सूर्यग्रहण न हुआ ... बँवाल हुआ कोई !!!
अंधविश्वास से भरा देश उस पर देश का क्रांतिकारी मीडिया
नरेश राघानी
सूर्य ग्रहण न हुआ कोई बवाल हो गया !!! कल शाम से सारा मीडिया चीन और कोरोना को ताक पर रख के सूर्य भगवान की शरण में जा खड़ा हुआ है। जिसे देखो सूर्य की अलग-अलग कोनों से तस्वीरें खींच खींच कर अपने चैनल पर दिखा रहा है। भाई !!! यह मात्र एक खगोलीय घटना है। लेकिन इस खगोलीय घटना को हिंदुस्तान के मीडिया ने पता नहीं कहां-कहां जोड़ दिया है।
कोई चैनल सूर्य ग्रहण की वजह से आपके निजी जीवन में होने वाली उत्तल पुथल को जोड़ देता है , तो कोई चैनल यह बता देता है कि आपकी नाम राशि पर सूर्य ग्रहण का क्या प्रभाव पड़ेगा ?? हद तो तब हो गई जब आज सूर्य ग्रहण के दौरान ये मीडिया चैनल लोगों की नाना प्रकार की अजीबो गरीब हरकतें ग्रहण काल के दौरान दिखाने लगे। जिसमें कोई पूरे शरीर पर कीचड़ मिलकर ग्रहण काल के दौरान योग करता दिख रहा था। तो कोई पानी में उल्टा लेट कर तैर रहा था। कोई आग के बीच में बैठा है , तो कोई खिड़की की मुंडेर पर बैठकर कौओं को खाना खिला रहा है। और हमारे देश का बेलगाम मीडिया टीआरपी की रेस में दौड़ता हुआ सबको दिखाए जा रहा है। अपने समझ में नहीं आता कि मीडिया को यह बात समझ में क्यों नहीं आती की - यह खबरें केवल इस देश में बैठे लोग नहीं देखते बल्कि पूरे विश्व कही न कही इन खबरों को देखता है और हँसता है हमारी सोच पर। मान लीजिए अगर आप अमेरिका के निवासी हैं और आप भारतवर्ष में अपना पैसा लगाना चाहते हैं। जाहिर तौर पर आप चाहेंगे कि मेरा पैसा सही जगह लगे समझदार लोगों के हाथों में जाए ताकि मुझे उसका लाभ मिल सके। अब यदि आप पैसा लगाने से पहले , देश में सूर्य ग्रहण के दौरान लोगों की ये अजीब अजीब हरकतें देख लें, तो क्या सोच में नहीं पड़ जाएंगे की - किन अजीब लोगों का देश है ??? जो मात्र एक खगोलीय घटना को इन हदों तक ले जाते हैं। सूर्य भगवान भी सोचते होंगे कि इतनी परेशानी तो मुझे भी नहीं हो रही ग्रहण काल में जितनी इन बॉवले लोगो को हो रही है। सोचने की बात यह है कि यहां से कई सेटेलाइट वर्ष दूर सूर्य पर किसी अन्य ग्रह की छाया आ जाने की वजह से , पूरा विश्व छोड़कर केवल हिंदुस्तान के किसी गांव में बैठा कोई अनपढ़ आदमी कैसे प्रभावित हो रहा है ? लेकिन नहीं साहब !!! हमने तो अजीब अजीब हरकतें करने में प्रतिस्पर्धा खोल रखी है। वह अनपढ़ इंसान गांव के तालाब में शरीर पर कीचड़ मलकर पानी में उल्टा खड़ा होकर योग करेगा। ताकि सूर्य भगवान की नाराजगी दूर कर सके। जबकि सूर्य भगवान खुद इन लोगों की ये अजीब हरकतें देख कर परेशान होंगें। एक तो वैसे ही लोगों का दिमाग आधा काम करना बंद कर चुका है हिंदुस्तान में , बाकी बचा कुचा दिमाग मीडिया और चैनल रिपोर्टर खराब कर देते हैं। जो सुबह-सुबह ग्रहण काल से 3 घंटे पहले गांव में पहुंच जाते हैं। और लोगों को ऐसी वाहियात हरकतें करने हेतु प्रेरित करते हैं। ताकि उनके चैनल की टीआरपी बढ़ाई जा सके। एक चैनल ने तो यह तक दिखा दिया कि एक बूढ़ा चारों तरफ आग जलाकर बीच में बैठा है। अब बताओ यह भी कोई बात हुई भला !!! सूर्य भगवान खुद ही किसी अन्य ग्रह के सामने आ जाने से ज़रा गर्मी से राहत प्रदान करते हुए शीतलता का संदेश दे रहे हैं ,और ये जनाब भरी दोपहरी में आग के बीच में बैठकर यह नाटक कर रहे है । और तो और आज सुबह से पूरा *व्हाट्सएप और सोशल मीडिया सूर्य ग्रहण पर अलग-अलग अनुष्ठान करने के नुस्खों से भरा पड़ा है। जैसे कि ग्रहण काल के दौरान खाना नहीं खाना है। भाई !! सूतक तो रात को ही लग गया ... रात को लगभग 9:00 बजे। अब यदि 9 बजे से लेकर दूसरे दिन दोपहर 1 बजे तक लगभग 16 घंटे खाना नहीं खाना है। अब यदि कोई ऐसा नही करेगा तो जो सूर्य ग्रहण करेगा वह तो कर ही देगा। लेकिन कोई 16 घंटे भूखे मरेगा तो वैसे ही ठीक नही रहेगा। आधुनिक युग में इस तरह की अंधविश्वासी सोच को देखकर बहुत बुरा लगता है। और भी बुरा लगता है। और भी ज्यादा बुरा लगता है समझदार ,पढ़े-लिखे मीडिया वर्ग की ऐसी हरकतें देखकर। जो कि अंधविश्वास को मिटाने की जगह अपने निजी स्वार्थ के लिए ऐसे अंधविश्वासों को बढ़ावा देते हैं। एक प्रतिष्ठित न्यूज़ चैनल ने तो आज सुबह नरेगा के मजदूरों को सड़क के बीचों बीच , लंबी-लंबी कतारों में बिठाकर ग्रहण काल के दौरान योगाभ्यास का नाटक करने हेतु कहा । और बड़ी खुशी से इसको अपने चैनल पर प्रसारित भी किया। कोई भी उस फुटेज को देखकर समझ सकता है कि यह मजदूर लोग सड़क के बीचो बीच बैठकर ग्रहण काल में सूर्य भगवान को प्रसन्न करने के लिए योगा तो नहीं कर रहे होंगे। वही कैमरा पकड़े वह रिपोर्ट एक गलती कर बैठा । जिसके चलते साइड में रखे हुए खुदाई के औजार भी साफ दिखाई दे रहे थे।* अब आम आदमी को भले यह नजर नहीं आता हो, परंतु मीडिया से जुड़े होने की वजह से पैनी नज़र से जब मैंने यह देखा तो मुझे उस मीडिया चैनल की ऐसी धाँसू रिपोर्ट देखकर उसकी अक्ल पर बड़ा तरस आया। एक तरफ तो अंधविश्वासों से भरा या देश उस पर ऐसा क्रांतिकारी मीडिया , सचमुच सोने पर सुहागा सा दिखाई देता है। आज के लिए बस इतना ही ... नहीं तो मीडिया बंधुओं में से ही किसी ने किसी का अभी फोन आ जायेगा और वह कह देगा की -भैया बस करो !!!
सो बाकी किस्सा फिर कभी ...।