सुदेश शर्मा गाजियाबाद। नगर निकाय चुनाव 2017 में वित्तीय अनिमितताओं के कारण नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद को लग सकता है ग्रहण-? मोदी नगर, नगर पालिका परिषद के चुनाव वर्ष 2017 में अध्यक्ष पद पर प्रत्याशी अशोक माहेश्वरी द्वारा चुनाव प्रचार में बरती गयी भारी वित्तीय अनिमितताओं के चलते उनके अध्यक्ष पद पर ग्रहण लग सकता है ? नगरीय निकाय सामान्य निर्वाचन वर्ष 2017 में अध्यक्ष पद हेतु प्रत्याशी द्वारा चुनाव में होने वाले व्यय को चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित दरों से बिलों को कम धनराशि के दर्शाकर सहायक निर्वाचन अधिकारी (नगरीय निकाय) गाजियाबाद में जमा कराये गये हैं । जिसके परिणामस्वरूप नगर पालिका परिषद के अध्यक्ष पद की कुर्सी खतरे में पड़ सकती है । चुनाव के दौरान हुयी नुक्कड़ सभाओं के खर्चे को छुपाया गया है । सहायक निर्वाचन अधिकारी, नगर निकाय कार्यालय गाजियाबाद जमा नहीं कराये गये हैं । चुनाव के दौरान प्रत्याशी रोड शो में हुए खर्चों को भी छुपाया गया है । यहाँ तक की चुनाव सामग्री के बिलों को कम करके दर्शाया गया है । चुनाव प्रचार के दौरान के छपे विज्ञापनों के बिलों को डी ए वी पी द्वारा निर्धारित दरों से कम दरों पर बिलों को नगरीय निकाय कार्यालय में जमा कराये गये हैं । एक समाचार पत्र में छपे विज्ञापन के बिल को नगर निकाय कार्यालय में जमा नहीं कराया गया है ? जिससे चुनाव आयोग द्वारा नगर निकाय चुनाव में नगर पालिका परिषद वर्ष 2017 में हुए अध्यक्ष पद के प्रत्याशी अशोक माहेश्वरी ने तथ्यों को छुपाया है । जब कि अशोक माहेश्वरी द्वारा निर्वाचन अधिकारी, नगर पालिका परिषद मोदी नगर को अपने शपथ पत्र के बिन्दु- 1 में कहा है कि मैं अशोक माहेश्वरी, नगर पालिका परिषद के लिए अध्यक्ष पद पर चुनाव लड़ने वाला अभ्यार्थी था । जिसका परिणाम दिनांक 01- 12- 2017 को घोषित किया गया । बिन्दु- 2 में, यह है कि उपयुक्त निर्वाचन के सम्बन्ध में दिनांक 06 11-2017 (वह तारीख जब मुझे नामांकित किया गया था) इसके परिणाम की घोषित की तारीख दोनों दिनों को सम्मिलित करते हुए के बीच मैने/ मेरे निर्वाचन अभिकर्ता व मेरे द्वारा उपगत/ प्राधिकृत सभी व्ययों को प्रथक एवं सही लेखा रखा है । बिन्दु- 3 में, यह है कि उक्त लेखा रिटर्निंग द्वारा इस उद्देश्य के लिए किये गये रजिस्ट्रर में अनुरक्षित किया गया था एवं उक्त रजिस्ट्रर इस लेखा में उल्लिखित बाउचर/ बिल के साथ संलगन है । बिन्दु- 4 में, यह कि निर्वाचन के सम्बन्ध में इसमें संलग्न मेरे निर्वाचन व्यय के लेखे में मेरे या मेरे निर्वाचन अभिकर्ता मुझे प्रायोजित करने वाले राजनैतिक दल या व्यक्ति, संगठन द्वारा उपगत अथवा प्राधिकृत निर्वाचन व्यय की सभी मदें इसमें शामिल हैं एवं उसमें (लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 1951 की धारा- 7 (1) के अन्तर्गत स्पष्टीकरण 1 (2) द्वारा इसके अंतर्गत । बिन्दु- 5, यह कि पूर्व पैरा 1 ता 4 में दिये गये कथन मेरे सर्वोत्तम जानकारी एवं विश्वास के अनुसार सत्य हैं और इसमें कुछ गलत नहीं हैं एवं किसी भी महत्वपूर्ण तथ्य को छिपाया नहीं है । यह शपथ पत्र भी तथ्यों को छुपा कर प्रस्तुत किया गया है । नगर निकाय निर्वाचन कार्यालय द्वारा प्रपत्रों की प्राप्ति तो दी गई है परन्तु प्रपत्र सही पाये गये इसका कोई प्रमाण- पत्र अभी जारी नहीं किया गया है । |
