जम्मू-कश्मीर। पूरी दुनिया कोरोना वायरस महामारी से जूझ रही है, फिर भी आतंकवादी जम्मू-कश्मीर में अपने नापाक मंसूबों को अंजाम देने की फिराक में लगे हुए हैं। शनिवार को जम्मू-कश्मीर में मुठभेड़ के दौरान सुरक्षाबलों ने तीन आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया। बताया जा रहा है कि घाटी में लॉक डाउन में अब तक 21 आतंकवादी मारे जा चुके हैं। शनिवार तड़के पुलवामा जिले के अवंतिपुरा इलाके में सुरक्षाबलों और आतंकवादियों के बीच मुठभेड़ हो गई। इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने दो आतंकवादियों और एक उसके सहयोगी को मार गिराया है। माना जा रहा है कि कुछ आतंकवादी अब भी छिपे हो सकते हैं। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने बताया कि आतंकवादियों के खिलाफ सर्च अभियान अब भी जारी है और अब तक मारे गए आतंकवादियों की पहचान नहीं हो पाई है। बता दें कि शुक्रवार को ही अधिकारियों ने यह जानकारी दी थी कि साल 2020 में अब तक सुरक्षाबलों ने पचास आतंकवादियों को मार गिराया है। वहीं, इस घटना से पहले लॉक डाउन के दौरान अब तक 18 आतंकवादी घाटी से मारे जा चुके हैं।
शनिवार, 25 अप्रैल 2020
नई गाइडलाइन के तहत मिली छूट
नई दिल्ली। लॉकडाउन के बीच केंद्र सरकार ने देश वासियों को सबसे बड़ी राहत दी है। करीब एक महीने से बंद चल रही कई दुकानों को आज से शर्तों के साथ खोलने की इजाजत दे दी गई है। देश में छूट के साथ कुछ दुकानें खोलने की छूट दी है। गैरी जरूरी सामनों की दुकानें खोलने की अनुमति दी गई है। लेकिन दुकानदारों को सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। संस्थान में काम करने वाले लोगों को मास्क पहनना जरूरी होगा। 50 प्रतिशत स्टाफ़ की काम कर सकते हैं। बता दें कि गृह मंत्रालय ने शर्तों के साथ ये अनुमति दी है।
लॉकडाउन में शर्तों के साथ कर सकेंगे कारोबार
सरकार ने इकोनॉमी को पटरी लाने के लिए कई शर्तों के साथ दुकानों को खोलने की मंजूरी दी है। बीते 30 दिनों के लॉकडाउन के बाद केंद्र सरकार ने दुकानों को खोलने के बड़ी राहत दी है। हालांकि अभी लॉकडाउन 3 मई तक लागू रहेगा लेकिन गृह मंत्रालय ने दुकानों को खोलने को लेकर शुक्रवार को नई गाइडलाइंस जारी की है। गाइडलाइंस के अनुसार आवासीय कॉलोनियों के समीप की दुकानें हीं खुलेंगी। साथ ही ये दुकानें संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेशों के स्थापना अधिनियम के तहत पंजीकृत होनी चाहिए। इसके अलावा इन दुकानों में केवल 50% कर्मचारी ही काम करेंगे और दुकानों में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना होगा। इसके साथ ही कर्मचारियों को मास्क पहनना अनिवार्य होगा। इसके अलावा कर्मचारियों को लॉकडाउन के दूसरे नियमों को मानना होगा।
गाइडलाइंस में कुछ रोक भी
हालांकि गृह मंत्रालय ने अपनी गाइडलाइंस में कुछ रोक भी लगाई है। गृह मंत्रालय के गाइडलाइंस के मुताबिक शॉपिंग मॉल्स और शॉपिंग कॉम्प्लेक्स नहीं खुलेंगे। हॉटस्पॉट और कंटेनमेंट जोन में किसी तरह की छूट नहीं दी गई है। इसके साथ ही नगरपालिका क्षेत्र में मार्केट परिसर में मौजूद दुकानें तीन मई तक नहीं खुलेंगी। इससे पहले गृह मंत्रालय ने किताब और पंखों के दुकानों को खोलने की मंजूरी दे दी थी। दरअसल 1 महीने से चल रहे लॉकडाउन की वजह से व्यापारियों को करोड़ों का नुकसान हो चुका है साथ ही रोजगार का संकट पैदा हुआ है। ऐसे में सरकार की और दी गई छूट कहीं ना कहीं इकोनॉमी को थोड़ी पटरी पर तो जरूर ही लाएगा।
