रविवार, 10 मई 2020

अंडे का पीला भाग होता है खतरनाक

अंडा एक ऐसा खाद्य पदार्थ है जिसे डॉक्टर्स भी खाने की सलाह देते हैं। आमतौर पर बॉडीबिल्डर्स और फिटनेस के शौकीन लोग अंडे का सेवन रोजाना करते हैं लेकिन उन्हें अंडे के पीले भाग को ना खाने की सलाह भी दी जाती है। क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है कि पीले भाग को खाने से मना क्यों किया जाता है?


अगर नहीं, तो कोई बात नहीं यहां हम आज आपको वैज्ञानिक रिसर्च के आधार पर अंडे के पीले भाग को खाने से होने वाले कुछ ऐसे नुकसान के बारे में बताने जा रहे हैं। इसका अधिक सेवन ना केवल आपके स्वास्थ्य के लिए हानिकारक बन सकता है बल्कि अन्य कई प्रकार से भी आपकी सेहत पर बुरा असर डाल सकता है।
पहले जानिए क्या होता है अंडे का पीला भाग
सबसे पहले हम आपको बताना चाहेंगे कि अंडे के पीले भाग को जर्दी के नाम से भी जाना जाता है। वहीं, अंग्रेजी भाषा में इसे अंडे के पीले भांग भी कहते हैं। आगे चलकर यही भ्रूण की शक्ल लेता है जिसके कारण एक चूजा तैयार होता है। ऐसा माना जाता है कि भ्रूण में बहुत ज्यादा गर्मी होती है जो कई लोगों के लिए खाने के कुछ ही दिनों बाद नकारात्मक असर दिखाना शुरू कर देती है। आइए अब जानते हैं कि अंडे के पीले भाग को खाने से सेहत को क्या नुकसान हो सकता है…
इंफेक्शन का खतरा
सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार, अंडे के पीले भाग को खाने से इंफेक्शन का खतरा भी कई गुना तक बढ़ जाता है। यह खतरा आपको तक ज्यादा रहता है जब कच्चे रूप में आप अंडे का सेवन करते हैं। इंफेक्शन का खतरा तब भी ज्यादा रहता है जब अंडे को 40 डिग्री के तापमान से ऊपर रखा गया हो। अंडे को खरीदने से पहले या जांच लें कि वह ठीक तरीके से सुरक्षित किया गया है।
कमजोर इम्यून सिस्टम वालों के लिए खतरा
सीडीसी के अनुसार ही यह भी बताया गया है कि कमजोर इम्यून सिस्टम वालों के लिए भी अंडे के पीले भाग का सेवन करना खतरनाक साबित हो सकता है। अगर आप ऐसे अंडे के पीले भाग को खा रहे हैं जो किसी भी प्रकार से दूसरी तरह तो इस स्थिति में यह जानलेवा भी साबित हो सकता है। दरअसल, दूषित हो जाने पर अंडे का पीला भाग बड़ी तेजी से क्रिया करता है जो शरीर के लिए हानिकारक माना जाता है। सीडीसी के अनुसार एचआईवी पीडि़त और ऑर्गन ट्रांसप्लांट वाले लोग अंडे के पीले भाग को खाने से जरूर बचें। ऐसे लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता काफी कमजोर मानी जाती है।
डायबिटीज से पीडि़त रहें सावधान
जिन लोगों को डायबिटीज की समस्या है उन्हें भी अंडे के पीले भाग को खाने से बचना चाहिए। दरअसल, ऐसा इसलिए भी कहा जा रहा है क्योंकि अंडे के पीले भाग में कोलेस्ट्रॉल की ज्यादा मात्रा पाई जाती है। यह डायबिटीज के मरीजों के लिए भी कई गुना तक बढ़ा सकता है। डायबिटीज के मरीज अगर अंडे के पीले भाग का सेवन नियमित रूप से कर रहे हैं तो कुछ ही दिनों बाद उन्हें डायरिया, बुखार, पेट में दर्द जैसी समस्याएं भी दिख सकती हैं। इसलिए स्वास्थ्य जोखिम को नजरअंदाज करते हुए अंडे के पीले भाग को खाने से बचे रहें।
हृदय रोगों का खतरा बढ़ जाता है
अंडे के पीले भांग का सेवन करने के कारण हृदय रोगों का खतरा भी कई गुना तक बढ़ जाता है। एक वैज्ञानिक अध्ययन के अनुसार इस बात की पुष्टि की गई है कि अंडे के पीले भाग में पाई जाती है। इस कारण यदि आप अंडे के पीले भाग का नियमित रूप से अधिक मात्रा में सेवन कर रहे हैं तो यह शरीर में कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बढ़ा देगा जो आपको हृदय रोग की चपेट में बड़ी आसानी से ला सकता है।