रविवार, 21 जून 2020
नपा अध्यक्ष के पद को लग सकता है ग्रहण
गाजियाबाद सीएमओ ऑफिस किया सील
अश्वनी उपाध्याय
गाज़ियाबाद। उत्तर प्रदेश में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। दिन-प्रतिदिन इसके संक्रमण से मरीजों में बढ़ोतरी दर्ज की जा रही है। इसी क्रम में जनपद गाजियाबाद भी अछूता नहीं है। जिले में कोरोना संक्रमण तेजी से पांव पसारता जा रहा है। ताजा मामले में सीएमओ ऑफिस के 2 कर्मचारी संक्रमित पाए जाने से स्वास्थ्य विभाग और जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया।
CMO ऑफिस को किया गया सील : बता दें कि जनपद में तेजी से बढ़ रहे कोरोना संक्रमण से अब तक 797 मामले सामने आ चुके हैं। वहीं 2 नए लोगों में संक्रमण की पुष्टि होने से एक्टिव मरीजों की संख्या बढ़कर 429 पहुंच गई है। दोनों मामले सीएमओ ऑफिस से जुड़े होने के कारण ऑफिस को पूरी तरह से सील कर दिया गया है।
स्वास्थ्य विभाग द्वारा ऑफिस को सेनेटाइज का कार्य किया जा रहा है। नए मरीजों को कोविड-19 अस्पताल में उपचार हेतु भर्ती कर दिया गया है। मरीजों के परिजनों को होम क्वारंटाइन किया गया है। स्वास्थ्य विभाग मरीजों के संपर्क में आए सभी लोगों की तलाश शुरू कर दी है।
8 वर्षीय मासूम से हवस, हालत गंभीर
सीतापुर। थाना इमलिया सुल्तानपुर के अन्दौली गांव का में बीती रात दिल दहला देने वाला मामला सामने आया है। मनचले युवक ने 8 साल की मासूम को बनाया हवस का शिकार। मासूम की हालत बिगड़ती देख कर युवक अनुराग उसे गंभीर हालत में छोड़कर फरार हो गया। खून से लतपथ मासूम बच्ची किसी तरह आपने घर पहुंची और अपनी मां को बतायी आप बीती बतायी। जिसको सुनकर मां के पैरों के तले की जमीन ही खिसक गई।
परिवार के प्रार्थना पत्र पर संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर आरोपी युवक को गिरफ्तार कर लिया गया।
मां और मासूम के परिवार वालों को समझ में नहीं आ रहा था क्या करें। परिवार वालों के द्वारा पुलिस को सूचना दी गई। सूचना पाकर मौके पर पहुंची थाना पुलिस ने मासूम बच्ची को इलाज के लिये सीएचसी भेजा। जहां उसकी हालत नाजुक देख डाक्टर ने सीतापुर जिलाआस्पताल रिफर किया।
मासूम बच्ची की हालत देखकर माँ का बुरा हाल हॉस्पिटल में किया एडमिट
जहां मासूम की हालत गंभीर बनी हुई है। सूचना पाकर सीओ व एसपी ने गांव पहुंचकर जांच की।और घटनास्थल का निरीक्षण किया। पीड़ित परिवार के प्रार्थना पत्र पर संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज कर आरोपी युवक को गिरफ्तार कर लिया गया।
टिड्डी दल के लिए बुलाया फायर ब्रिगेड
