गुरुवार, 9 अप्रैल 2020

बेसहारा गोवंश की सेवा एवं जागरूकता

गोपीचंद


बागपत। बड़ौत में कल्याण भारती सेवा संस्थान के तत्वावधान में बेसहारा गोवंश सेवा का आयोजन किया गया, जिस में संस्थान के प्रबन्ध निदेशक गोपी चन्द सैनी ने बताया कि बेसहारा गोवंश सेवा के माध्यम से संस्थान का प्रयास भारतीय समाज में गोवंश की दयनिय स्थिति पर समाज को जागरूक करना है। क्योंकि आज का स्वार्थी मानव समाज भरतीय संस्कृती में गोवंश के स्थान को भूलता जा रहा है, और भारतीय संस्कृती का पूजनीय गोवंश बेसहारा होकर सड़को, गलियों, चौराहों, कूड़ा स्थलों पर कूड़ा करकट खाकर अपनी भूख मिटाने के लिये मजबूर है। जिससे भारतीय समाज व संस्कृती अपमानित हो रही है, और कोरोना जैसी भयानक महामारी के चलते आज बेसहारा गोवंश की स्थिति ज्यादा खराब हो गयी है। अतः आपात के इस सामाजिक संकट के समय समाज के सक्षम व संवेदनशील व बुद्धिजीवियों का सामाजिक दायित्व है, कि अपनी भूख के साथ-साथ अपने आसपास के बेसहारा पशूओं व भूखे व्यक्तियों के विषय में भी चिंता करें, क्योंकि निष्काम भाव से किया गया कोई भी लोक कल्याणकारी कार्य हजारों लाखों गुणा हो कर कर्ता के पास वापस आता है। गोवंश सेवा का आयोजन संस्थान की ओर से लगभग 6 माह से किया जा रहा है, जिसमें आज के सेवा आयोजन में संस्थान के प्रबन्ध निदेशक गोपी चन्द सैनी के नेतृत्व में बड़ौत नगर के मुख मार्गों पर भूखे गोवंश को हरा चारा खिला कर धर्म लाभ लिया गया, जिसमें प्रमोद कुमार, हेमचंद जैन, चीनू जैन उपस्थित रहें।


सम्मानः सफाई कर्मियों पर पुष्प वर्षा

प्रयागराज। स्थानीय पार्षद ने लोगों के साथ मिलकर अपने इलाकों के उन सफाईकर्मियों को सलाम करते हुए उन पे फूल बरसाकर उनका सम्मान किया और उन्हे सेनेटाइजर, मास्क और सर्टिफिकेट देकर उनका मान बढ़ाया गया। सफाईकर्मियों का इस तरह से फूलों की बरसा से सम्मान होने से सभी गदगद नज़र आए। और सभी ने स्थानीय पार्षद किरन जायसवाल और उनकी पूरी टीम को धन्यवाद दिया। 


पीएम मोदी ने महाकुंभ 2019 के सफल आयोजन के बाद सफाईकर्मियों के पांव धूलकर एक मिसाल पेश की थी जिसके बाद एक बार से कोरोना के चलते लाँकडाउन में जिस तरह से सफाईकर्मी बढ़ी शिद्दत के साथ अपनी जान को जोखिम में डालकर काम को अंजाम दे रहे हैं। ऐसे में उनके ऊपर फूलों की वर्षा व उनकी जय जयकार करके उनके मनोबल को बढ़ाने का काम कीडगंज की पार्षद किरन जायसवाल ने किया जिन्होंने सोशल डिस्टेंश को ध्यान में रखकर सभी को कोरोना के प्रति जागरूक किया और फिर बारी बारी से एक एक करके उनके ऊपर फूलों की बारिश की गई। 
बृजेश केसरवानी


