ रहे। लेकिन हम किसी भी चुनौती का सामना करने को तैयार हैं। LAC पर हालात को शांतिपूर्ण ढंग से सुलझाने की सारी कोशिशें हो रही हैं।” गलवान घाटी में हुई हिंसक झड़प जिसमें कर्नल समेत भारत के 20 जवान मारे गए, पर IAF चीफ ने कहा कि ‘गलवान में हमारे बहादुरों के बलिदान को हम व्यर्थ नहीं जाने देंगे।’
सेना को सब खबर है, पैट्रोलिंग बढ़ी
एयर चीफ मार्शल ने कहा कि ‘भरोसा रखिए, हमारी आर्म्ड फोर्सेज हालात संभालने में सक्षम हैं।’ हालांकि उन्होंने यह साफ नहीं किया कि क्या चीनी सेना ने LAC पार की है। भदौरिया ने कहा, “भारतीय सेना पर विश्वास रखिए। हमें पता चला है कि क्या हुआ है। हम प्रतिद्वंदी को कोई संदेश नहीं देना चाहते क्योंकि उसे हमारी क्षमता का अंदाजा है।” उन्होंने कहा कि लद्दाख में पैट्रोलिंग बढ़ा दी गई है।
सीधे यूनिट्स के साथ जुड़ेंगे नए ऑफिसर्स
परेड के दौरान, 123 ऑफिसर्स को राष्ट्रपति ने कमिशन दिया। इंडियन नेवी और कोस्ट गार्ड के 11 ऑफिसर्स के अलावा वियतनाम एयर फोर्स के दो अधिकारी भी पास आउट हुए। नए ऑफिसर्स से मुखातिब होकर IAF चीफ ने कहा कि वे सीधे अपनी यूनिट्स जाएंगे, कोई ब्रेक नहीं मिलेगा। उन्होंने कहा, “हमारे इलाके के सुरक्षा हालात के चलते हमारी आर्म्ड फोर्सेज को हर वक्त तैयार और सतर्क रहना होगा।”
तनाव सुझाने को भारत की यही डिमांड
भारत साफ कर चुका है कि चीन LAC पर उन जगहों से अपने कदम वापस खींचे जिसे लेकर दोनों देशों के मत अलग-अलग हैं। भारत अप्रैल से पहले वाली स्थिति चाहता है। बता दें कि पैंगोंग लेक में भी चीन ने तगड़ी घुसपैठ की है। झील के उत्तरी किनारे पर फिंगर 4 से 8 के बीच चीनियों ने डिफेंस स्ट्रक्चर्स और बंकर तक तैयार कर लिए हैं।
चीन का माइंडगेम, सीमा पर बाहुबली
चीन का माइंडगेम, लद्दाख सीमा पर तैनात किया बाहुबली तोप
भारत से तनाव के बीच शामिल की तोप
ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया कि इस तोप को हाल ही में सेना में शामिल किया गया है। चीनी अखबार ने कहा कि पीएलए की 75वीं ग्रुप आर्मी के तहत आने वाली ब्रिगेड ने हाल ही में दक्षिणी सीमा पर आयोजित समारोह में कई नए हथियारों को शामिल किया है। अखबार ने कहा कि वीकल पर चलने वाली यह तोप 155 एमएम की है और इसे पहली बार 1 अक्टूबर 2019 को नैशनल डे पर सेना की परेड में शामिल किया गया था।
‘वजन में हल्की, पहाड़ों पर कारगर’
चीनी अखबार ने कहा कि इस तोप का वजन केवल 25 टन है। इससे यह स्वचालित होवित्जर तोप बेहद आसानी से लंबे समय के लिए ले जाई जा सकती है। इससे पहले इस तरह की तोपों का वजन 40 टन होता था। कम वजन के कारण के यह तो ऊंचाई वाले इलाकों में बढ़त दिला सकती है जहां पर ऑक्सीजन की मात्रा कम होती है। कम ऑक्सीजन होने की वजह से इंजन की क्षमता प्रभावित होती है।
डोकलाम में भी तैनात की थी यह तोप
ग्लोबल टाइम्स ने दावा किया कि चीन की सेना ने वर्ष 2017 में डोकलाम विवाद के दौरान भी PCL-181 को तैनात किया था। इससे सीमा पर शांति की स्थापना में आसानी हुई। अखबार ने कहा कि भारत और चीन के बीच ताजा विवाद शुरू हो गया है।
