गुरुवार, 2 अप्रैल 2020

कोरोना से सब मिलकर साथ लड़े

नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण के मामलों में आ रही बढ़ोतरी के बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्री और स्वास्थ्य मंत्री से वीडियो कांफ्रेसिंगे के जरिए चर्चा करते हुए मौजूदा हालात की समीक्षा की है। इस दौरान मोदी ने कोरोना महामारी के फैलाव को रोकने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों की ओर से किए जा रहे उपायों पर विस्तार से चर्चा की और कुछ अहम सुझाव भी दिए। प्रधानमंत्री ने राज्य सरकारों को आश्वस्त किया है कि केंद्र इस आपदा में राज्यों के साथ मजबूती से खड़ा है और हर संभव मदद की जाएगी।
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्य में कोरोना से बचाव के लिए किए जा रहे उपायों के साथ-साथ लाॅकडाउन के दौरान आम जनता और जरूरतमंद लोगों को राहत देने के उपायों पर विस्तृत जानकारी प्रधानमंत्री मोदी से साझा किया है। उन्होंने राज्य में अब तक सामने आए पाॅजिटिव केसेज के साथ पूरी तरह स्वस्थ हो चुके मरीजों की जानकारी दी है। प्रधानमंत्री ने राज्य की कवायद की सराहना की है। मुख्यमंत्रियों के साथ चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चिंता लॉकडाउन को लेकर दिखी। उन्होंने हर राज्यों के मुख्यमंत्रियों से लॉकडाउन का कड़ाई से पालन कराने की अपील की। साथ ही कहा कि लोगों को जरूरी सामान भी मुहैया कराए जाएं, ताकि किसी को दिक्कत न आए। मजदूरों के पलायन पर प्रधानमंत्री ने अपील की कि पलायन को रोकना होगा। इसके लिए हर राज्य अपने ओर से सारे इंतजाम करे। मजदूरों के लिए शेल्टर होम के साथ उनके खाने-पीने की व्यवस्था की जाए। साथ ही मजदूरों से अपील की जाए कि वह सड़कों पर न निकलें।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि इस संकट की घड़ी में केंद्र और राज्य सरकारों के बेहतरीन समन्वय की जरूरत है। केंद्र सरकार हर राज्य के साथ खड़ी है और उन्हें जरूरी मदद उपलब्ध कराई जाएगी। इस दौरान मोदी ने राज्यों से मेडिकल सुविधाओं के बारे में भी की। मोदी ने पिछले दिनों में बढ़े कोरोना मरीजों की तादाद पर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि जिन लोगों में भी लक्षण दिखे उन्हें आइसोलेट किया जाए। साथ ही संपर्क में आए सभी लोगों को क्वारनटीन किया जाए. अगर क्वारनटीन वार्ड बढ़ाने की जरूरत है तो उसे बढ़ाया जाए। वीडियो कांफ्रेसिंग के दौरान राज्य के मुख्य सचिव आर.पी. मंडल, पुलिस महानिदेशक डी. एम. अवस्थी, अपर मुख्य सचिव सुब्रत साहू, स्वास्थ्य विभाग की सचिव निहारिका बारिक सिंह, सीएम की उप सचिव सौम्या चौरसिया भी इस दौरान मौजूद रही।


प्रधानों की लापरवाही बढ़ाएगी संकट

प्रधानों की लापरवाही बढ़ा सकती है,कोरोना सन्दिग्ध लोगों की संख्या


बरेली। रामनगर,आलमपुर,मझगवां में अभी भी कुछ प्रधान अपनी लापरवाही के कारण गाँव के दुश्मन बन रहे हैं।
या प्रधान अपने गांव पर पकड़ नही कर पा रहे हैं।
या प्रधान की बाहर से आने बाले लोग मान नही रहे हैं।
क्योंकि इन्हें न तो खुद की जान प्यारी है ना देश, गाँव या परिवार की
तभी तो सरकार की लाखों कोशिश को यह लोग ठेंगा दिखाते बखूबी नजर आ रहे हैं।
जहां सरकार बार बार कह रही है कि घर से बाहर बहुत ही इमरजेंसी में जाएं, फालतू घर से बाहर न जाएं,पर लोग हैं कि मानने को तैयार ही नही।
कोई मोर्निंगवॉक के लिये जा रह तो कोई घूमने,कोई क्रिकेट खेलने जा रहा है तो कोई पंचायत करने,कोई लुकाछिपी खेल रहा है तो कोई आउटडोर गेम कोई साइकल से मजे लेते घूम रहा है तो कोई तो मोटरसाइकिल से कोई गेट पर मजे ले रहा है तो कोई बाग बगीचे में पुलिस लगातार अपनी तरफ से कोई कसर नही छोड़ रही है कि लोग सरकार ने स्थानीय पुलिस को आदेश दिया है कि किसी मंदिर में पूजा अर्चना को इकठ्ठा न हों।
मस्जिद में नमाज करने न जाएं बल्कि अपनी सभी नमाज़े घर पर ही अदा करें,लोग रुके हैं पर अभी भी कुछ असमाजिक लोग समाज के बारे में सोचे बिना करते ही जा 
 रहे हैं।सरकार का सपना है कि सब सेफ रहे,सुरक्षित रहें, पर आमजनमानस कह रहा है कि मरेंगे हम,आपको क्या है गम?
लेकिन बात यह नही की आप मरेंगे बल्कि बात यह है कि आप अपने साथ और को भी वायरसित कर कोरोना पीड़ित कर जाएंगे। सरकार इस लिये प्रयासरत है कि कोई भी बीमारी से ग्रसित न हो।इसलिये पर सरकार एक दिन में अरबो की गर्त में गिरती जा रही है पर हमारे देशवासियों को अभी भी यह मोदी जी का कोई कारनामा लग रहा है।
तभी तो पुलिस के डंडा मारने पर प्रधानमंत्री जी के समझाने से भी नही समझ रहे हैं।