प्रतिदिन होती है 100 लोगों की मौत
मानौस। ब्राजील का मानौस शहर वर्तमान समय में ‘वुहान’ बन चुका है। मानौस की आबादी करीब 24 लाख है। लेकिन ब्राजील के सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित मरीज यहीं पर हैं। अभी तक यहां हर दिन 20 से 30 कोरोना संक्रमितों की मौत हो रही थी, लेकिन अब यह आंकड़ा 100 तक पहुंच गया है। हालात यह बन गए हैं कि मृतकों के शवों को दफनाने के लिए जगह तक नहीं बची। ऐसे में स्थानीय प्रशासन जेसीबी से सामूहिक कब्रें खुदवा रहा है, जहां शवों को एक साथ दफनाया जा रहा है।
अस्पताल से कब्रिस्तान ले जाने और अंतिम संस्कार करने वालों की कमी है। इसलिए ट्रैक्टर से शव पहुंचाए जा रहे हैं। कब्रिस्तान में कुछ कर्मी तैनात हैं, जो जेसीबी की मदद से शव दफनाते हैं। मौतों का आकंड़ा बढ़ने पर कर्मचारी भी शवों के पहुंचने का इंतजार करते दिखाई देते हैं।50 हजार संक्रमित, 3300 से ज्यादा लोगों की जानें गईं: मानौस के मेयर आर्थर वर्जिलियो नीटो ने कहा- देश में 50 हजार लोग संक्रमित हैं, जबकि 3300 की जान जा चुकी है।
परिजनों को शव देखने की मनाहीः स्थानीय मीडिया के मुताबिक, ब्राजील में सबसे ज्यादा कोरोना संक्रमित लोग मानौस में ही हैं। हालात ये हैं कि मृतकों को दफनाने के लिए कर्मचारी तैनात किए गए हैं। परिजनों को शव देखने या उनके पास जाने की मनाही है।
मेयर आर्थर वर्जिलियो नीटो ने कहा- ‘कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा अचानक बढ़ गया है। जगह कम है। इसलिए सामूहिक कब्रों में शव दफनाए जा रहे हैं। कब्रों की तस्वीर किसी हॉरर फिल्म सी दिखाई देने लगी है।
घर में मिले पांच शव, फैली सनसनी
2 बच्चों, दो महिलाओं और एक पुरुष शामिल
एटा। पूरे देश में लागू लॉकडाउन के चलते हर कोई अपने घर में बंद है और सड़कों पर बहुत कम गतिविधियां देखी जा रही हैं। उत्तर प्रदेश के एटा में लॉकडाउन के दौरान आज शनिवार को एक घर में एक ही परिवार के 5 सदस्यों के शवमिले हैं। घटना सामने आने के बाद क्षेत्र में सनसनी फैल गई। पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार घर में मिले पाँच लोगोंं के शवों में दो बच्चे और दो महिलाओं के शव शामिल हैं। बताया जा रहा है कि 2 बच्चों, दो महिलाओं और एक पुरुष का शव बंद मकान में मिला है।
सूचना मिलने पर मौके पर पहुंची पुलिस ने गेट तोड़ कर शव निकाला है। वहीं फॉरेंसिक और डॉग स्क्वायड टीम मौके पर मौजूद है। पुलिस सूत्रों के मुताबिक हत्या की आशंका की तरफ जांच की जा रही है। घटना थाना कोतवाली नगर के श्रंगार नगर कालोनी की है। जहां रिटायर्ड स्वास्थ्य कर्मी के घर में 2 मासूम बच्चों सहित 5 लोगों के शव घर में मिले है। एक ही परिवार के पांच लोगों के शव मिलने के बाद हड़कंप मच गया है। मृतकों में 78 वर्षीय राजेश्वर प्रसाद पचौरी स्वास्थ्य विभाग से रिटायर्ड व उनकी पुत्र वधु 35 वर्षीय दिव्या पचौरी व मृतक दिव्या की बहन 24 वर्षीय बुलबुल व 10 वर्षीय आयुष बेटा व दूसरा बेटा 1 साल का है। पुलिस ने सभी पांच शवों को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया है। मृतक के घर में कोहराम मचा हुआ है। फिलहाल पुलिस घटना की जांच पड़ताल में जुट गई है। मौत के कारणों का अभी स्पष्ट पता नहीं चल पाया है।
लापरवाहीः फुटपाथ पर खड़े संक्रमित
