बुधवार, 13 मई 2020

केंद्र सरकार पर हमले का दावाः सीएम

कोलकाता।। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को केंद्र सरकार पर हमला करते हुए दावा किया कि केंद्र के विशेष आर्थिक पैकेज में राज्यों की मदद के लिए कुछ नहीं है और वह महज ‘एक बड़ा शून्य’ है। बनर्जी ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार कोविड-19 संकट के दौरान लोगों को गुमराह कर रही है। उन्होंने यहां संवाददाता सम्मेलन में कहा, ‘‘ केंद्र सरकार द्वारा घोषित विशेष आर्थिक पैकेज कुछ नहीं बल्कि एक बड़ा शून्य है। यह लोगों की आंखों में धूल झोंकने की कोशिश है। उसमें असंगठित क्षेत्र, सार्वजनिक व्यय और रोजगार सृजन के लिए कुछ नहीं है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘ कल जब प्रधानमंत्री ने 20 लाख करोड़ रूपये के पैकेज की घोषणा की थी तब हम आशान्वित थे कि राज्यों के हितों का भी ख्याल रखा जाएगा, एफआरबीएम सीमा बढ़ायी जाएगी। लेकिन आज केंद्रीय वित्त मंत्री की घोषणा के बाद पाया गया कि कल जो कुछ कहा गया था वह एक झांसा था।’’ धनाभाव से जूझ रहे राज्यों को कुछ नहीं देने पर केंद्र पर प्रहार करते हुए तृणमूल कांग्रेस नेता ने दावा किया कि वह सहकारी संघवाद को ध्वस्त करने की कोशिश कर रहा है।


अतिरिक्त शुल्क दिसंबर तक बढ़ाया गया

नई दिल्ली। सरकार ने बुधवार को आकलन वर्ष 2020- 21 के दौरान आयकर रिटर्न भरने की अंतिम तिथि को बढ़ाकर 30 नवंबर 2020 कर दिया । इसके साथ ही कर विवादों के निपटान के लिये लाई गई ‘विवाद से विश्वास योजना’ का लाभ भी बिना किसी अतिरिक्त शुल्क के 31 दिसंबर 2020 तक बढ़ा दिया गया है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण और वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर ने प्रधानमंत्री द्वारा मंगलवार को घोषित आर्थिक पैकज का ब्यौरा रखते हुये सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम (एमएसएमई) उद्योग के लिये कई तरह की राहतों का एलान करने के साथ ही पिछले वित्त वर्ष के लिये इस आकलन वर्ष में भरी जाने वाली व्यक्तिगत आयकर रिटर्न और अन्य रिटर्न दोनों के लिये अंतिम तिथि 30 नवंबर 2020 तक बढ़ी दी गई है। पुराने लंबित कर विवादों के निपटारे के लिये लाई गई विवाद से विश्वास योजना का लाभ भी अब 31 दिसंबर 2020 तक उपलब्ध होगा। वित्त मंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत लंबित विवादों के निपटारे की चाह रखने वाले करदाता अब 31 दिसंबर 2020 तक आवेदन कर सकेंगे। इसके लिये उन्हें अलग से किसी तरह का कोई शुल्क नहीं देना होगा। वित्त मंत्री ने एक अन्य घोषणा में कहा कि सभी धर्मार्थ न्यासों, गैर- कारपोरेट कारोबारों, पेशेवरों, एलएलपी फर्मों, भागीदारी फर्मों सहित को उनका लंबित रिफंड जल्द लौटाया जायेगा। उन्होंने बताया कि इससे पहले सरकार पांच लाख रुपये तक के 18,000 करोड़ रुपये तक रिफंड करदाताओ को कर चुकी है। यह रिफंड 14 लाख करदाताओं को किया गया।


बचावः सीएचसी को किया 'सेनीटाइज'

कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए सीएचसी को किया गया सैनिटाइज


प्रतिदिन सैकड़ों की संख्या में आए प्रवासी कराते जांच


सुनील पुरी


फतेहपुर। कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए लगातार प्रयास जारी है। इसी के चलते फायर ब्रिगेड द्वारा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का व्यापक ढंग से सैनिटाइजेशन किया गया दवा का छिड़काव हुआ सामुदायिक स्वास्थ केंद्र में प्रतिदिन विभिन्न प्रांतों से प्रवासी आ रहे हैं और दिन भर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में लोगों की भीड़ रहती है।


