गुरुवार, 16 अप्रैल 2020

दो सगी बहनों के 10 दिन पुराने शव

कानपुर। पनकी थाना क्षेत्र के शिवालिक अपार्टमेंट के फ्लैट नंबर-14 में दो सगी बहनें मृत पाई गईं। शव दीवार के सहारे टिके थे और गले में दुपट्टे का फंदा था, जो खिड़की से बंधा था। शव आठ से 10 दिन पुराने बताए जा रहे हैं। दरवाजे का अंदर से बंद होना, मौके से मिले कुछ और साक्ष्य आत्महत्या की ओर इशारा कर रहे हैं लेकिन सुसाइड नोट न मिलने की वजह से पुलिस हत्या और आत्महत्या दोनों बिंदुओं पर जांच कर रही है।


कल्याणपुर सीओ अजय कुमार ने बताया कि दिल्ली में बीएसएफ दफ्तर में हेड क्लर्क विकास पांडेय का सी ब्लॉक स्थित अपार्टमेंट में फ्लैट है। मूल रूप से कौशांबी की रहने वाली दो बहनों रेखा शुक्ला (30) और आभा शुक्ला (25) ने विकास का फ्लैट 12 मार्च को किराये पर लिया था। रेखा प्राइवेट स्कूल में पढ़ाती थी, जबकि आभा घर में ही रहती थी। विकास ने बुधवार को किराया लेने के लिए रेखा के नंबर पर कई बार फोन किया पर नंबर बंद जाता रहा।


इस पर उन्होंने मोहल्ले में ही रहने वाले सोनू नाम के लड़के को फ्लैट पर भेजा। सोनू जब पहुंचा तो दरवाजा अंदर से बंद था। खटखटाने के बाद भी नहीं खुला। कुछ देर रुकने के बाद उसे अंदर से बदबू आने का अहसास हुआ। इस पर सोनू ने विकास को जानकारी दी। विकास ने तुरंत पुलिस को सूचना दी। इस पर पुलिस दरवाजा तोड़कर अंदर पहुंची तो दोनों के शव दीवार से टिके मिले। पुलिस के मुताबिक दोनों बहनें अनाथ थीं। माता-पिता की उत्तराखंड त्रासदी में मौत हो गई थी और भाई की इसी साल जनवरी में मौत हुई है।


पोस्टमार्टम रिपोर्ट के बाद स्पष्ट होगी घटनाःएसपी पश्चिम डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि प्रथम दृष्टया घटना खुदकुशी की लग रही है। चूंकि सुसाइड नोट बरामद नहीं हुआ है, इसलिए कुछ कहना ठीक नहीं होगा। शवों को पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया है। गुरुवार को रिपोर्ट आने के बाद ही मौत का कारण पता चल जाएगा। उसी आधार पर कार्रवाई की जाएगी।


केवल एक टैबलेट मिला, मोबाइल का पता नहींः फ्लैट मालिक विकास ने बताया था कि उसकी फोन पर रेखा से बातचीत होती थी। पुलिस ने जब छानबीन की तो मौके से कोई मोबाइल बरामद नहीं हुआ। सीओ ने बताया कि टैबलेट मिला है। हो सकता है कि रेखा टैबलेट से ही बात करती हो। पुलिस नंबर की सीडीआर निकाल रही है।