यह सप्ताह भारत के लिए महत्वपूर्ण

भारत में कोरोना के पहले पीड़ित के दो महीने बाद संक्रमित लोगों की संख्या एक हजार पार कर चुकी है। पिछले सप्ताह में एक हजार कोरोना पीड़ितों की संख्या पार करने वाला भारत दुनिया के 20 देशों में शामिल हो चुका है। संक्रमित लोगों की संख्या और संक्रमण दर को लेकर भारत की स्थिति अभी काबू में कही जा सकती है। सरकार भी इसे नियंत्रित सामुदायिक संक्रमण करार दे रही है।


चुनौती आगे है। इसके बाद बढ़ने वाले नए मामलों की संख्या यह तय करेगी कि भारत में कोरोना वायरस के प्रकोप की स्थिति कैसी रहने वाली है। इसी से यह भी पता चलेगा कि पूरे देश में एक सप्ताह के लाकडाउन का क्या असर रहा। आइए जानते हैं और समझते हैं कि दुनिया के विभिन्न देशों में 1000वें मामले के बाद संक्रमित मामलों का ग्राफ कैसा रहा? इसी ट्रेंड के आधार पर भारत में इस वायरस के आगामी प्रकोप को समझा जा सकता है।


पिछले सप्ताह जिन देशों ने एक हजार मामलों का आंकड़ा पार किया उनमें रोजाना वृद्धि दर बहुत कम रही : वृद्धि दर कम रहने के पीछे माना जा सकता है कि कोरोना वायरस के शुरुआती प्रकोप से जूझने वाले देशों से इन देशों ने बहुत कुछ सीखा है। तभी भारत सहित इन देशों में लाकडाउन और शारीरिक दूरी पर तेजी के साथ भरोसा किया। इटली और स्पेन ने तब कड़े कदम उठाए जब वहां पर यह वायरस व्यापक रूप से विस्तार कर चुका था।



इटावा जेल में गैंगवार, 1 की मौत

इंजी.सनत तिवारी



इटावा। कुख्यात अपराधी मुन्ना बजरंगी की हत्या के बाद उत्तरप्रदेश के जनपद इटावा में आपसी भिंडन्त में मारा गया D-2 कम्पनी से जुड़ा कुख्यात अपराधी मोनू पहाड़ी? योगी सरकार सवालों के घेरे में,,,,जेल में इतने बड़े बबाल को अंजाम देने के पीछे जिम्मेदार कौन? कहीं D-2 कम्पनी से जुड़े मोनू पहाड़ी को मरवाना कोई सोची समझी साजिश तो नही? जेल प्रशासन क्यों नही रोक पाया इस खूनी संघर्ष को? समय समय पर इटावा के जिलाधिकारी जेबी सिंह भी जेल का निरीक्षण करते रहते हैं बावजूद इसके जिलाधिकारी महोदय को भी इतनी बड़ी घटना की सुगबुगाहट तक नही लगी जबकि जनपद इटावा में LIU पूरी तरह सक्रिय हैं? क्या योगी सरकार ने हाफ काउंटर के बाद अपराधियो को मरवाने का ये नया तरीका तो नही खोज लिया कि जेल में गेंगवार में खूनी संघर्ष होने दो,,किसी कैदी की मौत के बाद आपसी झगड़ा दिखाकर मामले को दबा दो,,,कुख्यात भी मारा गया ओर मुठभेड़ भी नही करनी पड़ीं? हालांकि इटावा प्रशासन मृतक मोनू पहाड़ी के मामले को मौत करार दे रहा है लेकिन दूसरे स्वरूप में क्या मोनू पहाड़ी की मौत को सोची समझी साजिश के तहत गेंगवार के बाद हत्या कहना गलत नही होगा? कैसे पहुंचे इटावा जेल के अंदर लाठी डंडे व ईट पत्थर ये जेल प्रशासन पर एक गम्भीर व बड़ा सवाल है वहीं क्या माहौल बिगड़ते वक़्त जेल परिसर के अंदर सुरक्षा व्यवस्था मुस्तेद नही थी या साजिशन सुरक्षा व्यवस्था को दरकिनार कर ये खूनी संघर्ष कराया गया?