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता हुआ चुनयिंग ने बुधवार को कहा कि दोनों पक्षों ने आपसी सहमति के बाद तनाव कम करने के लिए कदम उठाए हैं। ग्लोबल टाइम्स ने कहा कि PCL-181 तोपों की तैनाती शनिवार को भारत-चीन के बीच सकारात्मक बातचीत से पहले की गई थी।
हुबेई प्रांत में चीनी सेना ने उतारे टैंक-तोप
चाइना सेंट्रल टेलीविजन ने कहा कि हुबेई प्रांत इस साल के शुरुआत में कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित था लेकिन अब यहां संक्रमण पूरी तरह से नियंत्रण में आ गया है। इसलिए सैनिकों को यहां युद्धाभ्यास के लिए उतारा गया है।चीनी थलसेना के रविवार को किए गए युद्धाभ्यास में सैकड़ों बख्तरबंद वाहन, टैंक, तोप और मिसाइल ब्रिगेड को एक स्थान से दूसरे स्थान पर तैनात किया गया। चीनी सेना ने 1 जून को भी तिब्बत के ऊंचाई वाले इलाके में आधी रात के घने अंधेरे में युद्धाभ्यास किया था। चीन की पीपल्स लिबरेशन आर्मी (PLA) की तिब्बत मिलिट्री कमांड ने सोमवार देर रात 4,700 मीटर की ऊंचाई पर सेना भेजी और कठिन हालात में अपनी क्षमता का परीक्षण किया था।
भारत में अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव
अमेरिका की रिपोर्ट में दावा, भारत में धर्म-जाति के नाम पर अल्पसंख्यकों के साथ होता है भेदभाव
अधिकारियों ने सालभर किया अनुभव
अमेरिका की कांग्रेस में समर्थन प्राप्त ‘2019 अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट’ को विदेश मंत्री माइक पॉम्पियो ने रिलीज किया। इसमें दुनियाभर में धार्मिक स्वतंत्रता के उल्लंघन की घटनाओं का उल्लेख किया गया है। इस रिपोर्ट के भारत सेक्शन में कहा गया है कि अमेरिकी सरकार के अधिकारियों ने धार्मिक स्वतंत्रता के सम्मान की अहमियत और सहिष्णुता के प्रसार और सम्मान को सालभर देखा। सरकारी अधिकारियों, मीडिया, धार्मिक सौहार्द संगठनों और NGOs से बातचीत की।
अल्पसंख्यकों को संवैधानिक सुरक्षा देने की जरूरत
अमेरिकी अधिकारियों ने देश के धार्मिक अल्पसंख्यकों की वास्तविक चिंताओं को समझने, सांप्रदायिक विचारों की निंदा और अल्पसंख्यकों को संवैधानिक सुरक्षा दिए जाने की जरूरत समझी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले साल अक्टूबर में अमेरिकी अधिकारी ने सीनियर सरकारी अधाकिरयों से मीटिंग में धार्मिक और जातीय अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा और भेदभाव को लेकर चिंता जताई थी। रिपोर्ट में पिछले साल अगस्त में जम्मू-कश्मीर से विशेष राज्य का दर्जा वापस लिए जाने की घटना और दिसंबर में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) बनाए जाने का जिक्र भी किया गया है।
‘हिंदू बहुसंख्यक पार्टियों ने की बयानबाजी’
रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारतीय जनता पार्टी समेत हिंदू बहुसंख्यक पार्टियों के कुछ अधिकारियों ने सार्वजनिक तौर पर या सोशल मीडिया पोस्ट के जरिए अल्पसंख्यकों के खिलाफ बयान दिए। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है, ‘प्रशासन ‘गोरक्षा के नाम पर की गई हत्याओं, भीड़ की हिंसा और डराने-धमकाने वाले लोगों सजा देने में अकसर विफल हो जाते हैं। कुछ NGO के मुताबिक प्रशासन ने कई बार इन लोगों को सजा से बचाया है और पीड़ित के खिलाफ केस लगाए हैं।’