सीआरपीएफ कैंप के पास से मिला बम

पंकज भदौरिया


दंतेवाड़ा। जिले के कोंडासावली कैम्प के नजदीक सीआरपीएफ के जवानों ने 5-5 किलो का दो आईईडी बम बरामद किया है। नक्सलियों ने जवानों को निशाना बनाने कैम्प के पास में ही बम लगा रखा था। लेकिन जवानों ने इनकी साजिश को नाकाम करते हुए बम को डिफ्यूज कर दिया है। घटना अरनपुर थाना क्षेत्र का है, जिसकी पुष्टि CRPF डीआईजी डीएन लाल ने की है।दरअसल कोंडासावली स्थित सीआरपीएफ 231 बटालियन का कैम्प अरनपुर और जगरगुंडा के बीच घने जंगलों में पड़ता है। जहाँ मलंगीर एरिया कमेटी के नक्सलियों और जगरगुंडा इलाके के नक्सली दोनों की पकड़ मजबूत है। नक्सली लगातार बम प्लांट कर जवानों को फंसाने की रणनीति भी बनाते रहते हैं। नक्सलियों ने पेड़ भी गिरा रखा है। इलाके में जवान अब सर्चिंग में लगे हुए है। सेटेलाइट फोन से जवानों ने डीआईजी को सूचना दी है।


साहेब! हमें राशन कब मिलेगा ?

राशन के इंतजार में ग्रामीण, लॉक डाउन पर भूख न पड़ जाएं भारी


अरविंद द्विवेदी


अनूपपुर। मोदी जी का भारत और विश्व की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और कांग्रेस के आईआईटी, एम्स वाले भारत में इतनी भी क्षमता नहीं है कि वह एक महीने का भी लॉकडाउन सह सके व अपने मेहनतकश नागरिकों को रोजगार की गारंटी दे सके। यहाँ भारत की आर्थिक तरक्की के दावे की पहले ही दिन हवा तब निकल गई जब केवल लॉक डाउन की घोषणा होते ही एक झटके में करोड़ों लोग बेरोजगार हो गए और इसका नजारा देश भर के प्रवासी मजदूरों के रूप में देखा गया। दूर दूर से पैदल आ रहे मजदूरों ने हमारे खोखले आर्थिक विकास को न केवल आइना दिखाया है बल्कि आने वाले दिनों मे देश में बनने जा रहे हालातों का भी ट्रैलर दिखाया है। वर्तमान समय में नेताओं के वादों और ज़मीनी हकीकत में बहुत अंतर है।


“तो कहने का मतलब ये है कि ये जो रोजगार बंद होने का सिलसिला शुरू हुआ है, वो बंद नहीं होने वाला है बल्कि आने वाले दिनों में इसका और भयावह रूप दिखाने वाला है.!”


खत्म हुआ राशन पेट भरने के लाले –शहरी क्षेत्रों में तो हालात फिर भी कुछ बेहतर है किंतु ग्रामीण क्षेत्रों में तो हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं क्योंकि ग्रामीणों की अर्थव्यवस्था शहरों पे आश्रित होती है और शहर तो लॉक डाउन से पूरी तरह लॉक है।


आदिवासी बस्ती में रोज़ी रोटी का संकट –कोरोना संक्रमण के कारण जिले में लॉक डाउन किया गया है जिससे ग्रामीणों के बीच रोज़गार का संकट खड़ा हो गया है रोज़गार के साधन न होने के कारण गांव में ही जो काम मिल जाये उसे करने को मजबूर है किंतु प्रशासन की सख्ती के चलते गांवो की हालात भी खराब होने की कगार पर है।


खतरे में ग्रामीणों का जीवन –कोरोना के कहर के बीच ग्रामीण क्षेत्रों में हालात और बिगड़ते जा रहे हैं एक तो हाथ से रोजगार चला गया ऊपर से अब रोज़ी रोटी का संकट मुह बाएं खड़ा है यूं तो सरकार राशन देने की बात कह रही हैं कितु कहि ऐसा न हो भूख वितरण प्रणाली पर भारी पड़ जाए।


ग्रामीण क्षेत्रों में मजाक बनी होम डिलीवरी –लॉक डाउन में ग्रामीण क्षेत्रों की सभी किराने की दुकानें बंद है। सबसे ज्यादा परेशानी ग्रामीण क्षेत्र के लोगों को हो रही है लेकिन इस ओर प्रशासन का ध्यान नहीं है। होम डिलेवरी की सुविधा नगर पालिका क्षेत्र के लिए तो कर दी गई है लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के लोग आखिर कहां जाए। वहां न तो कोई सब्जी का ठेला पहुंच रहा है और न ही किराने का सामान।


