सोमवार, 15 जून 2020

सुरक्षा प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ी

सीतापुर। जहाँ एक तरफ सरकार हर प्रकार के वन्य प्राणियों को सम्पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है।वहीं दूसरी ओर दबंग किस्म के लोग एक साथ सैकडों वन्य प्राणियों की जान लेने में जरा भी संकोच या भय नहीं करते हैं।आखिर कौन देता है इन दबंगों को संरक्षण। आखिर किसके सहारे दबंगो ने ली सैकड़ों कौवों की जान। रमेश मिश्र ने थानाध्यक्ष से किया कार्यवाही की माँग दवा मिलाते देख नाबालिग लड़के ने दिया ग्रामीणों को जानकार आइए आपको ले चलते हैं। पूरे प्रकरण की ओर-आपको बताते चलें कि सीतापुर जनपद में तम्बौर थाना क्षेत्र के अन्तर्गत सिसैया दरियाना गाँव में राजकुमार पुत्र भगौती के बाग में आम की फसल को तंबौर निवासी सिराज, रवीकुमार व हनीफ पुत्र रऊफ ने मिलकर खरीदा था । दिनाँक 8 जून 2020 को बाग के क्रेताओं द्वारा खिचड़ी में जहरीली दवा मिलाकर डाल दी गयी जिससे लगभग 200 कौवों की मौत हो गयी ।मौत का यह तमसा जब गाँव के रमेश मिश्र पुत्र  समयदीन से सहन नहीं हुआ तो उन्होंने तत्काल थाना प्रभारी तंबौर को प्रार्थना पत्र देकर वन्य जीवों की जान लेने वालों पर कार्यवाही करने की माँग की थी जब दिनाँक 14 जून 2020 तक अपराधियों पर कोई कार्यवाही नहीं हुई तो रमेश फिर थाने गया जिससे पुनः मौके पर पहुँचे उप निरीक्षकों ने अपराधियों पर कार्यवाही करने का आश्वासन दिया है ।अब देखना है कि ऐसा अक्षम्य अपराध करने वालों पर प्रशासन क्या कार्यवाही करता है ।

 


  • प्रदीप अवस्थी


नहर में बहता मिला युवती का शव

कुशीनगर। उत्तर प्रदेश में अपराधिक गतिविधियों में दिन-प्रतिदिन इजाफा हो रहा है। चारों तरफ अपराधी बेखौफ वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। हत्या, लूट, चोरी की वारदातों में इतनी तेजी से बढ़ोतरी होना प्रदेश की जनता के लिए उचित नहीं है। जिस पर अंकुश लगाने में पुलिस बेबस नजर आती है। जिसका प्रमाण नहर में मिली युवती की लाश है। नहर में बहती मिली 18 वर्षीय युवती का शव अपराध की गंभीरता को बयान करता है। युवती घर से किसी बात पर नाराज होकर निकली थी। आज सुबह रिसाल पट्टी के समीप मुख्य पश्चिमी गंडक नहर में दिखा शव, सूचना पर मौके पर पहुँची पुलिस विशुनपुरा ने शव को कब्जे में ले लिया। थाना क्षेत्र के बाँसगांव टोला नैनहा गाँव की घटना है।



कोरोना को लेकर दुनिया में हंगामा मचा

कोरोना वायरस को लेकर दुनियाभर में हंगामा मचा हुआ है। इस बीच एक नया दावा सामने आया है कि अगले हफ्ते 21 जून को दुनिया खत्म हो जाएगी।


ये थ्यूरी प्राचीन माया कलेंडर पर आधारित है। हालांकि अब दुनिया में ज्यादातर लोगों द्वारा ग्रेगोरियन कैलेंडर का इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन ये कैलेंडर 1582 में अस्तित्व में आया और इससे पहले कि लोग कई तरह के कैलेंडर का उपयोग करते थे। सबसे लोकप्रिय कैलेंडर में माया कैलेंडर और जूलियन कैलेंडर थे। विशेषज्ञों के अनुसार, ग्रेगोरियन कैलेंडर को पृथ्वी को सूर्य की परिक्रमा करने में लगने वाले समय को बेहतर ढंग से दर्शाने के लिए पेश किया गया था. लेकिन कई लोगों का यह मानना ​​है कि उस साल से 11 दिन खत्म हो चुके थे, जो कभी जूलियन कैलेंडर द्वारा निर्धारित किया गया था. 


वहीं समय के साथ इन खोए हुए दिनों में इजाफा हुआ है और अब एक साजिश के सिद्धांत का विकास हुआ है, जो दावा करता है कि हमें वास्तव में वर्ष 2012 में होना चाहिए, न कि 2020 में। वैज्ञानिक पाउलो टागालोगयून ने हालही में एक ट्वीट किया, जिसे बाद में उन्होंने डिलीट कर दिया. इसमें उन्होंने कहा था, 'जूलियन कलेंडर के मुताबिक हम टेक्निकली 2012 में हैं. ग्रेगोरियन कैलेंडर में बदलाव के कारण एक वर्ष में खो जाने वाले दिनों की संख्या 11 दिन है. 268 सालों से ग्रेगोरियन कलेंडर के तहत (1752-2020) का 11 दिन = 2,948 दिन. 2948 दिन/ 365 दिन (प्रति वर्ष)= 8 साल.'