समाजसेवी बांट रहे हैं राहत सामग्री

अतुल त्यागी जिला प्रभारी


घर-घर जाकर बांट रहे राहत सामग्री समाजसेवी संजय पाल धनगर


हापुड़। हापुड़ के विभिन्न संगठन इस लॉक डाउन में आर्थिक रूप से तंगी झेल रहे परिवारों को सहयोग देने वालों की भी कमी नहीं है। समाजसेवी लोग घर-घर जाकर लोगों को राहत सामग्री पहुंचा रहे हैं। आज हापुड के एक समाजसेवी संजय पाल धनकर ने कुछ लोगों को उनके घर पर जाकर राहत सामग्री भेंट की संजय पाल धनगर का कहना है की संकट के इस समय में हमारी जिम्मेदारी बनती है की अपने पडोस में कोई भूखा ना रहे। लाँकडाउन का आज 16 वां दिन है। संजय पाल जी का कहना है की हमें हमारे देश के प्रधानमँत्री जी के दिशानिर्देश का पालन करना है। घर की लक्ष्मण रेखा को हमें पार नही करना है। हमें बस एक ही काम करना है। घर में रहना है सिर्फ घर में ही रहना है और शौशल डिस्टेंस का पालन करना है और साफ सफाई रखनी है।


आरोपी के पक्ष में पुलिस पर पथराव

अतुल त्यागी जिला प्रभारी


हापुड़ चोरी के आरोप में युवक को पकड़कर ले जा रही पुलिस पर पथराव।


हापुड़। बुलंदशहर रोड स्थित मजीद पूरा की गली नंबर 8 में एक ही समुदाय के दो पक्षों में चोरी के सामान खरीदने को लेकर चले लाठी-डंडे तथा एक दूसरे पर पथराव किया। घटना की सूचना पर पहुंची पुलिस पर भी आरोपियों को छुड़ाने को लेकर पुलिस की पीसीआर पर आरोपियों ने किया पथराव। घटना की सूचना पर जनपद के आला अधिकारी वह पुलिस बल मौके पर पर पहुंचकर दो आरोपियों को लिया हिरासत में, घटनास्थल पर पहुंची महिला थाना प्रभारी सुनीता मलिक के सर पर हेलमेट न पहनने तथा दंगा नियंत्रण उपकरण के न होने पर अपर पुलिस अधीक्षक सर्वेश मिश्र ने महिला थाना प्रभारी को जमकर डांट लगाई और कहा कि आप यहां ड्यूटी करने आए हैं या तमाशा देखने। यह देखो  मेरे पास भी हेलमेट है।  यदि आप  पत्थर वाली जैसी घटनाओं पर जा रहे हैं तो  दंगा नियंत्रण  उपकरण साथ लेकर अवश्य चलें महिला थाना प्रभारी सर सर करती रही और चुपचाप अपनी गलती  को महसूस करती नजर आई।


विश्वविद्यालय के 'प्रोफेसर' ने बढ़ाया तनाव

प्रयागराज। इलाहाबाद विश्विद्यालय के एक प्रोफ़ेसर भी दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में हुए तबलीगी जमात के कार्यक्रम में शामिल हुए थे। बुधवार रात पुलिस ने उन्हें ट्रेस कर करेली के महबूबा गेस्ट हाउस में क्वारेंटाइन कर दिय।बताया जा रहा है कि प्रोफ़ेसर जमात से लौटने के बाद इलाहाबाद विश्विद्यालय में चल रही परीक्षा के दौरान कक्ष नियंत्रक के तौर पर ड्यूटी भी की थी। कहा जा रहा है कि जमात से लौटने के बाद वह बड़ी तादाद में लोगों से सामूहिक औऱ व्यक्तिगत रूप से मिलते भी रहे। अब जिला प्रशासन और स्वस्थ्य विभाग सभी का पता लगाने में जुटी है, जो इस प्रोफेसर के संपर्क में आए थे।