गमजदा कर गया' आत्म चिंतन

ड्राइवर, क्लीनर ,कंडक्टर, मैकेनिक मिलावट और मजदूर पेशा व्यक्तियों का हाल भी पूछ लो जनाब


                               पंजाब से सुरिंदर प्रसाद की रिपोर्ट । 


लॉक डाउन के चलते हुए देशभर में हर आदमी अपने घर में रहने की कोशिश कर रहा है बल्कि यूं कहें कि वह भी लाक डाउन हो चुका है। लेकिन इस लाक डाउन में जिस तरह से गरीब लोगों का एक अहम तबका परेशान हैं, उसके बारे में शासन और प्रशासन को गंभीरता से सोचना बहुत ज्यादा जरूरी हो गया है क्योंकि यह वह लोग हैं जो खुद भूखे रहकर अपने मालिकों का गल्ला भरते हैं । यह वह लोग हैं जो सुबह कमा कर शाम को पेट भरते हैं। ऐसे कई लोग अपने घरों के अंदर कैद होकर इस तरह से इंतजार कर रहे हैं जैसे कोई रोज आने वाली इनकम उन्हें घर बैठे ही मिलेगी। लेकिन ऐसी कोई इनकम उनके घर आना नहीं है। हम यहां बात कर रहे हैं बसों पर और ट्रकों पर काम करने वाले वह ड्राइवर, क्लीनर, कंडक्टर तथा बस को सुधारने वाला मैकेनिक। घर बनाने का काम करने वाला सिलावट और तगारी तो क कर घर बनाने में मदद करने वाला वह मजदूर जो इस समय ना तो महाराष्ट्र गुजरात और ना ही राजस्थान गया है वह अपने जिले में अपने गांव में ही रह कर इस प्रकार की मजदूरी कर रहा है। उनका घर भी आज बर्बादी की ओर बढ़ रहा है। क्योंकि बस के या ट्रक के ड्राइवर , क्लीनर और कंडक्टर को अथवा मैकेनिक को कोई महीने की पगार गाड़ी के मालिक नहीं दे रहे हैं यह वह लोग हैं जो रोजाना ?200 से लेकर ?400 तक कमाते हैं आज वह इनकम बंद हो चुकी है। गाड़ी मालिक या प्रशासन इनकी खेर खबर लेने के लिए अभी तक इनके दरवाजे पर नहीं पहुंचा है। दूसरी ओर चालक परिचालक संघ के द्वारा भी शासन और प्रशासन से यह मांग की जा रही है कि उन्हें 21 दिनों तक घर पर रहते हुए लाकडाउन में किस तरह से अपना और अपने परिवार का गुजर बसर करना है उसके लिए उन्हें मदद देना जरूरी है किंतु 22 मार्च से लेकर समाचार लिखने तक ना तो गाड़ी के सेठ और ना ही शासन का कोई जवाबदार अधिकारियों ने उनकी खेर खबर नहीं ली में आने वाला समय उनके लिए कितना कठिन होगा इसकी कल्पना की जा सकती है । कोरोना की महामारी से बचते हुए कहीं भूखे मरने की महामारी आम ना हो जाए इसके लिए खासतौर से कमजोर, मध्यमवर्गीय एवं अत्यंत गरीब परिवारों की पूछ परख करना, उन्हें मदद करना, समाजसेवियों के लिए शासन के लिए और प्रशासन के लिए अति आवश्यक हो गया है। क्योंकि शहर तो वीरान हो चुके हैं और जो घर में रहते हुए वर्षों से गुमसुम थे, वह आज फिर घरों में रहते हुए और ज्यादा गुमसुम हो चुके हैं। क्योंकि उनके पास ना तो बाजार से लाने का और ना घर चलाने का कोई साधन मुहैया है यही हाल मजदूर पेसा सिलावट लोगों और मजदूरों का है। जो रोजाना कमा कर रोजाना खाते हैं आज रोज की कमाई में घर को चलाना और बच्चों को पालना इन लोगों के लिए भी काफी तनावपूर्ण बन चुका है। इसलिए हमारा यही कहना है कि । ऐसे बंद हो चुकी है, लेकिन खाने का काम जारी है ऐसे
      शहरों का यू वीरान होना 
        कुछ गजब कर गया, 
    बरसों से पडे गुमसुम घरो को 
       और गमज़दा कर गया।


