लंदन। कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन को हटाने को लेकर विभिन्न देशों में कई तरह के मतभेद उभरकर सामने आ रहे हैं। एक ओर अर्थव्यवस्था बर्बाद होने का खतरा है तो वहीं दूसरी ओर जान जाने का डर सता रहा है। फ्रांस के मेयर स्कूलों को फिर से खोलने के सरकार के फैसले का विरोध कर रहे हैं।
इटली के गवर्नर लॉकडाउन नियमों में तेजी से ढील देने की मांग कर रहे हैं। ब्रिटेन सरकार अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने को लेकर बेताब है। स्कॉटलैंड की नेता निकोला स्टर्जन ने आगाह किया है कि जल्दबाजी में कदम उठाने से वायरस दोबारा विकराल रूप धारण कर सकता है।स्टर्जन ने बृहस्पतिवार को कहा, "इस समय पाबंदियों में ढील देने में जल्दबाजी दिखाना बहुत-बहुत खतरनाक साबित हो सकता है।"
अमेरिका के बाद ब्रिटेन में कोरोना वायरस से सबसे अधिक 30 हजार मौतें हुई हैं। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन बृहस्पतिवार को लॉकडाउन की अवधि बढ़ा सकते हैं। हालांकि, साथ ही इस बात की भी संभावना है कि वह अगले सप्ताह से आर्थिक और सामाजिक गतिविधियों के लिये थोड़ी और ढील दे सकते हैं।ब्रिटेन में 23 मार्च से लॉकडाउन लागू है। ऐसे में लोगों को जरूरी सामान खरीदने के लिये ही बाहर जाने की अनुमति है। इससे पहले रविवार को जॉनसन ने अगले सप्ताह के लिये रोडमैप तैयार किया था। जॉनसन ने कहा है कि संक्रमण के दूसरे दौर से बचने के लिये सरकार अधिकतम सावधानी बरतेगी। फ्रांस में पेरिस क्षेत्र में 300 से अधिक मेयरों ने राष्ट्रपति एमैनुएल मैक्रों से आग्रह किया है कि वह सोमवार से स्कूल दोबारा खोलने के अपने फैसले पर फिर से विचार करें। देश में कई मेयर पहले ही, स्कूल खोलने से इनकार कर चुके हैं। हालांकि, दूसरी ओर सरकार पर अर्थव्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने का दबाव भी है। वहीं, इटली में सरकार ने दो महीने से जारी लॉकडाउन में ढील देनी शुरू कर दी है। इस दौरान 45 लाख कर्मचारियों को काम पर जाने की अनुमति दी गई है, हालांकि क्षेत्रीय गवर्नर सरकार पर दुकानें और रेस्त्रां खोलने का दबाव बना रहे हैं। गर्वनर अपनी खुद की योजनाओं के तहत लॉकडाउन खोलने का प्रस्ताव सरकार के सामने रखना चाहते हैं। वे चाहते हैं कि संक्रमण पर काबू रखकर उनके क्षेत्रों में आर्थिक गतिविधियां फिर से शुरू की जाएं। इटली के प्रधानमंत्री जोसेफ कोंटे ने देश के रोमन कैथोलिक बिशपों के दबाव में आकर 18 मई से जनसभाएं करने की अनुमति दे दी है। स्पेन में, आठ सप्ताह के सख्त लॉकडाउन के चलते सरकार की चिंताएं बढ़ती जा रही हैं। कुछ क्षेत्रीय और विपक्षी पार्टियां 14 मार्च से लागू आपातकाल को खत्म करने की मांग कर रही हैं। हालांकि सरकार का कहना है कि अभी ऐसा किया जाना ठीक नहीं है। इस बीच जर्मनी की 16 राज्य सरकारें भी रेस्त्रां और होटल जैसे उद्योग फिर से खोलने को लेकर आतुर हैं। राज्य सरकारों ने बुधवार को चांसलर एंजेला मर्केल के साथ हुई बैठक में इस बात पर सहमति जतायी कि राज्यों के प्रमुखों को अर्थव्यवस्था को फिर से खोलने का फैसला लेने के लिये ज्यादा अधिकार दिये जाएंगे। अगर संक्रमण पर काबू नहीं पाया गया तो राज्य दोबारा पाबंदियां लागू कर सकते हैं। रूस में संक्रमण के मामलों में तेजी से इजाफा हो रहा है। ऐसे में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने राज्य सरकारों को लॉकडाउन समेत अन्य पाबंदियां लागू करने का निर्देश दिया है। हालांकि, सेंट पीटर्सबर्ग के पॉलिटिक्स थिंकटैंक के प्रमुख मिखाइल विनोग्रेडोव ने कहा कि देश की सरकार गवर्नरों को मिले-जुले संदेश भेज रही है, जिससे उन्हें फैसले लेने में दिक्कत हो रही है। अमेरिका में भी कोरोना वायरस पाबंदियों को लेकर मत विभाजन देखने को मिल रहा है, जहां कुल 50 में से आधे राज्य लॉकडाउन में ढील दे रहे हैं, जिससे जन स्वास्थ्य अधिकारियों की चिंताएं बढ़ गई हैं। वाशिंगटन में कैसर फैमिली फाउंडेशन की वैश्विक स्वास्थ्य नीति के एसोसिएट डायरेक्टर जोश मिचौड ने कहा, 'अगर हम उचित सार्वजनिक स्वास्थ्य सुरक्षा उपायों के बिना इन पाबंदियों में ढील देंगे तो संक्रमण के और अधिक मामले सामने आ सकते हैं और मृतकों की संख्या तेजी से बढ़ सकती है।" शोधकर्ताओं ने हाल ही में अनुमान लगाया है कि अगर कोरोना वायरस को समय रहते काबू नहीं किया गया तो अमेरिका में कुल 1,34000 लोगों की जान जा सकती है। फिलहाल अमेरिका में 70 हजार से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और 12 लाख से अधिक लोग संक्रमित हैं। दुनियाभर में कोरोना वायरस से अबतक 36 लाख लोग संक्रमित पाए जा चुके हैं। इनमें करीब ढाई लाख लोगों की मौत हो चुकी है। कोरोना वायरस बीते साल चीन के वुहान शहर से फैलना शुरू हुआ था। बृहस्पतिवार को चीन में संक्रमण के केवल दो मामले सामने आए हैं।