नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) और तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ कोरोना से देश में उपजे हालात की समीक्षा करने के लिए बैठक की। उसके बाद प्रेसवार्ता में जनरल बिपिन रावत ने कोरोना वारियर्स के प्रति आभार जताते हुए कहा कि पूरी दुनिया कोविड-19 के खतरे से लड़ रही है। बाकी सभी देशों की तरह हमारे देश पर भी इसका व्यापक असर पड़ा है। हमारे पुलिसकर्मी बहुत अच्छे से अपना काम कर रहे हैं और वे रेड जोन में तैनात हैं। वे लाल क्षेत्रों में भी कार्रवाई करने में सक्षम हैं। अब तक सैन्य तैनाती के लिए कोई आवश्यकता महसूस नहीं की गई है।
जनरल बिपिन रावत ने नाक का एक छिद्र बंद करके प्रदर्शित किया कि जब नाक का एक मार्ग अवरुद्ध होता है तो कोरोना वायरस नाक के जरिए शरीर में प्रवेश नहीं कर सकता है। उन्होंने कहा कि हम सशस्त्र बलों की ओर से सभी कोरोना वॉरियर्स को धन्यवाद देना चाहते हैं। डॉक्टर, नर्स, स्वच्छता कर्मचारी, पुलिस, होमगार्ड, डिलीवरी बॉय और मीडियाकर्मी मुश्किल समय में आगे बढ़ने के लिए सरकार के संदेश के साथ लोगों तक पहुंच रहे हैं।
शनिवार, 2 मई 2020
रक्षा मंत्री ने सुरक्षा समीक्षा बैठक की
यूपीः सरकारी कार्यालयों में दीप जलाएं
लखनऊ। इप्सेफ के आहवान पर महंगाई भत्ते की तीन किस्तों की रोक,नई पेंशन योजना में सरकारी अंशदान में 4% की कटौती,नगर प्रतिकर भत्ता सहित 6-भत्ते समाप्त किए जाने जीपीएफ ब्याज दर में 0.8% की कटौती से नाराज कार्मिकों ने राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के नेतृत्व में लखनऊ में मजदूर दिवस पर दोपहर 12:00 बजे अपने कार्यालयों और जो कर्मी आवास पर थे। वह अपने आवास पर मोमबत्ती जलाकर मजदूर दिवस पर विरोध जताया। सभी राजकीय कार्मिको ने शाम को 7:00 बजे अपने-अपने घरों पर भी दीप जलाया।
परिषद के लखनऊ शाखा के अध्यक्ष सुभाष श्रीवास्तव ने बताया कि सिविल अस्पताल में इप्सेफ प्रवक्ता सुनील यादव, राजकीय फार्मासिस्ट महासंघ के जिला सचिव जीसी दुबे, प्रभारी अधिकारी एएन द्विवेदी,चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ के अध्यक्ष महेंद्र पांडे, जिला सचिव राजेंद्र दुबे, संविदा कर्मचारी संघ के धीरज रावत, जावेद हुसैन आदि के नेतृत्व में मोमबत्ती जलाई गई।
लोहिया संस्थान में अमित कुमार, लोहिया चिकित्सालय में डी जी त्रिपाठी, राम मनोहर कुशवाहा , ए पी सिंह, बलरामपुर अस्पताल में इप्सेफ के राष्ट्रीय सचिव अतुल मिश्रा, उपाध्यक्ष के के सचान, अशोक कुमार, केजीएमयू में राजन यादव, प्रदीप गंगवार, प्रिया यादव, वन विभाग मुख्यालय में आशीष पांडे, पी के सिंह, नगर निगम मुख्यालय में शशि मिश्रा आदि के नेतृत्व में मोमबत्ती जलाकर विरोध दर्ज कराया गया। परिषद की लखनऊ शाखा द्वारा कर्मचारियों के विरोध से अवगत कराने हेतु माननीय प्रधानमंत्री, माननीय मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा गया है।मोमबत्ती जलाकर कर्मचारियों ने 1886 के मजदूर आंदोलन में शामिल मजदूरों,शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की गई और देश में इस संक्रमण काल में कार्य कर कोरोना सैनिकों का सम्मान भी किया गया।
पत्रकारों के हित में सीएम से मुलाकात