मनोज सिंह ठाकुर


भारत-चीनी सैनिकों के बीच झड़प

नई दिल्ली। भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच झड़प की खबरें सामने आई हैं। बताया जा रहा है कि उत्तरी सिक्किम में दोनों देशों के सैनिकों के बीच झड़प हुई है। ना कुला सेक्टर में यह झड़प हुई. खबरों के मुताबिक दोनों ही तरफ के लगभग आधा दर्जन सैनिक घायल हुए हैं। हालांकि आधिकारिक तौर पर अभी इसकी पुष्टि नहीं की गई है। सूत्रों के मुताबिक बातचीत के बाद मसला सुलझा लिया गया है।


बता दें कि बीते साल भी भारत और चीन के सैनिकों के बीच झड़प की खबर सामने आई थी। लद्दाख में पेंगोंग झील के पास भारतीय और चीनी सैनिकों में पेट्रोलिंग को लेकर टकराव हुआ था। दोनों के बीच धक्कामुक्की भी हुई थी जिसके चलते ‘फेसऑफ’ की स्थिति बन गई। बाद में दोनों देशों के ब्रिगेडियर स्तर की बातचीत के बाद मामला सुलझा।


मालूम हो कि साल 2017 में इसी जगह के आसपास भारतीय और चीनी सैनिकों में जमकर मारपीट हुई थी। पेट्रोलिंग के दौरान भारतीय जवानों का सामना चीन के पीपल्स लिब्रेशन आर्मी के सैनिकों से हुआ। इसी दौरान दोनों देशों के सैनिकों के बीच बहस के बाद धक्का मुक्की शुरू हो गई।


आधुनिकता में खो गया 'कुम्हार'

गोविन्द तिवारी 
 आधुनिकता की अंधी दौड़ व उसकी चकाचौंध ने पारंपरिक व्यवसायों को पूरी तरह से खत्म कर दिया है। वहीं कुछेक पारंपरिक व्यवसाय खत्म होने के कगार पर हैं, जैसे कुम्हारों का मिट्टी के बर्तन बनाना ,कसेरों (कंसारी ) का कांसे का बर्तन बनाना, लोहारों का लोहारी कार्य, बुनकरों का बुनकर कार्य, सुनारों का सुनारी कार्य सहित कई समाजों के पारंपरिक व्यवसाय को वक्त की आंधी ने तबाह कर दिया है। मई का महीना चल रहा है काफी गर्मी पड़ रही है इस गर्मी के मौसम में कुम्हारो की जिंदगी से खुशियों के रंग गायब हो गए हैं। दूसरों के जीवन में खुशियां बिखेरने वाले ये कुम्हार अब अपने पुश्तैनी काम से काफी तंग आ चुके हैं क्योंकि आधुनिकता व मशीनी युग ने उनके पुश्तैनी व्यवसाय को लील लिया है। मई का महीना जो कि शादी-ब्याह का महीना होता है और इस महीने में अन्य व्यवसायों की तरह इनके व्यवसाय की भी काफी पूछ परख रहती है, लेकिन इस बार इनके व्यवसाय में सन्नाटा पसरा हुआ है। लॉकडाउन की वजह से शादियां रद्द होने के चलते इनके व्यवसाय को काफी नुकसान पहुंचा है। इसी प्रकार ग्रीष्म के इस चिलचिलाती धूप में पहले जगह-जगह सार्वजनिक संस्थाओं के द्वारा प्याऊ घर खोले जाते थे, जिनके लिए लोग कुम्हारों से ही घड़े खरीदते थे। वहीं अब जगह-जगह लोगों के द्वारा वाटर कूलर लगा दिए गए हैं जिससे इन कुम्हारोंं का व्यवसाय काफी प्रभावित हुआ है . हिंदू धर्म के अनेक संस्कारों में मिट्टी से बने बर्तनों का उपयोग होता है। दीपावली जिसे दीपों का त्यौहार भी कहा जाता हैं ।इन मिट्टी के दीपों की रोशनी से सारा घर आंगन जगमग हो जाता है। छत्तीसगढ़ जिसे तीज त्यौहारो वाले प्रदेश के रूप में जाना जाता हैं । मिट्टी का घड़ा जिसे देसी फ्रिज भी कहा जाता है और जिसका शीतल जल पीकर प्यासे कंठ की प्यास बुझ जाती है, गला तर हो जाता है . दूसरों के प्यासे कंठ की प्यास बुझाने वाले कुम्हार जाति के ये लोग आज खुद प्यासे हैं क्योंकि आधुनिकता के चलते लोगों ने मिट्टी के घड़ों की जगह फ्रिज को अहमियत देना शुरू कर दिया है . कुल मिलाकर कहा जाय तो पुश्तैनी धंधे की दयनीय हालत के चलते कुम्हारों का जीवन संकट में है . बड़ा सवाल यह है कि क्या सरकार कुम्हारों की पीड़ा समझते हुए उनकी मदद के लिए आगे आएगी ?