सभी ड्राइवर कल्याण संघ लुधियाना पंजाब।


मथुरा-वृंदावन विदेशियों से कराया खाली

ब्रज चौरासी कोस को विदेशी भक्तों से कराया जा रहा है खाली


वृंदावन गोवर्धन मथुरा आदि क्षेत्रों से विदेशी भक्तों को भेजा जा रहा है उनके देश


वृंदावन मथुरा। देश-विदेश से आने वाले श्रद्धालु भक्त ब्रज क्षेत्र में भगवान श्री कृष्ण की लीला एवं तपस्या हेतु अपने अपने देशों से ब्रज चौरासी कोस के गोवर्धन मथुरा वृंदावन दाऊजी महावन गोकुल बरसाना नंदगांव आदि भगवान कृष्ण की पौराणिक स्थलों के अवलोकन एवं श्रद्धालु भावना के साथ आते हैं। कोरोनावायरस को विश्व में संक्रमण होने के कारण भारत सरकार एवं उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा जिला प्रशासन मथुरा को निर्देश जारी किए गए हैं कि क्षेत्र में जितने भी विदेशी हो उनको स्वदेश वापस भेजा जाए। प्रशासन द्वारा कार्यवाही करते हुए इस्कॉन टेंपल से संबंधित विदेशी भक्तों को दूतावास के माध्यम से उनके देश भेजने की कार्रवाई की जा रही है। जिसके अंतर्गत वृंदावन से अनेकों श्रद्धालु विदेशी भक्तों को उनके सुदेश जाने के लिए एयरपोर्ट तक बस आदि की व्यवस्था की गई भारत में कोरोना वायरस का संक्रमण होने के कारण यह कठोर कदम उठाए गए हैं।


 रिपोर्ट डॉ केशव आचार्य गोस्वामी, जीके गौतम वृंदावन मथुरा से स्पेशल रिपोर्ट


बच्चों के नाम 'लॉक डाउन, कोरोना' रखा

देवरिया। कोरोना वायरस (Corona Virus) को लेकर विश्व सहित भारत में कोहराम मचा है। कोरोना संक्रमण को देश के बचाने के लिए 21 दिन का लॉकडाउन किया गया है। डरे-सहमे लोग जरूर हैं लेकिन इस क्षण को यादगार बनाने में भी लोग कसर नहीं छोड़ रहे हैं। कुछ ऐसा ही एक दिलचस्प मामला गोरखपुर में में देखने को मिला। यहां जनता कर्फ्यू के दिन पैदा हुई एक नवजात बच्ची का नाम उसके माता-पिता ने ‘कोरोना’ रख दिया।


कोरोना के खिलाफ जंग में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के प्रयासों से प्रभावित होकर उत्तरप्रदेश में देवरिया के एक दंपत्ति ने अपने नवजात शिशु का नाम ‘लॉकडाउन’ रखा है। जिले के खूखुंडू गांव के निवासी दंपत्ति का कहना है कि पीएम मोदी पूरे देश को कोरोना जैसे खतरनाक वायरस के संक्रमण से बचाने के लिए एक अभिभावक की तरह देश की जनता से लॉकडाउन के नियमों का पालन करने और घरों की दहलीज पार न करने की बार बार अपील कर रहे हैं। उनका यह प्रयास अद्‍भुत है।


दंपत्ति ने कहा कि उन्होंने अपने नवजात का नाम लॉकडाउन इसलिए रखा कि लोगों को प्रधानमंत्री का संदेश दिलों तक छू सके और वे अपने और परिवार की खातिर सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइन का अक्षरश: पालन कर सकें। बच्चे के पिता पवन ने कहा कि लॉकडाउन के दौरान सोमवार को उनके यहां बेटा हुआ और उनके लिए इससे अच्छा नाम बच्चे के लिए हो ही नहीं सकता था।


नवजात बच्ची का नाम रखा कोरोना :


गोरखपुर में जनता कर्फ्यू के दिन पैदा हुई एक नवजात बच्ची का नाम उसके माता-पिता ने ‘कोरोना’ रख दिया। गोरखपुर के सोहगौरा गांव निवासी बबलू त्रिपाठी की पत्नी रागिनी ने जनता कर्फ्यू के दिन बेटी को जन्म दिया। उसके चाचा नितेश त्रिपाठी ने बच्ची का नाम ‘कोरोना’ रखा। जिला अस्पताल की स्टाफ नर्स संगीता कुमारी ने बताया कि हमें आश्चर्य हुआ, जब उसके चाचा ने उसका नाम कोरोना रखा। चाचा ने बताया कि कोरोना वायरस ने देश को एकजुट कर दिया है इसलिए उन्होंने अपनी भतीजी का नाम कोरोना रखा।


यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...