शनिवार, 20 जून 2020
संक्रमण को लेकर हरकत में आई पुलिस
वर्चुअल रैली में 10 लाख लोग निमंत्रित
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपनी पहली वर्चुअल रैली को ऐतिहासिक बनाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ना चाहती है। पहली रैली जो कि 21 जून को पश्चिमांचल से शुरू हो रही है। इसमें खुद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव शामिल होंगे। इसमें दस लाख से अधिक लोगों को जोड़ने की रूपरेखा तैयार की जा रही है।
प्रदेश के मीडिया प्रभारी मनीष दीक्षित ने बताया, “भाजपा का संपर्क संवाद कार्यक्रम सफल है। इससे कार्यकर्ता उत्साहित हैं। मोदी सरकार 2 के पहले कार्यकाल की उपलब्धियों को जनता तक पहुंचाने के लिए 21 जून को पहली जनसंवाद रैली होने जा रही है। इसमें राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा शामिल होंगे। इसमें पश्चिम और ब्रज क्षेत्र के लोग शामिल होंगे। इसका संचालन लखनऊ से भाजपा मुख्यालय से होगा। जिसमें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह भी मौजूद रहेंगे। रैली में 10 लाख से अधिक लोग शामिल कराने के लिए मोबाइल से लिंक भेजकर आमंत्रित किया जाएगा।”उन्होंने बताया, “इसके अलावा प्रत्येक बूथ पर 50 लोग अपने परिवार के साथ इसके लाइव प्रसारण को देखेगें। आत्मनिर्भर भारत अभियान को आगे बढ़ाने के लिए इसे सोशल मीडिया के समस्त प्लेटफॉर्म पर प्रसारित किया जाएगा। महिलाओं और नौजवानों को इससे जोड़ने की तेजी से कवायद की जा रही है।”
पश्चिमांचल के बाद 24 जून को पूर्वाचल की वर्चुअल रैली होगी। इसमें काशी व गोरखपुर क्षेत्र को शामिल किया गया है। पूर्वाचल की रैली को केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर संबोधित करेंगे। इसके बाद 27 जून को प्रस्तावित मध्यांचल की जनसंवाद रैली को केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी संबोधित करेंगी। इसमें अवध व कानपुर बुंदेलखंड क्षेत्र को शामिल किया गया है। ज्ञात हो कि प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह और संगठन महामंत्री सुनील बसंल ने इसकी तैयारियों को लेकर कई प्रकार की बैठकें भी की हैं। फेसबुक, यू-ट्यूब व ट्विटर सहित अन्य डिजिटल माध्यमों से सीधे प्रसारित होने वाली रैलियों के लिए नेटवर्किंग कार्य भी हो चुका है। संक्रमण बचाव के उपायों का सख्ती से पालन करने के निर्देश दिए गए हैं। जिला व क्षेत्रीय पदाधिकारियों को सक्रिय करते हुए मोर्चा व प्रकोष्ठों के कार्यकर्ताओं को भी रैलियों के प्रसारण में सहयोग की जिम्मेदारी सौंपी गई है।
गोलाबारी में 3 भारतीय नागरिक घायल
श्रीनगर। जम्मू एवं कश्मीर के उरी सेक्टर में शनिवार को नियंत्रण रेखा के पास पाकिस्तानी गोलाबारी में तीन भारतीय नागरिक घायल हो गए। पुलिस सूत्रों ने कहा कि उरी सेक्टर के नंबला गांव में पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी में एक महिला समेत तीन नागरिक घायल हो गए।
सूत्रों ने कहा, “घायल नागरिकों को अस्पताल में भर्ती कराया गया है। दुश्मनों की गोलाबारी से बचने के लिए गांव वालों को किसी सुरक्षित जगहों पर ले जाने के प्रयास किए जा रहे हैं।”पाकिस्तान ने शनिवार को कुपवाड़ा के केरण सेक्टर और बारामूला जिले के उरी सेक्टर के हाजी पीर में बिना उकसावे के गोलीबारी और गोलाबारी की, जिसके बाद भारतीय सेना ने भी इसका माकूल जवाब दिया।
बेटे के सड़े शव के साथ रहती रही मां
बेटे के शव के साथ रह रही थी मां, पुलिस ने बेटे के सड़े हुए शव को किया कमरे से बरामद