 


अतुलनीय भाव है 'मां'

मां अपने बच्चों को अपने जान से ज्यादा करती हैं प्यार
मां अपने बच्चों में कभी भी भेद भाव नहीं करती चाहे बच्चे कैसे भी रहें
केपी पटेल
भारतीय संस्कृति में मां को विशेष रूप से भारत में कई नामों से पुकारा जाता है, जैसे की मां, अम्मा, ताई, आई, माई, मॉम, मम्मी, अव्वा आदि शामिल हैं। हम जब भी मां से बात करते हैं तो हमारी आंखों में अलग से खुशी की चमक दिखाई देती है और इसकी वजह सिर्फ और सिर्फ मां का असीम प्रेम छुपा होता है। इस संसार में मां एक ऐसा शब्द है जिसकी तुलना किसी दूसरे शब्द से नहीं की जा सकती। कहते हैं कि भगवान ब्रह्मा ने जब इस सृष्टि की रचना की थी उसकी सर्वश्रेष्ठ सृष्टि मां ही थी। भगवान हर किसी के पास नहीं जा सकते, इसीलिये उन्होंने मां को बनाया और उन्हें हम सभी के पास भेज दिया।



दुनिया में मां ही भगवान की एक ऐसी रचना है जो अपने बच्चों का कभी बुरा नहीं चाहती। खुद कष्ट सहेगी लेकिन अपने बच्चों को परेशान नहीं देखेगी। यही नहीं, दुनिया में ऐसे हजारों किस्से सुनने को मिलते हैं जहां मां खुद भूखी रहकर अपने बच्चों को खाना खिलाती हैं। मां कभी भी अपने पुत्र का बुरा नही चाहती है माँ खुद भूखी सो सकती है लेकिन कभी भी अपने संतान को भूखा नही सोने देती है और जिसपर माँ की असीम कृपा हो जाए उसे दुनिया में सर्वश्रेष्ट स्थान मिल जाता है आईये आपको माँ की ममता और माँ के दिखाए रास्ते की एक छोटी सी कहानी बताते है जो हमे माँ की ममता और आत्म सम्मानपूर्वक जीवन जीने का मार्ग दिखाता है। मदर्स डे अलग-अलग देशों में अलग-अलग परंपरा से मनाया जाता है और इस दिन बच्चे अपनी मां को तरह-तरह के उपहार भेंट कर उनका सम्मान किया जाता है। यही नहीं, मां के सम्मान में लिखे गए गीत, कहानियां सुनाने के अलावा नाटक आदि का आयोजन किया जाता है।



भारत जैसे देश में मातृ दिवस के लिये कोई तारीख निर्धारित नहीं होती, क्योंकि हमें पूरे जीवनभर मां का सम्मान करने की बात सिखायी जाती है। इसलिए केवल एक ही दिन मां के लिये कुछ करना या उनका सम्मान करना कोई मायने नहीं रखता। मां ही है जो जिन्दगी भर अपने बच्चों की भलाई और विकास के बारे में सोचती है। वह सोचती है कि ऐसा क्या करें जो उसके संतान पूरी जिन्दगी आराम से बिताए और उन्हें कोई परेशानी न हो। मां अपने बच्चों को अपने जान से भी ज्यादा प्यार करती है। बच्चे चाहे कैसे भी हों रंग, रूप, बनावट, सुंदरता इत्यादि पर कभी भी बच्चों पर भेद भाव नहीं करते और एक समान सभी बच्चों को प्यार देते हैं और उनके सभी जरूरतों को पूरा करने के लिए हर प्रयास करते हैं। बच्चे अपना कोई भी इच्छा हो सबसे पहले अपने मां को बताते है जिसके माध्यम से बाद में पिता (पापा) को पता चलता है।


