गुरुवार, 26 मार्च 2020

एक पहचान 'संपादकीय'

एक पहचान    'संपादकीय' 


नहीं वरण हुआ, अभी तक कुंवारी है।
जन, गण के मन में बड़ी दुश्वरी है। 
लाखो जिंदगी मौत के घाट उतारी है। 
गली-चौराहा, शहर सारा खामोश बडा हैं। 
संदेश को समझो, आदेश सरकारी है। 
बंदिशों का दौर नहीं, अगर जिंदगी प्यारी है।
मरना है तुझको ऐ गरीब, यह तेरी लाचारी है।
रखवाली पर बैठा तेरी, बड़ा व्याभिचारी है।
लाश भी नहीं छुएगा कोई, ऐसी महामारी है।
नहीं वरण हुआ, अभी तक कुंवारी है।....



       विश्व में कोविड-19 नामक महामारी ने परिवर्तन की एक बयार चला दी है। कई देशों को इसका भयानक परिणाम झेलना पड़ रहा है। हमारा देश भी उसी रास्ते पर चल रहा है। देश की जनता ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर और कोरोना के भय के कारण 'लॉक डाउन' का समर्थन तो किया है। लेकिन अक्षमता हीन वर्ग की इतनी बड़ी उपेक्षा इससे पूर्व कभी नही हुई है और संभवतः भविष्य में भी ना हो। विश्व की सबसे बड़ी लोकतांत्रिक व्यवस्था भारत की पहचान विश्व में "गाय, गरीब और गांधी" से होती है। गाय के नाम पर देश में राजनीति तो खूब होती है। सेवा और सद्भावना कचरा चाट रही है। 'गांधी' एक ऐसा विषय है, जिसे छेड़ने मात्र से छेड़ने वाले का अस्तित्व ही समाप्त हो जाएगा। चाहे वह कितना ही बड़ा और बुद्धिमान राजनीतिज्ञ क्यों ना हो। अब हमारी वैश्विक पहचान का सबसे बड़ा कारण गरीबी है। देश की कुल आबादी का 40% भाग गरीब है। यह देश के पंजीकृत गरीब है। जो उनसे भी गरीब है यह साधारण भाषा में 'महान गरीब' है। उनकी बला से झाड़ पर बैठी है सरकार और उसकी योजनाएं। ऐसे महान गरीबों को दरकिनार कर दिया जाए तो सरकार की 'लॉक डाउन' में जनसेवा की गाथा विश्व में अवश्य प्रसिद्ध होगी। क्योंकि कोरोना महामारी क्या करेगी या क्या नहीं करेगी? यह दूर की कौड़ी है। अपने कार्यालयों में बैठकर चिकनी-चुपड़ी बातों से गरीब, मजदूर और जरूरतमंद का पेट नहीं भरेगा। दूध मुंहे बच्चों की किलकारी पर कोई असर नहीं पड़ेगा। इसके समाधान के लिए लंबी-लंबी बात हांकने के अलावा धरातल पर कुछ भी नजर नहीं आता है। क्या मजाक बन गया है, सिद्ध पुरुष और शक्तिशाली लोग गाल बजाने के अलावा कुछ नहीं कर रहे हैं? देश की गरीब जनता के सामने विभिन्न प्रकार की समस्याएं उत्पन्न हो चुकी है। छोटी-छोटी, सामान्य समस्याएं भी वृहद और विकराल हो गई है। जिसके समाधान का कोई मार्ग प्रशस्त नहीं किया गया है। यदि इस पर कार्य किया भी जा रहा है। उसके क्या परिणाम होगे, इसका अनुमान नहीं लगाया जा सकता है।
 वर्तमान ऐसा सुनहरा अवसर लेकर आया है। जिसका सही ढंग से उपयोग करने पर गरीब-मजदूर वर्ग का एक बड़ा हिस्सा नष्ट हो सकता है। क्योंकि साथ में कोरोना वायरस के जैसी ढाल भी है। पता नहीं फिर ऐसा मौका मिले, ना मिले।


राधेश्याम 'निर्भयपुत्र'


एक और वायरस 'समसामयिक'

जब जिंदगी पर बाजारी कलाओं का तानाशाहनुमा कब्जा!