देहरादून। पत्रकारों की समस्या को लेकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से मुलाकात हुई और उन्हें पत्रकारों की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया गया। मुख्यमंत्री द्वारा आश्वस्त किया गया है कि पत्रकार कल्याण कोष से जो भी सहयोग हो पाएगा, उसके लिए प्रयास किया जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि पत्रकार कल्याण कोष में उपयुक्त मात्रा में धन है। जोकि पत्रकारों के हित में इस्तेमाल किया जा सकता है। इस संदर्भ में विश्वजीत नेगी अध्यक्ष उत्तराखंड स्टेट प्रेस क्लब महामंत्री आशुतोष डिमरी कैलाश जोशी अकेला साथ ही मनीष नयाल मौजूद थे।
आर्थिक विशेषज्ञ समिति गठित करें
विजयेन्द्र दत्त गौतम
शिमला। कांग्रेस के बरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने प्रदेश में राष्ट्रव्यापी कोरोना माहमारी के चलते लॉक डाउन से उत्पन्न लोगों की समस्याओं और उनके निदान बारे मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर को एक विस्तृत पत्र लिखा है।उन्होंने लिखा है कि कांग्रेस की मुख्य विपक्षी दल होने के नाते प्रदेश व लोगों की समस्याओं को सरकार के समक्ष रखने की उनकी नैतिक जिम्मेदारी है।उनका कहना है कि देश व प्रदेश आज जिस गंभीर चुनौती से गुज़र रहा है,उससे उभरने के लिए कांग्रेस मजबूती से सरकार का साथ दे रही है।जनहित में कांग्रेस के सुझावों पर सरकार को गंभीरता से विचार कर इस पर शुद्ध मन से कांग्रेस के सुझावों पर एक बृहद कार्ययोजना बना कर कार्य शुरु कर देना चाहिए।
कांग्रेस विधायक दल ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के द्वारा प्रतिपक्ष नेता मुकेश अग्निहोत्री की अध्यक्षता में एक समीक्षा बैठक का आयोजन किया ,जिसमें प्रदेश के ताजा हालात पर बड़ी गम्भीरता से व्यापक विचार विमर्श करते हुए कांग्रेस विद्यायकों की चिंताओ को सरकार के समक्ष रखने का निर्णय लिया गया।यह पत्र कांग्रेस के बरिष्ठ नेता पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की मार्फ़त भेजा गया है।
वीरभद्र सिंह ने पत्र में लिखा है कि 22 मार्च से प्रदेश में लॉक डाउन की बजह से सभी प्रकार की वाणिज्यिक,ब्यवसाईक गतिविधियों के साथ साथ कृषि, बागवानी पर इसका व्यापक बुरा असर पड़ा है।आम आदमी का जीवन भी बहुत प्रभावित हुआ है।प्रदेश की सभी स्वास्थ्य, शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाएं अस्त व्यस्त होकर रह गई है। उन्होंने कहा है कि कांग्रेस विधायक चाहते है कि प्रदेश सरकार एक उच्च स्तरीय ऐसी आर्थिक विशेषज्ञ समिति का गठन करें जो प्रदेश लॉक डाउन के दौरान हुए नुकसान का जायजा लेकर अपनी एक्सपर्ट राय देते हुए प्रदेश को इससे उभरने की कोई ठोस रणनीति का प्रस्ताव प्रस्तुत करें, जिससे प्रदेश की विगड़ती वित्तीय स्थिति में सुधार हो सकें। पत्र में सरकार का कई बिदुओं पर ध्यान केंद्रित करते हुए प्रदेश में बेमौसमी वारिश और ओलावृष्टि से हुए फसलों के नुकसान पर भी चिंता व्यक्त की गई है। उन्होंने किसानों बागवानों को तुरन्त कोई राहत देने ,सब्जी उत्पादकों को न्यूनतम समर्थन मूल्य का भुगतान करने को भी कहा है जिनकी सब्जियां या तो बाजार बंद होने या ट्रांस्पोर्टन्सन न होने से खराब हो गई या फिर बेमौसमी वर्षा या ओलावृष्टि से।
उन्होंने कहा कहा कि आम,लीची,चेरि ,आड़ू,पलम,खुमानी जैसे अनेक फलों की फसल भी आज चौपट हो चुकी है,इन्हें भी राहत के साथ कोई आर्थिक पैकेज दिया जाना चाहिए।पत्र में कहा गया है कि सेब प्रदेश की आर्थिकी का एक बड़ा महत्वपूर्ण क्षेत्र है।कोरोना और लॉक डाउन से बाजार की व्यवस्था अस्त व्यस्त होने की बजह से लादानी और आढ़तियों के इस बार यहां आने की कम ही संभावना है। इसलिए प्रदेश सरकार को एचपीएमसी और हिम्फेड से सेब खरीद कर उन्हें विपणन करने की पूरी व्यवस्था करनी चाहिए।इसके लिए कार्टन बॉक्स,ट्रे आदि की व्यवस्था भी अभी से की जानी चाहिए।