जावेद खान
बुलन्दशहर। यूपी के बुलन्दशहर के कस्बा अनूपशहर में शुक्रवार को एक 38 वर्षीय युवक का सड़ा हुआ शव उसके आवास से बरामद किया गया है। पुलिस ने पड़ोसियों की शिकायत के बाद शव बरामद किया। पड़ोसियों ने अपनी शिकायत में कहा कि बेटे की मौत के बाद अंतिम संस्कार करने के बजाए मां अपने बेटे के शव के साथ घर में रह रही थी।
पुलिस ने पड़ोसियों की शिकायत के बाद शुक्रवार दोपहर 2 बजे के करीब घर का दरवाजा तोड़ा और 38 वर्षीय युवक का शव बरामद किया। दरअसल पड़ोसियों को पिछले कुछ दिनों से घर से गंध आने पर पुलिस को सूचना दी। मौके पर पुलिस पहुंची तो दरवाजा अंदर से बन्द था ,पुलिस ने दरवाजा तोड़कर अंदर का नजारा देखा तो होश उड़ गए। सड़ी हुई हालत में एक युवक की लाश के साथ उसकी मां बैठी हुई थी जिसे देखने से ही प्रतीत हो रहा था कि शव कई दिनो से कमरे में बंद था। मां की हालत भी गम्भीर है ,पड़ोसियों की माने तो प्रोमिल शर्मा अर्धविक्षिप्त था और अपने परिवार में इकलौता वारिस होने के कारण बड़े ही लाड़ प्यार में पला बड़ा हुआ था, मां का प्यार सबसे ज्यादा प्रोमिल पर ही था। 3 बहनों की शादी पहले ही हो चुकी है अब वह अपनी मां के साथ ही रहता था, मां उसे कभी अकेला नहीं छोड़ती थी।
शायद यही वजह थी कि मरने के बाद भी मां अपने बेटे को अकेला नहीं छोड़ना चाहती थी ,पुलिस ने प्रोमिल के शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है ,और मां को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है ।
दिल्ली शिक्षकों को नहीं मिल रहा वेतन
नई दिल्ली। उत्तरी दिल्ली नगर निगम में कार्यरत करीब 8,000 शिक्षक, जिन्हें पिछले तीन महीने से वेतन नहीं मिला है, उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को इस बारे में पत्र लिखा है। इससे पहले वह कोर्ट में भी अपील कर चुके हैं।नगर निगम शिक्षक संघ के महासचिव रामनिवास सोलंकी ने शुक्रवार को कहा, “आज हमने गृह मंत्री अमित शाह को भी पत्र लिखकर मदद मांगी है, जिसमें हमने उन्हें इस बात से भी अवगत कराया है कि इस कोरोना महामारी के दौरान सभी शिक्षक 12 घंटे काम कर रहे हैं। हम न सिर्फ गरीबों को राशन वितरित कर रहे हैं, बल्कि हम प्रवासी मजदूरों और उपचार केंद्रों में भी मदद कर रहे हैं।”
उन्होंने आगे कहा, “महामारी के खिलाफ इस लड़ाई में हम सबसे आगे रहे हैं। सुप्रीम कोर्ट भी डॉक्टरों और स्वास्थ्य कर्मचारियों के वेतन का भुगतान करने का निर्देश दे रही है, लेकिन वे शिक्षकों की अनदेखी कर रहे हैं, जबकि शिक्षक भी फ्रंटलाइन कोरोना वारियर्स हैं।”पत्र में कहा गया है कि, “शिक्षकों को मार्च, अप्रैल और मई का वेतन नहीं मिला है, जबकि जून का महीना भी समाप्त होने वाला है। पिछले चार सालों से सातवें वेतन आयोग का एरियर नहीं मिला है। बकाया राशि के बिलों का भुगतान पिछले 10 वर्षों से नहीं किया गया है। पिछले पांच वर्षों से बच्चों का शिक्षक भर्ती बिल का भुगतान नहीं किया गया है। सालों से मेडिकल बिलों का भुगतान नहीं किया गया है। ऐसी स्थिति में, यदि किसी शिक्षक या उसके परिवार के सदस्य को इलाज करवाना है तो उसे उसके लिए पैसे उधार लेने होंगे।”
वेतन न मिलने के कारण शिक्षकों में बेहद निराशा है। वहीं 15 जून को कैट ने आदेश दिया कि उत्तर निगम के सभी शिक्षकों और पेंशनरों को 15 दिनों के भीतर तीन महीने का वेतन और पेंशन का भुगतान किया जाएगा और 18 जून को भी हाईकोर्ट ने उत्तरी एमसीडी को एक सप्ताह के भीतर सभी शिक्षकों के वेतन का भुगतान करने का निर्देश भी दिया था।
