शनिवार, 9 मई 2020

नौकरी करने वालों के लिए बुरी खबर

नई दिल्ली। अगर आप किसी कंपनी में नौकरी करते हैं तो यह खबर आपके लिए है। साल में आपको जो बोनस मिलता है और महीने में सैलरी के जो मिनिमम रुपये मिलते हैं, उस पर कंपनियों की नजर है। कंपनियां चाहती हैं कि दो-तीन साल के लिए ऐसा नियम बन जाए कि यह देना ही न पड़े। कंपनी अपने हिसाब से नियम बनाकर ऐसा करना चाहती हैं। कंपनियों ने ये सुझाव केंद्र सरकार को दिए हैं। कंपनियों की ये बात अगर सरकार ने मानी तो यह नियम लागू भी हो सकते हैं। एम्प्लॉयर्स एसोसिएशन के तत्वाधान में कंपनियों के प्रतिनिधि श्रम मंत्री संतोष गंगवार से मिले। फिर एसोसिएशन ने कुछ सुझाव दिए हैं। सरकार से अनुरोध किया गया है कि दो-तीन साल के लिए लेबर कानूनों में छूट दी जाए ताकि कर्मचारियों को न तो मिनिमम वेज देना पड़े और न ही बोनस देना पड़े। जो सैलरी वर्कर्स को देंगे या जो दिहाड़ी वर्कर्स को देंगे वो Corporate Social Responsibility के अंतर्गत आए। इसके तहत कंपनियों को भलाई के काम में सरकार छूट देती है। यह भी कहा कि काम करने के वक्त को 12 घंटे तक बढ़ा दिया जाए। श्रमिकों के साथ होने वाले विवाद के लिए डिस्प्यूट एक्ट में भी छूट दी जाए ताकि लेबर मामलों में मुकदमेबाजी का चक्कर कम हो.कारखाना चलाने के लिए मिनिमम 50% कर्मचारी की अनुमति दी जाए। अभी‌ लॉकडाउन खुलने के बाद एक तिहाई कर्मचारी के लिए अनुमति मिली है।
पीएम गरीब कल्याण योजना में पीएफ वाली योजना का फायदा कंपनियों को ज्यादा दिया जाए। इस योजना में सरकार कर्मचारी और कंपनी दोनों का हिस्सा सरकार जमा करती है। इसके अलावा कंपनी चलाने के लिए सरकार पैकेज दे, साथ ही बिजली की सप्लाई पर सब्सिडी दी जाए।


स्वास्थ्य विभाग में 17 हजार पदों पर भर्ती

 महाराष्ट्र सरकार स्वास्थ्य विभाग में करेगी 17,000 पदों पर भर्ती


मुंबई। महाराष्ट्र कोरोना वायरस के मरीजों की बढ़ती संख्या से जूझ रहा है, ऐसे में महाराष्ट्र सरकार राज्य भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग में 17,000 रिक्त पदों पर भर्ती करने की योजना बना रही है। उम्मीद जताई जा रही है नियुक्ति की प्रक्रिया लॉकडाउन के दौरान ही की जाएगी। स्वास्थ्य मंत्री राजेश टोपे ने गुरुवार को कहा कि सरकार अगले दो दिनों में प्रमुख स्वास्थ्य विभाग में रिक्त पदों को भरने के लिए भर्ती निकालेगी। जो कोरोना वायरस प्रकोप के दौरान महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे।


उन्होंने कहा, अगले दो दिनों में, मैं मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव के साथ मिलकर पता लगाऊंगा कि राज्य भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग में 17,000 रिक्त पदों को कैसे भरा जाए। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन देशभर में 17 मई तक जारी है, लेकिन हम योग्य लोगों की भर्ती के लिए एक समाधान खोजने की कोशिश कर रहे हैं। क्योंकि सार्वजनिक स्वास्थ्य मंत्रालय के तहत कुछ भर्तियां होनी अभी बाकी है।


