चार किलो गेहूँ एवं एक किलो चावल प्रति व्यक्ति प्रदान किया जाएगा
भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देशानुसार कोरोना संकट के चलते प्रदेश के 32 लाख ऐसे व्यक्तियों को भी नि:शुल्क राशन प्रदाय किया जाएगा, जिनके पास राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत पात्रता पर्चियां नहीं हैं। इन्हें एक माह का नि:शुल्क उचित मूल्य राशन राज्य सरकार के कोटे से प्रदाय किया जाएगा। राशन के अंतर्गत इन्हें चार किलो गेहूँ एवं एक किलो चावल प्रति व्यक्ति प्रदान किया जाएगा।
प्रमुख सचिव खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण श्री शिव शेखर शुक्ला ने बताया कि प्रदेश में 31 लाख 81 हजार 525 ऐसे व्यक्ति हैं, जो राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत निर्धारित 25 पात्रता श्रेणियों में तो आते हैं, परंतु उन्हें वर्तमान में उचित मूल्य राशन प्राप्त करने की पात्रता नहीं है। भारत सरकार द्वारा वर्ष 2014-15 में प्रदेश में योजना के अंतर्गत पात्रता पर्चीधारियों की संख्या 5 करोड़ 46 लाख निर्धारित किए जाने से इन्हें पात्रता नहीं है। अब राज्य शासन ने इन्हें अपने कोटे से एक माह का नि:शुल्क राशन दिए जाने का निर्णय लिया है। राज्य के समग्र सामाजिक सुरक्षा पोर्टल पर इनका नाम दर्ज है। खाद्यान्न वितरण के लिए प्रदेश के इन 8 लाख 8 हजार 946 परिवारों के 31 लाख 81 हजार 525 सदस्यों के लिए राज्य स्तर से 12 हजार 726 मीट्रिक टन गेहूँ तथा 3 हजार 181 मीट्रिक टन चावल का कोटा जारी किया जा चुका है।
किसी भी नजदीकी दुकान से प्राप्त कर सकेंगे राशन
बिना पात्रता पर्ची वाले सभी व्यक्ति सुविधानुसार अपने आस-पास की किसी भी उचित मूल्य दुकान से यह राशन प्राप्त कर सकेंगे। वर्तमान में कोरोना संकट के मद्देनजर कलेक्टर्स को निर्देश दिए गए हैं कि वे राशन वितरण में सोशल डिस्टेंसिंग एवं अन्य सुरक्षात्मक उपायों का कड़ाई से पालन कराएं। हितग्राहियों से कहा गया है कि वे बारी-बारी से राशन प्राप्त करें तथा राशन दुकानों पर एक-दूसरे की बीच दूरी कायम रखते हुए भीड़ न लगाएं। इन सभी हितग्राहियों की सूची पोर्टल पर लॉगिन में उपलब्ध है।
शुक्रवार, 10 अप्रैल 2020
अपात्रः प्रति व्यक्ति मिलेगा गेहूं-चावल
1400 किमी से लाई अपना बच्चा
निजामाबाद। कोरोना लॉकडाउन में देश के अलग-अलग हिस्सों में लोग फंसे हुए हैं और वह अपने घर नहीं जा पा रहे हैं। कोरोना वायरस के बढ़ते प्रकोप से बचने के लिए ही मोदी सरकार ने यह फैसला लिया है। मगर इस बीच एक ऐसी घटना सामने आई है, जिसे पढ़कर आपको फिर से यकीन हो जाएगा कि एक मां अगर चाहे तो अपने बच्चों के लिए क्या नहीं कर सकती है। दरअसल, एक महिला का बेटा घर से करीब 700 किलोमीटर दूर लॉकडाउन की वजह से फंस गया था, जिसके बाद मां स्कूटी से 1400 किलोमीटर की यात्रा कर अपने बेटे को वापस ले आई।
