सावधानी बरतें, सतर्क रहें।
शुक्रवार, 17 अप्रैल 2020
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
यूनिवर्सल एक्सप्रेस (हिंदी-दैनिक)
अप्रैल 18, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254
1. अंक-251 (साल-01)
2. शनिवार, अप्रैल 18, 2020
3. शक-1942, वैशाख, कृष्ण-पक्ष, तिथि- एकादशी, विक्रमी संवत 2077।
4. सूर्योदय प्रातः 06:02,सूर्यास्त 06:51।
5. न्यूनतम तापमान 22+ डी.सै.,अधिकतम-37+ डी.सै.।
6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
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गुरुवार, 16 अप्रैल 2020
बढ़ती जा रही है अंचल वन की आग
शिवम सिंह राजपूत
रतनपुरी। एक तरफ अंचल के लोग लॉक डाउन के कारण घरों में दुबके हुए हैं तो वहीं इसी बीच जंगलों में आग फैलती जा रही है और वन विभाग भी इस ओर से पूरी तरह लापरवाह नजर आ रहा है। हर साल गर्मी के मौसम में जंगलों में आग लग जाती है। इस बार भी रतनपुर के पास खैरा के सागौन प्लांटेशन में आग लगी हुई है और यह आग लगातार बढ़ती जा रही है , जिसने बहुत बड़े इलाके को अपनी जद में ले लिया है।
आसपास के ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने वन विकास निगम और डिप्टी रेंजर पी एन चौरे को भी इसकी सूचना दे दी है, लेकिन उन्होंने यहां झांकना तक जरूरी नहीं समझा । इस कारण यहां बेशकीमती सागौन के पेड़ जलकर नष्ट हो रहे हैं। वहीं आसपास के ग्रामीणों का आरोप है कि इस क्षेत्र में वन माफिया सक्रिय हैं, जिनके द्वारा भी सागौन की अवैध कटाई की जाती है और सबूत मिटाने इसी तरह जंगल में आग लगा दी जाती है। इससे जहां क्षेत्र का वन बर्बाद हो रहा है वही वन्य जीवन पर भी बुरा असर पड़ रहा है। शुरुआत में स्थिति नियंत्रण में नहीं की गई तो यह आग बेकाबू भी हो सकती है, लेकिन लॉक डाउन का बहाना कर अधिकारी लापरवाह बने हुए हैं।
चीन ने भेजी 5 लाख चिकित्सा किट
बीजिंग। चीन ने कोविड-19 वैश्विक महामारी से लड़ने में मदद के लिए भारत को बृहस्पतिवार को 5,00,000 कोरोना वायरस चिकित्सा किट्स भेजी। बीजिंग में भारत के दूत विक्रम मिस्री ने यहां पीटीआई-भाषा को बताया कि चीन से खरीदी जा रही 20 लाख से अधिक जांच किटों को अगले 15 दिनों में भारत भेजा जाएगा। मिस्री ने बृहस्पतिवार को ट्वीट किया, ”रैपिड एंटीबॉडी टेस्ट्स और आरएनए एक्सट्रैक्शन किट्स समेत कुल 500,000 किटों को आज तड़के ग्वांग्झू हवाईअड्डे से भारत के लिए भेजा गया।
कोरोना वायरस से करीब ढाई महीने तक जूझने के बाद चीन में कारखानों ने एक बार फिर काम शुरू कर दिया है और वह भारत समेत दुनियाभर में वेंटिलेटर और व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरणों (पीपीई) समेत चिकित्सा सामान की भारी मांग को एक बड़े कारोबारी अवसर के तौर पर देख रहा है। चीन से इन सामान के आयात के लिये निजी और सरकारी कंपनियां दोनों ही ऑर्डर दे रही हैं। ऐसी जानकारी है कि चीन ने भारत में मौजूदा लॉकडाउन के दौरान सबसे अधिक प्रभावित क्षेत्रों में जांच बढ़ाने के उसके प्रयास के तौर पर पहले चिकित्सा किट्स की दो बड़ी खेप भेजीं।
