शुक्रवार, 24 अप्रैल 2020

जानवरों में तेजी से फैलता वायरस

न्यूयॉर्क। क़ोरोना वायरस अभी तक इंसानों की जान का दुश्मन बना बैठा था लेकिन अब इसने जानवरों को भी अपनी चपेट में लेना शुरू कर दिया है। अमेरिका में इसके तेजी से मामले सामने आ रहे हैं।


दरअसल, पूरी दुनिया जहां कोरोना वायरस की महामारी से जूझ रही है। वहीं हर रोज इस वायरस का नया तांडव सामने आ जाता है। कोरोना वायरस ने इटली और स्पेन के बाद सबसे ज्यादा तबाही अमेरिका में मचा रखी है। अमेरिका में लगातार हजारों की तादाद में नए मामले सामने आ रहे हैं। खास बात ये है कि यहां न केवल इंसान बल्कि कोरोना ने अब पालतू जानवरों को भी अपनी चपेट में लेना शुरु कर दिया है। इससे प्रशासन सकते में आ गया है। दरअसल, अमेरिका के न्यूयॉर्क में दो पालतू बिल्लियां कोरोना वारयस से पॉजिटिव पाई गई हैं। इसके पहले न्यूयार्क के चिड़ियाघर में टाइगर कोरोना वायरस से पीड़ित पाया गया था। अमेरिका में पहला ऐसा केस है, जहां पालतू जानवरों में भी कोरोना वायरस का संक्रमण पाया गया है। अधिकारियों के मुताबिक दोनों पालतू बिल्लियां एक ही परिवार से नहीं है। हालांकि इस बात के सामने आने से लोगों में परेशानी का माहौल है। अब पालतू जानवरों में इसके फैलने से प्रशासन के सामने एक और चुनौती खड़ी हो गई है।


बंदरों पर वैक्सीन का सफल परीक्षण

बीजिंग। पहली बार ऐसा हुआ है कि कोरोना वायरस को लेकर बनाई जा रही कई वैक्सीन ने बंदर को कोरोना के संक्रमण से बचाया है। यह सफलता हासिल की है चीन की एक दवा बनाने वाली कंपनी ने। इस कंपनी ने रीसस मकाउ बंदर यानी सामान्य लाल मुंह वाले बंदरों को वैक्सीन दी थी। उसके बाद जांच की तो पता चला कि इन बंदरों में अब कोरोना वायरस नहीं हो सकता. कंपनी ने 16 अप्रैल से इंसानों पर इस वैक्सीन का ट्रायल शुरू कर दिया है। चीन की राजधानी बीजिंग में मौजूद दवा निर्माता कंपनी साइनोवैक बायोटेक (Sinovac Biotech) ने दावा किया है कि उसने 8 बंदरों को अपनी नई वैक्सीन की अलग-अलग डोज दी थी। तीन हफ्ते बाद उन्होंने बंदरों की वापस जांच की। जांच में जो नतीजे आए, वो हैरतअंगेज थे। बंदरों के फेफड़ों में ट्यूब के जरिए वैक्सीन के रूप में कोरोना वायरस ही डाला गया था। तीन हफ्ते बाद जांच में पता चला कि आठों में से एक भी बंदर को कोरोना वायरस का संक्रमण नहीं है। 


साइनोवैक के सीनियर डायरेक्टर मेंग विनिंग ने बताया कि जिस बंदर को सबसे ज्यादा डो़ज दी गई थी, सात दिन बाद ही उसके फेफड़ों में या शरीर में कहीं भी कोरोना वायरस के कोई लक्षण या सबूत नहीं दिखाई दे रहे थे। कुछ बंदरों में हल्का सा असर दिखाई दिया लेकिन उन्होंने उसे नियंत्रित कर लिया।


साइनोवैक ने बंदरों पर किए गए परीक्षण के बाद वैक्सीन की रिपोर्ट 19 अप्रैल को bioRxiv वेबसाइट पर प्रकाशित की है। बंदरों पर आए हैरतअंगेज नतीजों के बाद मेंग विनिंग ने कहा कि हमें पूरा भरोसा है कि यह वैक्सीन इंसानों पर भी अच्छा असर करेगी। मेंग विनिंग ने कहा कि हमने पुराना तरीका अपनाया है वैक्सीन को विकसित करने का। पहले कोरोनावायरस से बंदर को संक्रमित किया। फिर उसके खून से वैक्सीन बना लिया। उसे दूसरे बंदर में डाल दिया। इस तरीके से गरीब देशों को महंगी वैक्सीन की जरूरत नहीं पड़ेगी।