साथ ही प्रोफ़ेसर के खिलाफ जानकारी छुपाने के आरोप में मुकदमा भी दर्ज किया गया है। आरोप है कि इलाहाबाद विश्‍वविद्यालय के प्रोफेसर ने महामारी से जुड़ी प्रोटोकॉल और सरकार द्वारा ज़ारी क़ी गई एडवाइजरी का भी पालन नहीं किया। पीएम नरेंद्र मोदी औऱ सीएम योगी आदित्यनाथ की अपील के बावजूद जिला प्रशासन से जानकारी छुपाते रहे। प्रोफ़ेसर के जमात में शामिल होने की सूचना पर विश्विद्यालय औऱ जिला प्रशासन में मचा हड़कम्प हुआ है। जिला प्रशासन ने प्रोफ़ेसर और उनकी पत्नी को बुधवार देर रात क्वारेंटाइन सेन्टर भेज दिया. साथ ही जानकारी छुपाने के आरोप में महामारी एक्ट सहित विभिन्न धाराओं में शिवकुटी थाने में आरोपी प्रोफेसर के खिलाफ मुकदमा भी दर्ज किया गया है। करैली थाना क्षेत्र के महबूबा गेस्ट हाउस में प्रोफ़ेसर और उनकी पत्नी को क्वारेंटाइन किया गया है। पुलिस के मुताबिक, 6 से 10 मार्च के बीच दिल्ली के निजामुद्दीन मरकज में तब्लीगी जमात के कार्यक्रम में प्रोफ़ेसर शामिल हुए थे। गुरुवार को प्रोफ़ेसर और उनकी पत्नी का सैंपल जांच के लिए भेजा जाएगा। एसपी सिटी बृजेश श्रीवास्तव ने बताया कि प्रोफेसर से पहले भी पूछताछ की गई थी, लेकिन उन्होंने जमात में शिरकत करने से इन्कार कर दिया था. बुधवार रात कुछ साक्ष्य मिले तो उनसे दोबारा पूछताछ की गई।


बृजेश केसरवानी  


इंसानियत की आंखें बंद 'स्वाध्याय'

तारिक आज़मी


वो मासूम थी। महज़ तीन महीने तो ही हुवे थे उसको दुनिया में कदम रखे हुवे, ढंग से उसने अपनी आँखे भी नही खोली थी। शायद माँ और बाप का चेहरा पहचानती थी। लोग खिलाते थे। वो मुस्कुराती थी। उसको भी जीने की तमन्ना रही होगी। माँ बाप गरीब ही सही मगर उनकी आँखों का तारा थी वह। उनके दिलो का सुकून थी। चिकित्सा के क्षेत्र बने कारोबार ने उसकी साँसे छीन लिया। शिवप्रसाद गुप्त मंडलीय चिकित्सालय में सिमित साधनों के बीच डाक्टरों की लाखो कोशिशो के बाद भी उसको बचाया नही जा सका और अहल-ए-सुबह लगभग 3:30 बजे फातिमा जोया ने अपनी आखरी सांस लेकर इस दुनिया से रुखसत कह दिया।


फातिमा जोया नाम की एक बच्ची जिसकी उम्र तीन महीने थी को निमोनिया की समस्या थी। कच्ची बाग़ स्थित एक प्राइवेट चिकित्सक द्वारा उसका इलाज किया जा रहा था। परिजनों की माने तो जब पैसे खत्म हो गए तो उस प्राइवेट चिकित्सक ने आगे इलाज करने से मना कर दिया और कहा हालत सीरियस है लेकर इसको अस्पताल जाओ। बच्ची को गेस्ट्रो की भी समस्या उत्पन्न हो चुकी थी जिसके कारण उसका पेट इन्फेक्शन से काफी फुल गया था। इसके बाद उसको पेशाब भी बंद हो गया। देर रात को परिजन उस बच्ची को लेकर पीलीकोठी के एक चैरिटी वाले अस्पताल पहुचे। बच्चे का परचा काट कर उसके परिजनों को थमा कर कहा गया कि बच्चा रोग विशेषज्ञ के पास जाकर उनसे मुलाकात का अपाइंटमेंट ले ले। इसके बाद न मुलाकात हुई और न अपाइंटमेंट मिला। यहाँ तक कि उस चिकित्सक ने देर रात दरवाज़ा तक खोलना मुनासिब नही समझा था।


कैसे मिली फातिमा जोया


कल देर रात जब मैं अपने एक व्यक्तिगत काम से वापस आ रहा था। तभी देखा कि हरतीरथ पर एक प्राइवेट चिकित्सक के क्लिनिक का दरवाज़ा दो नकाबपोश महिलाये एक पुरुष के साथ पीट रही है। सड़क पर वही दो पुलिस कर्मी भी परेशान होकर उन लोगो की मदद कर रहे थे। मामला गंभीर दिखाई देने पर मैंने अपनी बाइक रोक दिया और उनसे इस बेचैनी का सबब पूछा। पुलिस कर्मियों ने बताया कि इस बच्ची की तबियत काफी ख़राब है। चैरिटी के अस्पताल ने इन चिकित्सक महोदय के यहाँ मुलाकात का समय लेने भेजा है। पुलिस कर्मियों ने भी मुझसे सहायता करने को कहा।