पत्र में बिज़नेस,टूरिज्म और इंडस्ट्रीज के बिगड़े हालत पर भी चिंता प्रकट करते हुए इनके विजली,पानी के बिल घरेलू मूल्य के आधार पर लेने को कहा गया है।साथ ही उन ब्यवसाइयों को जिन्होंने बेको से लोन आदि ले रखा है उनकी ईएमआई एक साल के लिए स्थगित करने,इसी के साथ पर्यटन और उद्योगों में लगे कर्मचारियों के 6 माह तक का बेतनसरकारी कोष से करने को कहा है,क्योंकि यह सब पिछले एक माह से अधिक समय से बंद पड़े है,और अभी आगे भी ऐसी ही ऐसी ही स्थिति बने रहने की आशंका है,इसलिए इन्हें इनके प्रोपर्टी टेक्स में मार्च से छूट देनेऔर एलपीजी गैस कमर्सिअल से घरेलू दरों में प्रदान करने के साथ नगर निगम के 30 प्रतिशत सेस को कम करने को भी कहा है।
पत्र में कहा गया है कि प्रदेश की भूगोलिक स्थितियों को देखते हुए ऑनलाइन शिक्षा में दूर दराज के क्षेत्रों में छात्रों के पास स्मार्टफोन का न होना और साथ मे नेटवर्क की समस्या एक बड़ी दिक्कत हो सकती है। पत्र में निजी स्कूलों के अध्यापकों और स्टाफ को लॉक डाउन अवधि के बेतन का भुगतान सरकार को ही करना चाहिए, क्योंकि सरकार ने इन संस्थानों से इस दौरान की बच्चों से फीस न लेने को कहा है। पत्र में कोरोना माहमारी से रक्षा के लिए पर्याप्त मात्रा में टेस्टिंग किट के साथ साथ मास्क,सेनेटाइजर, पीपीई और बेसिक दवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करने को भी कहा गया है। पत्र में बेरोजगारी की बढ़ती समस्या को देखते हुए मनरेगा के तहत कम से कम 200 दिनों का कार्य अर्जित करने की बात कही गई है।उद्योगिक क्षेत्र में काम बंद होने से हजारों कामगार बेरोजगार हो गए है,इसलिए सरकार को इन्हें बेरोजगारी भत्ता देना चाहिए। पत्र में प्रदेश की विगड़ी अर्थव्यवस्था पर भी गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा गया है कि लॉक डाउन की बजह से सरकार के राजकीय कोष में एक्ससाइज व अन्य टैक्स न मिलने से सरकारी खर्च चलाना भी मुश्किल हो सकता है।इसलिए प्रदेश सरकार को केंद्र से इस नुकसान की भरपाई के लिए कोई विशेष आर्थिक पैकेज की मांग करनी चाहिए।पत्र में प्रदेश के वह लोग जो लॉक डाउन की बजह से अन्य राज्यों में फंसे पड़े है,उन्हें पूरे स्वास्थ्य प्रोटोकॉल के तहत लाने की कोई सरकारी व्यवस्था की जानी चाहिए।
वीरभद्र सिंह से कहा है कि विपक्षी दल होने के नाते कांग्रेस ने इस आपदा के समय एकजुटता सेअपनी सकरात्मक भूमिका निभाई है।उनका कहना है कि जनहित में कांग्रेस के इन सुझावों पर कार्य करना चाहिए,जिससे प्रदेश के लोगों को इस कठनाई के समय कोई राहत मिल सकें। वीरभद्र सिंह ने कहा है कि उनके लंबे 58 साल के राजनैतिक कॉल में उन्होंने पहली बार ऐसी कोई माहमारी की आपदा देखी,पर देश के सभी राजनैतिक दलों, प्रवुद्ध और आम लोगों ने जिस प्रकार से इसके खिलाफ लड़ने में अपनी सहभागिता दी है,उससे साफ है कि हम जल्द ही इस माहमारी के प्रकोप से बाहर निकलेंगे।
आवाजाही के लिए नोडल अधिकारी नियुक्त
विजयेंद्र दत्त गौतम
शिमला। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि कोविड-19महामारी के कारण बड़ी संख्या में हिमाचली छात्र, यात्री, तीर्थयात्री, व्यावसायिक व्यक्ति विभिन्न राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फंसे हुए हैं। इसी तरह बाहरी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के छात्र, पर्यटक, व्यापारिक यात्री व औद्योगिक श्रमिक हिमाचल प्रदेश के विभिन्न भागों में रह रहे हैं और अपने संबंधित मूल राज्यों में वापस जाने के इच्छुक हैं।
भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने राज्य सीमाओं पर लोगों को आवाजाही की अनुमति दी है, इसलिए जनहित में हिमाचल प्रदेश और अन्य राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के बीच लोगों के सुचारू, सुव्यवस्थित और क्रमबद्ध रवानगी को सुनिश्चित करने के लिए संबंधित राज्यों तथा केंद्र शासित प्रदेशों के साथ समन्वय की आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार में प्रधान सचिव राजस्व तथा आपदा प्रबन्ध ओंकार चंद शर्मा को स्टेट नोडल अधिकारी और निदेशक पर्यटन एवं नागरिक उड्डयन एवं प्रबन्ध निदेशक एचआरटीसी यूनुस को इस कार्य के लिए राज्य संयुक्त नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया गया है। इस सम्बन्ध में राज्य नोडल अधिकारी से मोबाइल नंबर 94182-30009 और राज्य संयुक्त नोडल अधिकारी से मोबाइल नंबर 88940-35375 पर संपर्क किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि अन्य अधिकारियों को अंतरराज्यीय आवाजाही, प्रोटोकाॅल तैयार करने और सार्वजनिक परिवहन सुविधाओं या निजी वाहनों का उपयोग करके अन्य राज्यों, केन्द्र शासित प्रदेशों तथा जिला प्रशासन के साथ समन्वय कर आवाजाही को सुनिश्चित करने के लिए प्राप्त अनुरोधों से संबंधित डाटा एकत्र करने और इसे संकलित करने के लिए नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया गया है। राज्य नोडल अधिकारी तथा संयुक्त नोडल अधिकारी के समग्र पर्यवेक्षण और मार्गदर्शन में अन्य अधिकारी, राज्यों तथा केन्द्र शासित प्रदेशों, जिला प्रशासन, श्रम और रोजगार, उद्योग, गृह, परिवहन, एचआरटीसी आदि विभागों के अधिकारियों के साथ कार्य करेंगे।
उन्होंने कहा सचिव सूचना एवं जन सम्पर्क और शहरी विकास रजनीश को हरियाणा, नई दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के लिए नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया गया है। इसके अलावा सचिव फाईनांस और हाउसिंग अक्षय सूद को तमिलनाडू, आन्ध्र प्रदेश, तेलंगाना, जम्मू-कश्मीर और लद्दाख, सचिव आयुर्वेद जी.के. श्रीवास्तव को उतर प्रदेश, बिहार, उतराखंड, झारखंड और छतीसगढ़, निदेशक उर्जा मनासी सहाय ठाकुर को महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल, गोवा, लक्ष्यद्वीप, अंडमान-निकोबार द्वीप और पुडुचेरी, निदेशक ग्रामीण विकास और पंचायती राज ललित जैन को पंजाब, चंडीगढ़ और मोहाली, विशेष सचिव एमपीपी और पावर हेमराज बैरवा को राजस्थान, गुजरात और मध्य प्रदेश, निदेशक पर्सनल और वित एचपीपीसीएल मनमोहन शर्मा को असम, मिजोरम, अरूणाचल प्रदेश, मणिपुर नागालैंड़, त्रिपुरा और मेघालय तथा निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा रोहित जम्वाल को पश्चिम बंगाल, उडीसा और सिक्किम के लिए नोडल अधिकारी के रूप में नामित किया गया है।
ओडिशा के फंसे 40 मजदूर किए रवाना
जगदलपुर। जिले के दरभा क्षेत्र में करीब एक महीने से फंसे ओडिसा के 40 मजदूरों को वापस बस के माध्यम से आज ओडिसा भेजा गया। ओडिसा के 40 मजदूर दरभा में तालाब निर्माण का कार्य कर रहे थे, इस दौरान लॉकडाउन हो जाने से मजदूर बीते एक महीने के यहां फंसे हुए थे। प्रशासन की पहल पर उन्हें ओडिसा रवाना किया गया। अपने घर जाने से मजदूर काफी खुश नजर आ रहे थे।
राज्य में 10 नहीं 4 रेड जोनः ममता
पश्चिम बंगाल में 10 नहीं, 4 रेड जोन, किया गया गलत आकलन
ममता सरकार ने जताया विरोध.
कोलकाता। पश्चिम बंगाल सरकार (West bengal) ने शुक्रवार को केंद्र को पत्र लिख कर जोर देते हुए कहा कि राज्य में 10 नहीं, बल्कि चार ही जिले ‘रेड जोन’ (Red zone) हैं. इसको लेकर अब भाजपा और तृणमूल कांग्रेस TMC के बीच ताजा वाकयुद्ध छिड़ गया। दरअसल, राज्यों के प्रतिनिधियों के साथ कैबिनेट सचिव की वीडियो कांफ्रेंस के दौरान प्रस्तुत की गई सूची में राज्य में 10 ‘रेड जोन’ होने का केंद्र सरकार ने जिक्र किया था। स्वास्थ्य विभाग में प्रधान सचिव विवेक कुमार ने केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय को लिखे अपने पत्र में इस सूची को ‘‘एक गलत आकलन’’ करार दिया है. उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार ने केंद्र द्वारा निर्धारित मानदंडों को ध्यान में रखते हुए चार ‘रेड जोन’ –कोलकाता, हावड़ा, उत्तर 24 परगना और पूर्वी मिदनापुर–घोषित किया है।
ये हैं रेड जोन में जिले
कुमार ने पत्र में ‘‘रेड, ऑरेंज और ग्रीन जोन’ वाले राज्य के जिलों और इलाकों का सही वर्गीकरण’’ भी संलग्न किया है। उन्होंने कहा कि बंगाल में अभी आठ जिले ‘ग्रीन जोन’ में हैं जबकि 11 जिले ‘ऑरेंज जोन’ में हैं। मंत्रालय के मुताबिक बंगाल के 10 जिले–कोलकाता, हावड़ा, उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना, पश्चिमी मिदनापुर, पूर्वी मिदनापुर, दार्जीलिंग, जलपाईगुड़ी, कलीमपोंग और मालदा– ‘रेड जोन’ में हैं। इस वर्गीकरण की घोषणा कैबिनेट सचिव की अध्यक्षता में 30 अप्रैल को मुख्य सचिवों और स्वास्थ्य सचिवों के साथ हुई एक वीडियो कांफ्रेंसिंग के दौरान की गई थी। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय की सूची पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए, तृणमूल नेतृत्व ने कहा कि यह राज्य सरकार को बदनाम करने की कोशिश है।
वरिष्ठ टीएमसी नेता और राज्यसभा सांसद सांतनु सेन ने कहा, ‘‘भाजपा की अगुवाई वाली केंद्र सरकार का एकमात्र उद्देश्य बंगाल को बदनाम करना है और महामारी से निपटने के लिए उसके प्रयास में बाधा पहुंचाना है। केंद्र, राज्य सरकार की सहमति लिए बिना, 10 जिलों को कैसे हॉटस्पॉट घोषित कर सकता है? यह और कुछ नहीं बल्कि संघीय ढांचे का उल्लंघन है।’ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय सचिव राहुल सिन्हा ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि कोविड-19 स्थिति पर बंगाल सरकार का झूठ हर दिन उजागर हो रहा है।
उन्होंने कहा, राज्य सरकार, बहुत शुरुआत से, कोविड-19 स्थिति के बारे में झूठ बोल रही है। आंकड़ों को छिपाने के इस रवैये ने बंगाल को गंभीर चरण में पहुंचा दिया है। अगर राज्य सरकार शुरू से ही महामारी से निपटने के लिए गंभीर होती, तो अभी बहुत बेहतर होतां’। उल्लेखनीय है कि केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने कोविड-19 के मामलों, संक्रमण के मामले दोगुना होने की दर, जांच का दायरा और निगरानी से जुड़े विवरण के आधार पर देश में 130 जिलों को ‘रेड जोन’ में, 284 ‘ऑरेंज जोन’ में और 319 ‘ग्रीन जोन’ में रखा है।
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