अब गेंहू कटाई से उम्मीदे –पहले मौसम की मार और अब कोरोना के प्रकोप ने देशभर में खेती-किसानी को संकट में डाल दिया है। वहीं, गेहूं खरीद की तैयारियों में जुटी सरकार अब कोरोना की रोकथाम में जुट गई हैं। ऐसा होने से सबसे अधिक मार किसान पर भी पड़ने वाली है। इस बार फसल की शुरुआत में किसानों को बेहतर मानसून की वजह से अच्छी फसल की आस बंधी थी, जिस उम्मीद में किसान अब आश्रित हैं।


साहेब कहाँ है हमारा राशन –यूं तो जिले में लगभग डेढ़ लाख पात्रता पर्ची धारक है और सरकारी आकड़ो में लगभग 90 प्रतिशत लोगो को राशन पहुँचाया भी जा चुका है लेकिन जमीनी हकीकत कुछ और ही बयान करती है जिला मुख्यालय के आसपास के गांवों के ग्रामीण ही अभी राशन के इंतजार में है तो दूरदराज की कहानी अलग ही होगी। कहीं खाद्य विभाग आकड़ो की बाजीगरी तो नहीं कर रहा यह देखने बाली बात होगी क्योंकि जिले में खाद्यान का कितना स्टॉक रहा जिससे गरीबो को 3 माह का राशन एडवांस दे दिया गया क्योंकि आज भी पात्र हितग्राहियों को राशन का इंतजार करते हुए देखा जा सकता है।


'सोशल डिस्टेंसिंग' की धज्जियां उड़ी

धर्मेंद्र यादव


मैनपाट। विकासखंड मैनपाट के बैंकों में सोशल डिस्टेंस नियमों की खुलेआम धज्जियां उड़ाई जा रही है जहां शासन प्रशासन द्वारा जन जागरूकता फैला कोरोना वायरस से बचाव एवं सावधानी बरतने युद्ध स्तर पर कार्य किए जा रहे हैं वही शासकीय अधिकारी कर्मचारी ही सरकार की वायरस को लेकर जारी नियमों की खुलेआम अवहेलना कर धज्जियां उड़ा रहे हैं।


मामला मैनपाट के कमलेश्वरपुर भारतीय स्टेट बैंक की है जहां पिछले दो-तीन दिनों से जनधन खाते में 500 रुपये आने की खबर को लेकर दर्जनों की तादाद में लोग प्रतिदिन 10 से 15 किलोमीटर दूरी तय कर सुपलगा, पैगा असगवा जैसे बीहड़ क्षेत्र से जंगल की चढ़ाई चढ़कर लोग इस उम्मीद में आ रहे हैं कि हमारे जनधन खाते में 500 रुपये आ गया होगा वहीं कुछ लोगों का तांता तो इस बात को लेकर लगा हुआ था कि आए हुए पैसे को चेक करवा पासबुक में एंट्री करवानी है किंतु विडंबना यह है कि बैंक प्रबंधक द्वारा लोगों का खाता भी चेक नहीं किया जा रहा है और लोग बैंक के सामने बगैर डिस्टेंस का पालन किए दर्जनों की तादात में एकत्र हो शासन प्रशासन एवं बैंक प्रबंधन की लापरवाही से सोशल डिस्टेंस के नियमों का खुलेआम अवहेलना कर रहे हैं।
गेट में ताला! गेटकीपर नशे में धुत्