आज का सच भी कि कुछ भी बहुत ज्यादा हो जाना अच्छा नहीं माना जाता है!


कुदरत का नियम है, कुल आसक्ति की चरम स्थिति के बाद विरक्ति शुरू होती!


अब वक्त आ गया कि इस असामाजिक रास्ते को छोड़ दें,ओर जिंदगी के बारे चिंतन करें!


संचार व्यवसाय की बाजारी ताकतों ने काफी पहले दुनिया पर कब्जा करना शुरू कर दिया था। कहा जाने लगा था कि दुनिया मुट्ठी में सिमट गई है। सही तरीके से हिसाब किया जाए तो संचार व्यवस्था का गहन प्रभाव रोम-रोम में घुस चुका है। इस बारे में परिवार की परिधि से बाहर बात करने में तो संजीदगी गुम रहती ही है, परिवार के सदस्यों से कहता हूं कि ज्यादा समय सोशल मीडिया का दास बने रहना जिंदगी के लिए ठीक नहीं, तो सभी को लगता है कि कोई गलत सलाह दे डाली। युवा वर्ग रास्तों पर चलते-फिरते, लेटे हुए, सुबह जाग कर वाट्सऐप या ‘फेकबुक’ पढ़ रहा होता है। अधिकांश कार्यस्थलों पर समय निकाल कर यह ‘जरूरी काम’ करना पड़ रहा है। अब पारिवारिक या आपसी संवाद तेजी से लुप्त हो रहा है।पिछले दिनों पत्नी के साथ अपने एक घनिष्ठ मित्र से मिलने उनके शहर गया। हमारे घरों के बीच की दूरी लगभग ढाई सौ किलोमीटर है। उनसे व्यक्तिगत रूप से मिले काफी अरसा हो गया था, वे बुलाते रहते और हम वादा करते रहते। आखिर वह ‘शुभ दिन’ आया, यात्रा शुरू हुई। यात्रा के दौरान उन्होंने कई बार पूछा कि कहां पहुंचे। खैर, कई घंटे लंबा, खराब सड़कों से होते हुए सफर पूरा कर पहुंचे। हाथ मिलाया, गले मिले, अपना, बच्चों का हालचाल पूछा, बताया। चाय-नमकीन सब लगभग एक घंटे में निपट गया। उसके बाद सब सोशल मीडिया के रास्तों पर जरूरी काम निबटाने में लग गए। अपार शांति के बीच मित्र ने पूछा- ‘और सुनाएं नई ताजी’, तो मैंने कहा- ‘बाकी सब ठीक है’। दोनों महिलाएं अत्यधिक व्यस्त रहीं। रात का खाना खाने बाहर जाना था। दिमाग बार-बार यह कह रहा था कि सोशल मीडिया का कम प्रयोग करने वाले या प्रयोग न कर सकने वाले बहुत से लोग समाज में ‘आउटडेटेड’ हो चुके हैं।यह बहुत अफसोस की बात है कि हमारे धार्मिक, सामाजिक और राजनीतिक नायकों के बेहद संकीर्ण जातीय, सांप्रदायिक, धार्मिक, क्षेत्रीय, पारिवारिक, 
राजनीतिक नजरिए के कारण ही ज्यादातर भारतीय उपभोक्ताओं द्वारा फेसबुक, यूट्यूब, वाट्सऐप और इनके साथियों का सकारात्मक उपयोग नहीं किया गया। ऐसा लगने लगा है कि सोशल मीडिया, अब सोशल नहीं रहा, बल्कि ‘एंटी-सोशल’ यानी समाज-विरोधी मीडिया में तब्दील हो चुका है। बीते समय में इन माध्यमों पर लोगों द्वारा आपस में नफरत के करोड़ों जहर बुझे तीर छोड़े गए हैं।