राज्यसभा की 19 सीटों पर 19 जून को चुनाव
बीजेपी ने झारखंड में कांग्रेस का गणित बिगाड़ा
कांग्रेस-BJP को गुजरात में 1 वोट की जरूरत
नई दिल्ली। देश के 8 राज्यों की 19 राज्यसभा सीटों पर 19 जून को होने वाला चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। कांग्रेस और बीजेपी के बीच राज्यसभा चुनाव में शह-मात का खेल जारी है। हालांकि, बीजेपी ने मध्य प्रदेश और गुजरात के बाद अब कांग्रेस को राजस्थान में भी उलझा कर रख दिया है। झारखंड का समीकरण भी बीजेपी ने अपने पक्ष में कर लिया और कांग्रेस दिल्ली में बैठकर रणनीति बनाती रही. इस तरह से बीजेपी ने कांग्रेस के राज्यसभा चुनाव गणित को बिगाड़ कर रख दिया है।
गुजरात का राज्यसभा चुनाव दिलचस्पः गुजरात की चार राज्यसभा सीटों पर पांच उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से चुनावी मुकाबला दिलचस्प मोड़ पर है। बीजेपी की ओर से राज्यसभा के लिए अभय भारद्वाज और रमीवा बेन बारा के साथ तीसरे कैंडिडेट के तौर पर नरहरि अमीन मैदान में हैं तो कांग्रेस की ओर से राज्यसभा के लिए शक्ति सिंह गोहिल और भरत सिंह सोलंकी किस्मत आजमा रहे हैं।
गुजरात में बीजेपी के पास 103 विधायक हैं जबकि कांग्रेस के पास 65 विधायक बचे हैं। वहीं, 2 बीटीपी, एक एनसीपी और एक निर्दलीय विधायक हैं। राज्यसभा के एक सदस्य को जीतने के लिए 35 वोटों की जरूरत है। ऐसे में कांग्रेस अगर बीटीपी, एनसीपी और एक निर्दलीय विधायक जिग्नेश मवानी का समर्थन हासिल करने में कामयाब रहती है तो उसे दोनों सीटें जीतने के लिए एक विधायक के समर्थन की दरकार होगी। वहीं, कांग्रेस ने शक्ति सिंह गोहिल को प्रथम कैंडिडेट बनाकर उनकी राह को आसान कर दिया है, लेकिन भरत सिंह सोलंकी को अपनी सीट जीतने में कड़ी मशक्कत करनी होगी।
झारखंड में कांग्रेस का बिगड़ा खेलः झारखंड की 2 राज्यसभा सीटों पर 3 उम्मीदवारों के मैदान में उतरने से चुनावी मुकाबला काफी दिलचस्प हो गया है। जेएमएम से शिबू सोरेन राज्यसभा के लिए मैदान में उतरे हैं तो बीजेपी से झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश मैदान में है। वहीं, कांग्रेस से शहजादा अनवर किस्मत आजमा रहे हैं। कांग्रेस प्रदेश प्रभारी आरपीएन सिंह व पर्यवेक्षक पीएल पुनिया दिल्ली में बैठकर रणनीति बनाते रहे और भाजपा ने समीकरण पूरी तरह से अपने पक्ष में कर लिया। झारखंड के मौजूदा विधायकों के आंकड़े के लिहाज से जेएमएम के शिबु सोरेन की एक सीट पक्की है और दूसरी सीट के लिए कांग्रेस और बीजेपी के पास अपने दम पर जीतने के लिए पर्याप्त आंकड़े नहीं हैं। ऐसे में दोनों पार्टियों के बीच विधायकों के जोड़-तोड़ की कवायद तेज हो गई है। बीजेपी ने निर्दलीय विधायक सरयू राय का समर्थन जुटा लिया है।
राज्यसभा की एक सीट के लिए 27 वोट चाहिए. बीजेपी के पास विधायकों की संख्या 25 है। बाबूलाल मरांडी के शामिल होने के बाद यह संख्या बढ़कर 26 हो गई और सरयू राय का साथ मिलने के बाद यह आकंड़ा 27 पहुंच गया है। साथ ही बीजेपी को अपने पुराने सहयोगी आजसू व निर्दलीय विधायक अमित यादव का समर्थन मिल जाता है यह संख्या 30 पहुंच जाएगी। वहीं, राजेंद्र सिंह के निधन व प्रदीप यादव और बंधु तिर्की के शामिल होने के बाद कांग्रेस का आंकड़ा फिलहाल 17 का है। इसके बावजूद कांग्रेस अगर जेएमएम के दो, माले, आरजेडी और एनसीपी के एक-एक वोट मिलने पर विधायकों की संख्या 22 पर ही है। इसके बावजूद कांग्रेस को जीत के लिए पांच विधायकों की जरूरत पड़ेगी।
मध्य प्रदेश में सियासी घमासानः मध्य प्रदेश में तीन राज्यसभा सीटों पर चार प्रत्याशी के मैदान में उतरने से मुकाबला काफी रोचक हो गया है। बीजेपी से ज्योतिरादित्य सिंधिया और सुमेर सिंह सोलंकी तो कांग्रेस से दिग्विजय सिंह और फूल सिंह बरैया की प्रतिष्ठा दांव पर लगी है। कांग्रेस ने फर्स्ट प्रायोरिटी दिग्विजय और सेकेंड पर बरैया को रखा है जबकि, बीजेपी ने फर्स्ट पर सिंधिया और दूसरी पर सोलंकी को रखा है। कांग्रेस विधायकों से बगावत के बाद राज्यसभा का गणित बिगड़ गया है।