कवर्धा।(धनसिंह मरकाम) पंडरिया ब्लाक अन्तर्गत ग्राम चियाडाड़ में पहुंचा टिड्डी दल। ये टिड्डीया सामान्य टिड्डीयों की तुलना में काफी बड़े आकार के है।
ग्राम चियाडाड़ के लगभग 10 से 15 एकड़ जमीन पर टिड्डी फैले हुए थे । ये टिड्डीयां सिर्फ जमीन पर ही नहीं बल्कि पेड़ो पर भी बहुत सारे फैले हुए थे। पूरे टिड्डीयां पेड़ पर गुत्थी बनाकर छाए हुए थे। इन टिड्डी दल को भगाने के लिए फायर ब्रिगेड बुलवाया गया । फायर ब्रिगेड से कैमिकल का छिड़काव से कुछ टिड्डीयां मारे गए और कुछ टिड्डीयां फायार ब्रिगेड की आवाज सुनकर भाग गए।
नहीं लगता कि आसानी से खत्म हो जाएगा ये टिड्डी दल–
ऐसे बिल्कुल नहीं लग रहा है कि ये टिड्डी दल आसानी से खत्म हो जाएगा, क्युकी लगातार ये टिड्डी दल अंडे दे कर अपनी संख्या को तेजी से बड़ा रही है । जितनी टिड्डीया कैमिकल से खत्म हो रही है , इतने ही अंडे से बाहर आ रहे है। अपनी प्रजाति लगातार बड़ा रही है।
यह कृषकों के लिए बहुत बड़ी समस्या है
जैसे ही ग्रामीणों में कृषि कार्य करने का समय आया इन टिड्डीयों ने प्रवेश कर लिया है।अगर इन टिड्डीयां पर नियंत्रण नहीं किया जा सका तो इस वर्ष कृषि कार्य अच्छे से नहीं हो पाएगा । ये टिड्डी दल पूरे फसल को बर्बाद कर देगा।
चीन को ललकार, 'साजो सामान' का इंतजार
LAC पर चीन को ललकार… लेकिन भारतीय सेना को अभी 45 ‘साजो-सामान’ का इंतजार
इस लिस्ट में कई तरह के गोला-बारूद, लद्दाख जैसे ठंडे इलाकों में रहने के लिए गर्म कपड़े और पैराशूट शामिल हैं। बताते चलें कि गलवान घाटी में चीनी सेना से झड़प में 20 भारतीय जवान (Indian Army) शहीद हो गए थे। इस दौरान 40 चीनी सैनिकों के भी हताहत होने की बात मीडिया रिपोर्ट में सामने आई थी। सेना (Indian Army) ने डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस प्रॉडक्शन (डीडीपी) के जरिए ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) से इन जरूरी सामानों की सप्लाई सुनिश्चित करने की मांग की है। यह ऐसे दौर में है जब जुलाई में ओएफबी के 80 हजार कर्मचारियों ने बेमियादी हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है।
टाइम्स ऑफ इंडिया के मुताबिक, इन जरूरी चीजों में से 20 गोला-बारूद से जुड़ी हैं। ये 10 दिनों से कम यानी 10(I) लेवल से नीचे हैं। इसका मतलब है कि 10 दिन की भीषण लड़ाई के उनका वर्तमान स्टॉक पर्याप्त नहीं है। इन 20 आइटम्स में से पांच गोला-बारूद ऐसे हैं, जो सेना को आर्डनेंस फैक्ट्री से मिलते हैं। इसके साथ ही इन्हें आयात करना पड़ता है लेकिन अभी स्टॉक जरूरी सीमा के मुताबिक नहीं है। दूसरी 21 चीजों के बारे में सेना का कहना है, ‘सामान्य सप्लाई अगर बाधित होती है तो ये आइटम बहुत मुश्किल से मिल सकेंगे। इनमें कॉम्बैट ड्रेस, कोट ईसीसी (भीषण ठंड के लिए जरूरी कोट), पॉन्चो (कंबल जैसा लबादा) और ग्लेशियर के लिए कैप, सप्लाई गिराने वाले उपकरण और पैराशूट शामिल हैं।’
