शुक्रवार, 8 मई 2020

लॉकडाउनः देशों में कई तरह के मतभेद

लंदन। कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन को हटाने को लेकर विभिन्न देशों में कई तरह के मतभेद उभरकर सामने आ रहे हैं। एक ओर अर्थव्यवस्था बर्बाद होने का खतरा है तो वहीं दूसरी ओर जान जाने का डर सता रहा है। फ्रांस के मेयर स्कूलों को फिर से खोलने के सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं।


इटली के गवर्नर लॉकडाउन नियमों में तेजी से ढील देने की मांग कर रहे हैं। ब्रिटेन सरकार अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने को लेकर बेताब है। स्कॉटलैंड की नेता निकोला स्टर्जन ने आगाह किया है कि जल्दबाजी में कदम उठाने से वायरस दोबारा विकराल रूप धारण कर सकता है।स्टर्जन ने बृहस्पतिवार को कहा, "इस समय पाबंदियों में ढील देने में जल्दबाजी दिखाना बहुत-बहुत खतरनाक साबित हो सकता है।"


अमेरिका के बाद ब्रिटेन में कोरोना वायरस से सबसे अधिक 30 हजार मौतें हुई हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन बृहस्पतिवार को लॉकडाउन की अवधि बढ़ा सकते हैं। हालांकि, साथ ही इस बात की भी संभावना है कि वह अगले सप्ताह से आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों के लिये थोड़ी और ढील दे सकते हैं।ब्रिटेन में 23 मार्च से लॉकडाउन लागू है। ऐसे में लोगों को जरूरी सामान खरीदने के लिये ही बाहर जाने की अनुमति है। इससे पहले रविवार को जॉनसन ने अगले सप्ताह के लिये रोडमैप तैयार किया था। जॉनसन ने कहा है कि संक्रमण के दूसरे दौर से बचने के लिये सरकार अधिकतम सावधानी बरतेगी। फ्रांस में पेरिस क्षेत्र में 300 से अधिक मेयरों ने राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों से आग्रह किया है कि वह सोमवार से स्कूल दोबारा खोलने के अपने फैसले पर फिर से विचार करें। देश में कई मेयर पहले ही, स्कूल खोलने से इनकार कर चुके हैं। हालांकि, दूसरी ओर सरकार पर अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने का दबाव भी है। वहीं, इटली में सरकार ने दो महीने से जारी लॉकडाउन में ढील देनी शुरू कर दी है। इस दौरान 45 लाख कर्मचारियों को काम पर जाने की अनुमति दी गई है, हालांकि क्षेत्रीय गवर्नर सरकार पर दुकानें और रेस्त्रां खोलने का दबाव बना रहे हैं। गर्वनर अपनी खुद की योजनाओं के तहत लॉकडाउन खोलने का प्रस्ताव सरकार के सामने रखना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि संक्रमण पर काबू रखकर उनके क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां फिर से शुरू की जाएं। इटली के प्रधानमंत्री जोसेफ कोंटे ने देश के रोमन कैथोलिक बिशपों के दबाव में आकर 18 मई से जनसभाएं करने की अनुमति दे दी है। स्पेन में, आठ सप्ताह के सख्त लॉकडाउन के चलते सरकार की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। कुछ क्षेत्रीय और विपक्षी पार्टियां 14 मार्च से लागू आपातकाल को खत्म करने की मांग कर रही हैं। हालांकि सरकार का कहना है कि अभी ऐसा किया जाना ठीक नहीं है। इस बीच जर्मनी की 16 राज्य सरकारें भी रेस्त्रां और होटल जैसे उद्योग फिर से खोलने को लेकर आतुर हैं। राज्य सरकारों ने बुधवार को चांसलर एंजेला मर्केल के साथ हुई बैठक में इस बात पर सहमति जतायी कि राज्यों के प्रमुखों को अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने का फैसला लेने के लिये ज्यादा अधिकार दिये जाएंगे। अगर संक्रमण पर काबू नहीं पाया गया तो राज्य दोबारा पाबंदियां लागू कर सकते हैं। रूस में संक्रमण के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है। ऐसे में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने राज्य सरकारों को लॉकडाउन समेत अन्य पाबंदियां लागू करने का निर्देश दिया है। हालांकि, सेंट पीटर्सबर्ग के पॉलिटिक्स थिंकटैंक के प्रमुख मिखाइल विनोग्रेडोव ने कहा कि देश की सरकार गवर्नरों को मिले-जुले संदेश भेज रही है, जिससे उन्हें फैसले लेने में दिक्कत हो रही है। अमेरिका में भी कोरोना वायरस पाबंदियों को लेकर मत विभाजन देखने को मिल रहा है, जहां कुल 50 में से आधे राज्य लॉकडाउन में ढील दे रहे हैं, जिससे जन स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंताएं बढ़ गई हैं। वाशिंगटन में कैसर फैमिली फाउंडेशन की वैश्विक स्वास्थ्य नीति के एसोसिएट डायरेक्टर जोश मिचौड ने कहा, 'अगर हम उचित सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों के बिना इन पाबंदियों में ढील देंगे तो संक्रमण के और अधिक मामले सामने आ सकते हैं और मृतकों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है।" शोधकर्ताओं ने हाल ही में अनुमान लगाया है कि अगर कोरोना वायरस को समय रहते काबू नहीं किया गया तो अमेरिका में कुल 1,34000 लोगों की जान जा सकती है। फिलहाल अमेरिका में 70 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 12 लाख से अधिक लोग संक्रमित हैं। दुनियाभर में कोरोना वायरस से अबतक 36 लाख लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें करीब ढाई लाख लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस बीते साल चीन के वुहान शहर से फैलना शुरू हुआ था। बृहस्पतिवार को चीन में संक्रमण के केवल दो मामले सामने आए हैं।