महाराष्ट्र के बाद गुजरात बना सिरदर्द

मुंबई। कोरोना वायरस के मामले में महाराष्ट्र के बाद गुजरात सबसे बड़ा सिरदर्द बना हुआ है। गुजरात में कोरोना वायरस के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं और यह आंकड़ा 7 हजार पार कर चुका है। इस बीच एम्स के निदेशक डॉ. रणदीप गुलेरिया सहित विशेषज्ञों की एक टीम अहमदाबाद भेजी गई है। माना जा रहा है कि एम्स डायरेक्टर को केंद्र सरकार ने अमहदाबाद की स्थिति को देखने और वहां के डॉक्टरों को गाइड करने के लिए भेजा गया है।


आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि केंद्र से मिले निर्देशों के बाद गुलेरिया और एम्स के मेडिसिन विभाग के डॉ मनीष सुनेजा शुक्रवार शाम भारतीय वायु सेना के विशेष विमान से अहमदाबाद रवाना हुए। ये दोनों सिविल अस्पताल और एसवीपी अस्पताल का दौरा करेंगे और वहां के डॉक्टरों को कोरोना से निपटने में गाइड करेंगे। एक अधिकारी के मुताबिक, ‘वे अहमदाबाद के सिविल अस्पताल और एसवीपी अस्पताल का दौरा कर हालात का जायजा लेंगे। दोनों विशेषज्ञ डॉक्टरों से बात करके फीडबैक देंगे और फिर रवाना हो जाएंगे।’ गौरतलब है कि एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने बीते दिनों ही कहा था कि भारत में कोरोना वायरस जून-जुलाई में अपने चरम पर होगा। गुजरात में बीते 24 घंटे में कोविड-19 के 390 नए मामले सामने आने के बाद शुक्रवार को संक्रमितों की संख्या बढ़कर 7,403 हो गई है। प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) जयंती रवि ने बताया कि बीते 24 घंटे के दौरान 24 लोगों की मौत के बाद मृतकों की संख्या बढ़कर 449 हो गई। उन्होंने बताया कि 163 मरीजों को इलाज के बाद अस्पताल से छुट्टी भी दी गई। राज्य में अभी तक 1,872 संक्रमित लोग स्वस्थ हो चुके हैं। अभी तक कुल 1,05,387 नमूनों की जांच की गई है।


उन्होंने कहा, ‘गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी के अनुरोध पर केन्द्र सरकार ने एम्स के निदेशक रणदीप गुलेरिया और डॉक्टर मनीष सुरेजा को शनिवार को गुजरात भेजने का फैसला किया है ताकि मृत्युदर कम करने में राज्य की मदद की जा सके।’


सोने में निवेश के लिए सुनहरा मौका

सोने में निवेश के लिए एक और मौका, 11 मई से इस भाव पर सोना बेचेगी मोदी सरकार
नई दिल्ली। मोदी सरकार सोने में निवेश के लिए एक और मौका 11 मई से देने जा रही है। आप अगर कोराेना संकट के बीच सबसे सुरक्षित निवेश माने जाने वाले गोल्ड में निवेश करना चाहते हैं तो यह आपके लिए स्वार्ण बॉन्ड में निवेश का सुनहरा मौका है। सरकारी स्वर्ण बांड की अगली किस्त के लिए निर्गम मूल्य 4,590 रुपये प्रति ग्राम तय किया गया है। अप्रैल सीरीज में गोल्ड बांड का भाव 4,639 प्रति ग्राम तय किया गया था। भारतीय रिजर्व बैंक ने शुक्रवार को एक बयान में इसकी जानकारी दी।सॉवरेन गोल्ड बांड योजना 2020-21 की दूसरी श्रृंखला 11 मई 2020 से खुलकर 15 मई 2020 तक अभिदान के लिए खुली रहेगी। पहली श्रृंखला जारी करते समय स्वर्ण बांड का निर्गम मूल्य 4,639 रुपये प्रति ग्राम था।