भारत ने कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए बंद की अवधि तीन मई तक बढ़ा दी है। देश में इस बीमारी से 414 लोगों की मौत हुई है और 12,380 लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं।
मिस्री ने कहा कि भारतीय दूतावास, भारत में इन सामान को समय से पहुंचाने के लिए विमानों के समन्वय पर काम करने के अलावा वाणिज्यिक खरीद में सहयोग भी कर रहा है। मंगलवार को उन्होंने यहां मीडिया को बताया था कि भारत ने 30 लाख जांच किटों के अलावा कोविड-19 मरीजों का इलाज कर रहे चिकित्साकर्मियों के लिए चीन से 1.5 करोड़ निजी सुरक्षा उपकरण खरीदने का ऑर्डर दिया है। मिस्री ने कहा, ”मुझे लगता है कि हमारी जरूरतों को समय पर और सुचारू तरीके से तथा अनुमानित कीमत पर पूरा करना भारत-चीन संबंध के लिए सबसे अच्छा संकेत होगा। दुनिया के कई हिस्सों में कोरोना वायरस के फैलने के कारण चीनी चिकित्सा सामान की मांग बढ़ने पर चीन ने बुधवार को सभी देशेां से सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त चीन की प्रतिष्ठित कंपनियों से इन सामान का आयात करने के लिए कहा तथा जालसाजी में शामिल लोगों को सजा देने की बात कही।
उत्पादों की गुणवत्ता के बारे में कई देशों के चिंता जताए जाने के बारे में सवालों का जवाब देते हुए विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजान ने यहां मीडिया ब्रीफिंग में कहा कि चीन सरकार व्यवस्थित निर्यात को प्रोत्साहित कर रही है। उन्होंने कहा, ”हम आशा करते हैं कि विदेशी खरीददार उन कंपनियों के उत्पादों को चुनेंगे जिन्हें अच्छे उत्पाद की विश्वसनीयता के लिये चीनी नियामक से मान्यता प्राप्त है। उन्होंने कहा, ”हाल ही में कई देशों ने चीन से मेडिकल सामग्री खरीदी है। अपनी घरेलू जरूरतों को पूरा करते हुए हम विश्वसनीयता वाली कंपनियों और उत्पादों के निर्यात के मामले में प्रतिष्ठित कंपनियों की सहायता कर रहे हैं।
पुलिस पर हमले के 17 आरोपी अरेस्ट
मुरादाबाद। उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद ज़िले में कोरोना संक्रमित व्यक्ति के परिवार को क्वारंटीन करने के लिए पहुंची स्वास्थ्य विभाग की टीम पर हमला करने के आरोप में 17 लोगों को गिरफ़्तार कर लिया गया है।
मुरादाबाद कोरोना टीम हमला
इन 17 लोगों के ख़िलाफ़ आईपीसी की धारा 147, 148, 149, 188, 269, 270, 332, 353, 307 और दूसरी अन्य कई धाराओं के तहत अभियोग दर्ज किया गया है। यह हमला तब हुआ जब स्वास्थ विभाग की टीम संक्रमित शख़्स के परिवार को क्वारंटीन करने के लिए पहुंची थी। हमले में डॉक्टर, एंबुलेंस चालक समेत कई पुलिसकर्मियों को भी चोटें आई हैं। मुरादाबाद के पुलिस अधीक्षक अमित पाठक ने बताया, “नागफनी थाना क्षेत्र के हॉटस्पॉट में बुधवार दोपहर पुलिस और स्वास्थ्य विभाग की टीम पर महिलाओं और कुछ लोगों ने पथराव कर दिया। स्वास्थ्य टीम पुलिस को साथ लेकर दो दिन पहले हुई कोरोना पॉजिटिव कारोबारी की मौत के बाद उसके परिवार और आस-पड़ोस के सदस्यों को क्वारंटीन करने गई थी। घटना की सूचना मिलते ही अधिकारी पहुंच गए। हालांकि हमले उसके बाद भी होते रहे. फ़िलहाल स्थिति नियंत्रण में है।”