नगर के तहसील स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का फायर ब्रिगेड द्वारा व्यापक ढंग से सैनिटाइजेशन किया गया दवा का छिड़काव किया गया ताकि कोरोनावायरस संक्रमण से बचा जा सके बताते चलें कि सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दिल्ली हरियाणा राजस्थान महाराष्ट्र गुजरात सहित तमाम प्रांतों से सैकड़ों प्रवासी प्रतिदिन सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचते हैं। उनकी थर्मल स्क्रीनिंग की जाती है जिससे उनका स्वास्थ्य परीक्षण होता है। इस कारण से सामुदायिक स्वास्थ्य में लगभग दिनभर प्रवासियों की भीड़ रहती है उनका आना जाना लगा रहता है ऐसी स्थिति में कोरोना वायरस संक्रमण से बचाव के लिए फायर ब्रिगेड द्वारा बेहतर ढंग से सीएचसी को सैनिटाइज किया गया इस संबंध में डॉ नीरज गुप्ता ने कहा कि जिस प्रकार यहां पर प्रतिदिन प्रवासी आ रहे हैं ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचाव के लिए सैनिटाइज करना बहुत आवश्यक है। और अक्सर ही इस प्रकार का संडे जेसन करना चाहिए ताकि साफ-सफाई बनी रहे ऐसी स्थित में चिकित्सकों कर्मचारियों के अलावा आने वाले प्रवासियों के लिए भी यह बेहतर होगा।


'सुपर इकोनामिक पावर' बनेगा भारत

नागपुर। केंद्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री नितिन गडकरी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ओर से घोषित किये गये आर्थिक पैकेज की सराहना करते हुए बुधवार को कहा कि यह देश को एक उत्कृष्ट आर्थिक शक्ति (सुपर इकोनॉमिक पावर) के रूप में उभरने में मदद करेगा। गडकरी ने कहा, “लगभग 11 करोड़ कर्मचारियों को इस पैकेज के जरिये राहत दी गई है जो राष्ट्र को एक बड़ी आर्थिक शक्ति बनने की ओर अग्रसर करेगा।” उन्होंने कहा कि देश लघु उद्योगों, कुटीर उद्योगों और ग्रामीण उद्योगों के लिए घोषित इस पैकेज को कभी नहीं भूलेगा।


गाैरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान भारत को आत्मनिर्भर बनाने और कोरोना वायरस (कोविड-19) महामारी से निपटने के लिए 20 लाख करोड़ रुपये के विशेष आर्थिक पैकेज की घोषणा की।



सबसे अधिक ओडिशा में 101नए मामले

भुवनेश्वर। ओडिशा ने 101 नए कोविड-19 पॉजिटिव मामलों की सूचना दी, जो राज्य में अब तक की एक दिन में सामने आई सबसे बड़ी संख्या है। इसके बाद बुधवार को राज्य में कोरोनो वायरस की संख्या 538 हो गई। सूचना और जनसंपर्क विभाग ने जानकारी दी है कि गंजम जिले ने 52 पॉजिटिव मामले दर्ज किए गए, बालासोर में 33, जाजपुर और सुंदरगढ़ में 7-7 और क्योंझर में 2 मामले सामने आए हैं। विभाग ने कहा, ज्यादातर मामले संगरोध केंद्रों और कंटेनमेंट जोन से रिपोर्ट हो रहे हैं। 90 मामले संगरोध केंद्रों से हैं, आठ कंटेनमेंट जोन से हैं, और तीन अन्य से सामने आए हैं। इसके साथ ही राज्य में सक्रिय मामलों की संख्या 419 हो गई है, जबकि 116 मरीज अब तक ठीक हो चुके हैं। संक्रमण के कारण यहां अब तक तीन मौतें हुई हैं।


 


प्रवासी मजदूर और कोरोना

प्रवासी मजदूर और कोरोना
डा. वरिंदर भाटिया


कोरोना वायरस के कारण देश में हुए लॉकडाउन से अगर सबसे अधिक किसी का नुकसान हुआ है तो वह प्रवासी मजदूरों का है। यह दूसरे शहर या राज्य में जाकर कमाने वाले शख्स हैं। लॉकडाउन प्रवासी मजदूरों के लिए एक गंभीर आर्थिक और सामाजिक समस्या लेकर आया है। इस संकट में लाखों प्रवासियों को घर पहुंचने के लिए या तो इंतजार करना पड़ा है या फिर वापस पैदल जाने के लिए मजबूर होना पड़ा है। जो लोग घर वापस नहीं जा सके, उन्हें अपनी बुनियादी जरूरतों जैसे दो समय का भोजन, कपड़ा और अन्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए प्रत्येक दिन संघर्ष करना पड़ा है। पिछली जनगणना के अनुसार अकेले बिहार में लगभग 2.5 करोड़ प्रवासी श्रमिक हैं जो पंजाब या हरियाणा जैसे छोटे राज्यों की जनसंख्या के बराबर है।