समाज-विरोधी मीडिया की बंजर धरती पर अनगिनत ट्रोल करने वाले यानी परेशान करने वाले अवांछित तत्त्व कंटीली घास की तरह उग आए हैं, जिन्होंने दूसरों को निरंतर चुभन के अलावा और कुछ नहीं दिया। व्यक्तिगत, समूह और संस्था स्तर पर समाज-विरोधी मीडिया के मंच पर स्वयंभू समझदारों की अफवाहों, फर्जी खबरों, नकली वीडियो, अपशब्द, बदतमीजियों और गुस्ताखियों की भरमार ने नैतिकता, मानवता, प्रेम, देशप्रेम, इंसानियत और आपसी विश्वास की लगातार तौहीन की है। यह बेहद अफसोसनाक रहा कि कितने ही प्रसिद्ध, सामाजिक, धार्मिक, राजनीतिक हस्तियों ने भी अपनी बदजुबानी की कड़वाहट की आहुति डाल कर समाज-विरोधी मीडिया को समाज के खिलाफ बनाया। देश में तनाव, टकराव और हिंसा की जो घटनाएं सामने आ रही हैं, उससे साफ है कि अब समाज-विरोधी मीडिया की आसक्ति को विरक्ति के रास्ते भेजने का समय आ गया है।
हर वक्त कहीं न कहीं, कोई न कोई किसी से कह रहा होता है कि इन सभी ने मिल कर हमारी जिंदगी में खलल डाला है। क्या इतनी खूबसूरत जिंदगी में यह ठहराव भी आना था कि फेसबुक के चेहरे तो हमारे मित्र हो गए, लेकिन रास्ते में पास से वे गुजरे तो देखा तक नहीं। इसका गलत प्रयोग के बारे में उपदेश बहुत दिए जाते हैं। लेकिन यह किसी नेता के भाषण की तरह होता है, जिसे सुनते हुए भी लोग मोबाइल पर वीडियो देखते या बनाते रहते हैं। समाज-विरोधी मीडिया पीड़ितों को बीमार मान कर उनका इलाज करने के लिए अनेक क्लिनिक खुल चुके हैं। मानसिक चिकित्सा के आर्थिक विशेषज्ञ मैदान में आ चुके हैं। एक बार मिलने वाले मानव जीवन में अमानवीय दुष्परिणामों से वाकिफ होने के बावजूद अधिकतर लोग प्रेरणा नहीं लेते। आम लोगों को वैसे भी एक चामत्कारिक प्रेरक व्यक्तित्व की जरूरत होती है, जो उनके जीवन में बदलाव लाने की कुव्वत रखता हो।लेकिन जब जिंदगी पर बाजारी कलाओं का तानाशाहनुमा कब्जा हो, तो दिमाग सोचना बंद कर देता है। यह आज का सच भी है कि कुछ भी बहुत ज्यादा हो जाना अच्छा नहीं माना जाता है। कुदरत का नियम है, कुल आसक्ति की चरम स्थिति के बाद विरक्ति शुरू होती है। अब वक्त आ गया है कि इस असामाजिक रास्ते को छोड़ दें, अपनी जिंदगी के बारे चिंतन करें। दूसरे जरूरी क्षेत्रों में ज्यादा मेहनत करें, ताकि सही समाज की रचना फिर अंकुर ले सके। आम आदमी के लिए मिलने-जुलने, पत्र लिखने, सद्भाव बढ़ाने, स्वस्थ रहने, ईर्ष्या, द्वेष और वैमनस्य से बचने के मार्ग प्रशस्त करने की घड़ी आ गई है। इससे जरूरी धन बचेगा, मानवीय तन का क्षय रुकेगा और मन भी पवित्र रहेगा।