क्षेत्रीय होने के कारण मैं चिकित्सक महोदय का आवास जानता हु। वैसे तो मरीजों को हर वक्त डॉ साहब देख लेते है और रोज़ ही क्लिनिक के बाहर लम्बी लाइन लगवा कर मरीज़ देखते है। मेरे साथ परिजन और पुलिस कर्मी भी चिकित्सक महोदय के आवास पर गए। साहब के डोर बेल की भी घंटी बजी हुई थी और स्वीच निकाल दिया गया था। चैनल हम सभी ने लगभग आधे घंटे तक पीटा। सभी ने जोर जोर से आवाज़ दिया। मगर डॉ साहब शायद बहुत ही गहरी नींद सो रहे थे। उसमे उनको खलल न पहुचे तो शायद मकान भी साउंड प्रूफ रहा होगा। आसपास के लोग जग गए मगर डाक्टर साहब के घर से कोई झंका तक नहीं।


चिकित्सक बने पत्थरदिल


शायद इसको इंसानियत की मौत ही कहा जायेगा कि डाक्टर साहब ने झाकना ताकना छोड़े सास तक नही लिया। इस बीच मैंने अपने एक बचपन के दोस्त पडीयाट्रिक चिकित्सक को फोन किया। देर रात दो बजे तक जागने वाले मेरे चिकित्सक मित्र ने कई काल जाने के बाद काल बैक किया। शायद खुद की भी गरज होती तो मैं उनको इतने फोन नही करता, मगर बात एक मासूम के जान की थी। आखिर कई फोन काल के बाद साहब ने वापस काल बैक दिया। मैंने उन्हें स्पष्ट स्थिति बताई और बच्ची के इलाज की इल्तेजा किया।


वैसे तो साहब ने आज तक मेरी कोई बात टाली नही थी, मगर साहब ने तुरंत कोरोना के हालात का ज़िक्र किया और बच्चे के इलाज से साफ़ साफ़ इनकार कर दिया। शायद मेरे मित्र महोदय चिकित्सक के काफी ऊपर के चिकित्सक हो गए है। इंसानी जान बचाने के खातिर देश के चिकित्सक अपनी जान पर खेल कर आम नागरिको की जान बचा रहे है। मगर ये मान्यवर शायद अपने पेशे से भी इस बार इन्साफ करते हुवे नही नज़र आये। शायद खुद के पेशे से इंसान को कुछ ईमानदारी दिखानी चाहिए। माना पैसा दुनिया में बहुत कुछ होता है, मगर पैसा ही सब कुछ होता है ऐसा भी नही है। पैसे से आप सबकुछ खरीद सकते है। मगर आप पैसे से सुकून की साँसे नही खरीद सकते है। शायद ये किसी गरीब की बेटी न होती और किसी बड़े अमीर की बेटी होती तो शायद दोनों चिकित्सक ही अपनी पूरी भूमिका निभा रहे होते नज़र आते। शायद डाक्टर साहब फिर केप्री में ही आ गए होते।


सरकारी अस्पताल के चिकित्सक ने किया कड़ी मेहनत


इसके बाद कोई अन्य आप्शंस नज़र नहीं आ रहा था। मासूम बच्ची को लेकर मंडलीय चिकित्सालय पंहुचा। जहा मौके पर मौजूद डॉ ओमप्रकाश ने जाँच के बाद स्थिति को स्पष्टतः बताया कि मरीज़ में कुछ करने लायक बचा नही है। एनएसआईयु की आवश्यकता है। जिसकी सुविधा यहाँ उपलब्ध नही है। मरीज़ के पास कोई ख़ास समय नही बचा है। बच्ची के परिजन इलाज शुरू करने की सहमती चिकित्सक को दे दिया। डॉ ओमप्रकाश ने लगभग 3 घंटे स्टाफ नर्स सहित मेहनत किया। मगर आखिर में होनी को कौन टाल सकता है। रात के 3:30 बजे के लगभग मासूम बच्ची ने आखरी सांस लिया।