स्कूटी से तय की 1400 किमी ससफरः फरलंगाना के निजामाबाद जिले की रहने वालीं 50 वर्षीय रजिया बेगम अपने स्कूटी से 700 किलोमीटर दूर नेल्लोर चली गईं, जहां उनका बेटा लॉकडाउन में फंसा था और फिर अपने बेटे को स्कूटी पर बैठाकर घर वापस ले आईं। रजिया बेगम निजामाबाद के बोधन शहर में एक सरकारी शिक्षिका हैं। रजिया अपने बेटे को लाने के लिए सोमवार की सुबह स्कूटी से निकलती हैं और मंगलवार को दोपहर में आंध्र प्रदेश के नेल्लोर पहुंचती हैं। वहां से वह अपने 17 साल के बेटे मोहम्मद निजामुद्दीन को स्कूटी पर बैठाकर वापस घर चली आती हैं और वह बुधवार को शाम में अपने घर पहुंचती हैं। इस दौरान रजिया तीन दिनों में कुल 1400 किलोमीटर की दूरी तय करती हैं। उनका बेटा नेल्लोर में अपने दोस्त के घर पर फंस गया था।
एसीपी ने दी थी विशेष परमिशनः हालांकि, लॉकडाउन होने की वजह से इस असंभव काम में उनकी मदद बोधन जिले के असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर वी जयपाल रेड्डी करते हैं। रजिया अपने बेटे को वापस लाने का वाजिब कारण बताती हैं और उनसे जाने की मंजूरी मांगती हैं। रजिया की गुहार सुनकर जयपाल रेड्डी उन्हें एक विशेष लेटर जारी करते हैं, ताकि प्रशासन कहीं भी रोके-टोके नहीं। हालांकि, इस दौरान रजिया को कई जगहों पर पुलिसवाले रोकते भी हैं, मगर एसीपी द्वारा दी गई विशेष पास की बदौलत उन्हें कहीं ज्यादा दिक्कत नहीं आती है और वह अपने बेटे को सुरक्षित घर लाने में कामयाब रहती हैं।
रजिया को एक बेटा और एक बेटीः रजिया के पति 12 साल पहले एक बीमारी की वजह से गुजर चुके हैं। उनके दो बच्चे हैं, एक बेटा और एक बेटी। बेटा निजामुद्दीन 2019 में 12वीं पास कर गया है और अब वह हैदराबाद में मेडिकल प्रवेश परीक्षा की तैयारी कर रहा है। बीते दिनों निजामुद्दीन अपने दोस्त के साथ नेल्लोर गया था, जहां उसके दोस्त के पापा अस्पताल में भर्ती थे। तभी अचानक 23 तारीख को लॉकडाउन का ऐलान हो जाता है और वह अपने दोस्त के घर पर फंस जाता है।
बेटे के लिए हरसंभव कोशिशः रजिया को जैसे ही पता चलता है कि उनका बेटा नेल्लोर में दोस्त के घर पर फंस गया है, वह तुरंत असिस्टेंट पुलिस कमिश्नर से संपर्क करती हैं और अपने बेटे को वापस बुलाने के लिए मदद की गुहार लगाती हैं। वह कहती हैं कि एसीपी साहब ने मुझे एक परमिशन लेटर दिया, ताकि मैं लॉकडाउन में अपने बेटे को लाने जा सकूं। उन्होंने आंध्र प्रदेश पुलिस से भी अपील की कि मुझे लॉकडाउन में अपने राज्य में जाने दिया जाए।
मुझे कहीं डर नहीं लगाः रजिया आगे कहती हैं कि मैं लगातार चलती गई। मुझे अपने बेटे को वापस लाना था, इसलिए कहीं भी डर नहीं लगा। कई जगह पुलिसवालों ने रोका, मगर मैं एसीपी साहब का दिया हुआ परमिशन लेटर दिखा देती थी और वे मुझे जाने देते थे। मैं नेल्लोर में एक दिन भी नहीं रुकी और वापसी के लिए मैं निकल गई।
कहरः परिवार के 25 लोग संक्रमित
कविता गर्ग