तस्लीम बेनकाब


पान मसाला की बिक्री-उत्पादन प्रतिबंधित

उत्तर प्रदेश में पान मसाला की बिक्री और उत्पादन पर लगा प्रतिबंध
                                                                                  लखनऊ। उत्तर प्रदेश में पान मसाला की बिक्री पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया है। प्रदेश सरकार ने कहा है कि अगले आदेश तक राज्य में पान मसाला की बिक्री, उत्पादन और वितरण को बैन कर दिया गया है। इससे पहले उत्तर प्रदेश के अपर मुख्य सचिव गृह व सूचना अवनीश कुमार अवस्थी ने मंगलवार को कहा था कि कोरोना वायरस का संक्रमण लार व थूक से भी होता है। इस वजह से सरकार पान मसाला और गुटखा को पूरी तरह से प्रतिबंधित करने पर विचार कर रही है। इसके बाद से यह उम्मीद लगाई जा रही थी कि जल्द ही सरकार पान मसाला पर प्रतिबंध को लेकर ऐलान करेगी।
दूसरी तरफ उत्तर प्रदेश में बुधवार को एक और कोरोना संक्रमित मामला आने के बाद मरीजों की संख्या बढ़कर 41 हो गई है। सबसे अधिक मरीज आगरा-नोएडा (11) के हैं। इसके बाद लखनऊ के 8, गाजियाबाद के 3 और पीलीभीत के 2 मरीजों में कोरोना वायरस पॉजिटिव पाया गया है। इसी तरह शामली, लखीमपुर-खीरी, वाराणसी, मुरादाबाद, कानपुर और जौनपुर में कोरोना वायरस से संक्रमित 1-1 मरीज़ पाए गए हैं। इनमें से 11 लोग स्वस्थ हो गए हैं और उन सभी को अस्पताल से छुट्टी दे दी गई है।


बचाव एवं नियंत्रण पर प्रशासन संकल्पित

कोरोना वायरस से बचाव एवं इसके नियंत्रण को लेकर जिला प्रशासन कृत संकल्पित


जनपद में संचालित किए जा रहे हैं कंट्रोल रूम


 गौतम बुध नगर। जिलाधिकारी बीएन सिंह के नेतृत्व में कोरोना वायरस से बचाव एवं जनपद वासियों को सुरक्षित करने के उद्देश्य से विभिन्न कार्यवाही सुनिश्चित की जा रही है। इसी श्रृंखला में जिला प्रशासन की ओर से कोरोना वायरस की गंभीरता को लेकर जनपद में 24 घंटे कंट्रोल रूम संचालित किए जा रहे हैं, जहां पर कोई भी नागरिक कोरोना वायरस के संबंध में जानकारी उपलब्ध करा सकते हैं। जिला प्रशासन की ओर से एक कंट्रोल रूम कलेक्ट्रेट परिसर में संचालित किया जा रहा है, जबकि दूसरा कंट्रोल रूम स्वास्थ्य विभाग के माध्यम से संचालित है। अतः समस्त जनपद वासी कोरोना वायरस से बचाव एवं इसके नियंत्रण को लेकर किसी भी प्रकार की जानकारी संबंधित कंट्रोल रूम से प्राप्त कर सकते हैं एवं इस संबंध में कोई भी जानकारी कंट्रोल रूम को उपलब्ध करा सकते हैं। जिला सूचना अधिकारी गौतम बुध नगर।


