भदोही। पति से हुए मामूली झगड़े के बाद यूपी के भदोही जिले में एक महिला अपने पांच बच्चों को लेकर गंगा में कूद गई। कुछ देर बाद मां तो तैर कर नदी से बाहर निकल आई लेकिन पांच से 11 साल के पांचों बच्चे नदी में ही डूब गए। बच्चों के शवों की तलाश का काम जारी है। डूबने वाले बच्चों में दो लड़के और तीन लड़कियां हैं। इनमें सबसे बड़ी लड़की की उम्र 11 साल है और सबसे छोटे लड़के की उम्र तीन साल है।
मिल रही जानकारी के अनुसार भदोही में गंगा घाट पर रविवार सुबह एक महिला ने परिवार समेत आत्महत्या की नीयत से पांच बच्चों को लेकर गंगा में छलांग लगा दी। इसके कुछ देर बाद महिला तो तैर की बाहर आ गई लेकिन पांचों बच्चे नदी में बह गए। बाहर निकली महिला को ग्रामीणों ने घेर लिया और उससे पूछताछ की। उसने कहा कि मैंने जानबूझकर ही बच्चों को डुबाया है।
जानकारी के मुताबिक गोपीगंज थानाक्षेत्र के जहांगीराबाद गांव निवासी मृदुल यादव उर्फ मुन्ना की 37 वर्षीय बीवी मंजू यादव आज तड़के अपने पांच बच्चों आरती(11), सरस्वती(7), शिव शंकर(6), मातेश्वरी(5) और तीन वर्षीय केशव प्रसाद के साथ जहांगीराबाद घाट पहुंची। इसके बाद उसने सभी बच्चों के साथ गंगा में छलांग लगा दी।
कुछ देर में वह तैर कर नदी से बाहर आ गई। और घाट के किनारे की बैठ गई। सुबह जब ग्रामीणों की निगाह पड़ी तो पूछे जाने पर उसने बताया कि मैंने अपने पांचों बच्चों को गंगा में डुबो दिया। बच्चों के पिता मृदुल यादव का कहना है कि वह बीती रात किसी रिश्तेदार को लेकर झारखंड गया था। सूचना मिलने के बाद जैसे तैसे वह मौके पर पहुंचा।
उसने बताया कि पत्नी को कोई बीमारी भी नहीं है। वह दिमागी रूप से भी बिल्कुल ठीक है। वहीं बच्चों की मां ने आरोप लगाया कि पति से किसी बात को लेकर लड़ाई झगड़ा हुआ था, जिसके बाद उसने यह कदम उठाया।
रविवार, 12 अप्रैल 2020
5 बच्चों संग नदी में कूदी, 5 की मौत
पोर्न देखने में नंबर वन बना 'इंडिया'
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के खिलाफ जंग की सबसे सशक्त रणनीति में सोशल डिस्टेंसिंग और लॉक डॉउन है। प्रधानमंत्री की अपील का देश की अधिकांश जनता ने अनुसरण किया और तमाम लोग आज अपने—अपने घरों में हैं। ऐसे में कई माध्यमों से देखा जा रहा है कि आंखिर जनता घर में दिन भर क्या कर रही है। कोई बागवानी कर रहा है, कोई संगीत का रियाज कर रहा है, कोई घर से ही दफ्तर के काम निपटा रहा है, लेकिन इससे इतर भी कुछ है जो भारतीय सबसे अधिक कर रहे हैं। चौंकिये मत, पूरे विश्व में भारतीय सबसे अधिक इंटरनेट पर पॉर्न देखकर अपना वक्त बिता रहे हैं। यह हम नही कह रहे, बल्कि दुनिया की सबसे बड़ी पॉर्न वेबसाइट पॉर्न हब के आंकड़े इस बात की तस्दीक कर रहे हैं। वैसे तो पूरी दुनिया में पॉर्न देखने वालों की संख्या बढ़ी है, लेकिन भारत इस मामले में पहले नंबर पर पहुंच गया है। पॉर्न हब के ताजा आंकड़ों के मुताबिक तीन हफ्ते के लॉकडाउन की अवधि में ही भारत में एडल्ट साइट्स पर जाने वालों का ट्रैफिक 95 फीसदी बढ़ा है। आंकड़ों के मुताबिक भारत में मार्च के आखिर में आधिकारिक पाबंदियों के शुरू होने से पहले ही पॉर्न कंटेंट देखने में 20 फीसदी का उछाल आ गया थाा। बता दें कि भारत सबसे तेजी से उभरने वाला स्मार्टफोन मार्केट है जिससे लोगों तक पॉर्न कंटेंट पहुंचना आसान हो गया है। खैर अभी तो बहुत से राज्यों ने लॉक डॉउन की अवधि बढ़ा दी है। देखना यह है कि भारतीय लोग आगे लॉक डॉउन के दौरान कुछ सार्थक कार्य करते हैं या फिर पॉर्न साइट पर चिपके रहकर अपना वक्त जाया करेंगे।
यूपी में पांचवी मौत, 425 संक्रमित
