मंगलवार, 24 मार्च 2020

कर्नाटक में 31 मार्च तक लॉकडाउन

बेंगलुरु। कोविड-19 पॉजिटिव परीक्षणों की बढ़ती संख्या के मद्देनजर पूरे कर्नाटक को लॉक डाउन किया जा रहा है। मुख्यमंत्री बी.एस.येदियुरप्पा ने मंगलवार को इसकी घोषणा की, जो 31 मार्च तक लागू रहेगी।


येदियुरप्पा ने ट्वीट किया, “कोविड-19 संकट के कारण बनी हुई स्थिति को देखते हुए हमने न केवल 9 जिलों बल्कि पूरे कर्नाटक राज्य को लॉकडाउन करने का निर्देश दिया है। यह लॉकडाउन मंगलवार से 31 मार्च तक के लिए किया गया है। मेरा सभी नागरिकों से अनुरोध है कि सहयोग करें और घरों में रहें।” इससे पहले उन जिलों में ही लॉकडाउन किया गया था, जहां कोविड-19 के केस आए थे। डॉलर्स कॉलोनी स्थित अपने घर से येदियुरप्पा ने कहा कि सभी लोग आने वाले उगाडी त्यौहार को अपने घरों में साधारण तरीके से मनाएं। इस घातक वायरस के डर से कर्नाटक सरकार ने करगा उत्सव भी रद्द कर दिया है। येदियुरप्पा ने खाद्य और भोजन सामग्री की पर्याप्त आपूर्ति का आश्वासन दिया है। येदियुरप्पा ने कहा, “ज्यादा मात्रा में खरीददारी करने और डरने की जरूरत नहीं है। खाद्य और भोजन सामग्री की दुकानें खुली रहेंगी। आप सभी के सहयोग से हम इस स्थिति से लड़ सकते हैं।” वहीं लॉकडाउन के दौरान उल्लंघन करने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इसी बीच, मंगलवार का शहर के केआर मार्केट में लोग लॉकडाउन का उल्लंघन कर घूमते हुए नजर आए। ऐसे लोगों को पुलिस ने जबरदस्ती घर भेजा और अन्य व्यापारिक प्रतिष्ठानों को बंद कराया। बेंगलुरु के पुलिस आयुक्त भास्कर राव ने ट्वीट किया, “नागरिकों से अनुरोध है कि वे यह सुनिश्चित करें कि ‘घर के अंदर रहें का नियम’ लागू है। कानून का कोई खतरा नहीं है। बतौर नागरिक अपनी भूमिका अदा करें। हमारे जीवन से ज्यादा महत्वपूर्ण कुछ नहीं है। कृपया अपने लिए घर में ही रहें।


केंद्र शासित राज्यों में कंप्लीट लॉकडाउन

नई दिल्ली। देश के 32 राज्यों और केन्द्रशासित प्रदेशों के 560 जिलों में कोरोना वायरस संक्रमण को रोकने के लिए पूरी तरह लॉकडाउन कर दिया गया। इसी बीच, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और ओडिशा के कुछ क्षेत्रों ऐसे हैं, जहां धाराएं ही लगाई गई हैं। तीनों राज्यों में कुल 58 जिले बंद हैं।


वहीं लक्षद्वीप में आंशिक लॉकडाउन किया गया है। यात्री जहाजों को द्वीप में प्रवेश करने से प्रतिबंधित किया गया है और आपराधिक प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 144 लागू है। भारत में कोविड-19 के कुल मामलों की संख्या अब 500 पर पहुंच चुकी है, जिसमें नौ मौतें भी शामिल हैं।


गरीब-मजदूरों की मदद करेंः कपिल

नई दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कपिल सिब्बल ने अपनी पार्टी की मांग को दोहराते हुए कहा है कि कोरोना के चलते हुए लॉकडाउन में बेरोजगार गरीबों की आर्थिक मदद करने के लिए प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम 10 हजार रुपये दिए जाने चाहिए।


