नई दिल्ली। कोरोना काल में जहां पूरा देश कोविड —19 संक्रमण से बचाव में जुटा है, वहीं कम लोगों को मालूम होगा कि कोरोना जैसा ही एक अन्य बड़ा संकट भारत में प्रवेश कर चुका है। यह है मरूभूमि से आने वाले सबसे बड़े आतंकी ‘टिड्डी दल’ !
लाखों—करोड़ों की संख्या में यह टिड्डी दल जहां पहुंचता है, वहां खेतों में तैयार अनाज, बगीचों में तैयार फल और हर उपयोगी जड़ी—बूटियां सभी को चट कर जाता है। इनका हमला इतना भयानक होता है कि किसी को संभलने तक का मौका नही मिलेगा। यह दल फिलहाल जयपुर में तबाही मचान के बाद झांसी के करीब पहुंच गया है। जल्द ही उत्तर प्रदेश फिर उत्तराखंड में तबाही मचाने आ सकता है। वहीं टिड्डी दल के इस हमले को देख कर लोग अपने घरों में लगे पेड पौधों को बचाने की जुगत में लग गए। जयपुर शहर में आने से दो दिन पहले तक यह टिड्डी दल जयपुर के ग्रामीण क्षेत्र में कहर बरपा चुका है। ज्ञात रहे कि राजस्थान में पिछले वर्ष टिड्डी दल ने नवम्बर में हमला किया था, लेकिन जैसलमेर, बाडमेर, जोधपुर जैसे सरहदी जिलों तक ही सीमित था, लेकिन इस बार टिड्डी दल सरहदी जिलों से आगे बढ कर नागौर, अजमेर, भीलवाडा होता हुआ जयपुर तक आ पहुंचा है। जयपुर के आस—पास के इलाकों में पिछले तीन चार दिन से लगातार टिड्डी दल देखा जा रहा है। हालांंकि सरकार इन पर नियंत्रण के दावे कर रही है, लेकिन इसके बाद भी टिड्डी दल पाकिस्तानी सीमा से जयपुर तक आ पहुंचा है। अधिकारियों का कहना है कि हवा के रूख के कारण इस बार टिड्डी दल इतना अंदर तक आ गया है। इस पर नियंत्रण के प्रयास किए जा रहे हैंं। वहीं टिड्डी दल के आगमन के चलते उप्र के कई जनपदों में अलर्ट जारी कर दिया गया है। अलबत्ता उत्तराखंड में फिलहाल टिड्डी दल के पहुंचने की कोई सूचना नही है, लेकिन फिर भी उप्र से लगे हुए इलाकों में सावधानी बरतने की जरूरत है।
मंगलवार, 26 मई 2020
मरूभूमि में प्रवेश कर गया है 'टिड्डी दल'
रेड जोन में छूट, सेवाओं की बहाली
जयपुर। राजस्थान में अशोक गहलोत की सरकार ने 18 मई को घोषित किए गए लॉकडाउन 4.0 के दिशा-निर्देशों में कुछ संशोधन करते हुए रेड जोन में टैक्सी, ऑटो और कैब सेवाओं की बहाली की अनुमति दे दी है और सार्वजनिक पार्कों को भी सुबह सात बजे से शाम 6.45 बजे तक खोलने की अनुमति दी है। लॉकडाउन 4 में पान, गुटखा और तंबाकू को बेचने के लिए प्रतिबंधित वस्तुओं से हटाते हुए राज्य में इनकी बिक्री की अनुमति दे दी गई है, हालांकि गृह विभाग ने यह स्पष्ट तौर पर कह दिया है कि सार्वजनिक स्थलों पर ऐसे उत्पादों के इस्तेमाल पर मनाही होगी। आदेशानुसार, सार्वजनिक स्थानों पर थूकना आगे आने वाले समय में भी एक दंडनीय अपराध बना रहेगा।
लॉकडाउन 4.0 के दिशा-निर्देशों को संशोधित करते हुए राज्य सरकार ने रेड जोन में सोशल डिस्टेंसिंग और स्वच्छता को सुनिश्चित करते हुए टैक्सी, ऑटो व कैब सेवाओं को संचालित करने की अनुमति दे दी है। संशोधित आदेश में कहा गया है कि एक कैब में चालक सहित दो लोग सवार हो सकेंगे, जबकि ऑटो रिक्शा में केवल दो व्यक्तियों को यात्रा करने की अनुमति होगी। ड्राइवर को मास्क पहनना होगा और सीटों की सफाई भी सुनिश्चित करनी होगी।