लॉक डाउन मतलब जरूरी चीजों का पालन

नई दिल्ली। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने शुक्रवार को कहा कि कोविड-19 के प्रसार को रोकने के लिए लागू राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन कोई ऑॅन और ऑफ का स्विच नहीं है। उन्होंने कहा कि लोगों के मन में एक मनोवैज्ञानिक बदलाव लाने की जरूरत है। राहुल गांधी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “लॉकडाउन कोई सिर्फ बटन दबाना नहीं है। लॉकडाउन में कई सारी चीजें करने की जरूरत है, मनोवैज्ञानिक बदलाव लाने की जरूरत है।”


उन्होंने आगे कहा कि मौजूदा समय में कोविड-19 बीमारी खतरनाक लग रही है और यह सच्चाई है कि यह वाकई में बुजुर्गो, मधुमेह के मरीजों और दिल व फेफड़े के मरीजों के लिए खतरनाक है। कांग्रेस नेता ने कहा, “मौजूदा समय में लोग बहुत डरे हुए हैं। सरकार यदि लॉकडाउन हटाना चाहती है तो उसे लोगों के मन में मनोवैज्ञानिक बदलाव लाने और इस भय को भरोसे में बदलने की जरूरत है। अन्यथा आप लॉकडाउन हटाएंगे तो लोग बाहर निकलेंगे।” उन्होंने कहा कि कोविड-19 बीमारी हर किसी के लिए खतरनाक नहीं है। उन्होंने कहा, “कोरोना वायरस सिर्फ एक-दो प्रतिशत लोगों के लिए खतरनाक है, जबकि 95 प्रतिशत लोगों के लिए, जो स्वस्थ हैं, यह खतरनाक नहीं है। इसलिए लोगों को इस बारे में बताना चाहिए और इस महामारी से जुड़ी उनकी चिंताओं और अंदरूनी सोच को बदलने की जरूरत है।” कांग्रेस नेता ने यह भी कहा कि कोरोना वायरस लॉकडाउन के बुरे प्रभाव से देश को बचाने के लिए आर्थिक गतिविधियों को फिर से शुरू करने की जरूरत है। उन्होंने कहा, “हमें अपनी घरेलू अर्थव्यवस्था को जल्द शुरू करने की जरूरत है। जितना समय हम गंवाएंगे, उतना ही इसका बुरा असर होगा।” गांधी ने कहा, “हमें रोजगार पैदा करने वालों को बचाने की जरूरत है, उनके लिए एक दीवार बनानी है, ताकि वे रोजगार, वेतन को बचा सकें।” उन्होंने कहा कि उन्हें वित्तीय मदद मुहैया कराना जरूरी है। कांग्रेस नेता ने कहा कि अर्थव्यवस्था के दिल की तत्काल हिफाजत की जानी चाहिए और सरकार को जल्द ही वित्तीय सहायता पैकेज की घोषणा करनी चाहिए। उन्होंने कहा, अर्थव्यवस्था पर एक भयावह प्रभाव पड़ा है और आर्थिक इंजन शुरू करने के लिए राजकोषीय सहायता पैकेज की आवश्यकता होती है। राहुल ने कहा, भारतीय अर्थव्यवस्था ठप है, व्यवसाय ढह रहे हैं और आपको तुरंत मांग पैदा करने की आवश्यकता है। आपको सिस्टम शुरू करने की आवश्यकता है, अन्यथा बड़ा नुकसान होगा। उन्होंने कहा कि समय की मांग है कि मांग पैदा करना, सिस्टम में