सिब्बल ने कहा, “युद्ध में हों तो प्रतिक्रिया भी युद्ध स्तर पर करें।” कांग्रेस सांसद ने सरकार से आग्रह किया कि वह तेजी से इस बाबत कार्य करे और दरवाजे तक मुसीबत आने का इंतजार न करे। हालांकि, उन्होंने शटडाउन को सकारात्मक कदम बताते हुए कहा कि ढेर सारे लोग बेरोजगार हो गए हैं, जैसे प्रवासी, असंगठित क्षेत्र और अन्य क्षेत्रों में काम करने वाले, कृषि श्रमिक, बेरोजगार और दिहाड़ी मजदूर। इन सभी को संकट से उबारने के लिए प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के माध्यम से प्रत्येक को 10 हजार रुपये प्रदान किए जाने चाहिए। कांग्रेस ने पहले ही गरीबों के लिए वित्तीय पैकेज की मांग की है। कोरोना वायरस के संक्रमण से निपटने के लिए कथित तौर पर तैयारियों को लेकर सरकार पर निशाना साधते हुए कांग्रेस ने सोमवार को कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लोगों को बताया कि उन्हें क्या करना चाहिए, लेकिन यह नहीं बताया कि बीमारी को रोकने के लिए सरकार क्या करेगी।कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता अजय माकन ने ट्वीट किया, “हम जानते हैं कि प्रधानमंत्री एक वित्तीय पैकेज की घोषणा कर सकते हैं, और हमें उम्मीद है कि यह उनके पूंजीवादी दोस्तों के लिए नहीं होगा बल्कि गरीबों, दिहाड़ी मजदूरों और अन्य लोगों के लिए होगा, जो बेरोजगार हो गए हैं।


उमर की नजरबंदी का आदेश निरस्त

श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर सरकार ने मंगलवार को पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के सार्वजनिक सुरक्षा अधिनियम (पीएसए) के तहत चल रही नजरबंदी के आदेश को रद्द कर दिया है। जम्मू-कश्मीर सरकार के प्रवक्ता रोहित कंसल ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला के पीएसए नजरबंदी आदेश को निरस्त कर दिया गया है।


सूत्रों ने कहा कि उमर अब्दुल्ला अब श्रीनगर में हरि निवास जलवायु को छोड़ देंगे। अब्दुल्ला वहां 5 अगस्त, 2019 से नजरबंदी में रह रहे हैं। नेशनल कॉन्फ्रेंस के सूत्रों ने कहा, “वह शीघ्र ही गुपकर रोड स्थित अपने निवास पर पहुंचेंगे, लेकिन कोविड-19 लॉकडाउन को ध्यान में रखते हुए, किसी को भी उमर साहब से मिलने की अनुमति नहीं दी जाएगी।” ऐसे हालातों में उमर के अपनी रिहाई के बाद मीडिया को संबोधित करने की भी संभावना नहीं है। बता दें कि उमर की रिहाई से कुछ दिन पहले ही उनके पिता और पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला की भी रिहाई हुई थी। उमर की बहन सारा पायलट द्वारा दायर एक याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि जम्मू-कश्मीर सरकार को यह स्पष्ट करना चाहिए कि क्या वे जल्द ही उमर अब्दुल्ला को रिहा करने का इरादा रखते हैं या नहीं। अब केवल एक पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती नजरबंद हैं। सूत्रों ने बताया कि इस सप्ताह के अंत तक उनकी भी रिहाई की संभावना है।


शिवराज के सामने अब ज्यादा चुनौती

मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के सामने इस बार ज्यादा हैं चुनोतियाँ


शेख़ नसीम 


भोपाल। मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार को सत्ता से बेदखल करके प्रदेश के चौथी बार मुख्यमंत्री की शपथ लेने वाले भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ और कद्दावर नेता शिवराज सिंह चौहान के सामने पहले के मुकाबले इस बार ज्यादा चुनोतियाँ हैं सबसे पहले कोरोना वायरस से निपटने की चुनोती इसके बाद कांग्रेस से बगावत करके कांग्रेस की सरकार को गिराने वाले और अब भाजपा में शामिल हुए बागी विधायकों को मंत्रिमंडल में शामिल कर और 25 सीटों पर होने वाले आगामी उपचुनाव में उनको भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़वाना एवं भाजपा के पुराने नेता और कार्यकर्ताओं से आपसी तालमेल बिठाना ये वो चुनोतियाँ हैं जिससे मध्यप्रदेश के नए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को निपटना हैं।