सरकार ने रेड जोन इलाकों में सुबह सात बजे से शाम 6.45 बजे तक सार्वजनिक पार्कों को भी खोलने की अनुमति दे दी है। पहले केवल ऑरेंज और ग्रीन जोन में पड़ने वाले क्षेत्रों में ही इस तरह की गतिविधियों को अनुमति दी गई थी। इन सबके बीच ही सार्वजनिक स्थानों पर लोगों के भीड़ जमा करने पर अब भी प्रतिबंध लगा रहेगा। इसके अलावा संशोधित आदेश में यह भी स्पष्ट किया गया कि हाथ रिक्शा, खाने-पीने से संबंधित छोटी-मोटी दुकानें, जूस, चाय और अन्य दुकानों को संचालित करने की स्वीकृति दी गई है, लेकिन इस शर्त पर कि स्वच्छता से संबंधित दिशा-निर्देशों का पर्याप्त ध्यान रखना होगा। अतिरिक्त मुख्य सचिव राजीव स्वरूप ने कहा कि इन सभी आदेशों का पालन हो रहा है या नहीं, यह नगर निगम के अधिकारी सुनिश्चित करेंगे
उत्तराखंड में राहत नहीं, संक्रमित-359
देहरादून। उत्तराखंड में मंगलवार का दिन भी राहत भरा नहीं रहा। कोरोना का संक्रमण थमने का नाम नहीं ले रहा है। हर दिन इसके संक्रमण से लोग इसकी चपेट में आ रहे हैं। राज्य में संक्रमण का आंकड़ा बढ़ता जा रहा है।दरअसल मंगलवार को राजधानी देहरादून में कोरोना संक्रमण के दो नए मामले सामने आए हैं। जिसमें बाद अब राज्य में संक्रमितों की संख्या 359 पहुंच गई है।
सूत्रों के अनुसार बताते चलें कि आज मिले दो पॉजिटिव में से पहला मरीज मंडी में संक्रमित के संपर्क में आने के बाद कोरोना की चपेट में आया है। वहीं दूसरा मरीज मैक्स हॉस्पिटल में मिला है। जिसे दून अस्पताल लाया जा रहा है। दरअसल स्टेट कोऑर्डिनेटर डॉ. एनएस खत्री ने दोनों मामलों की पुष्टि की है।कोरोना वायरस वैश्विक महामारी से रोकथाम के लिए सोशल डिस्टेंसिंग का अनुपालन अवश्य करे स्वस्थ रहे सुरक्षित रहे।
अखबार पूरी तरह सुरक्षितः जावड़ेकर
नई दिल्ली। केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण और पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कोरोना वायरस महामारी के बढ़ते प्रकोप के बीच कहा है कि मीडिया संस्थानों को चाहिए कि वह नागरिकों को इस बात को समझाने का प्रयत्न करें कि अखबार पूरी तरह से सुरक्षित हैं।
उन्होंने कहा, “कोविड-19 संक्रमण के चलते लोगों में भय पैदा हुआ है और इस कारण उन्होंने समाचार-पत्र लेना बंद कर दिया है, ऐसे में समाचार पत्रों को जागरूकता अभियान चलाकर उन्हें जागरूक करने की आवश्यकता है।”उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार दिहाड़ी मजदूरों की मुश्किलों को कम करने के लिए हर संभव प्रयत्न कर रही है। अकेले रेलवे के जरिए 37 लाख और अन्य माध्यमों से कुल मिलाकर 50 लाख मजदूरों को उनके गृह राज्य भेजा जा चुका है। जावड़ेकर ने कहा कि सरकार पूरे देश में कोविड-19 के प्रसार की रोकथाम चाहती थी, इसलिए लोगों को पहले उनके घर नहीं भेजा गया।
हालांकि उन्होंने कहा, “उनके (जाने के) लिए पूरी व्यवस्था कर ली जाएगी। लोगों को हम जबरन नहीं रोक सकते हैं, अब उनकी इच्छा हो रही है, तो वे घर जा रहे हैं और सरकार व्यवस्था कर रही है।” उनसे की गई विशेष बातचीत के कुछ अंश इस प्रकार हैं:
प्रश्न: आपके गृह राज्य (महाराष्ट्र) में कोविद -19 संक्रमण के मामले अधिक क्यों हैं, विशेष रूप से मुंबई में, दिन-ब-दिन बिगड़ती जा रही है?