लखनऊ। उत्तर प्रदेश में कोविड-19 संक्रमण के चलते पांचवीं मौत देखने को मिली है, जबकि 19 नए मामलों के साथ सूबे में महामारी से संक्रमित कुल व्यक्तियों की संख्या बढ़कर 425 हो गई है। स्वास्थ्य विभाग द्वारा यहां जारी आंकड़ों के अनुसार, बुलंदशहर के एक आयुर्वेद चिकित्सक ने शनिवार रात दिल्ली के एक अस्पताल में दम तोड़ा।बुलंदशह के मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर के.एन.तिवारी ने कहा, “मरने वाले 58 वर्षीय बुलंदशहर में एक निजी आयुर्वेद चिकित्सक थे और उन्हें नई दिल्ली के सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके परिवार के सदस्यों के नमूने भी जांच के लिए भेजे गए हैं।”आयुर्वेदिक चिकित्सक को 7 अप्रैल को शुरुआत में एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, बाद में उन्हें दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया था। संक्रमण की पुष्टि होने के बाद उनके क्लिनिक को भी सील कर दिया गया। दूसरी ओर शनिवार को समने आए नए 19 मामलों में से आठ तबलीगी जमात के सदस्यों से जुड़े हैं।
अतरिक्त मुख्य सचिव (गृह) अवनीश अवस्थी ने कहा, “कोरोनावायरस से संक्रमित हुए तबलीगी जमात के सदस्यों की संख्या बढ़कर 254 हो गई है।” स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा कि इस बीच उपचार के बाद पूर्ण रूप से स्वस्थ हुए 13 मरीजों को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है। यह राज्य में एक दिन में ठीक होकर डिस्चार्ज किए जाने वाले सबसे अधिक मरीजों की संख्या है। स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में लक्षण संदिग्ध 5,477 की पहचान की है और 576 को अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जबकि अन्य 8,084 लोगों को क्वारंटाइन सेंटर भेजा गया है।
बकाया किस्तों पर ब्याज देना होगा
नई दिल्ली। कोरोनावायरस के चलते मॉरीटोरियम अवधि के दौरान लोन की किश्त की अदायगी में ब्याज की छूट दिए जाने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई है। याचिका में कहा गया है कि बैंक और वित्तीय संस्थान अपने कर्ज में ग्राहकों से मॉरीटोरियम अवधि के दौरान ब्याज न लें। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपने मार्च के सर्कुलर में इसकी घोषणा की है, लेकिन अभी तक यह एक घोषणा ही है क्योंकि मॉरीटोरियम अवधि में ब्याज देय है।
याचिकाकर्ता ने तर्क दिया है कि नियमित किश्त के साथ अतिरिक्त ब्याज का भुगतान करने का कोई अर्थ नहीं है। इसलिए राज्य का कर्तव्य है कि संकट के इस समय में उधारकर्ताओं को छूट दी जाए। जब लोगों की नौकरियों पर संकट हो और उनसे आय छीन ली गई हो तो ऐसे में उपभोक्ताओं को छूट दी जानी चाहिए। बताते चलें कि कोरोनावायरस और उसके आर्थिक प्रभावों से निपटने के लिए सरकार के बाद RBI ने बड़ा कदम उठाया है। आरबीआई ने नीतिगत ब्याज दर यानी रेपो रेट में 0.75 प्रतिशत की कटौती की। आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (Shakti Kant Das) ने कहा था कि रेपो दर को मौजूदा समय में 5.15 प्रतिशत से घटाकर 4.4 प्रतिशत किया गया है। मौद्रिक नीति समिति (MPC) के 6 सदस्यों में से चार ने इस कदम के पक्ष में वोट किया है। इससे होम लोन समेत अन्य कर्जों की ईएमआई में कमी आने की उम्मीद है। आर्थिक नरमी को दूर करने के लिए आरबीआई इससे पहले भी कई बार नीतिगत ब्याज दर में कटौती कर चुका है। साथ ही बैंकों को दरों में पर्याप्त कटौती करने का भी निर्देश दिया था।
प्राधिकृत प्रकाशन विवरण
यूनिवर्सल एक्सप्रेस (हिंदी-दैनिक)