इसलिए मदर्स डे के दिन आपको अपनी मां से पहले उठ जाना चाहिए और मां के उठने पर उसके चरणों पर फूल रखकर उसे नमन करना चाहिए। ऐसा करने से मां के चेहरे पर जो मुस्कान दिखेगा और उसके आशीर्वाद से आपके जीवन का कल्याण होगा! मां के गर्भ में आने के लिए भगवान भी तरसते है और मां के प्यार पाने के लिए और संसार की सेवा करने के लिए देवी देवताओं और महापुरूषों ने कई बार जन्म लिए है जिनका उदाहरण आपके सामने प्रस्तुत है जैसे श्रीराम, श्री कृष्ण, श्री गौतम बुद्ध, महात्मा गांधी, भगत सिंह इत्यादि।


एयर इंडिया के 5 पायलट संक्रमित

नई दिल्ली। एयर इंडिया के पायलट भी कोरोना वायरस की चपेट में आ गए हैं। एयर इंडिया के 5 पायलट कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं। उड़ान भरने से 72 घंटे पहले हुई जांच में इन्हें कोरोना पॉजिटिव पाया गया. ये सभी पायलट मुंबई में हैं और पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें उचित मेडिकल निगरानी में रखा गया है। एयर इंडिया के सूत्रों ने बताया कि ये पायलट कार्गो विमान लेकर कुछ दिन पहले ही चीन गए थे।


एयर इंडिया के पांचों पायलट ऐसे समय कोरोना पॉजिटिव पाए गए हैं जब विदेश महत्वपूर्ण वंदे भारत मिशन चलाया जा रहा है। इसके अलावा कोरोना लॉकडाउन के बीच देश के दूर दराज के इलाकों मे जरूरी समान और दवाएं पहुंचाने की जिम्मेदारी निभा रहे हैं। वंदे भारत मिशन के तहत विदेश से लगातार भारतीयों की एयर इंडिया के विमान वापसी कराई जा रही है। पिछले 24 घंटे में 800 से ज्यादा भारतीयों की वतन वापसी हुई है।


बता दें कि विदेशों में फंसे प्रवासियों को लेकर 12 देशों से फ्लाइट्स आ रही हैं और देश के 14 शहरों में 64 फ्लाइट्स लैंड करेंगी। ये फ्लाइट्स छोटे एयरपोर्ट्स पर भी लैंड करेंगे और इस बात का ख्याल रखा जाएगा कि लोग अपने घर के करीब जगह पर उतरें। वंदे भारत मुहिम को पूरा करने में एयर इंडिया अहम भूमिका निभा रही है। बताया जा रहा है कि खाड़ी देशों से 27 उड़ानें, संयुक्त अरब अमीरात से 11, पड़ोसी देश बांग्लादेश से 7, दक्षिण-पूर्व एशिया से 14, अमेरिका के 4 हवाई अड्डों से 7 उड़ानें और लंदन से 7 उड़ानें भारत के लिए रवाना होने वाली हैं।


हादसे में 5 की मौत, 13 की हालत गंभीर

रोनक दुबे


नरसिंहपुर। मध्य प्रदेश के नरसिंहपुर जिले में आज देर रात आम से भरा ट्रक पलटने से 5 मज़दूरों की मौत हो गई, जबकि 13 मज़दूर गम्भीर रूप से घायल हो गए। घायलों का इलाज जिला अस्पताल में किया जा रहा है। सभी मज़दूर हैदराबाद से आम के ट्रक में छिपकर उत्तर प्रदेश के झांसी जा रहे थे।


जानकारी के मुताबिक लॉकडाउन के चलने परिवहन की व्यवस्था न होने की वजह से ये मजदूर आम के ट्रक में छिपकर हैदराबाद से झांसी जा रहे थे। तभी नरसिंहपुर जिले के पाठा गांव के पास ट्रक अनियंत्रित होकर पलट गया और इस हादसे में पांच मज़दूरों की जान चली गई। हादसे में दो मजदूर गंभीर रूप से घायल हुए हैं जिन्हें इलाज के लिए जबलपुर रेफ़र किया गया है। अन्य 11 घायलों का इलाज जिला अस्पताल में जारी है। घायल मज़दूरों में से एक को कुछ दिन से सर्दी खांसी की परेशानी थी जिसके चलते मृतकों सहित सभी के कोरोना सैम्पल लेकर जांच के लिए भेज दिए गए हैं। घटना की जानकारी लगते ही जिले के कलेक्टर एसपी ने घटनास्थल पर पहुंचकर घायलों को अस्पताल पहुंचाया। कलेक्टर ने इस घटना में पांच मज़दूरों की मौत की पुष्टि की है।