उत्तर: वहां समय पर उचित कारवाई नही हुई। महामारी की रोकथाम के लिए देर से कदम उठाए गए। इसी वजह से वहां मामले बढ़े, लेकिन अब स्थिति को नियंत्रण में लाया जा रहा है।
प्रश्न: सूचना एवं प्रसारण मंत्री होने के नाते आप लोगों तक कैसे पहुंच रहे हैं और कैसे महामारी के बारे में जागरूकता पैदा कर रहे हैं? मंत्रालय जनता के सवालों का जवाब कैसे देता है?
उत्तर: कोरोना वायरस महामारी के इस दौर में केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय 24 घंटे सातों दिन काम कर रहा है। हम लोगों के लिए हर समय मौजूद हैं। लोगों में जागरूकता फैलाने का काम बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “हमारी सरकार के (दूसरे कार्यकाल के) एक वर्ष पूरे हो गए हैं। इस दौरान हमने कई उपलब्धियां हासिल की हैं और कोविड-19 संक्रमण के खिलाफ लड़ाई उन प्रमुख उपलब्धियों में से एक है।”
प्रश्न: आपने जम्मू-कश्मीर का उल्लेख किया है। क्या आप मानते हैं कि महामारी के बाद केंद्र शासित प्रदेश में राजनीतिक गतिविधियां शुरू हो जाएगी?
उत्तर: वहां पहले से ही राजनीतिक गतिविधि चल रही है। एक दो नेताओं को छोड़कर कोई भी हिरासत में नहीं है। इंटरनेट चालू है। हाल ही में स्थानीय चुनाव सफलता पूर्वक कराए गए हैं। उन्होंने आगे कहा, “जहां तक जम्मू एवं कश्मीर में चुनाव का मसला है वह एक अलग मुद्दा है और उस पर निर्णय (चुनाव) आयोग को करना है।”
प्रश्न: सरकार का कहना है कि आर्थिक पैकेज अर्थव्यवस्था को फिर से जीवंत करेगा, लेकिन विपक्ष कह रहा है कि सरकार रेटिंग से डरती है और इसीलिए वह लोगों को सीधे पैसा नहीं दे रही है, इस पर क्या कहेंगे ?
उत्तर: वह (तत्कालीन कांग्रेस के नेतृत्व वाली संप्रग सरकार ने) कैसे 2008 और 2009 के संकट से निपटे .. हमने इससे सबक लिया है और हमने कई उपायों पर खुद को सही किया है। अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के लिए आत्मनिर्भर पैकेज बहुत व्यापक और टिकाऊ है।
प्रश्न: क्या आपको लगता है कि मीडिया उद्योग के लिए भी एक प्रोत्साहन की आवश्यकता है? कई संस्करण बंद हो रहे हैं। क्या हम मीडिया के लिए भी पैकेज की उम्मीद कर सकते हैं?