बताया जा रहा है कि हमले में घायल डॉक्टर और एंबुलेंस चालक की हालत गंभीर बनी हुई है। नागफनी थाना प्रभारी और उनके साथियों को भी कई पत्थर लगे हैं। पथराव में एबुलेंस और पुलिस जीप भी क्षतिग्रस्त हो गई हैं। घायलों को ज़िला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना का संज्ञान लेते हुए दोषियों के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय सुरक्षा क़ानून के तहत कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं।
बताया जा रहा है कि नागफनी थाना क्षेत्र के नवाबपुरा निवासी एक पीतल कारोबारी की दो दिन पहले तीर्थंकर मेडिकल विश्वविद्यालय अस्पताल में मौत हो गई थी। मृत व्यक्ति कोरोना पॉज़िटिव था। इसके बाद स्वास्थ्य विभाग ने परिवार और आस-पास के 53 लोगों की सैंपलिंग की जिसमें से 17 लोग कोरोना पॉज़िटिव पाए गए। इसके बाद इस क्षेत्र को हॉटस्पॉट घोषित कर दिया गया और स्वास्थ्य विभाग की टीम ने घर-घर जाकर लोगों की जांच कर रही थी। इसी बीच मृतक के भाई की भी अचानक हालत बिगड़ गई जिसे होम क्वारंटीन किया गया था।बुधवार दोपहर करीब 12 बजे डॉक्टर एससी अग्रवाल के नेतृत्व में पांच सदस्यों की टीम पुलिस को साथ लेकर नवाबपुरा इलाके में पहुंची थी।
मुरादाबाद कोरोना टीम हमला
एक प्रत्यक्षदर्शी ने नाम न छापने की शर्त पर बीबीसी को बताया, “कुछ लोगों ने यह ख़बर फैलाई कि मेडिकल टीम कारोबारी के परिवार के साथ-साथ पड़ोस के लोगों को भी क्वारंटीन करने के लिए लेने आई है। टीम को देखकर महिलाएं भड़क गईं और उन्होंने एक भी सदस्य को टीम के साथ जाने नहीं दिया। इसी बीच नागफनी थाना प्रभारी सुनील कुमार भी अपनी टीम के साथ पहुंच गए। इस पर वहां मौजूद महिलाओं ने पथराव शुरू कर दिया।”
घटना की सूचना मिलने पर डीएम राकेश कुमार सिंह और एसएसपी अमित पाठक, एसपी सिटी अमित आनंद समेत शहर के तमाम आला अधिकारी भारी पुलिस बल के साथ वहां पहुंचे और घायलों को अस्पताल भिजवाया। पुलिस और प्रशासन के बड़े अधिकारियों की मौजूदगी में भी काफ़ी देर तक रुक-रुक कर पत्थरबाज़ी होती रही। एसएसपी अमित पाठक ने बताया कि हमलावरों के ख़िलाफ़ केस दर्ज किया गया है कि और जिन लोगों को हिरासत में लिया गया है उनसे पूछताछ की जा रही है। इलाक़े में भारी मात्रा में पुलिस बल और पीएसी को तैनात किया गया है।
9 दिनों में मौतों का आंकड़ा '30 हजार'
न्यूयॉर्क। दुनिया में कोरोना महामारी से सबसे ज्यादा प्रभावित अमेरिका में महज नौ दिनों में मरने वालों का आंकड़ा दस हजार से बढ़कर तीस हजार हो गया है। देश में संक्रमित लोगों की संख्या भी साढ़े छह लाख के करीब पहुंच गई है। इसके बावजूद राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने दावा किया है कि अमेरिका में महामारी का सबसे बुरा दौर बीत चुका है और जल्द ही वह राज्यों के गवर्नरों के साथ चर्चा कर अर्थव्यवस्था को दोबारा खोलने के लिए दिशा-निर्देश जारी करेंगे।