अप्रैल 13, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254
1. अंक-246 (साल-01)
2. सोमवार, अप्रैल 13, 2020
3. शक-1942, वैशाख, कृष्ण-पक्ष, तिथि-षष्ठी, विक्रमी संवत 2077।
4. सूर्योदय प्रातः 06:04,सूर्यास्त 06:48।
5. न्यूनतम तापमान 21+ डी.सै.,अधिकतम-35+ डी.सै.।
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शनिवार, 11 अप्रैल 2020
वायरस का खौफ, बढ़ेगा 'लॉक डाउन'
बृज बिहारी दुबे
नई दिल्ली। भारत में लगातार बढ़ते कोरोना मामलों के बीच शनिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत की। जिसमें उन्होंने सभी से इस बात का फीडबैक लिया कि क्या कोविड-19 के प्रकोप को रोकने के लिए 14 अप्रैल को खत्म हो रहे 21 दिनों के लॉकडाउन को बढ़ाना चाहिए या नहीं। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी मास्क (गमछा या तौलिया) पहने हुए नजर आए।
केंद्र सरकार ने महामारी के प्रसार को रोकने के प्रयासों में लगे हुए सभी संबंधित एजेंसियों और हितधारकों से इस मुद्दे पर विचार प्राप्त किए हैं। प्रधानमंत्री ने शनिवार सुबह 11 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए मुख्यमंत्रियों से बात ऐसे समय पर की जब माना जा रहा है कि सरकार देशभर में लागू लॉकडाउन को कुछ संभावित छूट के साथ बढ़ा सकती है।
पंजाब और ओडिशा पहले ही अपने राज्यों में जारी लॉकडाउन की अवधि को बढ़ा चुके हैं। वहीं देश में जारी लॉकडाउन आने वाले मंगलवार को खत्म हो रहा है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने विभिन्न पहलुओं पर राज्य सरकारों से विचार मांगे हैं, जिसमें यह जानकारी भी शामिल है कि क्या अधिक लोगों और सेवाओं को छूट दी जानी चाहिए।
वर्तमान में जारी लॉकडाउन में केवल जरूरी सेवाओं को छूट दी गई है। यह दूसरी बार है जब प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन के बाद मुख्यमंत्रियों के साथ बातचीत की है। दो अप्रैल को हुई बातचीत के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने जारी लॉकडाउन से बाहर निकलने के लिए सख्त कदम उठाने के लिए कहा था।
केजरीवाल ने दिया लॉकडाउन बढ़ाने का सुझाव
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने प्रधानमंत्री मोदी के साथ वीडियो कॉन्फ्रेस में पूरे भारत में 30 अप्रैल तक लॉकडाउन बढ़ाने का सुझाव दिया है।
पंजाब के मुख्यमंत्री ने 15 दिनों के लिए लॉकडाउन बढ़ाने को कहा
पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने प्रधानमंत्री के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में उद्योग और कृषि क्षेत्रों के लिए विशेष रियायतों के अलावा कम से कम एक पखवाड़े तक लॉकडाउन बढ़ाने की सिफारिश की। उन्होंने रैपिड टेस्टिंग किट की जल्द आपूर्ति के लिए भी कहा।
मास्क की जगह गमछे के उपयोग को दें बढ़ावा
इससे पहले प्रधानमंत्री मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी के जिलाध्यक्ष से बातचीत में कहा था कि मास्क तैयार करने के लिए अनावश्यक पैसा खर्च करने की जरुरत नहीं है। पूर्वांचल में तो कंधे पर तौलिया व गमछा रखने की परंपरा है, इसे जारी रखें और इसी से मुंह ढकने के लिए लोगों को जागरूक करें। जिलाध्यक्ष हंसराज विश्वकर्मा ने पीएम मोदी को मास्क बांटने के बारे में बताया तो प्रधानमंत्री ने कहा था कि अनावश्यक पैसे खर्च करने की आवश्यकता नहीं है। मास्क इलाज में लगे डॉक्टर एवं उनके सहयोगियों, सफाई कामगारों के लिए जरूरी है।
फिर से मेरे खिलाफ छापामार कार्यवाही की जाएगी
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