इस सिद्धांत के बाद, 21 जून, 2020 वास्तव में 21 दिसंबर, 2012 होगा. गौरतलब है कि इससे पहले 2012 को दुनिया के अंत के रूप में दर्शाया गया था।


नासा ने कहा, 'कहानी यह दावा करने के साथ शुरू हुई कि सुमेरियों द्वारा खोजे गए ग्रह निबिरू का झुकाव पृथ्वी की ओर है. इस तबाही की शुरुआत मई 2003 के लिए की गई थी, लेकिन जब कुछ भी नहीं हुआ तो कयामत की तारीख दिसंबर 2012 को आगे बढ़ा दी गई और 2012 में प्राचीन माया कैलेंडर से इसे लिंक किया गया. इसलिए भविष्यवाणी की प्रलय का दिन 21 दिसंबर, 2012.'


इससे पहले अंतरिक्ष एजेंसी ने पहले बताया था, '2012 में आपदा या नाटकीय परिवर्तनों के किसी भी दावे के लिए, विज्ञान कहां है? सबूत कहां है? कोई भी नहीं है, और सभी काल्पनिक दावे के लिए, चाहे वे पुस्तकों, फिल्मों, वृत्तचित्रों में किए गए हों या इंटरनेट पर, हम तथ्य को नहीं बदल सकते.  दिसंबर 2012 में होने वाली असामान्य घटनाओं के समर्थन में किए गए किसी भी दावे के लिए कोई विश्वसनीय सबूत नहीं है।


संक्रमण के चलते, शासन के सख्त आदेश

रिपोर्ट-लखन लाल मिश्रा

 

लखनऊ। जहाँ एक तरफ कोरोना संक्रमण के चलते उत्तर प्रदेश शासन के तरफ से सख्त आदेश है कि कहीं भी अधिक भीड़ इकट्ठा न होने पाये, वहीं दूसरी तरफ परसपुर पुलिस व स्टेट बैंक ऑफ इन्डिया की लापरवाही साफ-साफ नजर आ रही है। बताते चलें कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया परसपुर में रोजाना लगभग तीस,चालीस चप्पल सामाजिक दूरी का पालन करते हुए नजर आते हैं। तथा बैंक में रुपया निकालने वाले सभी ग्राहक भीड़ इकट्ठा कर राम कहानी गाते नजर आते हैं।

अगर बैंक के कर्मचारियों से पूंछा जाता है। तो कहते हैं कि हम लोगों के कहने पर कोई नहीं मानता है। तथा पुलिस प्रशासन ने कभी समझाने के बारे में सोचा भी नहीं। बैंक के कर्मचारियों ने कहा कि अगर प्रशासन चाहे तो इस भीड़ की दूरी बनवाने में दिक्कत नहीं होगी।

कोरोना के केसों मे भारत तीसरे स्थान पर

कोरोना के बढ़ते मामलों में भारत तीसरे स्थान पर, रोज आ रहे 10 हजार से ज्यादा केस.


श्रीनारद मीडिया सेंट्रल डेस्क


वाशिंगटन। अमेरिका और ब्राजील के बाद भारत तीसरा देश है जहां रोजाना 10 हजार से ज्यादा मामले आ रहे हैं। रविवार को तो 12 हजार केस दर्ज हुए जो सर्वाधिक है। स्वास्थ्य मंत्रालय के आंकड़ों को देखें तो इस माह भारत में रोज करीब दस हजार केस आए। वहीं, अमेरिका में 22322 और ब्राजील में यह आंकड़ा 25800 रहा। नए मामलों की संख्या दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है।


न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी अमेरिका के सबसे प्रभावित शहर थे। अप्रैल और मई में यहां लाखों मामले सामने आए। न्यूयॉर्क में 30,874 जबकि न्यूजर्सी में 12,696 लोगों की कोरोना की वजह से मौत हो गई। इन दो महीनों में हालात इतने खराब थे कि अस्पतालों में जगह नहीं थी, घरों में रखकर लोगों का इलाज तक करना पड़ा था।


ठीक होने वालों की दर दिल्ली-मुंबई में ज्यादा


हालांकि, तेजी से फैलते संक्रमण के बीच एक राहत की भी बात है। दिल्ली-मुंबई में ठीक होने वालों की दर दुनिया में कई शहरों से आज भी सबसे ज्यादा है। न्यूयॉर्क में सिर्फ 21.23 फीसदी जबकि न्यूजर्सी में 18.88 फीसदी ही महामारी से उबर पाए हैं जबकि वहां कई महीनों से लोग बीमारी से पीड़ित हैं। वहीं, मुंबई में 45.65 फीसदी जबकि दिल्ली में 38.36 फीसदी लोग ठीक हुए।


न्यूयॉर्क से ज्यादा दिल्ली- मुंबई में आ रहे मामले


राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और आर्थिक राजधानी मुंबई में कोरोना संक्रमण का ग्राफ कई अमेरिकी शहरों को भी पीछे छोड़ रहा है। एक समय दुनिया के सर्वाधिक प्रभावित शहर रहे न्यूयॉर्क व न्यूजर्सी में जहां इन दिनों सिर्फ 500-600 मामले रोजाना आ रहे हैं तो वहीं, दिल्ली में यह आंकड़ा 2100 और मुंबई में करीब 1500 दर्ज किया जा रहा है।


कैसे थामा कहर? 


 प्रशासन ने तकनीक के जरिए कांटेक्ट ट्रेसिंग को रणनीतिक तौर पर लागू किया। कैंप लगाकर लोगों की जांच की गई और घर-घर जाकर भी छानबीन की
 – जोन बनाकर रेड जोन में टेस्टिंग बढ़ाई गई, न्यूयॉर्क में प्रति दस लाख पर 140,290 जबकि न्यूजर्सी में 116,052 लोगों की टेस्टिंग की जा चुकी है
  – पुलिसिंग तेज की गई ताकि लोग घरों से बाहर तभी निकलें जब उन्हें निकलना बेहद जरूरी था। सरकार ने जरूरी वस्तुओं को घर तक पहुंचाने में मदद की
 – स्टे एट होम के तहत सख्त नियम लागू हुए, मेयर खुद सड़कों पर उतरकर लोगों को घर से बाहर न निकलने के लिए प्रेरित करते रहे।


जनपद में फिर फूटा 'कोरोना बम'

विवेक कुमार यादव


जनपद में फिर फूटा कोरोना बम


एक साथ मिले 13 नए कोरोना पॉजिटिव केस


कोरोना संक्रमित की संख्या बढ़कर हुई 56


 


हमीरपुर जनपद। कोरोना का कहर बराबर जारी है, रविवार को कोरोना कोई नया मामला सामने ना आने पर जिला प्रशासन और स्वास्थ विभाग ने राहत की सांस ली थी, लेकिन सोमवार को आई जांच रिपोर्ट में एक साथ 13 पॉजिटिव केस निकलने से स्वास्थ विभाग के अधिकारियों में हड़कंप मच गया है, सीएमओ हमीरपुर डॉ आरके  सचान ने बताया कि सोमवार को 30 लोगों की जांच रिपोर्ट आई है, जिनमें 13 पॉजिटिव केस पाए गए हैं, बताया पांच केस कुरारा में, सरीला के इंद्रपुरा मैं 2 व 6 संक्रमित मरीज राठ के नौरंगा में पाए गए हैं, जनपद में अब कोरोना संक्रमितओं की संख्या 56 पहुंच चुकी है, लगातार बढ़ रहे कोरोना मरीजों को लेकर जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग सकते में हैं, बता दें कि संक्रमित पाए गए मरीजों में राठ निवासी महिला की मौत हो चुकी है, जबकि 12 लोग ठीक होकर अपने घर जा चुके हैं, 45 केस इस समय एक्टिव हैं!


आईआरएस अधिकारी ने की आत्महत्या

नई दिल्ली। दिल्ली में कोरोना का संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है। राजधानी में अब कोरोना के डर आत्महत्या करने का भी एक मामला सामने आया है। द्वारका इलाके में कोरोना संक्रमण के डर से आईआरएस अधिकारी शिवराज सिंह ने एसिड जैसा पदार्थ पीकर आत्महत्या कर ली। जब परिजनों को इस बात का पता चला तो वो उन्हें लेकर अस्पताल पहुंचे। इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई वह आयकर विभाग में एडिशनल डायरेक्टर के पद पर तैनात थे।


बता दें कि करीब 3 दिन पहले ही उनका कोरोना टेस्ट हुआ था, जिसकी रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। इसके बावजूद उन्हें लगता था कि कोरोना होने पर बच्चे व परिवार के अन्य लोग परेशान हो जाएंगे। उनकी उम्र 56 साल थी उनके घर से एक सुसाइड नोट भी बरामद हुआ जिसमें उन्होंने लिखा है कि वो कोरोना के शक के चलते आत्महत्या कर रहे हैं। द्वारका जिला पुलिस अधिकारियों के अनुसार वर्ष 2006 के आईआरएस अधिकारी शिवराज सिंह द्वारका के सेक्टर- 6 स्थित सन्मति अपार्टमेंट में रहते थे। उनकी ड्यूटी आरके पुरम स्थित आयकर विभाग के कार्यालय में थी। सुसाइड नोट में उन्होंन बच्चों को परेशान नहीं करने की बात कही है। साथ ही ऑफिस से भी परेशान नहीं करने की बात कही है। फिलहाल द्वारका पुलिस मामले की जांच कर रही है बता दें कि कुछ दिन पहले ही चाणक्यपुरी इलाके में भी वरिष्ठ आईआरएस अधिकारी केशव सक्सेना ने भी फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी।


न्याय सम्मेलन एवं विशाल पैदल मार्च का आयोजन

न्याय सम्मेलन एवं विशाल पैदल मार्च का आयोजन  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। जनपद के टाउन हॉल में मंगलवार को सामाजिक न्याय क्रांति मोर्चा ...