2.5 करोड़ श्रमिकों में से दो करोड़ ग्रामीण क्षेत्रों से और 50 लाख शहरी क्षेत्रों से आते हैं और उनमें से अधिकांश महाराष्ट्र, हरियाणा, पंजाब और दिल्ली के यूटी जैसे विभिन्न राज्यों में दैनिक मजदूरी के रूप में काम करते हैं। ये प्रवासी श्रमिक अपने राज्य में करोड़ों रुपए लाते हैं और राज्य की अर्थव्यवस्था में मदद करने के साथ-साथ अपने परिवारों को भी चलाते हैं। लॉकडाउन की वजह से अलग-अलग राज्यों में फंसे प्रवासी मजदूरों की घर वापसी के लिए राज्य सरकारों ने अपनी ओर से पहल की है। राज्यों के अनुरोध पर रेल मंत्रालय ने भी इन मजदूरों को घर पहुंचाने के लिए श्रमिक स्पेशल ट्रेनें चलाई हैं। एक ओर ट्रेन के किराए पर जमकर विवाद हो रहा है तो इन श्रमिक स्पेशल ट्रेनों से आने वाले ज्यादातर मजदूरों की शिकायत है कि उनसे न सिर्फ किराया वसूला गया, बल्कि कई घंटों की यात्रा के दौरान वे भूखे-प्यासे रहे। वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में मजदूरों के लौटने से पंजाब, हरियाणा और कर्नाटक जैसे कई राज्यों की चिंताएं भी बढ़ गई हैं। कुछ राज्य सरकारों ने तो मजदूरों से वहीं रुकने और अपने घरों को न जाने का अनुरोध किया है और किसी भी तरह की दिक्कत न होने का भरोसा दिया। विभिन्न राज्यों सेलोटने वाले वे मजदूर हैं जो उन राज्यों में चौदह दिन की क्वारंटीन अवधि पूरी कर चुके हैं।


हालांकि इन्हें अपने गृह जिलों में घरों तक जाने के पहले टेस्टिंग से गुजरना होगा और ये घरों तक कब पहुंच पाएंगे, तय नहीं है। लेकिन इन सबके बीच सबसे बड़ी समस्या यह है कि अपनी नौकरी और छोटे-मोटे रोजगार छोड़कर आए ये मजदूर अब अपने घरों पर क्या करेंगे और जीवन निर्वाह कैसे करेंगे? कुछ सरकारों ने तो बाहर से आने वाले श्रमिकों को राज्य के भीतर ही काम देने का आश्वासन दिया है। उत्तर प्रदेश सरकार ने अधिकारियों को रोजगार की व्यापक कार्ययोजना तैयार करने के निर्देश दिए हैं। वहां आने वाले प्रत्येक श्रमिक और कामगार का सरकार स्किल डाटा तैयार करा रही है और होम क्वारंटीन पूरा होते ही उन्हें रोजगार दिलाने की तैयारी की जा रही है। वापसी कर रहे ज्यादातर मजदूर अन्य राज्यों में या तो औद्योगिक प्रतिष्ठानों में काम कर रहे थे, घरेलू कार्यों में लगे थे या फिर प्राइवेट कंपनियों में नौकरी कर रहे थे। लॉकडाउन की स्थिति में सबसे जरूरी तो यह है कि मजदूरों को वित्तीय सहायता दी जाए ताकि वह अपने परिवार का पालन-पोषण कर सकें। नेशनल रजिस्टर बने ताकि प्रवासी श्रमको का ब्यौरा दर्ज हो और उनका डाटा शेयर किया जाए और उनके हितों की रक्षा हो सके। होटल, सिनेमा, ऑटोमोबाइल जैसे क्षेत्रों में काम कर रहे मजदूरों के लिए विशेष योजनाएं बनाई जाएं ताकि इन क्षेत्रों में लगे श्रमिकों का इस्तेमाल भी हो सके और वो आर्थिक रूप से पंगु भी न होने पाएं, काम मिले या न मिले। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार दूसरी जगहों पर प्रवासी मजदूरों की जो दुर्दशा हुई और जिस तरीके से उनका अपमान हुआ, उन्हें उनके हाल पर छोड़ दिया गया, उसे देखते हुए लगता नहीं कि ये लोग अति शीघ्र लौटकर फिर कहीं काम-धाम के लिए जाएंगे। फिलहाल प्रवासी मजदूरों की व्यवस्था का भार राज्य सरकारों पर है। केंद्र ने उनके ठहरने और भोजन की व्यवस्था करने के निर्देश दिए हैं। इसके अतिरिक्त भी बहुत कुछ किए जाने की आवश्यकता है।