विधानसभा में बीजेपी के पास 107 विधायक हैं, कांग्रेस के विधायकों की संख्या 92 है। बसपा के 2 विधायक हैं, 1 विधायक सपा से है और 4 विधायक निर्दलीय हैं। मध्य प्रदेश विधानसभा में 24 सीटें फिलहाल खाली हैं। बसपा, सपा और निर्दलीयों के वोटों की कुल जमा तादाद 7 होती है। मौजूदा परिस्थिति में दो सीटें बीजेपी के पाले में साफ जाती नजर आ रही हैं। हालांकि, एक सीट जीतने के लिए प्रथम वरीयता में 52 मतों की जरूरत है, जो बीजेपी के पास अपने बलबूते मौजूद है। कांग्रेस का दूसरा उम्मीदवार तभी जीत सकता है, जब उसे चारों निर्दलीय, दो बसपा और एक सपा विधायक के साथ पांच बीजेपी विधायकों के मत मिलें, जो फिलहाल तो दूर की कौड़ी ही नजर आता है।
राजस्थान में कांग्रेस परेशानः राजस्थान की तीन राज्यसभा सीटों पर चार प्रत्याशियों चुनावी मैदान में होने के चलते काफी रोचक मुकाबला बन गया है। कांग्रेस की ओर से केसी। वेणुगोपाल के अलावा दूसरे उम्मीदवार नीरज डांगी हैं। वहीं, बीजेपी ने राजेंद्र गहलोत और ओंकार सिंह लखावत को मैदान में उतार कर कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी है। हालांकि विधायकों के आंकड़ो के लिहाज से कांग्रेस की दो सीटें पक्की है, लेकिन क्रॉस वोटिंग का डर भी सता रहा है। राजस्थान के विधानसभा में मौजूदा समय में कांग्रेस के 107 विधायक हैं, इसमें पिछले साल बीएसपी से टूटकर कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायक शामिल हैं। कांग्रेस को 12 निर्दलीयों का समर्थन भी हासिल है। दूसरी ओर, बीजेपी के 72 विधायक हैं, हनुमान बेनीवाल की पार्टी आरएलपी के तीन विधायकों का समर्थन मिलाकर यह आंकड़ा 75 पहुंचता है। एक राज्यसभा सीट के लिए 51 प्रथम वरीयता वाले विधायकों के वोटों की आवश्यकता होती है, ऐसे में कांग्रेस की राह आसान लग रही है। बीजेपी के दूसरे उम्मीदवार के जीतने की संभावना उसी स्थिति में बन सकती है, यदि पर्याप्त संख्या में कांग्रेस के विधायक क्रॉस वोटिंग करें और निर्दलीय विधायक भी बीजेपी के पक्ष में पाला बदल लें। इसीलिए कांग्रेस को बीजेपी से अपने विधायकों की सेंधमारी से बचाने के लिए मशक्कत करना पड़ रहा है।
आंध्र प्रदेश में वाईएसआर का पलड़ा भारी
आंध्र प्रदेश की 4 राज्यसभा सीटों पर पांच प्रत्याशी मैदान में हैं. वाईएसआर कांग्रेस की ओर से पिल्ली सुभाष चंद्रबोस, मोपीदेवी वेंकटरमणास आल्ला अयोध्या रामीरेड्डी और परिमल नत्वानी मैदान में है। वहीं, टीडीपी की ओर से वर्ला रामय्या मैदान में हैं। हालांकि, वाईएसआर की ओर से चौथी सीट के लिए परिमल नत्वानी मैदान में हैं, जिन्हें जगन मोहन रेड्डी ने उद्योगपति मुकेश अंबानी के अनुरोध पर टिकट दिया है।नत्वानी दो टर्म झारखंड से राज्यसभा सदस्य रहे हैं। परिमल नत्वानी रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड की शीर्ष कोर टीम में शामिल हैं। पूर्वोत्तर में भी कड़ा मुकाबलाः पूर्वोत्तर के मणिपुर, मेघालय औक मिजोरम की एक-एक राज्यसभा सीटों पर भी चुनाव हो रहे हैं। मेघालय में कांग्रेस के कनेडी कोमेलियस के खिलाफ मेघालय डेमोक्रेटिक गठबंधन से उतरे वंसुख सीम के बीच मुकाबला है। वहीं, मणिपुर की एक राज्यसभा सीट के लिए तीन प्रत्याशी किस्मत आजमा रहे हैं। इनमें बीजेपी से तितुलर किंग महाराजा संजाओबा लिसीम्बा, कांग्रेस से पूर्व मंत्री टोंगब्रम मंगिबाबू और नगा पीपुल्स फ्रंट होनरीकुई काशुंग के बीच मुकाबला है।
मिजोरम की एक राज्यसभा सीट पर सत्ताधारी मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) युवा शाखा के पूर्व अध्यक्ष के वनलालवेना मैदान में हैं, जबकि मुख्य विपक्षी दल जेडपीएम ने अपने महासचिव बी लालछानजोवा पर भरोसा जताया है. कांग्रेस ने अपने प्रवक्ता और मीडिया विभाग के अध्यक्ष लल्लियानछुंगा पर दांव लगाया है।