पैसा लगाना, गरीब लोगों के हाथों में पैसा देना, एमएसएमई की मदद करना और सुनिश्चित करना कि आप कुछ बड़े उद्योगों की रक्षा भी कर रहे हैं, क्योंकि ये सभी आपस में जुड़े हुए हैं। कांग्रेस नेता ने कहा, आपको एक जैसे बड़े और छोटे व्यवसायों का ध्यान रखना होगा, क्योंकि ये सभी कहीं न कहीं जुड़े हुए हैं। अगर आप इंजन शुरू करना चाहते हैं, तो आप इंजन के सिर्फ एक हिस्से को शुरू करने के बारे में नहीं सोच सकते हैं। उन्होंने सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग (एमएसएमई) को ऋण देकर उनका समर्थन करने की बात भी कही। कांग्रेस नेता ने राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के बीच पिछले एक महीने में मीडिया के साथ दूसरी बार बात की है। वह इस महामारी और इसके प्रभाव पर बुद्धिजीवियों से भी लगातार वार्ता आयोजित कर रहे हैं। सरकार ने पिछले 45 दिनों में लॉकडाउन का दो बार विस्तार किया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 मार्च को 21 दिनों के लॉकडाउन की घोषणा की थी। उसके बाद उन्होंने 14 अप्रैल को लॉकडाउन को 19 दिन बढ़ाकर तीन मई तक कर दिया। इसके बाद सरकार ने एक मई को लॉकडाउन दो सप्ताह बढ़ाकर 17 मई तक कर दिया।


फैक्ट्रीयों को चलाने के लिए लेबर की जरूरत

गाजियाबाद। लेबर की कमी होने से फैक्ट्रियों को परमिशन मिलने के बाद भी नहीं चलाया जा सका। उद्योगपतियों का कहना है कि फैक्ट्रियों को चलाने के लिए कम से कम एक तिहाई लेबर की जरूरत होती है, लेकिन अभी एक तिहाई लेबर फैक्ट्री में नहीं है। अब भी प्रशासन यहां मौजूद लेबरों को उनके गांव भेजने का काम कर रहा है। यदि सब चले गए तो फैक्ट्रियों को चलाना मुश्किल हो जाएगा। गाजियाबाद इंडस्ट्रीज फेडरेशन के महासचिव अनिल गुप्ता का कहना है कि लेबर की कमी से हर उद्योगपति जूझ रहा है। वह लेबर की आपूर्ति करने वाले ठेकेदार को फोन करके मांग कर रहा है, लेकिन उनकी तरफ से कोई रेस्पॉन्स नहीं दिया जा रहा है। उनका कहना है कि जो लेबर गांव जा चुकी है। यदि वह आने के लिए तैयार भी हैं तो उसे लाया जाना बहुत मुश्किल है, क्योंकि उनके पास नहीं है।


गाजियाबादः आपूर्ति चैन पूरी तरह प्रभावित

गाजियाबाद। उद्योगपतियों का कहना है कि क्षमता के अनुसार, प्रॉडक्शन नहीं शुरू हो पाने की वजह से सप्लाई चेन पूरी तरह से प्रभावित हो सकती है। वहीं, बिल्डरों का कहना है कि निर्माण कार्य पूरे स्पीड से शुरू नहीं हो पाने से फ्लैट की समय से डिलिवरी नहीं हो सकेगी। इससे बायर्स को परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।