इसके साथ ही डीडीपी ने तीन आर्टिलरी गन की सप्लाई में कमी का संकेत दिया है। इस तरह की 167 गन अभी तक ओएफबी के पास नहीं पहुंची हैं। कोरोना वायरस महामारी की वजह से इनका प्रॉडक्शन प्रभावित हुआ है। इसके अलावा 196 माइन प्रटेक्टेड (बारूद रोधी) गाड़ियों की सप्लाई भी नहीं हुई है।
एक सूत्र ने टीओआई को बताया, ‘पिछले तीन महीने से इन सामानों की कोई सप्लाई नहीं हुई है क्योंकि तमाम ऑर्डनेंस फैक्ट्रियां कोरोना से संबंधित आइटम का निर्माण करने में फंसी हैं। वहीं लॉकडाउन की बंदिशों की वजह से बहुत सी फैक्ट्रियां बंद हैं।’ 9 जून को डीडीपी ने मोस्ट अर्जेंट की कैटिगरी में रखते हुए ओएफबी को इस सिलसिले में खत भेजा है। इसके साथ ही देशभर की 41 ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों के जनरल मैनेजरों को भी यही संदेश भेजा गया है। लेकिन 80 हजार कर्मचारियों की एम्पलाई फेडरेशन का कहना है कि वह अनिश्चिकालीन हड़ताल नहीं टालेंगे। ओएफबी को कॉर्परटाइज करने के केंद्र सरकार के फैसले का फेडरेशन विरोध कर रहा है।
डीडीपी की तरफ से ओएफबी को लिखे खत में कहा गया है, ‘आपसे गुजारिश है कि फेडरेशन, कन्फेडरेशन और ओएफबी के असोसिएशन्स से बातचीत करें। उन्हें इस बात के लिए राजी करें कि कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा की जाएगी और सरकार सभी पक्षों से इस सिलसिले में निश्चित रूप से चर्चा करेगी।’ ऑल इंडिया डिफेंस एम्पलाइज फेडरेशन (एआईडीईएफ) के जनरल सेक्रटरी सी श्रीकुमार का कहना है कि हड़ताल के बारे में राय जानने के लिए जनमत संग्रह कराते हुए वोटिंग हुई थी। 8 से 17 जून के बीच हुए इस सर्वे में 99.9 फीसदी कर्मचारियों ने हड़ताल के लिए समर्थन दिया है।
श्रीकुमार का कहना है, ‘पिछले साल अगस्त में सरकार ने ने हमें मनाने की कोशिश की थी। लेकिन अचानक से उन्होंने कोविड-19 पैकेज के तहत ओएफबी को कॉर्परटाइज करने का फैसला ले लिया। हम केवल कर्मचारी हितों के लिए नहीं लड़ रहे हैं बल्कि यह पूरी इंडस्ट्री को बचाने की लड़ाई है। हमने बीएसएनएल का हाल देखा है। हम नहीं चाहते हैं कि ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों का भी वही हाल हो क्योंकि यह देशहित के खिलाफ होगा।’डीडीपी ने ओएफबी से कहा है, ‘ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों के जनरल मैनेजरों को निर्देश दिया जाए कि वे अपने स्तर पर कर्मचारियों से बातचीत करें। हमें भरोसा है कि इससे तमाम आशंकाएं दूर होंगी और कर्मचारियों की चिंताएं कम होंगी। ओएफबी को लिस्ट में दिए गए जरूरी साजोसामान का हर फैक्ट्री में उत्पादन शुरू करने का प्लान बनाना चाहिए जिससे देश का डिफेंस प्रॉडक्शन बरकरार रहे।’
एआईडीएफ के जनरल सेक्रटरी श्रीकुमार कहते हैं, ‘सभी ऑर्डनेंस कर्मचारी देशभक्त हैं। हमने 1962 के अलावा दूसरे मौकों पर भी यह सिद्ध किया है। इसलिए हम सरकार से अपील करते हैं कि ओएफबी को कॉर्परटाइज करने का फैसला वापस ले लें, जिससे हम देश की रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए शांतिपूर्वक काम करते रहें। अगर हमारा भविष्य अनिश्चित होगा तो हम कैसे काम कर सकते हैं?