कॉमन सिलेबस लागू करने की मांग
नई दिल्ली। देशभर में वन नेशन वन बोर्ड की मांग फिर जोर पकड़ने लगी है। देशभर में छह से 14 साल के बच्चों के लिए कॉमन सिलेबस लागू करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। भाजपा नेता अश्विनी कुमार उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि इंडियन सर्टिफिकेट आफ सेकंडरी एजुकेशन बोर्ड यानी आईसीएसई (ICSE) व केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड यानी सीबीएसई (CBSE) को भी मिलाकर एक ही एजुकेशन बोर्ड की स्थापना की संभावनाओं पर विचार किया जाना चाहिए। याचिका में कहा गया है कि केंद्र और राज्य सरकारों ने देशभर में समान एजुकेशन सिस्टम को लागू करने की दिशा में कोई कदम नहीं उठाया है। आर्टिकल 21 ए के तहत मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा की बात की गई है, लेकिन इसके तहत बच्चों को उनके अधिकार नहीं मिले हैं। याचिका के अनुसार, सामाजिक और आर्थिक समानता व न्याय के लिए ये जरूरी है कि सभी प्राइमरी स्कूलों में सिलेबस और करिकुलम एक जैसा रहना चाहिए। फिर चाहे वो स्कूल लोकल बॉडी चलाती हों या फिर केंद्र और राज्य सरकारें।
याचिका में ये भी कहा गया है कि संबंधित राज्य की आधिकारिक भाषा के चलते इंस्ट्रक्शंस का जरिया अलग हो सकता है, लेकिन 6 से 14 साल के बच्चों के लिए सिलेबस में कोई भेद नहीं होना चाहिए। याचिका में देश में जीएसटी काउंसिल की तर्ज पर नेशनल एजुकेशन काउंसिल या नेशनल एजुकेशन कमीशन बनाने की संभावना तलाशने के लिए आदेश देने की मांग सुप्रीम कोर्ट से की गई है।
सैनिकों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा
नई दिल्ली। भारत और चीन सैनिकों के बीच हुई हिंसक झड़प में शहीद हुए 20 भारतीय जवानों को याद करते हुए वायुसेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने चीन को चेतावनी देते हुए कहा है कि शहीद जवानों की शहादत बेकार नहीं जाने देंगे। उन्होंने कहा कि वायु सेना लक्ष्य को पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित है और किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार और सही जगह तैनात है। वायुसेना प्रमुख ने हैदरबाद के नजदीक स्थित वायुसेना अकादमी में संयुक्त स्नातक परेड में यह बात कही। भारत और चीन के सैनिकों की बीच हिंसक झड़प और तनाव के मध्य भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल आरकेएस भदौरिया ने शनिवार को कहा कि भारत शांति स्थापित करने के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है लेकिन गालवान घाटी में दिए गए "बलिदान" को व्यर्थ नहीं जाने देंगे।
हैदराबाद के डुंडीगल में वायु सेना अकादमी (एएफए) में कम्बाइंड ग्रैजुएशन परेड (सीजीपी) को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हम किसी भी कीमत पर अपनी संप्रभुता की रक्षा करेंगे। हमारे क्षेत्र में सुरक्षा परिदृश्य ये बताता है कि हमारे सशस्त्र बल हर समय तैयार और सतर्क रहते हैं। लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर छोटी सी सूचना पर हम हालात को संभालने के लिए तैयार हैं। उन्होंने कहा, 'यह स्पष्ट होना चाहिए कि हम पूरी तरह तैयार हैं और किसी भी आकस्मिक स्थिति से निपटने के लिए सही जगह तैनात हैं। मैं देश को आश्वस्त करना चाहता हूं कि हम लक्ष्य को पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्पित हैं और गलवां के अपने शूरवीरों का बलिदान कभी व्यर्थ नहीं जाने देंगे।'
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