हालांकि लोग कोरोना के खिलाफ लड़ाई में बढ़चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं। अमेरिका में कोरोना संक्रमण से उबर चुके हजारों लोग प्लाज्मा दान करने के लिए कतारों में देखे जा रहे हैं। 68 हजार से ज्यादा मौतों का अनुमानः समाचार एजेंसी रायटर के अनुसार, अमेरिका में बुधवार को कोरोना से जान गंवाने वालों की संख्या 30 हजार 400 हो गई। देश में इस महामारी से पहली मौत 29 फरवरी को हुई थी और दस हजार के आंकड़े तक पहुंचने में 38 दिन लगे थे। लेकिन महज नौ दिनों में ही यह आंकड़ा दस से तीस हजार के स्तर पर पहुंच गया। वाशिंगटन यूनिवर्सिटी के मॉडल के आधार पर यह अनुमान लगाया जा रहा है कि अमेरिका में अगस्त की शुरुआत तक 68 हजार से ज्यादा लोग दम तोड़ सकते हैं। ह्वाइट हाउस भी कई बार इस मॉडल का हवाला दे चुका है।
40 करोड़ के सामने बेरोजगारी संकट
कोरोना वायरस आज नहीं तो कल दुनियाभर में खत्म हो ही जाएगा लेकिन उसके असर दुनियाभर की अर्थव्यवस्था पर इतना भयानक पड़ेगा जिसका अंदाजा लगाना भी मुश्किल है। अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक भारत में करीब 40 करोड़ लोग इस महामारी के चलते बेरोजगार हो सकते हैं। अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन की रिपोर्ट के मुताबिक 2020 की दूसरी तिमाही में देशभर में करीब 19 करोड़ लोगों की नौकरियां जाएगी।
नई दिल्ली। कोरोना संक्रमण ने भले ही आज दुनिया को हिला रखा हो लेकिन दुनिया को इसका असर कई सालों तक देखने को मिलेगा। खास तौर पर गरीब और मध्यम वर्ग पर कई सालों तक कोरोना की मार पड़ने वाली है। सभवत: आने वाले दिनों में कोरोना के मुकाबले दुनियाभर में गरीबी और भुखमरी से कहीं ज्यादा मौत होगी। क्योंकि भारत में असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों की संख्या कहीं ज्यादा है, ऐसे में भारत में बड़ी संख्या में भुखमरी की आशंका जताई गई है। अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक कोरोना संक्रमण की वजह से भारत में अंसगठित क्षेत्रों में काम करने वाले करीब 40 करोड़ लोग गरीबी और भुखमरी के शिकार होने की संभावना है। यही नहीं अंतराष्ट्रीय श्रम संगठन के मुताबिक 2020 की दूसरी तिमाही में देशभर में करीब 19 करोड़ लोगों की नौकरियां जाएगी।
आईओएल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि दूसरे विश्वयुद्ध के बाद कोरोना दुनिया के सामने सबसे बड़ी मुसीबत बनकर आई है। आईएलओ के डायरेक्टर गाय रायडर के मुताबिक मंदी का दौर विकसित और विकासशील दोनों देशों में एकसमान देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि वैश्विक महामंदी को रोकने के लिए वैश्विक स्तर पर प्रयासों की जरूरत है और अगर वो नहीं लिए गए तो दुनियाभर में महामंदी आएगी। रिपोर्ट में ये भी कहा गया है कि पूरी दुनिया में असंगठित क्षेत्र में काम करने वाले करीब दो अरब लोग हैं जिनके सामने कोरोना के बाद जीविका की समस्या पैदा हो जाएगी।
आईएलओ की रिपोर्ट में जिन देशों का नाम खास तौर पर लिया गया है उनमें भारत का भी नाम शामिल है। रिपोर्ट में कहा गया है कोरोना के चलते लॉकडाउन की वजह से भारत, नाईजीरिया, ब्राजील जैसे देशों में असंगठित क्षेत्रों में काम करने वाले मजदूरों की हालत बेहद खराब और चिंताजनक होने वाली है। रिपोर्ट में भारत को लेकर कहा गया है कि भारत की 90 फीसदी आबादी अंसगठित क्षेत्र से जुड़ी हुई है और ऐसे में इनमें से करीब 40 करोड़ लोगों को गरीबी और बेरोजगारी का सामना करना पड़ सकता है।
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