फुटपाथ पर खड़े होकर अस्पताल में भर्ती होने का इंतज़ार कर रहे 69 कोरोना मरीज कैमरे में कैद- लापरवाही
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोरोनावायरस (Coronavirus) के मरीजों के साथ बड़ी लापरवाही का मामले सामने आया है. यह मामला यूपी के इटावा जिले का है। कोरोना संक्रमित 69 मरीजों को बृहस्पतिवार सुबह इटावा के सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल के बाहर एक घंटे तक फुटफाथ पर इंतजार करना पड़ा। इन मरीजों को यहां भर्ती करने के लिए भेजा गया था। कहा जा रहा है कि मरीजों को भर्ती करने को लेकर डॉक्टरों और मेडिकल स्टाफ में विवाद होना इसकी वजह रही।
कोरोना के इन मरीजों को आगरा (Agra) से सैफई के सरकारी अस्पताल में भर्ती करने के लिए भेजा गया था। स्थानीय प्रशासन का कहना है कि बस के साथ एस्कॉर्ट टीम भेजी गई थी। इस घटना का वीडियो सामने आया है। जिसमें मरीजों को अस्पताल के गेट के बाहर बैठे हुए देखा गया. अस्पताल का गेट बंद था। एक अन्य वीडियो में दिखाई दे रहा है कि इस वक्त दो पुलिसकर्मी मरीजों को उचित दूरी बनाए रखने के लिए निर्देश दे रहे हैं।
बनियान पहन कर कोर्ट पहुंचा वकील
नई दिल्ली। देशव्यापी लॉकडाउन और कोरोना से बचाव के उपायों के तहत अधिकतर लोग वर्क फ्रॉम होम से काम कर रहे हैं। ऐसे में देशभर की अदालतों में भी सुनकाई के समय को कम कर दिया गया है। आवश्यक मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से की जा रही है। लेकिन ऐसी ही एक सुनवाई के दौरान अजीबोगरीब मामला सामने आया जब, वीडियो कांफ्रेंसिंग की सुनवाई के दौरान वकील जज के सामने खाली बनियान पहनकर सामने आ गया।
ये पूरा मामला राजस्थान उच्च न्यायालय की जयपुर बेंच का है। यहां एक वकील यूनिफॉर्म की जगह बनियान पहनकर ही मामले की सुनवाई के लिए कैमरे के सामने बैठ गया। फिर क्या था, वकील को इस हालत में देख जज साहब को काफी गुस्सा आया और उन्होंने सुनवाई करने से ही मना कर दिया।सुनवाई कर रहे जज संजीव प्रकाश शर्मा ने अब इस मामले की सुनवाई 5 मई को करने का आदेश दिया है।
बाहर आना चाहता है 'रेपिस्ट बाबा'
चंडीगढ़/दिल्ली। अपनी काली करतूतों के लिए बदनाम बाबा और डेरा सच्चा सौदा के स्वयंभू प्रमुख गुरमीत राम रहीम का जेल की सलाखों से बाहर आने का सपना एक बार फिर से टूट गया है। बाबा फिर से जेल से बाहर आने की तिकड़म में सफल नहीं हुआ।
दरअसल, कोरोना संकट की आड़ लेकर राम रहीम जेल से बाहर आना चाहता था। उसने कोर्ट में कोरोना संकट और मां की बीमारी का हवाला देते हुए अपनी मां नसीब कौर से खुद को पैरोल देने के लिए आवेदन किया था, जिसमें कोरोना से खतरा और मां की बीमारी का हवाला देते हुए पैरोल देने की मांग की थी। सुनारिया जेल प्रशासन से होते हुए पैरोल की अर्जी सरकार तक पहुंची। सरकार ने शुक्रवार को जेल प्रशासन की ओर से आए राम रहीम की मां के आवेदन को खारिज कर दिया है।
हरियाणा के रोहतक जिले की सुनारिया जेल में बंद बलात्कारी बाबा गुरमीत राम रहीम जेल से बाहर आने के लिए लगातार तिकड़म करता रहा है। अब सरकार के फैसले से डेरा प्रमुख का सपना फिर टूट गया है, क्योंकि इससे पहले भी वह जेल से बाहर आने के लिए कई बार पैरोल की मांग कर चुका है। राम रहीम तीन सप्ताह की पैरोल चाहता था लेकिन सरकार ने इस बार भी उसके मंसूबों पर पानी फेर दिया।
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