रिजर्व बैंक ने पिछले महीने कहा था कि सरकार 20 अप्रैल से सितंबर तक, छह चरणों में सॉवरेन स्वर्ण बांड जारी करेगी। भारत सरकार की ओर से ये बांड रिजर्व बैंक जारी करेगा। भारत सरकार ने ऑनलाइन आवेदन करने वाले और डिजिटल माध्यम से भुगतान करने वाले निवेशकों को निर्गम मूल्य में 50 रुपये ग्राम प्रति ग्राम की छूट देने का निर्णय लिया है। ऐसे निवेशकों के लिये स्वर्ण बांड की कीमत 4,540 रुपये प्रति ग्राम होगी।


पहली सीरीज में 822 करोड़ का निवेश


पहली सीरीज में 20 अप्रैल से लेकर 24 अप्रैल के बीच इसका सब्सक्रिप्शन हो चुका है। पहली किस्त 28 अप्रैल को जारी की गई। गोल्ड बांड की अप्रैल सीरीज को लेकर निवेशकों में जबरदस्त क्रेज दिखा है। आरबीआई द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक अप्रैल सीरीज को 17.73 लाख यूनिट के लिए करीब 822 करोड़ का सब्सक्रिप्शन मिला। यह अक्टूबर 2016 के बाद सबसे ज्यादा सब्सक्रिप्शन है। अप्रैल सीरीज में गोल्ड बांड का भाव 4,639 प्रति ग्राम तय किया गया था।


कई ने तोड़ा दम, 500 से अधिक संक्रमित

नयी दिल्ली। सीमा सुरक्षा बल बीएसएफ) के दो जवान और केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल सीआईएसएफ) के एक अधिकारी ने कोविड-19 संक्रमण के कारण दम तोड़ दिया। विभिन्न अर्धसैनिक बलों में कोरोना वायरस के मामले 500 के करीब पहुंच गए हैं। इन दोनों अर्धसैनिक बलों में कोरोना वायरस से मौत की यह पहली घटना है। केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों सीएपीएफ) में बृहस्पतिवार को कोरोना वायरस के लगभग 90 नए मामले सामने आए। सीएपीएफ में केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, सीमा सुरक्षा बल, केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस और सशस्त्र सीमा बल शामिल हैं। पिछले महीने सीआरपीएफ के 55 वर्षीय एक उप निरीक्षक की संक्रमण से मौत हो गई थी।
विभिन्न सुरक्षा बलों के तीन और जवानों की मौत होने से सीएपीएफ में कोविड-19 से जान गंवाने वाले जवानों की संख्या चार हो गई है। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने इन मौतों पर शोक व्यक्त किया। उन्होंने ट्विटर पर कहा, ”कोविड-19 से जूझने वाले हमारे दो बहादुर बीएसएफ जवानों की मौत के बारे में जानकर गहरा दुख हुआ। मैं उनके असामयिक निधन पर करोड़ों भारतीयों के साथ शोक व्यक्त करता हूं।” शोक संतप्त परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हुए, शाह ने कहा ”भगवान उन्हें इस दुखद घड़ी का सामना करने की शक्ति दे।”


बीएसएफ कोविड-19 के 41 नये मामले सामने आये हैं, जबकि बल के दो कर्मियों की कोरोना वायरस संक्रमण से मौत हो गई है। कोविड-19 से बल के कर्मियों की मौत होने का यह पहला मामला है। बीएसएफ में संक्रमण के कुल मामले बढ़ कर अब 193 हो गये हैं। दो जवान इस रोग से उबर चुके हैं। सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों सीएपीएफ) के बीच संक्रमण के सबसे अधिक मामले बीएसएफ में हैं, जिसके साथ ही सभी अर्धसैनिक बलों में संक्रमण की कुल संख्या अब 490 के करीब पहुंच गई है।