सिवान। बिहार में वैश्विक महामारी कोरोना का कहर जारी है। प्रदेश के सीवान जिले के पंजवार गांव में 11 और लोगों के कोरोना पॉजिटिव होने का मामला सामने आया है। ये सभी एक ही परिवार के सदस्य हैं। इस तरह सीवान में कुल पॉजीटिव केस 31 हो गए हैं, जिसमे पंजवार में एक ही परिवार के 25 लोग शामिल हैं। बिहार में अब कुल कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या 60 हो चुकी है। गत 30 मार्च को कोरोना के छह मरीज मिले थे, वहीं 7 अप्रैल को भी बिहार में एक ही दिन में कोरोना छह मरीज सामने आए थे। बिहार में गुरुवार को 19 नए मरीजों के सामने आने के बाद कोरोना संक्रमितों की संख्या 39 से बढ़कर 58 हो गई। स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव संजय कुमार ने बताया कि इनमें अधिकांश की यात्रा इतिहास या संक्रमण के विस्तार की पहचान कर ली गई है।
बेगूसराय में 15 व 18 वर्ष के दो लड़कों के सैंपल पॉजिटिव
उधर, बेगूसराय के बछवाड़ा इलाके में 15 और 18 वर्ष के दो लड़कों के सैंपल पॉजिटिव पाए गए हैं। इनकी ट्रेवल हिस्ट्री या किसी कोरोना संक्रमित के संपर्क में आने की पहचान की जा रही है। बेगूसराय से मिली जानकारी के मुताबिक इस तरह जिले के एक गांव में जमात चलाने के दौरान पकड़े गए कुल 10 युवकों में कोरोना से संक्रमित मरीजों की संख्या अब चार हो गई है। एक दिन पूर्व ही जमात में शामिल युवकों में से दो की रिपोर्ट पॉजिटिव निकली थी। दोनों जमात से जुड़े थे।
चार जिलों को संवेदनशील माना जा रहा है
विभागीय सूत्रों ने बताया कि कोरोना महामारी को लेकर चार जिलों को बेहद संवेदनशील माना जा रहा है। इनमें सीवान, मुंगेर, पटना व गया शामिल हैं। हालांकि नवादा समेत बिहार के कुल 11 जिले कोरोना के प्रभाव क्षेत्र में शामिल हो चुके हैं।
पटना-बेगूसराय की सीमा को सील किया गया
बेगूसराय में कोरोना के दो मरीज मिलने के बाद पटना-बेगूसराय सीमा को सील कर दिया गया है। अन्य मार्ग पर भी वाहनों की र्चेंकग शुरू कर दी गई है। पटना जिले से सटे एक गांव में कोरोना पॉजिटिव मिलने के बाद जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया। मरीज विदेश से पटना लौटा था। पटना होकर ही वह अपने घर बेगूसराय गया था। इस दौरान पटना में कहां-कहां रुका, किसके संपर्क में आया, किस रास्ते से गांव लौटा, इसकी जानकारी ली जा रही है। डीएम कुमार रवि ने पटना-बेगूसराय सीमा पर वैसे ही वाहनों को आने-जाने की इजाजत दी है, जो अति आवश्यक सेवा में लगे हैं।
वायरसः 90 प्रतिशत की मजदूरी गई
आदित्य मैनन
नई दिल्ली। कोरोना वायरस के चलते किया गया लॉकडाउन भारत के गरीबों और मजदूरों पर बहुत भारी पड़ेगा। NGO जन साहस के एक सर्वे के मुताबिक, करीब 90% मजदूरों ने पिछले तीन हफ्तों में अपना कमाई का जरिया खो दिया है। भारत सरकार ने कंस्ट्रक्शन मजदूर लोगों के लिए राहत पैकेज का ऐलान किया है, लेकिन इनमें से ज्यादातर मजदूरों तक इस राहत का पहुंचना मुश्किल है।