नेपाल ने कई गांवों को बताया अपना
उत्तराखंड के जिन गांवों को नेपाल बता रहा है अपना, उसने देश को दिए कई IAS, IPS
नई दिल्ली। नेपाल के नए नक्शे (Nepal new map) को लेकर घमासान जारी है। नेपाल ने अपने नए नक्शे में उत्तराखंड के लिपुलेख (Lipulekh), कालापानी (Kalapani) और लिंपियाधुरा (Limpiyadhura) इलाके को अपना हिस्सा बताया है। नक्शे के अनुसार, उत्तराखंड के तीन गांव, गंजी, कुती और नबी वहां के आंतरिक हिस्से हैं।
उत्तराखंड के लिए ये गांव बेहद खास हैं, यहां ब्यूरोक्रेट्स की खेप है। इन तीन गांव में कुल आबादी 3,000 के करीब है, जिसमें आधा दर्जन आईपीएस और आईएसएस अधिकारी और इसके अलावा पीपीएस और पीसीएस अधिकारी हैं।
यूपी में तैनात है आईपीएस अधिकारी हेमंत कतियाल
इनमें 1997 बैच के आईपीएस अधिकारी संजय गुंजयाल भी हैं जो वर्तमान में आईजी कुंभ मेला हैं। इसके अलावा आईएएस अधिकारी विनोद गुंजयाल बिहार में तैनात हैं और 2011 बैच के आईपीएस अधिकारी हेमंत कतियाल उत्तर प्रदेश में तैनात हैं, वह भी इसी क्षेत्र से आते हैं।
आईपीएस विमला गुंजयाल भी हैं इसी गांव से
इनके अलावा इस इलाके से दूसरे अधिकारी भी हैं। विमला गुंजयाल 2004 बैच की राज्य पुलिस सर्विस अधिकारी हैं जिन्हें हाल ही में आईपीएस रैंक में प्रमोशन मिला है और उत्तराखंड पुलिस में डीआईजी हैं। विमला की तरह दूसरे एसपीएस अधिकारी धीरेंद्र सिंह गुंजयाल भी इसी इलाके से आते हैं। उन्हें भी 2016 में आईपीएस में प्रमोशन मिला है।
चमोली के डीएम रह चुके हैं अजय सिंह नाबियाल
इसी इलाके से पीसीएस अधिकारी अजय सिंह नाबियाल भी आते हैं जिन्हें आईएएस अधिकारी के रूप में प्रमोशन मिला और चमोली जिले के डीएम के साथ-साथ वह मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण के वीसी और कुमाऊं रेंज के कमिश्नर भी रह चुके हैं। वे भी नबी गांव से हैं।
कैलाश मानसरोवर यात्रा में पड़ने वाला आखिरी गांव गुंजी
इस इलाके के महत्व के बारे में बात करते हुए संजय गुंजयाल ने बताया, ‘गुंजी एक मशहूर गांव है और तिब्बत के लोग कई साल से यहां की मंडी में सामान खरीदने आते हैं। गुंजी कैलाश मानसरोवर यात्रा के दौरान पड़ने वाला आखिरी गांव है और यहां के लोग पूरी तरह से देश को समर्पित हैं। गुंजी में ही एसएसबी और आईटीबीपी के कंपनी हेडक्वॉर्टर हैं और यहां एक सैन्य ठिकाना भी है।’
‘नेपाल कर रहा है गुमराह’
पिथौरागढ़ के गरभ्यांग गांव से आने वाले रिटायर्ड आईएएस अधिकारी डीएस गबरियाल बताते हैं, ‘पूरी बेल्ट में कई गांव हैं जैसे नपलचू, गरभ्यांग, नबी, कुती और गुंजी जिन्होंने देश को कई आईएएस, आईपीएस और आईएफएस अधिकारी दिए। यह बेल्ट हाई एजुकेशनल स्टैंडर्ड के लिए जानी जाती है।’ वह कहते हैं, ‘पिछले 30-40 सालों में कभी किसी तरह का सीमा विवाद नहीं हुआ। यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण और गुमराह करने जैसा है कि नेपाल इन तीनों गावों को अपना इलाका बता रहा है।’
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