उत्तर: मेरी संवेदनाएं सबके साथ है, लोग अखबार नहीं खरीद रहे हैं। डिस्ट्रीब्यूटर अखबार नहीं बांट रहा है, ये सरकार की गलती नहीं है। मुझे हैरानी है कि अभी तक किसी भी अखबार ने कोरोना को लेकर कोई कंपैन नही चलाया कि समाचार पत्र से कोरोना संक्रमण नहीं होता है।
उन्होंने आगे कहा, “आज टीवी और रेडियो पर विज्ञापन बढ़ गया है। अब मीडिया को डिजिटल के साथ जीना सीखना होगा। अखबार के क्षेत्र में विज्ञापनों की कमी है, जबकि रेडियो और टीवी विज्ञापनों से भरे हुए हैं।”
हरिद्वार में बनाए गए चार कंटेनमेंट जोन
देहरादून। कोरोना वायरस ने देश और दुनिया में अपना संक्रमण फैला रखा है। जनता के लोग इसके संक्रमण से लगातार जूझ कर रहे हैं। इस वायरस के चलते जनता इसके संक्रमण से रोकथाम के लिए अनेक प्रकार के प्रयास कर रही है। दरअसल देश भर में कोविड-19 (COVID-19) के मरीज़ तेजी से बढ़ रहे हैं, आने वाले दिनों में उसमें और इजाफा हो रहा है। साल 2020 में देश संकट के दौर से गुजर रहा। दरअसल सूत्रों के मुताबिक उत्तराखंड में कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए हरिद्वार जिले में चार नए क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन घोषित किया गया है। केंद्र सरकार ने कोरोना संक्रमण की रोकथाम के लिए जिलाधिकारियों को कंटेनमेंट जोन घोषित करने का अधिकार दिया है। हरिद्वार जनपद में लक्सर क्षेत्र के मुंडाखेड़ा कला, दुर्गापुर और ग्राम दबकी और रुड़की की आदर्श कॉलोनी को कंटेनमेंट जोन घोषित किया है। दरअसल इन्हें मिलाकर देहरादून, ऊधमसिंह नगर और हरिद्वार जिले में कंटेनमेंट जोन की संख्या 17 हो गई है। वहीं, देहरादून के चमन विहार कॉलोनी को कंटेनमेंट जोन से बाहर किया गया है।
दरअसल अपर सचिव युगल किशोर पंत ने बताया कि प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ने से नए कंटेनमेंट जोन चिह्नित किए जा रहे हैं। जिन क्षेत्रों में संक्रमित मरीज संस्थागत क्वारंटीन में मिल रहे हैं, उन क्षेत्रों को कंटेनमेंट जोन नहीं बनाया जा रहा है। लेकिन होम क्वारंटीन में रहने वाले संक्रमित मरीजों के क्षेत्र को कंटेनमेंट जोन घोषित किया जा रहा है। कंटेनमेंट जोन में किसी भी गतिविधि में कोई रियायत नहीं है। आवश्यक सेवाओं को छोड़ कर सभी गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध है।
पांच राज्यों में भीषण लू का प्रकोप
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग के अनुसार, दिल्ली, राजस्थान, हरियाणा, पंजाब और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों में पिछले कुछ दिन से जबरदस्त गर्मी है और कहीं-कहीं तो तापमान 45 डिग्री सेल्सियस के ऊपर तक जा रहा है। आईएमडी ने रविवार को उत्तर भारत के लिहाज से 25-26 मई के लिए रेड अलर्ट जारी किया है, जहां लू का प्रकोप अपने चरम पर हो सकता है। हालांकि ये तापमान फलोदी के आगे कुछ भी नहीं, जहां गर्मी में पारा 51 तक चला जाता है। साल 2016 की मई में लगातार 5 दिनों तक ये तापमान बना रहा। जानिए, देश के सबसे शुष्क प्रदेश के बारे में।
जोधपुर जिले का छोटा सा शहर एकाएक साल 2016 में सुर्खियों में आया, जब यहां का टेंपरेचर 51 डिग्री सेल्सियस तक मापा गया. इसके इतने गर्म होने के पीछे वजह ये है कि ये शहर थार रेगिस्तान से सटा हुआ है. ये वही थार मरुस्थल है, जिसका लगभग 80 प्रतिशत से ज्यादा हिस्सा भारत में और बाकी हिस्सा पाकिस्तान में लगता है. गर्मियों में बेहद गर्म और सर्दियों में काफी ठंडा रहने वाला फलोदी शहर अपने आसपास बड़े शहरों से घिरा हुआ है जैसे बीकानेर, जैसलमेर और नागौर। माना जाता है कि ये शहर काफी प्राचीन है. साल 1230 में यहां का प्रसिद्ध कल्याण रावजी मंदिर बना था. वैसे शहर का निर्माण 14वीं सदी के अंत से माना जाता