सर्वे देशभर के 3196 कंस्ट्रक्शन मजदूरों के बीच कराया गया था। सर्वे कहता है कि 94% कामगारों के पास बिल्डिंग एंड कंस्ट्रक्शन वर्कर्स आइडेंटिटी कार्ड नहीं है, जो सरकार की तरफ से दी गई 32000 करोड़ की राहत पाने के लिए जरूरी है। सर्वे में शामिल हुए 17 प्रतिशत मजदूरों के पास बैंक अकाउंट नहीं है। इससे सरकार की तरफ से दी गई राहत का उन तक पहुंचना मुश्किल हो जाएगा। जन साहस का सुझाव है कि इन लोगों तक ‘आधार से पहचान करके ग्राम पंचायत और पोस्टल ऑफिस के जरिए इनके दरवाजे तक कैश पेमेंट’ किया जाए। इन मजदूरों को राहत मिलने में एक और दिक्कत जानकारी की कमी की है। सर्वे के मुताबिक, 62 फीसदी मजदूरों को पता ही नहीं था कि आपातकालीन सरकारी राहत कैसे ली जाए, वहीं 37 प्रतिशत को नहीं पता था कि मौजूदा सरकारी स्कीमों की मदद कैसे ली जा सकती है।
बढ़ता कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा
नई दिल्ली। चीन के बुहान शहर से दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस (Coronavirus) का असर अब भारत में तेजी से फैल रहा है। इंडिया में कोरोना वायरस से संक्रमित मरीजों की संख्या 6412 हो गई है, जबकि 199 लोगों की मौत हो चुकी है। इन सबके बीच इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने देश को भयानक खतरे के संकेत दिए हैं। हाल के कुछ हफ्तों में ICMR की ओर से देशभर के अलग-अलग जिलों से लिए गए कोरोना वायरस मरीजों के नमूनों और उनकी केस हिस्ट्री की जानकारी में जो आंकड़े सामने आए हैं, उससे देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन (Community Transmission) का खतरा तेजी से बढ़ रहा है। ICMR ने कुछ दिन पहले ही कहा था कि भारत में कम्युनिटी ट्रांसमिशन का खतरा न के बराबर है।
इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) की टीम ने 15 फरवरी और 2 अप्रैल के बीच कोविड-19 से संक्रमित 5,911 मरीजों की जांच की। इसमें से 104 मरीजों कोरोना पॉजिटिव पाए गए। ये सभी मरीज 20 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशा के 52 जिलों से थे। जांच में इन पॉजिटिव मरीजों में से 40 मरीजों ने कभी विदेश यात्रा नहीं की और न ही इनका संबंध कभी किसी विदेशी यात्री से रहा। 15 राज्यों के 36 जिलों में ऐसे मरीजों में कोरोना का संक्रमण देखने को मिला जिनकी कोई ट्रैवल हिस्ट्री नहीं थी।
गुजरात में 792 गंभीर रूप से बीमार लोगों की जांच की गई। इनमें से 13 मामले कोरोना पॉजिटिव पाए गए। तमिलनाडु में 577 मरीजों की जांच की गई जिसमें से 5 मरीजों में कोविड-19 सक्रिय था। महाराष्ट्र में 553 मरीजों में से 21 में कोरोना पॉजिटिव पाया गया। इसी तरह केरल 502 मरीजों में 1 मरीज करोना पॉजिटिव मिला.ICMR की रिपोर्ट में बताया गया है। जिन जिलों में इस तरह के मरीज ज्यादा देखने को मिल रहे हैं। वहां और अधिक सावधान रहने की जरूरत है. कोरोना के खतरे को लेकर ICMR ने जब 14 मार्च को अपनी रिपोर्ट दी थी तब उसने कम्युनिटी ट्रांसमिशन के खतरे को पूरी तरह से नकार दिया था। लेकिन अब जो रिपोर्ट सौंपी गई है वह अच्छे संकेत नहीं दे रही है।