सिर्फ मासूम फातिमा ही नही बल्कि शायद इंसानियत ने आँखे बंद किया


मासूम फातिमा दुनिया छोड़ कर जा चुकी थी। इस फानी दुनिया में मतलब के लोग ही शायद उसको दिखे होंगे। शायद वो गरीब बाप की बेटी थी वरना भला डाक्टर साहब ऊपर से उतर के नीचे न आते, शायद किसी अमीर बाप की बेटी होती तो डॉ साहब जिन्होंने कोरोना का खौफ दिखा कर पेशेंट को मिलने तक से इनकार कर दिया वह शायद अपनी सुरक्षा नहीं देख खुद बिना मास्क के आकर उसका इलाज करते। मगर ये तो एक गरीब आदमी की बेटी थी। उसके लिए रिस्क कौन लेता है। उसके लिए तो सरकारी अस्पताल है ही। आखिर क्या फायदा गरीब का इलाज करके। इतने बड़े अस्पताल को बनवाया है उसमे पैसे लगे है फिर कहा से आएगा। मगर इतना याद रखे, जिसका कोई नही उसका खुदा होता है ये बात सब सुन चुके है। ये फातिमा ने सिर्फ आँख बंद नही किया है बल्कि इंसानियत ने अपनी आँखे बंद कर लिया है। दिल रो पड़ा था कि एक गरीब की बेटी का इलाज करने कोई अमीर डाक्टर नही आया सामने।


राशन वितरण में तानाशाही, रोष व्याप्त

चिरला के कोटेदार की तानाशाही रवैया से ग्रामीणों में रोष


राशन की घटतौली अधिक मूल्य लेने के साथ साथ कार्ड धारकों के साथ अभद्र व्यवहार करने का आदी है कोटेदार


प्रयागराज। कौड़िहार ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम चिरला के ग्रामीणों का आरोप है कि कोटेदार की तानाशाही मनमानी रवैया से ग्रामीणों को खाद्यान्न नहीं मिल रहा है घटतौली और अधिक मूल्य लेने का भी कोटेदार पर ग्रामीणों ने आरोप लगाया है जिसकी शिकायत ग्राम प्रधान ने भी उच्च अधिकारियों से की है किंतु अभी तक कोटेदार पर लगाम नहीं लगाया  गया जिसे ग्रामीणों में गहरा रोष व्याप्त है


 प्राप्त जानकारी के अनुसार लक्ष्मी सिंह पुत्र राम सिंह निवासी चिरला एवं अन्य ग्रामीणों द्वारा कोटेदार शंकरलाल पर आरोप लगाया गया है कि जो भी ग्रामीण इनके यहां खाद्य सामग्री लेने जाता है। उसके साथ अभद्र व्यवहार करते हैं। साथ ही राशन ना देने की भी धमकी देते हैं। ग्रामीणों का कहना है कि पिछले 20 वर्षों से राशन की दुकान इन्हीं के पास है। जिसको यह चाहते हैं उसी को खाद्य सामग्री देते हैं लॉक डाउन में सरकार द्वारा खाद्य सामग्री गरीबों के लिए वितरण की जा रही थी तभी गांव की लक्ष्मी सिंह गए तो कोटेदार का लड़का सर्वेश द्वारा अभद्र व्यवहार किया गया।


कोटेदार ने अपने ऊपर लगाए गए आरोप साजिश बताया तो ग्राम प्रधान कोटेदार की प्रति नाराजगी व्यक्त की और बताया कि तानाशाह मनमानी तरीके से ग्रामीणों को खाद्यान्न  वितरण करते हैं। जो निर्देशों का पालन नहीं करता उसे राशन देने से मना करते हैं। ग्रामीणों ने ग्राम प्रधान को इस बात की जानकारी दी है। साथ ही कोटेदार के खिलाफ उच्च अधिकारियों से जांच की मांग की है कोटेदार के खिलाफ तानाशाही रवैया को लेकर गहरा रोष व्याप्त है।


राजकुमार


यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...