 संवाददाता द्वारा जब भीड़ को देखकर स्थिति का जायजा लिया गया तो पता चला कि बैंक प्रबंधन अपने मुख्य गेट को बंद कर दो टूक शब्दों में यह कहते हुए की बैंक में कोई कार्य नहीं होगा सभी प्रकार के बैंकिंग लेनदेन बैंक सखी के माध्यमों से कराई जाएगी लेकिन लोगों व क्षेत्रवासियों को यह पता नहीं है कि उनका बैंक सखी कौन है वही भारतीय स्टेट बैंक के गेटकीपर नशे की हालत में लत पाया गया तथा लोगों को दूरी बनाने समझाइश देने के बजाय खुद ही निढाल पड़ा रहा इसकी सुध लेने न तो बैंक प्रबंधन ने उचित समझा और ना ही प्रशासनिक अमला द्वारा मुनासिब समझा गया जिसका खामियाजा दूरदराज से भूखे प्यासे आए महिला पुरुष ग्रामीण जनों को चिलचिलाती धूप में घंटों खड़े रहकर बेवजह परेशानियों का सामना करना पड़ा लोगों ने इस दिशा में स्थानीय प्रशासन से व्यवस्था सुदृढ़ करने मांग की है।


पिज्जाः 72 परिवारों को परोसा वायरस

नई दिल्ली। नई दिल्ली में एक पिज्जा डिलिवरी ब्वॉय कोरोना का कहर बनकर पूरे दिल्ली में घूम रहा था। इससे पिज्जा और अन्य खाद्य पदार्थ मंगवाने वाले करीब 72 घरों के लोगों को क्वारेंटाइन किया गया है। ऐसा ही पिज्जा और अन्य खाद्य पदार्थ सप्लाई का खेल रायपुर में भी चल रहा है। लेकिन इस पर न प्रशासन की नजर है और न पुलिस की। दिल्ली के जिन 72 घरों के लोगों को क्वारेंटाइन किया गया है उसमें ज्यादातर लोग हौज खास और मालवीय नगर के बताए जा रहे है।


वहीं इन सभी लोगों की पहचान अभी स्वास्थ्य विभाग ने गुप्त रखी है। वहीं इसमें से अभी किसी का भी कोरोना टेस्ट नहीं कराया गया है। हालांकि किसी भी संदिग्ध में कोरोना के लक्षण दिखने पर तत्काल टेस्ट और अस्पताल में भर्ती कराने के निर्देश दिए गए है।उक्त डिलिवरी ब्वॉय से पूछताछ में ये पता चला है कि वो मार्च के अंतिम सप्ताह तक ड्यूटी पर था और पिछले सप्ताह ही इसका कोरोना टेस्ट रिजल्ट पॉजिटिव आया है।अधिकारियों ने कहा कि वह पहले डायलिसिस के लिए एक अस्पताल गया था और माना जा रहा है कि इसी दौरान वह संक्रमित हुआ होगा।


नग्न अवस्था में महिला का हंगामा

मेड्रिड। दुनिया भर में लोग अब कोरोना वायरस की वजह से लगाए गए लॉकडाउन से परेशान होने लगे हैं। लोग घरों से बाहर निकलना चाहते हैं। लेकिन प्रतिबंधों के कारण नहीं निकल पाते। स्पेन में एक महिला ने पहले तो लॉकडाउन तोड़ा. जब पुलिस उसे पकड़कर कोर्ट ले गई तो उसके बाद उसने सारे कपड़े उतारकर खूब हंगामा किया।


स्पेन में लॉकडाउन से परेशान महिला का टूटा सब्र, कपड़े उतारकर किया हंगामा
स्पेन में लॉकडाउन को लेकर बेहद कड़े कदम उठाए गए हैं। किसी को भी बाहर निकलने की अनुमति नहीं है। लेकिन इस 41 वर्षीय महिला से घर में रहना बेहद नागवार गुजरा। उसने लॉकडाउन के नियम तोड़कर घर से बाहर निकल आई।