पूरे देश में राज्यों को आपसी तालमेल में प्रवासी मजदूरों के लिए हेल्पलाइन बनाकर काम करना चाहिए। पिछले तीन वर्षों से जीएसटी काउंसिल को लेकर राज्यों ने जिस प्रकार का समन्वय और सहयोग किया है, उसी प्रकार इस महामारी से निपटने के लिए भी केंद्र और राज्यों के बीच एक प्रकार की साझेदारी का वातावरण बनाए जाने की आवश्यकता है। ऐसे समय में सभी राज्यों के लिए यह महत्त्वपूर्ण हो जाता है कि वे इन मजदूरों के लिए अपने यहां पर्याप्त अवसर पैदा करें। उसके लिए राज्य में कंपनियों में निवेश जरूरी है। कई विदेशी कंपनियां, कोरोना वायरस महामारी के प्रकोप के बाद चीन से किसी अन्य देश जाने का विचार कर रही हैं। लेकिन इन प्रवासी मजदूरों ने कोरोना वायरस के लॉकडाउन जैसी कठिनाई से भरी स्थिति का सामना किया है और यही कठिनाई उन्हें वापस मजदूरी करने के लिए किसी अन्य राज्य में जाने के विचार पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करेगी। इन सभी में से आधे से अधिक प्रवासी मजदूर यह तय करेंगे कि बेहतर मजदूरी के लिए हजारों किलोमीटर दूर जाने के बजाय अपने स्वयं के राज्यों में काम करना बेहतर है। कटु सत्य है कि देशभर में हुए लॉकडाउन ने अनौपचारिक क्षेत्र में काम करने वाले असंख्य मजदूरों की आजीविका के साधनों को लगभग खत्म कर दिया है। इससे एक बात समझ में आ रही है कि देश को कोरोना से जुड़ी स्वास्थ्य संबंधी चुनौतियों के साथ-साथ रिक्शेवालों, ठेले-रेहड़ी वालों और दिहाड़ी कमाने वाले श्रमिकों के बढ़ते असंतोष और असुरक्षा की भावना के लिए प्रभावी कदम उठाने होंगे। अब जबकि यह लग रहा है कि अधिकतर प्रवासी मजदूर अपने-अपने राज्यों में ही रोजगार की तलाश करेंगे तो ऐसे में राज्यों का दायित्व बन जाता है कि वे इन मजदूरों के लिए रोजगार की कोई पुख्ता योजना अमल में लाएं। इसके लिए केंद्र सरकार को भी राज्यों की मदद के लिए आगे आना चाहिए। केंद्र व राज्य मिलकर ही इस नए संकट का समाधान कर सकते हैं।



मेरठ में कानूनगो सहित 271 संक्रमित

मेरठ सदर तहसील के कानूनगो समेत 8 नए संक्रमित, मेरठ में कोरोना पॉजिटिव हुए 2701 मेरठ में बुधवार दिन में 8 मरीजों को कोराेना की पुष्टि हुई है। अब तक 271 लोग मेरठ में कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं, जबकि 14 की मौत हो चुकी है। वहीं 72 लोग स्वस्थ होकर घर भी जा चुके हैं।
सचिन कुमार
मेरठ। सदर तहसील के कानूनगो समेत 8 नए संक्रमित बढऩे से मेरठ में कोरोना पॉजिटिव 271हो गये है। मेरठ में बुधवार दिन में 8 मरीजों को कोराेना की पुष्टि हुई है। अब तक 271 लोग मेरठ में कोरोना पॉजिटिव मिल चुके हैं, जबकि 14 की मौत हो चुकी है। वहीं 72 लोग स्वस्थ होकर घर भी जा चुके हैं। बुधवार को जिस मरीज को कोरोना की पुष्टि हुई वह सदर तहसील में कानूनगो हैं। अन्य की जानकारी की जा रही है। जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ विश्वास चौधरी ने इसकी पुष्टि की है।
मेरठ में रोजाना 316 सैंपलों की जांच की जा रही है। अब तक जिले में साढ़े छह हजार से ज्यादा सैंपल जांचे जा चुके हैं, जिनमें से 271 पॉजिटिव निकले हैं।


 


डीएम की अध्यक्षता में मासिक बैठक आयोजित

डीएम की अध्यक्षता में मासिक बैठक आयोजित  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा की अध्यक्षता में विकास भवन के सभाकक्ष में ...