कोविड-19 के कारण जान गंवाने वाले बीएसएफ जवानों में 46 वर्षीय एक सहायक उप निरीक्षक भी शामिल हैं जो दिल्ली में बल के मुख्यालय संचार विंग) में तैनात थे और उन्हें कोई अन्य बीमारी नहीं थी। जान गंवाने वाले दूसरे बीएसएफ जवान दिल्ली के एक अस्पताल में डायलिसिस करवा रहे थे। राष्ट्रीय राजधानी के जामिया और चांदनी महल क्षेत्रों में तैनात एक कंपनी के 80 प्रतिशत सैनिकों को अब तक कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है।


एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि उस कंपनी के 94 कर्मियों में से 75 को अब तक संक्रमित पाया गया है। इसके अलावा काफी मामले त्रिपुरा में स्थित एक बीएसएफ इकाई के हैं। बीएसएफ के प्रवक्ता शुभेंदु भारद्वाज ने कहा, ”सीमा को सुरक्षित रखने की चुनौती को पूरा करने, असैन्य प्रशासन के साथ काम करने और अन्य आवश्यक जिम्मेदारियों को निभा रहे बीएसएफ में बुधवार से कोविड-19 के 41 नए मामले सामने आए हैं।”मुम्बई में तैनात सीआईएसएफ के 55 वर्षीय हेड कॉन्स्टेबल की कोरोना वायरस से संक्रमित होने के बाद मौत हो गई। अधिकारी ने बताया कि कोविड-19 से संक्रमित 32 कर्मियों का इलाज जारी है। उन्होंने बताया कि मृतक मुम्बई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर तैनात था। मुम्बई के एक अस्पताल में उसका इलाज चल रहा था, जहां बुधवार को उसकी मौत हो गई।


सभी केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में लगभग 10 लाख कर्मचारी हैं। इस बीच, सीआरपीएफ ने सरकार को उन केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवानों को 50 लाख रुपये का विशेष अनुदान देने का प्रस्ताव रखा है, जिनकी कोविड-19 ड्यूटी के दौरान मृत्यु हो जाती है। एक अधिकारी ने बताया कि बल ने इस संदर्भ में केंद्रीय गृह मंत्रालय को एक प्रस्ताव भेजा है।


कोरोना के साथ नई रहस्यमई बीमारी

लंदन। दुनिया अभी कोरोना के कहर से उबर नहीं पाई है, लेकिन इसी तरह की एक रहस्यमय बीमारी ने कई देशों में दस्तक दे दी है। अमेरिका और यूरोप के कई देशों में इसके मामले सामने आए हैं। ब्रिटेन में इस बीमारी से एक बच्चे की मौत भी हो गई है।बीमारी को पीडिएट्रिक मल्टी-सिस्टम इनफ्लेमेट्री सिंड्रोम नाम दिया गया है। इस कोविड-19 से जोड़कर देखा जा रहा है। ब्रिटेन में कम से कम 64 बच्चे और किशोर इस बीमारी से जूझ रहे हैं। शोधकर्ताओं का कहना है कि इससे बच्चों में कई दिनों तक तेज बुखार रहता है। पेट में दर्द होने के साथ बार-बार उल्टी आती है। प्रोफेसर जेन न्यूबर्गर का कहना है कि इसके अभी तक बहुत कम मामले आए हैं लेकिन संख्या लगातार बढ़ रही है। डॉक्टर और वैज्ञानिक अभी इसकी तह में जाने की कोशिश कर रहे हैं।


यह पता नहीं चल पा रहा है कि यह कुछ ही बच्चों को क्यों निशाना बना रही है। डॉक्टरों ने कहा कि अगर बच्चा बीमार दिखता है,तब आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए। कुछ मरीज बहुत गंभीर स्थिति में लाए गए हैं जिनमें लो ब्लड प्रेशर और तेज बुखार की शिकायत थी। कुछ ऐसे भी हैं जिनके कोरोनरी आर्टरी की समस्या है। कुछ मरीजों में टॉक्सिक शॉक सिंड्रोम जैसे लक्षण देखने को मिले हैं। उन्हें पेट दर्द, उल्टी और डायरिया की शिकायत है। उनके शरीर और सीने में भारी जलन है। मरीजों को इमुनोग्लोबिन दिया जा रहा है जिससे इम्यून सिस्टम में जलन कम करने में मदद मिलती है। साथ ही उन्हें स्टेरॉइड और साइटोकाइन ब्लॉकर्स भी दिया जा रहा है।