बिल्डिंगों के निर्माण में यह दिक्कतः बिल्डर के सामने भी इस तरह की दिक्कत पैदा हो गई है। बिल्डरों का कहना है कि साइट पर केवल 10 फीसदी ही मजदूर बचे हुए हैं। इसमें भी सोशल डिस्टेंसिंग समेत अन्य नियमों का पालन करवाते हुए काम शुरू करवाना है, जो काम एक महीने में होना होगा, उसमें लंबा समय लग सकता है, इसलिए लेबर की कमी की वजह से बहुत दिक्कत आ रही है।


शासन आदेश पर निर्माण कार्य शुरू होगा

गाजियाबाद। शासन के आदेश पर शहर में एक बार फिर निर्माण कार्य शुरू होगा। निर्माण कार्य की मंजूरी के लिए जीडीए के सचिव को नोडल अधिकारी नियुक्त किया गया है। बुधवार की शाम तक 22 आवेदन प्राप्त हुए, जिनमें से 15 आवेदनों को मंजूरी दे दी गई है। सचिव ने बताया कि जो 22 आवेदन प्राप्त हुए थे, उनमें से एनएचएआई का एक, जीडीए के 10, सीपीडब्ल्यूडी के 3, आआरटीएस का एक, आवास विकास परिषद के 4, यूपीसीडा के 5 आवेदन शामिल हैं। वहीं, 5 आवेदनों की प्रक्रिया जारी है, जबकि आवास विकास परिषद के एक आवेदन को निरस्त कर दिया गया है। कोविड-19 को ध्यान में रखते हुए निर्माण कार्य को फिर से शुरू कराने के लिए प्राधिकरण आवेदनों को मंजूरी देने के लिए तेजी से काम कर रहा है।


निपटारे की अवधि 31 अगस्त तक बढ़ी

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले के निचली अदालत में जारी आपराधिक मुकदमे के निपटारे की अवधि इस वर्ष 31 अगस्त तक बढ़ा दी है। न्यायमूर्ति आर एफ नरीमन और न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने शुक्रवार को जारी एक आदेश के तहत लखनऊ स्थित केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की विशेष अदालत को बाबरी मस्जिद विध्वंस मामले में आपराधिक मुकदमे का निपटारा 31 अगस्त 2020 तक करने का निर्देश दिया।


खंडपीठ ने कहा कि निचली अदालत यह सुनिश्चित करे कि 31 अगस्त की नयी तारीख आगे न बढ़े। सीबीआई के विशेष जज एस. के. यादव ने गत छह मई को पत्र लिखकर समय सीमा बढ़ाने का अनुरोध किया था। उन्होंने कहा था कि अभी तक मामले में गवाही पूरी नहीं हुई है। एस. के. यादव गत वर्ष 30 सितम्बर को सेवानिवृत्त होने वाले थे, लेकिन शीर्ष अदालत ने अपने प्रशासकीय अधिकार का इस्तेमाल करते हुए उन्हें सेवा विस्तार दिया था तथा छह माह के भीतर गवाही पूरी करने और नौ महीने के भीतर निर्णय सुनाने का निर्देश दिया था।


2 ट्रकों की भिडंत, 1 ट्रक चालक घायल

दो ट्रकों की भिड़ंत में एक ट्रक का चालक गंभीर घायल


प्राथमिक उपचार बाद जिला अस्पताल रेफर


फतेहपुर। दो ट्रकों की भिड़ंत में एक ट्रक का चालक गंभीर घायल हो गया जिसको पुलिस ने इलाज के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया चिकित्सक ने हालत चिंताजनक देखते हुए प्राथमिक उपचार बाद जिला अस्पताल रेफर कर दिया।


जानकारी के अनुसार शुक्रवार की सुबह कोतवाली क्षेत्र के जोनिहा गांव के समीप कानपुर से बांदा किराना का सामान लेकर जा रहे ट्रक तथा बांदा से रीवा भूसी लेकर जा रहे ट्रक में आमने-सामने भिड़ंत हो गई जिसमें कानपुर से बांदा किराना का सामान लेकर जा रहे ट्रक के चालक जयदीप उम्र 22 वर्ष पुत्र स्वर्गीय महेश कुमार निवासी ज्योति नगर सेंट मैरी स्कूल तिंदवारी जनपद बांदा गंभीर घायल हो गया दुर्घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस मौके पर पहुंची गाड़ी ट्रक चालक को लाकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती कराया काफी देर चले उपचार के बाद उसे जिला अस्पताल रेफर कर दिया गया।


यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...