औरंगाबाद में 16 मजदूरों की हुई थी मौत


लॉकडाउन के दौरान मजदूरों की घर वापसी और रास्ते में हादसे का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा है। शुक्रवार सुबह महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में रेल की पटरियों पर सो रहे 16 प्रवासी मजदूरों की एक मालगाड़ी की चपेट में आने से मौत हो गई थी। भुसावल की ओर पैदल जा रहे ये मजदूर मध्य प्रदेश लौट रहे थे। वे रेल की पटरियों के किनारे चल रहे थे और थकान के कारण पटरियों पर ही सो गए थे। ये सभी महाराष्ट्र के जालना की एक स्टील फैक्टरी में काम करते थे।


90 लाख लोगों को रोजगार देगी सरकार

लखनऊ। उत्तर प्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों (एमएसएमई) का बेहद संपन्न इतिहास रहा है। हर जिले के खास उत्पाद (एक जिला एक उत्पाद) इसका सबूत है। अब इन्हीं एमएसएमई उद्योगों और एक जिला एक उत्पाद के जरिए सरकार करीब 90 लाख अतिरिक्त रोजगार के अवसर मुहैया कराएगी।


मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने निर्देश दिया है कि हर एमएसएमई में रोजगार का एक अतिरिक्त अवसर पैदा किया जाए। मालूम हो कि प्रदेश में फिलहाल एमएसएमई की 90 लाख इकाइयां भी हैं। नई लगने वाली इकाईयों के लिए पर्यावरण के साथ सभी तरह के अनापत्ति प्रमाणपत्रों के नियमों को सरल किया जाएगा। पारदर्शिता के लिए ये सारे प्रमाणपत्र सिंगल विंडो सिस्टम से तय समय में मिलेंगे।


एमएसएमई सेक्टर का हब बनेगा उप्र: योगी


रविवार को अपने निर्देश में मुख्यमंत्री ने कहा कि उप्र में यह सेक्टर पहले की ही तरह अपने गौरव को प्राप्त करे यह मेरी प्रतिबद्धता है। कोरोना के मौजूदा संकट ने हमको यह अवसर दिया है। हम इसे चुनौती के रूप में स्वीकार कर प्रदेश को एमएसएमई सेक्टर का हब बनाएंगे। इससे न्यूनतम पूंजी, न्यूनतम जोखिम में स्थानीय स्तर पर लोगों को रोजगार मिलेगा। साथ ही नये उप्र का निर्माण भी होगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि इस सेक्टर के तहत इकाई लगाने वाले उद्यमी 1000 दिनों के आखिरी सौ दिनों में आवेदन कर अनापत्ति प्रमाणपत्र प्राप्त कर सकेंगे। इकाई लगाने वाले हर उद्यमी को आसान शर्तों पर बैंकर्स लोन देंगे। इसके लिए हर जिले में 12 से 20 मई तक विशाल लोन मेले आयोजित होंगे। इसके लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा। राज्य स्तरीय बैंकर्स कमेटी की बैठक में बैंकर्स को इस बाबत निर्देश दिये जा चुके हैं।उद्योग लगाने वालों को मोटीवेट करने के लिए बनाएं कार्ययोजनाः मुख्यमंत्री ने कहा कि अधिक से अधिक उद्यमी प्रदेश में सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग की इकाईयां लगाएं इसके लिए अधिकारी संबंधित लोगों को मोटीवेट करें। यह कैसे करना है इसके लिए जितनी जल्दी संभव हो विस्तृत कार्ययोजना तैयार करें। मंदी के बावजूद पिछले तीन वर्षों में प्रदेश की प्रति व्यक्ति आय की वृद्धि में इस सेक्टर का महत्वपूर्ण योगदान है। आगे हम इसीके जरिए प्रति व्यक्ति आय में और इजाफा करेंगे।


पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया

पूर्व पीएम सिंह को इमरजेंसी विभाग में भर्ती कराया  अकांशु उपाध्याय  नई दिल्ली। भारत के पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह को बृहस्पतिवार को ...