कांग्रेस के बागी विधायकों में से 10 विधायको का मंत्री बनने तय हैं जिसमे से कमलनाथ सरकार में मंत्री रहे 6 पूर्व मंत्री शामिल हैं लेकिन भाजपा सरकार में मंत्री रहे उन विधायको को शिवराजसिंह चौहान कैसे डील करते हैं और किस- किसको मंत्री बनाते हैं ये देखने वाली बात हैं शिवराज सरकार में पहले जो मंत्री थे उनमें से अगर किसी एक को भी मंत्री नही बनाया गया तो ये शिवराज सरकार के लिए घातक होगा। दूसरी और आगामी 25 सीटों पर प्रदेश में होने वाले उपचुनाव में 22 कांग्रेस के विधायक जो कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए हैं उनको उन्ही के क्षेत्र से टिकट देना भाजपा के स्थानीय दावेदारों को नाराज़ करने वाला फैसला होगा और हो सकता हैं उस दौरान भाजपा के टिकट के दावेदार बगावत पर उतर जाए बहरहाल शिवराज सिंह चौहान के सामने अबकी बार ज्यादा चुनोतियाँ हैं और शिवराजसिंह इन चुनोतियो से कैसे निपटते हैं ये तो आने वाला समय ही बताएगा।


भारत का सफल प्रयासः डब्ल्यूएचओ

नई दिल्ली। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस को लेकर भारत में किए जा रहे अलर्ट और इससे निपटने की गई तैयारियों को लेकर भारत की तारिफ की है। कोरोना वायरस के तेजी से बढ़ते मामले के बीच विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि कोरोना के प्रसार पर रोक लगाने के लिए भारत को अपनी आक्रामक कार्रवाई जारी रखनी चाहिए। भारत में कोरोना के 499 मामले सामने आए हैं और इसके प्रसार को रोकने के लिए 548 जिलों में लॉकडाउन घोषित कर दिया गया है।


सजा 7 वर्ष से कम तो मिलेगी पैरोल


सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला जेल में बंद कैदियों को 6 सप्ताह के लिए दी जाएगी पैरोल

नई दिल्ली। भारत में कोरोना वायरस के संक्रमण के खतरे के मध्य सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला लिया है। फैसले के मुताबिक देश में मौजूद सभी जेलों में सजा काट रहे वे कैदी जिनकी सजा 7 वर्ष से कम है उन्हें पैरोल दी जाए। सुप्रीम कोर्ट ने कैदियों को 6 सप्ताह के लिए पैरोल देने को कहा है। इस फैसले से जेलों में मौजूद हजारों कैदियों को पैरोल मिलने का रास्ता साफ हो गया है।


ज्ञातव्य है कि कोरोना का खतरा दिन-प्रतिदिन बढ़ रहा है। अब तक देश में 418 मामले सामने आ चुके हैं, यहीं नहीं 8 लोगों की मौत भी हो चुकी है। मामले की सुनवाई के बाद सुप्रीम कोर्ट ने आदेश देते हुए कहा कि राज्य सरकारें हाई पॉवर कमेटी का गठन करें। इस समिति में लॉ सेकेट्ररी, राज्य लीगल सर्विस ऑथोरिटी के चैयरमैन, जेल के डीजी को शामिल किया जाए। कमेटी तय करे कि 7 वर्ष की सज़ा वाले मामलो में किन सजायाफ्ता दोषियो और अंडर ट्रायल कैदियों को पैरोल या अन्तरिम ज़मानत पर छोड़ा जाए। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में स्वत: संज्ञान लिया है।


'सैनिक बंधू' की बैठक आयोजित की: सीडीओ

'सैनिक बंधू' की बैठक आयोजित की: सीडीओ  गणेश साहू  कौशाम्बी। मुख्य विकास अधिकारी अजीत कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में बुधवार को जिल...