है, जब राजा हमीर सिंह ने यहां काफी सारे विकास कार्य करवाए, जैसे इमारतें, दुकानें और बावड़ियां बनवाना. यहां पर साल 1847 में बना जैन तीर्थ पारसनाथ मंदिर है, जहां उस दौर में भी बेल्जियम ग्लास का इस्तेमाल हुआ था। साल 2011 के सेंसस के मुताबिक यहां की आबादी लगभग 49,766 है, जो यहां की इंडस्ट्रीज में काम करती है. बता दें कि पुराने दौर में काफी समृद्धि देख चुका ये शहर अब भी अपनी औद्योगिक समृद्धि के लिए जाना जाता है. फलोदी पूरे देश में नमक का सबसे बड़ा सप्लायर है. साथ ही यहां प्लास्टर ऑफ पेरिस का खूब काम होता है. हालांकि इन सबसे ऊपर एक और बात है, जो इस गर्म इलाके को नाम देती है. दरअसल यहां के खिंचान गांव में हर साल प्रवासी सारस पक्षी आते हैं. साल 1970 में सारस का यहां आना शुरू हुआ. माना जाता है कि तब एक स्थानीय परिवार सारसों के झुंड को खाना खिलाया करता था. इसके बाद से हर साल सारस आने लगे. स्थानीय लोग भी बर्ड फीडिंग से जुड़ते चले गए और हर साल के साथ प्रवासी पक्षियों की संख्या बढ़ती चली गई।
अब हर साल यहां अगस्त से लेकर अगले मार्च तक लगभग 20,000 सारस पक्षी आते हैं। माना जाता है कि Demoiselle crane के नाम से जाने जाने वाले ये पक्षी साइबेरिया, चीन के एक हिस्से और मंगोलिया से भी आते हैं। स्थानीय बोली में इन्हें कुरजां कहा जाता है. पक्षियों को खाना खिलाने के लिए यहां के लोगों ने एक चुग्गा घर बना रखा है, जहां रोज डेढ़ घंटे के आसपास सारस खाना खाते हैं। इन्हें ही देखने के लिए दूर-दूर से लोग आते हैं. यहां तक कि विदेशी सैलानी भी इसे देखने के लिए आते हैं।
वैसे राजस्थान का चुरू भी कुछ कम गर्म नहीं. इसे साल 2019 में दुनिया के 15 सबसे गर्म क्षेत्रों की सूची में जगह मिली. तब यहां का टेंपरेचर 50.3 डिग्री सेल्सियस था। दिन के 9 बजे भी यहां तापमान 45 से ऊपर चला जाता है। वैसे हमारे पड़ोसी देश पाकिस्तान का भी इस लिस्ट में नाम है। यहां का जकोबाबाद शहर दुनिया के गर्म इलाकों में सबसे ऊपर है।
हालांकि सबसे गर्म क्षेत्रों की बात करें तो दुनियाभर के मरुस्थलों के तापमान सुनकर किसी के भी पसीने छूट जाएं। जैसे कैलीफोर्निया की डेथ वैली का तापमान 56.7 भी पहुंच चुका है. ये साल 1913 की बात है। इतने तापमान में इंसानों या जीव-जंतुओं का रहना भी असंभव है। इसके बाद लीबिया के अजिजियाह का नंबर आता है। यहां पर साल 1922 में तापमान 58 डिग्री तक पहुंच चुका था। लेकिन आम दिनों में यहां का तापमान डेथ वैली से कुछ कम ही रहता है।
खरबूजे को करते हैं ज्यादा पसंद
गर्मी आते ही बाजार में खरबूजा तरबूज दिखने लग जाते हैं। हालांकि लोगों को अपनी अपनी पसंद के अनुसार या तो तरबूज पसंद आता है या खरबूजा पसंद आता है। लेकिन ज्यादातर लोग खरबूजे को अहमियत देते हैं। क्योंकि यह गर्मियों में आपके शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद करता है हालांकि इसके अन्य फायदे भी आपके शरीर को देखने को मिलते हैं। लेकिन क्या आप इस बात को जानते हैं कि खरबूज की गिरी के फायदे भी बहुत होते हैं।
खरबूजे के बीज में पोटेशियम होता है। जो ब्लड प्रेशर को कम करने में मदद करता है इससे दिल हेल्दी रहता है।खरबूजे के बीज में प्रोटीन अच्छी मात्रा में होता है। जो आप के नाख़ून और बालों की ग्रोथ को बढ़ाता है।
खरबूजे के बीजों में विटामिन सी मौजूद होता है। जो आपके खून में वाइट ब्लड सेल्स को बढ़ाता है जिससे आपकी इम्यूनिटी सिस्टम स्ट्रांग होता है। यह खून के फ्लो को बढ़ाने का काम करते हैं। जो ब्रेन टिशु उसको शांत कर के तनाव को मुक्त करता है। यह भी जुकाम से लड़ने के लिए काफी मददगार होता है। यह शरीर से अतिरिक्त कब को कम करता है और कंजेशन में राहत दिलाता है।
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