माउंट सिनाई में स्थित इकान स्कूल ऑफ मेडिसिन के वायरोलॉजिस्ट फ्लोरियन क्रेमर ने कहा कि मुझे वैक्सीन बनाने का ये तरीका पसंद आया। ये पुराना है लेकिन बेहद कारगर है. वहीं, पिट्सबर्ग यूनिवर्सिटी के डगलस रीड ने कहा कि तरीका अच्छा है लेकिन बंदरों की संख्या कम थी। इसलिए परिणामों पर तब तक पूरा भरोसा नहीं कर सकते जबतक यह बड़े पैमाने पर जांचा नहीं जाता। साइनोवैक के वैज्ञानिकों का कहना है कि सवाल सही उठ रहे हैं लेकिन हमने उन बंदरों को भी कोरोना वायरस से संक्रमित कराया जिन्हें वैक्सीन नहीं दिया गया था। उनके अंदर कोरोना वायरस के संक्रमण के लक्षण स्पष्ट तौर पर दिखाई दिए। साइनोवैक के वैज्ञानिकों ने फिर दावा किया कि हमने अपनी वैक्सीन में बंदर और चूहे के शरीर से ली गई एंटीबॉडीज को मिलाया है। इसके बाद इस वैक्सीन का ट्रायल हमने चीन, इटली, स्विट्जरलैंड, स्पेन और यूके के कोरोना मरीजों पर किया है। वैक्सीन में मौजूद एंटीबॉडीज ने कोरोना वायरस के स्ट्रेन को निष्क्रिय करने में सफलता पाई है।


एंकर अर्णव के खिलाफ 8 एफआईआर

नई दिल्ली। इसी कड़ी में झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी कार्यकारी अध्यक्ष सह विधायक डा. इरफान अंसारी ने भी रांची के जगन्नाथपुर थाने में अर्णब के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराया। उन्होंने कहा कि पालघर हमले पर महाराष्ट्र सरकार के स्पष्टीकरण के बाद लगातार रिपब्लिक चैनल द्वारा सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश की जा रही है एवं मामले को बढ़ा चढ़ाकर लाइव शो में पेश किया जा रहा है।


कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के खिलाफ जिस प्रकार की आपत्तिजनक एवं अमर्यादित भाषा का उपयोग किया गया, वह सरासर गलत है। इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने कार्यक्रम की सीडी भी थाने को सौंपी है। इरफान अंसारी ने कहा कि इनकी गिरफ्तारी की जाए। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, एडिटर्स गिल्ड आफ इंडिया और इंडियन प्रेस काउंसिल रिपब्लिक टीवी चैनल पर प्रतिबंध लगाए।


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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


अप्रैल 25, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-258 (साल-01)
2. शनिवार, अप्रैल 25, 2020
3. शक-1943, वैशाख, शुक्ल-पक्ष, तिथि- तीज, विक्रमी संवत 2077।


4. सूर्योदय प्रातः 06:00,सूर्यास्त 06:51।


5. न्‍यूनतम तापमान 20+ डी.सै.,अधिकतम-34+ डी.सै., तेज हवाओं के साथ बरसात की संभावना।


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गुरुवार, 23 अप्रैल 2020

686 लोगों की मौत, 21700 संक्रमित

अकाशुं उपाध्याय


नई दिल्ली। केंद्रीय स्वास्थ्य एवं कल्याण मंत्रालय ने बताया कि पिछले 24 घंटो में कोरोना वायरस कोविड-19 के 1229 नए मामले सामने आए हैं और 34 लोगों की मौत हुई है। देशभर में कोरोना संक्रमित लोगों की संख्या अब तक 21700 हो गई है। 16689 एक्टिव केस हैं, जिनमें 4325 लोगों को इलाज के बाद अस्पताल से डिस्चार्ज किया जा चुका है। देश में कोरोना से 686 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं, राजस्थान में आज कोरोना वायरस (COVID-19) 49 नए मामलों की पुष्टि हो गई है। इसके साथ ही यहां मरीजों की संख्या 1937 हो गई है। इनमें 27 लोगों की मौत हो गई है। 407 मरीज ठीक हो गए हैं और 134 मरीज डिस्चार्ज हो गए हैं। राज्य स्वास्थ्य विभाग ने इसकी जानकारी दी है।