फादर्स डेः पिता का साया सदा सुखदाई
पिता की छांव सदा ही सुखद होती है
पिता की अवधारणा में समाहित है जीवन चक्र जिसके सहारे विश्व का वर्तमान व्यापक रूप नजर आता है। जिससे परिवार की परिकल्पना साकार रूप लेती है। जिसके सुखद छांव में सुव्यवस्थित परिवार की संरचना सुनिश्चित है। जिसके सिर से पिता की साया हट जाती है , उसका जीवन विरान हो जाता है। वह अनाथ हो जाता है। वे लोग ज्यादा भाग्यशाली माने जाते है जिनके सिर पिता की साया लम्बें समय तक विराजमान रहती है। पुत्र में पिता अपनी परिकल्पना को सर्दव ढूंढ़ता है। उसे अपने जीवन के अंतिम पड़ाव पर उसके सहारे की महती आवश्यकता होती है।
भारतीय दर्शन में पिता पुत्र के संबंधों के अनेक अनुकरणीय उदाहरण है। जहां पुत्र पिता के हर दुःख सुख का साथी होता है। वह श्रवण कुमार बनकर लाठी बनता नजर आता है तो कहीं राम की तरह पिता के आदेश को सादर स्वीकार करते मिलता है। पाश्चयात संस्कृति में पिता पुत्र के इन संबंधों को नहीं देखा जा सकता । पुत्र पाने की मनोकामना हर पिता के मन को होती है पर पिता-पुत्र धर्म निभाने की परम्परा भारतीय संस्कृति में हीं देखी जा सकती । पितृ पक्ष की परम्परा भी भारतीय संस्कृति में हीं देखने को मिलती।
पिता पुत्र के आपसी संबंधों पर आधुनिकता ने भी अपना प्रभाव जमाया है जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। जहां पुत्र पिता को केवल जन्मदाता मानता है, उसे आश्रय देने की भी जरूरत है, इस जिम्मेवारी से पग स्थिर होते ही भाग खड़ा होता है। उसे बचपन से अपने कंधों का सहारा देकर बड़ा करने वाला पिता एक समय बोझ सा प्रतीत होने लगता है। इस तरह के उभरते परिवेश ने वृद्धाश्रम की अवधारणा को उभार दिया जहां पिता पुत्र से अलग नजर आने लगा है। वृद्धाश्रम जा कर के भी पुत्रमोह से अपने आप को भारतीय पिता अलग नहीं कर पाता, वह इस छिपे दर्द को अपने जैेसे वृद्धाश्रम में आये सहयात्री के साथ बांटता नजर आता है। इस तरह के उभरते परिवेश भारतीय संस्कृति के अनुकूल तो नहीं है पर आधुनिक परिवेश से प्रभावित युवा पीढ़ी की यह धरोहर बनती जा रही है जिसका भावी भविष्य कभी सुखद नहीं हो सकता । इस तरह के उभरते परिवेश से पिता के मन में अंत समय ऐसी वितृष्णा पैदा हो जाती है, जहां पुत्र होने की परिकल्पना खत्म हो जाती है। जिस पुत्र को पाने के लिये जिसने हर तरह के प्रयास किये हो, धर्म स्थानों के चक्कर काटे हों, जंतर – मंतर के बीच नहीं चाहते हुये भी दिये ताबीज को बांधी होे, जिसने जो कहा, उसे पूरा किया हो, वहीं औलाद जब उसे घर से बाहर निकाल वृद्धाश्रम का राह दिखा दे तो ग्लानी होना स्वाभाविक है।
इस तरह के उभरते परिवेश के बीच आज भी अनेक परिवार देखने को मिल जायेंगे जहां भारतीय संस्कृति जिंदी है। जहां पुत्र पिता के हर कदम का सहारा बना अपनी दिनचर्या को बेहतर ढंग से निभा रहा हैं। कार्यालय जाते समय पिता के पांव छूकर आशीर्वाद लेने एवं दिनभर का थका अपने कार्यालय से घर आने पर पिता का हालचाल पूछने एवं, संग में चाय पीने, पिलाने की परम्परा आज भी जहां कायम है वहां कष्ट अपने आप भाग जाता है। पिता की छांव सदा हीं सुखद होती है, इसका आभास उस पारिवारिक परिवेश से किया जा सकता है जहां आज भी पिता की उपस्थिति में संगठित परिवार है। जहां पिता आदर का पात्र है।
ब्रज बिहारी दुबे
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