स्पेन में लॉकडाउन से परेशान महिला का टूटा सब्र, कपड़े उतारकर किया हंगामा
लेकिन इस महिला ने और कोई गलत काम नहीं किया. वह घर से निकली और टोरेमोलिनोस इलाके में काम कर रहे मेडिकल स्टाफ की हौसला अफजाई के लिए सड़क पर खड़ी होकर तालियां बजा रही थी। तभी पुलिस उसे उठाकर कोर्ट ले गई। कोर्ट ने उस महिला को जमानत पर हिदायत देते हुए रिहा कर दिया। लेकिन कोर्ट से बाहर आते ही महिला ने अपने सारे कपड़े उतार दिए और हंगामा करने लगी।


स्पेन में लॉकडाउन से परेशान महिला का टूटा सब्र, कपड़े उतारकर किया हंगामा
इस बीच वह पुलिस की कार पर भी चढ़ गई। इसके बार पुलिस वालों ने उसे घेर कर पकड़ा। वह कपड़े पहनने को तैयार नहीं थी। फिर मजबूरी में पुलिस वालों को उसे कपड़े में लपेटकर एक एंबुलेंस में डालकर घर भेजना पड़ा।


स्पेन में लॉकडाउन से परेशान महिला का टूटा सब्र, कपड़े उतारकर किया हंगामा
स्पेन में इस समय कोरोना वायरस की वजह से 1.77 लाख से ज्यादा लोग बीमार है। इसके अलावा 18,579 लोगों की मौत हो चुकी है। स्पेन मौतों और संक्रमित लोगों के मामले में दुनिया में दूसरे स्थान पर है।


पंक्ति के अंतिम व्यक्ति के साथ खड़े

सुप्रिया पांडेय


रायपुर। कोरोना लॉकडाउन के समय में जनता के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। अब उन लोगों को भी राशन मिलेंगे जिनके राशन कार्ड नहीं बने है। राहुल गांधी के PDS वाले बयान पर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि बिना राशन कार्ड वालों के लिए भी राशन की व्यवस्था की गई है। हम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति के साथ खड़े हैं। दरअसल राहुल गांधी ने कल ट्वीट कर कहा था कि हम सरकार से अपील करते हैं कि इस संकट में आपातकाल राशन कार्ड जारी किए जाएँ। ये उन सभी के लिए हो, जो इस लॉकडाउन में अन्न की कमी से जूझ रहे हैं। लाखों देशवासी बिना राशन कार्ड के PDS का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं। अनाज गोदाम में सड़ रहा है जबकि सैकड़ों भूखे पेट इंतज़ार कर रहे है। हम सरकार से अपील करते हैं कि इस संकट में आपातकाल राशन कार्ड जारी किए जाएँ।ये उन सभी के लिए हों जो इस लॉकडाउन में अन्न की कमी से जूझ रहे हैं।लाखों देशवासी बिना राशन कार्ड के PDS का लाभ नहीं उठा पा रहे हैं।अनाज गोदाम में सड़ रहा है जबकि सैकड़ों भूखे पेट इंतज़ार कर रहे हैं।अमानवीय!


इसी बयान पर मुख्यमंत्री भूपेश ने ट्वीट करते हुए कहा कि छत्तीसगढ़ सरकार ने उनके लिए भी राशन की व्यवस्था कर दी है, जिनके राशन कार्ड नहीं बन पाए है। हम पंक्ति के अंतिम व्यक्ति के साथ खड़े हैं। बता दें कि प्रदेश में बहुत से ऐसे लोग है जिनके राशनकार्ड नहीं बन पाए है। ऐसे भी बहुत से लोग है, जो लॉकडाउन की वजह से छत्तीसगढ़ में फंसे हुए है और उन्हें राशन नहीं मिल पा रहा है। इनके लिए भी अब भूपेश सरकार ने राशन की व्यवस्था की है।


सीएम ने 'महाकुंभ' की तैयारियों का जायजा लिया

सीएम ने 'महाकुंभ' की तैयारियों का जायजा लिया  बृजेश केसरवानी  प्रयागराज। महाकुंभ की तैयारियों का जायजा लेने के लिए मुख्यमंत्री योगी ...