जानिए क्या होता है कम्युनिटी ट्रांसमिशन :- ये तब होता है जब वायरस सोसायटी में घुसकर बहुत बड़ी संख्या में लोगों को बीमार करने लगे। कमजोर इम्युनिटी वाले मरीजों की मौत होने लगे। लेकिन साथ ही साथ एक बार बीमार हो चुके लोगों में इसके लिए इम्युनिटी पैदा हो जाए और आखिर में वायरस कुछ न कर सके। इसे प्रतिरक्षा का सिद्धांत कहते हैं। कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू होते ही ये हालात आते ही हैं। रोग प्रतिरक्षा पैदा होने में कितना वक्त लगता है ये कई बातों पर निर्भर है। जैसे बीमारी कितनी तेजी से फैल रही है। इम्युनिटी पैदा होने में आमतौर पर 6 महीने से लेकर 1 साल का समय लगता है। अभी तक SARS-CoV2 के मामले में वैज्ञानिक ये बता नहीं सके हैं।
लगातार 6 दिन रहेंगे बैंक बंद
नई दिल्ली। बैंकों के लिए अप्रैल को छुट्टियों वाला महीना कहा जाए तो कुछ गलत नहीं होगा। इस महीने बैंक सिर्फ 16 दिन ही खुलेंगे, जबकि 14 छुट्टी रहेगी। दरअसल 9 छुट्टियां त्योहारों एवं अन्य चीजों की हैं, जिन पर देश के विभिन्न हिस्सों में अवकाश रहेंगे। इसके अलावा हमेशा की तरह दूसरे और चौथे शनिवार की छुट्टी रहेगी। इस तरह कुल 14 दिन बैंकों में अवकाश रहेगा बता दें कि फिलहाल बैंकों में कार्य दिवसों पर सुबह 10 बजे से दोपहर 2 बजे तक ही काम हो रहा है।
10 अप्रैल यानी शुक्रवार को बैंक गुड फ्राइडे के चलते बैंकों में छुट्टी होगी। इसके बाद शनिवार और रविवार को भी अवकाश होगा यानी दूसरे सप्ताह में कुल 4 दिन बैंक बंद रहेंगे।।
13 अप्रैल यानी सोमवार को बिहू/बैसाखी पर्व के चलते अवकाश रहेगा। इस तरह 10 तारीख से 13 तारीख तक लगातार 4 दिन बैंकों में छुट्टी रहेगी।14 अप्रैल को अंबेडकर जयंती के मौके पर छुट्टी रहेगी। इसके अलावा तमिल और बंगाली नववर्ष भी इसी दिन मनाया जाएगा। 15 अप्रैल को बोहाग बिहू/हिमाचल दिवस का अवकाश रहेगा।हलाकि को हिमाचल के लोकल अवकाश रहेगा
नमाज पढ़ते मिले 40 पर 188 की कार्रवाई
छिंदवाड़ा। कोरोना महामारी को देशभर में फैलने से रोकने के लिए सरकार ने 21 दिन का लॉकडाउन घोषित किया है क्योंकि कोरोना संक्रमण का फिलहाल कोई इलाज नहीं है। ऐसे में इससे केवल सोशल डिस्टेंस के माध्यम से ही बचा जा सकता है। यही वजह है कि सरकार जनता से सोशल डिस्टेंस बनाने की लगातार अपील कर रही है। वहीं लोग लगातार लॉकडाउन के नियमों का उल्लंघन करते नजर आ रहे हैं। ऐसा ही एक मामला छिंदवाड़ा में सामने आया, जहां लोग एक जगह इकट्ठे होकर नमाज पढ़ रहे हैं। छिंदवाड़ा के चौरई के पास खैरी मस्जिद 40 से अधिक व्यक्ति नमाज़ पढ़ते हुए पाये गये। थाना प्रभारी ने दबिश दी इस दौरान खैरीगढ़ सरपंच एजाज़ ख़ान भी मौजूद था। इन सभी व्यक्तियों के विरूद्ध पुलिस ने धारा 188, 269 भादवि आपदा प्रबंधन अधिनियम एवं मध्यप्रदेश एपिडेमिक डिसीजेज एक्ट कोविड 19 विनियम 2020, मध्य प्रदेश पब्लिक हेल्थ एक्ट1949, एपिडेमिक एक्ट 1897 के तहत सभी व्यक्तियों के विरूद्ध कार्रवाही की गई।
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