रविवार, 31 मई 2020
छूटः 'अनलॉक 1.0' का दिया गया नाम
हाईवे पर खड़े ट्रक को पीछे से टक्कर
गंधक-पोटाश कूटने पर ब्लास्ट, घायल
किसानों को भुगतान की पहली किस्त दी
इलाज में लापरवाही बर्दाश्त नहींः सीएम
इलाज में लापरवाही अथवा चूक बर्दाश्त नहीं की जाएगी, सख्त कार्रवाई होगी:- मुख्यमंत्री
भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि कोविड अस्पतालों में वरिष्ठ चिकित्सक रोज वार्डों में जाएं तथा मरीजों को सर्वोत्तम इलाज दें। इलाज में थोड़ी भी लापरवाही अथवा चूक बर्दाश्त नहीं की जाएगी तथा सख्त कार्रवाई होगी। हमीदिया अस्पताल को कोरोना के इलाज में आदर्श अस्पताल की भूमिका निभाना चाहिए और वहां मृत्यु दर न्यनतम करने का प्रयास किया जाए। श्री चौहान ने एसीएस हैल्थ को निर्देश दिए कि उन्हें हमीदिया में इलाज की रोज रिपोर्ट दें। श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश में आने-जाने के लिए अब ई-पास की आवश्यकता नहीं होगी। राज्य से बाहर आने-जाने के लिए ई-पास लिए जा सकेंगे। मुख्य सचिव श्री बैंस ने बताया कि ये ई-पास ऑटो जनरेटेड होंगे।
मुख्यमंत्री श्री चौहान आज मंत्रालय में वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से प्रदेश में कोरोना की स्थिति एवं व्यवस्थाओं की समीक्षा कर रहे थे। इस अवसर पर मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस, डीजीपी श्री विवेक जौहरी, अपर मुख्य सचिव स्वास्थ्य श्री मोहम्मद सुलेमान, प्रमुख सचिव श्री एस.एन. मिश्रा, प्रमुख सचिव चिकित्सा शिक्षा श्री संजय शुक्ला आदि उपस्थित थे।
आईएएस रानी नागर पर किया हमला
अकाशुं उपाध्याय
गाजियाबाद। अक्सर विवादो में रहने वाली चर्चित आईएएस अधिकारी रानी नागर और उनकी बहन के ऊपर शुक्रवार रात किसी अज्ञात व्यक्ति ने जानलेवा हमला कर दिया। इस दौरान रानी नागर तो बच गईं, लेकिन उनकी बहन रीमा नागर को गंभीर चोटें आई हैं। इस संबंध में रानी नागर ने ट्वीट और फेसबुक के जरिये जानकारी दी।
रानी नागर ने बताया कि वह अपनी बहन रीमा के साथ शनिवार रात लगभग नौ बजे अपने गाजियाबाद के पंचवटी कॉलोनी स्थित घर पर थीं और घर के बाहर टहल रही थीं। उसी समय एक व्यक्ति मकान नम्बर बी-96 न्यू पंचवटी कॉलोनी से निकलकर उनके सामने आ गया और जब तक वह कुछ समझ पातीं। आरोपी ने एक लोहे के रॉड से उनके ऊपर हमला कर दिया। इसके तुरन्त बाद उस व्यक्ति ने मेरी बहिन रीमा नागर के पैर में लोहे की रॉड से हमला किया जिससे मेरी बहिन रीमा नागर के पैर में बहुत चोट आई। मेरी बहन रीमा नागर पैर से चलने में अभी असमर्थ हो गयी हैं और उनके पैर में नील भी पड़ गये हैं। बता दें कि इस्तीफा देते हुए आईएएस अधिकारी रानी नागर ने हरियाणा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे।
कोरोना-लॉकडाउन से भारत को नुकसान
नई दिल्ली। कोरोना संकट और लंबे लॉकडाउन से भारत को भारी नुकसान होने जा रहा है। हाल के अनुमान इसी ओर संकेत करते हैं। अभी तक इस बात को लेकर बहस जारी थी। सरकार की ओर से प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन-1 में ‘जान है तो जहान है’ का नारा दिया और फिर उसे बदलकर ‘जान भी, जहान भी’ के मंत्र से इस कठिन चुनौती के बीच बैलेंस बनाने की कोशिश की।
लॉकडाउन-1 तो जरूरी था, लेकिन…
नए आंकड़े बताते हैं कि भले ही हमने लॉकडाउन के जरिए बहुत-सी जानें बचा ली हों, जहान के तौर पर हम भारी कुर्बानी देने जा रहे हैं। इस कुर्बानी की कीमत का सही-सही पता हमें आगे चलकर ही लगेगा। मुमकिन है कि वह कीमत आर्थिक तंगी ही नहीं, बहुत सारी जानों के रूप में भी हो, जिन्हें शायद हम कभी गिन नहीं पाएंगे। बहुत मुमकिन है कि आगे चलकर हम इसी नतीजे पर पहुंचें कि संक्रमण से रोक के लिए लॉकडाउन-1 तो जरूरी था, लेकिन फिर इसका बार-बार विस्तार हमें दूसरी खाई में धकेलता गया।
नेगेटिव होगी GDP
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल के मुताबिक हम मंदी में जा रहे हैं, यानी इस साल जीडीपी नेगेटिव में चली जाएगी। आजाद भारत में ऐसा सिर्फ 1957-58, 1965-66, 1972-73 और 1979-80 में हुआ था। इस बार यह सबसे गंभीर होगा। स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का अंदाजा है कि यह गिरावट -6.8 फीसदी होगी। यानी पिछले वित्त वर्ष में जीडीपी जितना था, उससे यह इस वित्त वर्ष में 6.8 प्रतिशत कम रह सकता है।
बेरोजगारी दर 24% से ऊपर
इस वक्त भारत बेरोजगारी की अभूतपूर्व मिसाल पेश कर रहा है। सीएमआईई के आंकड़ों के मुताबिक बेरोजगारी दर 24 फीसदी से ऊपर है। करीब 10 करोड़ लोग बेरोजगार हैं। अगर आप एक परिवार में कम से कम 5 सदस्य भी मानें, तो करीब आधी आबादी रोजगार और कमाई के नुकसान की तकलीफ झेल रही है। आर्थिक, सामाजिक और मानसिक तौर पर इसके असर को पूरा-पूरा दर्ज कर पाना नामुमकिन है, लेकिन वह काफी गहरा और डरावना होगा।
बच सकती थीं नौकरियां
नौकरियों को बचाने के लिए सरकार ने नियोक्ताओं से अपील की, लेकिन यह कोई उपाय नहीं था। सरकार ने कोई ऐसी योजना पेश नहीं की, जो मुसीबत में पड़े नियोक्ताओं को नौकरियां बचाने के लिए समर्थन देती। यूरोप के तमाम देशों और अमेरिका में सरकारों ने खतरे में पड़े कर्मचारियों को बचाए रखने के लिए उनका बोझ उठाया है। ऐसे कर्मचारियों की सैलरी का 70 से 80 पर्सेंट खर्च (एक लिमिट तक) सरकारें उठा रही हैं। जर्मनी की कुहरशरबाइट योजना की खासी तारीफ हुई है, जिसने 2008 में भी रोजगारों को बचाया था और जर्मनी बेहतर तरीके से मंदी से बाहर निकल सका था। सैलरीड क्लास संख्या में कम दिखता है, लेकिन आज की इकॉनमी में उसकी जगह काफी बड़ी है।
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