नई दिल्ली। लॉकडाउन खत्म होने की मियाद जैसे-जैसे नजदीक आती जा रही है, अब लोग एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि 14 अप्रैल के बाद क्या होगा? क्या लॉकडाउन खत्म हो जाएगा या फिर इसे एक बार फिर से बढ़ाया जाएगा। या फिर कुछ ही इलाकों में लॉकडाउन से छुटकारा मिलेगा। भारत में अभी कोरोना वायरस का संक्रमण रोकने के लिए एक अरब से ज्यादा की आबादी लॉकडाउन के दायरे में है। इसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था को गंभीर नुकसान हो रहा है।
लॉकडाउन से क्रमवार तरीके से मिलेगी राहत
सरकार से मिल रहे संकेत बताते है कि 14 अप्रैल के बाद एक ही बार में देश से लॉकडाउन नहीं हटाया जाएगा। प्रधानमंत्री आवास, कैबिनेट मीटिंग, राज्य सरकारों की मीटिंग से मिल रहे संकेत बताते हैं कि देश में क्रमवार तरीके से लॉकडाउन हटाया जा सकता है। इसके लिए एक टाइमलाइन तैयार की जाएगी, जिसकी घोषणा होनी बाकी है। नरेंद्र मोदी सरकार के एक सीनियर मंत्री ने इंडिया टुडे से बातचीत में कहा कि सरकार Rational lockdown के आइडिया पर गौर कर रही है। इसके तहत क्रमवार तरीके से देश को लॉकडाउन से बाहर निकालने पर जोर दिया जाएगा।
लॉकडाउन की वजह से चरमरा रही अर्थव्यवस्था
सरकार का आकलन है कि लॉकडाउन की वजह से कोरोना वायरस को कंट्रोल करने में बहुत मदद मिली है, लेकिन लॉकडाउन की वजह से लोगों और अर्थव्यवस्था को गहरी चोट पहुंच रही है। वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने बताया कि एक फौरी आकलन बताता है कि भारत की रोजाना जीडीपी लगभग 8 बिलियन डॉलर है। अगर लॉकडाउन को 30 दिनों तक खींचा जाता है तो लगभग 250 बिलियन डॉलर का नुकसान देश को होगा। अगर लॉकडाउन को जल्दी हटा लिया जाता है तो वित्तीय वर्ष 2020-21 में इस नुकसान को पाटा जा सकता है। लेकिन अगर लॉकडाउन लंबा खिंचा तो रिकवरी असंभव हो जाएगी।
हालांकि सरकार के सामने चुनौती गंभीर है। कोरोना के विश्वव्यापी खतरे और दुनिया में इसके कहर को देखते हुए सरकार एकतरफा फैसला नहीं लेना चाहती है। इसलिए मुख्यमंत्रियों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के दौरान प्रधानमंत्री ने सहमति का रास्ता चुना और राज्यों से कहा कि वे लॉकडाउन से एग्जिट का प्लान तैयार करके भेजें।
बता दें कि कोरोना के लगातार बदलते आंकड़ों से राज्यों के सामने लॉकडॉउन का एग्जिट प्लान तैयार करना मुश्किल है, क्योंकि कोरोना पॉजिटिव मरीजों की संख्या रोजाना आ रही है। सूत्रों के मुताबिक मंत्रियों की रिपोर्ट इस सप्ताह के अंत तक का सकती है, इसके बाद पीएम एक बार मुख्यमंत्रियों के साथ एक बार फिर से बैठक करेंगे।
कल्याणकारी योजनाओं से राज्यों पर असर
लॉकडाउन की वजह से राज्यों को भारी वित्तीय नुकसान हो रहा है। इसके अलावा लॉकडाउन के प्रभाव में आए लोगों के लिए शुरू किए गए कल्याणकारी योजनाओं की वजह से भी उनके खजाने पर असर हो रहा है, लेकिन ऐसा लंबे समय तक नहीं हो सकता है, क्योंकि कुछ दिनों बाद फंड के लिए राज्य सरकारें केंद्र के पास ही आएंगी।
क्षेत्रवार एग्जिट प्लान पर विचार
केंद्र और राज्य सरकारें फेजवाइज और क्षेत्रवार तरीके से लॉकडाउन से निकलने की संभावना पर विचार कर रही है। वैसे इलाके जहां ज्यादा केस आ रहे हैं वो 14 अप्रैल के बाद भी लॉकडाउन में रह सकते हैं। जबकि बाकी इलाकों को राहत दी जा सकती है।
कई राज्य ऐसे इलाकों की पहचान कर रहे हैं। इन इलाकों में सोशल डिस्टेंसिंग को बरकरार रखने के लिए लॉकडाउन हटाने के बाद धारा-144 लागू रखा जा सकता है।
अंतरराज्यीय परिवहन के पक्ष में नहीं है राज्य
कोरोना के संक्रमण को देखते हुए कई राज्य अभी भी एक से दूसरे राज्यों में परिवहन व्यवस्था शुरू करने के पक्ष में नहीं है। इसलिए बसों के चलने की संभावना खत्म हो जाती है। जहां तक ट्रेनों का सवाल है, तो जब तब राज्य इजाजत नहीं देते ट्रेनें नहीं चलाई जा सकती हैं।
केंद्रीय कर्मचारियों का रोस्टर तैयार कर रही है सरकार
केंद्र सरकार लॉकडाउन खत्म होने के बाद की अवधि के लिए अपने कर्मचारियों की ड्यूटी का रोस्टर तैयार कर रही है। इससे संकेत मिलता है कि लॉकडाउन को पूरी तरह से खत्म किए जाने की संभावना नहीं है।