कोरोना वायरस से बचाव ही सुरक्षा


एडवोकेट आफताब


कोरोना से बचाव के लिए सभी को एक दूसरे का सहयोग करने की अपील की
दिल्ली अल्पसंख्यक आयोग के सलाहकार सदस्य व ऑल इंडिया उलेमा बोर्ड के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष एडवोकेट आफताब ने देश व विश्व मे कोरोना वायरस के फैलने से हजारों लोगों की मौत पर दुख व्यक्त किया और सभी क्षेत्रवासियों से कोरोना वायरस के बचाओ मैं सभी को एक दूसरे को जागरूक करने की अपील की! उन्होंने कहा की इस समय कोरोना पूरे विश्व पर कहर ढा रहा है जिसकी रोकथाम जरूरी है शिक्षित वर्ग को  अशिक्षित लोगो तक इसके बचाव के उपाय और रोकथाम की तरीकों की जानकारी देनी चाहिए। एडवोकेट आफताब ने बचाव के तरीके बताते हुए कहा कि हम सभी को हाथ मिलाने को छोड़कर दूर से ही अभिवादन करना चाहिए। सार्वजनिक स्थानों पर जाने से पहले मास्क का प्रयोग करना चाहिए दिन में कई बार साबुन से हाथ धोना चाहिए। साफ सफाई और देखरेख ही इसका बचाव है। जिस तरह भारत सरकार इसके बचाव के लिए युद्ध स्तर पर कार्य कर रही है। उसी तरह हमें भी इस समय सरकार का सहयोग करना चाहिए। उन्होंने कहा की शिक्षित वर्ग का फर्ज बनता है कि राष्ट्र पर आई इस आपदा में अशिक्षित लोगों तक जानकारी पहुंचा कर उसके बचाओ और तरीके बता कर सरकार द्वारा उठाए जा रहे कदमों में सहयोग करना चाहिए। इस समय पूरे विश्व को एक होकर इस महामारी का मुकाबला करना चाहिए। जोकि धीरे-धीरे सभी देशों में फैलती जा रही है जिसमें एहतियात जरूरी है।


बागपत में वायरस, संक्रमण का खतरा

सचिन कुमार


बागपत। उत्तर प्रदेश के जनपद बागपत स्थित गांव सरूरपुर कला में कपिल पुत्र देवेंद्र निवासी गढ़ी मोहल्ला कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। कपिल मोहल्ले में बेरोकटोक 1 सप्ताह तक घूमता रहा है, सभी से मिलना जुलना भी रहा है। ऐसी स्थिति में सैकड़ों लोगों में वायरस फैलने का खतरा बढ़ गया है। प्रशासनिक अमला अभी तक शांत बैठा हुआ है। जबकि सामान्यतः वायरस का संक्रमण 500 लोगों से अधिक लोगों तक पहुंच चुका है। यदि प्रशासन ने समय रहते इस पर आवश्यक कार्रवाई नहीं की तो यह शीघ्र एक बड़ी आबादी में फैलने का काम कर लेगा और उसके पश्चात परिणाम क्या हो सकते हैं?  हो सकता है हजारों की आबादी तबाह ना हो जाए।


 


लॉक डाउन का मिलकर पालन करें

शामली / थानाभवन। उत्तर प्रदेश सरकार के कद्दावर नेता व कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा ने लोगों से की अपील कहा कि लॉकडाउन का पालन करें। अपने अपने घरों पर रहे। कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा ने बताया कि पूरे दिन में कम से कम 20 बार अपने हाथों को धोए। सोशल डिस्टेंस बनाकर रखें और एक से डेड मीटर की दूरी बनाकर रखें। कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा ने बताया कि इस दुख की घड़ी में हम जिन लोगों का भी सहयोग कर सकें, जिन लोगो कि भी मदद कर सकते है। उन लोगों का सहयोग करें,मदद करे। लोगों से सोशल मीडिया के माध्यम से घरों में रहने की अपील करें।


उत्तरप्रदेश सरकार मै कैबिनेट मंत्री सुरेश राणा ने बताया कि इस महामारी से लड़ने का सबसे बेहतर उपाए ये है कि आप सब लोग मिलकर लॉकडाउन का पालन करे और आपने घरो पर रहे।


 


सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली

सोरेन ने 14वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली  इकबाल अंसारी  रांची। झारखंड के 14वें मुख्यमंत्री के रूप में हेमंत सोरेन ने गुरुवार को शपथ ली। ...