लंबे समय तक साथ चलेगा 'वायरस'

नई दिल्ली। दुनियाभर में जारी कोरोनावायरस के कहर के बीच WHO ने नई चेतावनी जारी की है। WHO ने चेताया है कि कोरोना वायरस हमारे साथ लंबे वक्त तक रहने वाला है। इससे पहले WHO ने आगाह किया था कि आने वाले समय में कोरोना वायरस के भयंकर रूप देखने को मिलेंगे. लेकिन WHO ने ये नई चेतावनी कोरोना वायरस के लगातार बदलते ट्रेंड को लेकर की है।


WHO के महानिदेशक ट्रेड्रोस ए गेब्रेयेसस ने वर्चुअल प्रेस ब्रीफिंग के दौरान कहा कि, ‘कई देशों में महामारी अभी शुरुआती चरण में है और जहां से महामारी की शुरुआत हुई थी वहां दोबारा मामले दिखने लगे हैं। हमें बहुत आगे जाना है और यह सुनिश्चित करें कि कोई गलती न हो।


यह वायरस हमारे साथ लंबे समय तक रहेगा.’
WHO ने साफ साफ सभी देशों को ये चेतावनी दी कि ज़रा सी एक चूक या जल्दबाज़ी या लापरवाही भारी पड़ सकती है क्योंकि कोरोना वायरस ने वापस उस जगह पर भी सिर उठाना शुरू कर दिया है जहां से उसकी शुरुआत हुई थी और फिर उसके खात्मे का दावा भी किया गया था.


WHO का इशारा साफ तौर पर चीन के वुहान को लेकर था. वुहान में कोरोनावायरस के संक्रमण के नए मामलों में कमी आने के बाद लॉकडाउन हटा दिया गया था. लेकिन वुहान में फिर से कोरोना संक्रमण के नए मामले अलग रूप में आ रहे हैं. कई ऐसे मरीज़ों में फिर से कोरोना पॉज़िटिव की पुष्टि हुई जो की दो महीने पहले कोरोना से ठीक हो चुके थे. ऐसे में कोरोना के मामले में अब दुनिया में ट्रेंड बदलते दिख रहे हैं. लोगों में इसके लक्षण नहीं दिखाई दे रहे हैं जो कि संक्रमण फैलने में बेहद खतरनाक साबित हो सकता है.WHO ने ही इससे पहले चेतावनी दी थी कि कोरोना वायरस से दुनिया में इससे भी बुरा वक्त आने वाला है. WHO के निदेशक टेड्रोस ने कोरोनावायरस के संक्रमण की तुलना 1918 के स्पेनिश फ्लू से की थी जिसमें एक करोड़ से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी. टेड्रोस ने लॉकडाउन हटाने को लेकर दुनिया के देशों को एहतियात बरतने को कहा.दरअसल दुनिया के कई देश लॉकडाउन में ढील दे रहे हैं या फिर हटा रहे हैं. इस पर WHO ने चेताया था कि ये जल्दबाज़ी कहीं गंभीर नतीजे भुगतने की वजह न बन जाए. WHO ने दुनिया के तमाम देशों से लॉकडाउन हटाने में जल्दीबाजी न करने की अपील की थी. उसका कहना था कि सरकारों को सोशल डिस्टेंसिंग और लॉकडाउन को धीरे धीरे हटाना होगा क्योंकि कोरोना के संक्रमण को रोकने के लिए अभी सतर्क रहने की जरूरत है। यूरोप के कई देश लॉकडाउन धीरे धीरे हटाने की तैयारी कर रहे हैं। दरअसल इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि कोरोना से जहां हज़ारों लोगों की मौत हर देश में हुई तो साथ ही लाखों करोड़ की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ा।दुनिया में अब तक कोरोनावायरस के संक्रमण की वजह से 26 लाख से ज्यादा लोग बीमार हो गए हैं जबकि 1 लाख 82 हज़ार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है।


रेल परियोजनाओं का उद्घाटन-शिलान्यास करेंगे

रेल परियोजनाओं का उद्घाटन-शिलान्यास करेंगे  इकबाल अंसारी  नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 6 जनवरी को दोपहर 12:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसि...