नई दिल्ली। कोरोना एक वैश्विक महामारी है। भारत में इसका संक्रमण अब तेजी से बढ़ रहा है। मौतों की दर में भी वृद्धि हुई है। इस सबके के लिए जिम्मेदार कौन है। ऐसे समय जब विश्व के कई देशों में कोरोना का प्रभाव कम हो रहा है, हम एक अनचाही प्रतिस्पर्धा में सबसे आगे जाते क्यों दिख रहे हैं? मातृभूमि समाचार ने निर्णय लिया की इसका उत्तर उसी जनता से जानने का प्रयास किया जाए, जो इससे प्रभावित है।
कोरोना से जुड़े विभिन्न प्रश्नों का ऑनलाइन सर्वे मातृभूमि समाचार ने हेलो एप पर किया। इस सर्वे में हमें पूरे भारत से कुल 94,959 वोट प्राप्त हुए। इसका निष्कर्ष यही था कि भारत में कोरोना संक्रमण से निपटने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने अच्छा काम किया है, किन्तु राज्य सरकारों और विशेष रूप से जनता ने आवश्यक सहयोग नहीं दिया है। मातृभूमि समाचार के सर्वे में हमारा पहला प्रश्न था कि क्या नरेन्द्र मोदी सरकार कोरोना से लड़ने के लिए हर संभव कदम उठा रही है? 68 प्रतिशत लोगों का उत्तर हां था, 25 प्रतिशत ने न कहा और जबकि 7 प्रतिशत लोग अपनी राय तय नहीं कर सके। 38 प्रतिशत लोग मानते हैं कि भारत में कोरोना के बढ़ते मामलों के लिए राज्य सरकारें जिम्मेदार हैं, जबकि 33 प्रतिशत लोग केंद्र व राज्य सरकार दोनों को इसके लिए जिम्मेदार मानते हैं. 21 प्रतिशत लोग राज्य सरकारों को जिम्मेदार नहीं मानते, जबकि 8 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके। 90 प्रतिशत लोगों को लगता है कि कोरोना के कारण खराब हुई आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए राज्यों को स्वयं प्रयास करना चाहिए। 6 प्रतिशत इससे सहमत नहीं थे, जबकि 4 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके।
क्या जनता की सजगता से कोरोना को नियंत्रित किया जा सकता था, लेकिन हमारी लापरवाही ने कोरोना संक्रमण को बहुत अधिक बढ़ा दिया। इस बात से 77 प्रतिशत लोग सहमत थे. 15 प्रतिशत कोरोना संक्रमण फैलने के लिए जनता को जिम्मेदार नहीं मानते थे, जबकि 8 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके। 65 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि भारत में कोरोना की रफ़्तार को कम करने के लिए दुबारा लॉकडाउन लगाया जाना चाहिए। 17 प्रतिशत लोग सिर्फ कुछ राज्यों में दुबारा लॉकडाउन के पक्ष में हैं. जबकि 15 प्रतिशत लोग दुबारा लॉकडाउन नहीं चाहते और 3 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके. मुंबई देश का सबसे अधिक कोरोना संक्रमित महानगर है, यहां इस महामारी के प्रकोप के लिए 60 प्रतिशत लोग बीएमसी को जिम्मेदार मानते हैं। 21 प्रतिशत ऐसा नहीं मानते, जबकि 19 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके.
59 प्रतिशत लोगों का यह मानना है कि भारत में कम्युनिटी स्प्रेड शुरू हो चुका है। 18 प्रतिशत इस बात से सहमत नहीं थे, जबकि 23 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके. 73 प्रतिशत लोगों का मानना है कि दिल्ली में कम्युनिटी स्प्रेड शुरू हो चुका है। 11 प्रतिशत इससे सहमत नहीं थे, जबकि 16 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके. 51 प्रतिशत लोगों का मानना है कि भारत विश्व का सबसे अधिक संक्रमित देश बन सकता है. 37 प्रतिशत लोगों को ऐसा नहीं लगता है, जबकि 12 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके। 50 प्रतिशत लोगों का कहना है कि दवा या वैक्सीन बनने के बाद ही भारत में कोरोना संक्रमण कम होगा. 21 प्रतिशत लोगों को सितम्बर के बाद, 19 प्रतिशत लोगों को जुलाई व 10 प्रतिशत अगस्त में कोरोना संक्रमण के कम होने की संभावना व्यक्त कर रहे हैं।
हमारा अगला प्रश्न था कि क्या आपको लगता है कि प्राइवेट अस्पतालों में सिर्फ लूट होती है, उपचार नहीं? इस 39 प्रतिशत ने प्राइवेट अस्पतालों, 36 प्रतिशत ने लगभग सभी व 22 प्रतिशत ने कुछ प्राइवेट अस्पतालों को लूट का अड्डा माना, जबकि 3 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके. 41 प्रतिशत लोगों का मानना है कि सरकारी अस्पतालों में कोरोना मरीजों की ठीक से देखभाल नहीं होती. 33 प्रतिशत लोग सरकारी अस्पतालों के उपचार से संतुष्ट थे, जबकि 26 प्रतिशत लोग अपनी राय तय नहीं कर सके. 62 प्रतिशत लोगों का मानना था कि कोरोना के लिए बनाये गए अधिकांश पृथकवास केन्द्रों पर अव्यवस्था है, 23 प्रतिशत लोग इस व्यवस्था से संतुष्ट थे, जबकि 16 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके। विपक्ष मोदी सरकार पर कोरोना संक्रमण को लेकर हमलावर है, किन्तु क्या जनता भी इन आरोपों से सहमत है? 55 प्रतिशत लोग राहुल गांधी के आरोपों से सहमत नहीं हैं. जबकि 36 प्रतिशत लोग राहुल के आरोपों को सही मानते हैं, जबकि 9 प्रतिशत अपनी राय तय नहीं कर सके. इन सब समस्याओं के बाद भी 66 प्रतिशत लोग चाहते हैं कि 2024 में नरेंद्र मोदी फिर प्रधानमंत्री बनें. जबकि 33 प्रतिशत लोग दूसरा प्रधानमंत्री चाहते हैं, सिर्फ 1 प्रतिशत इस मामले में अपनी राय तय नहीं कर सके।