आज अभिनेता ज्यादा पेशेवर है

मुंबई। सिंघम जैसी फैल्मों से अपनी विशेष पहचान बनाने वाले अभिनेता अजय देवगन को नपे-तुले यानी बेहद सीमित शब्दों में जवाब देने के लिए जाता जाता है। बहुत सारी फिल्मों में सिर्फ दोस्ती-यारी की वजह से काम करने वाले अजय कहते हैं कि उनकी परवरिश ऐसी ही हुई है, दोस्ती के कारण अगर किसी फिल्म में काम किया और वह असफल हुई तब भी कोई पछतावा नहीं होता है।
अभिनेता अजय देवगन ने कहा कि नए जमाने के अभिनेता बहुत ज्यादा पेशेवर हैं। वह दोस्ती-यारी में किसी फिल्म में काम नहीं करते हैं, इसमें नुकसान भी है और फायदा भी। अजय अपनी जेनरेशन के ऐक्टर्स के बारे में बात करते हुए कहते हैं कि उनकी परवरिश और पढ़ाई-लिखाई जिस तरह की हुई है, उस तरह वह कभी भी पेशेवर रुख नहीं अपना सकते हैं।
अजय कहते हैं, ‘बहुत बार ऐसा होता है, जब हम लोग कई फिल्में दोस्ती यारी के खाते में कर देते हैं। मैंने तो बहुत सारी फिल्मों में काम सिर्फ दोस्ती-यारी की वजह से की है, हम कई बार सोचते हैं कि दोस्ती-यारी में फिल्म नहीं करेंगे, लेकिन फिर भी हम करते हैं। आज की नई जेनरेशन के ऐक्टर्स ऐसा बिल्कुल भी नहीं करते हैं। आज के सभी अभिनेता बहुत पेशेवर हैं, बहुत ज्यादा सोच-समझ कर काम करते हैं, मुझे लगता है काम करने का यह तरीका बहुत अच्छा हैं।’
दोस्ती-यारी में फिल्म करने के बाद जब वह फिल्म असफल हो जाती है, तब क्या कभी पछतावा करते हैं?
जवाब में अजय कहते हैं, ‘मुझे दोस्ती खाते में फिल्म करने के बाद कोई दुख नहीं होता है। अब जब कुछ सोचा था इसलिए किया, मेरे किसी फिल्म में काम करने से किसी का कुछ फायदा हो जाए तो क्या हर्ज है। एक बात यह भी है कि अब मुझे फिल्म इंडस्ट्री में काम करते हुए 28 साल हो गए हैं, ऐसे में किसी के लिए कुछ कर दिया तो क्या फर्क पड़ जाएगा। अब हमारा करियर तो खराब होगा नहीं किसी की मदद जरूर हो जाएगी।’
अजय बताते हैं, ‘हमारी जेनरेशन के लोग कोशिश जरूर करते हैं पेशेवर ढंग से काम करने की, लेकिन यह संभव नहीं हो पता है। ज्यादा प्रफेशनल होने से नुकसान सबका होता है। आज के अभिनेताओं ने पेशेवर रुख को दोस्ती-यारी से अलग रखा है। यह सोच पेशेवर होने के लिहाज से बहुत अच्छी है, लेकिन हम जैसे पले-बढ़े हैं और जिस तरह व्यवहार करना सीखा है, वह सीख ही ऐसी है, जिसमें किसी को भी देखकर आज भी पिघल जाते हैं।’



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