शुक्रवार, 20 मार्च 2020

खींचतानः भाजपा में सीएम के 5 दावेदार

भोपाल । सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मप्र विधानसभा में आज कमल नाथ सरकार का फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश देने के बाद भाजपा में नई सरकार के गठन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। सरकार बनने की स्थिति में बतौर मुख्यमंत्री उसका नेतृत्व कौन करेगा, इसे लेकर खींचतान शुरू हो गई है। फिलहाल सारे मोर्चो पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नेतृत्व कर रहे हैं, लेकिन अगला सीएम कौन होगा, इसे लेकर भाजपा नेतृत्व ने पत्ते नहीं खोले हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि नेतृत्व का फैसला हाईकमान ही करेगा।


संभावित भाजपा सरकार में मंत्री पद के लिए भी दावेदारों के बीच जोर-आजमाइश शुरू हो जाएगी। सिंधिया गुट के जिन 22 विधायकों ने इस्तीफे दिए हैं, उनमें से भी कुछ को मंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि उन्हें छह माह में विधानसभा उपचुनाव जीतना होगा, तभी मंत्री पद कायम रह सकेगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस का दामन छोड़ने के बाद ये तय माना जा रहा है कि अब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनेगी।


तोमर, मिश्रा, सिंह भी रेस में


भाजपा की तरफ से अभी मुख्यमंत्री पद के चार दावेदार सक्रिय हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को तो सीएम पद का दावेदार माना ही जा रहा है। 13 साल तक प्रदेश की बागडोर संभालने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चौथी बार भी मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल सकता है। साथ में ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि केंद्रीय नेतृत्व की ओर से नरेंद्र सिंह तोमर को भी भेजा जा सकता है। वहीं पूर्व प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी सीएम की दौड़ में शामिल हैं।


नंबर एक पर शिवराज


माना जा रहा है कि जिस तरह से भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पार्टी ने अब तक सभी मोर्चो में आगे किया हुआ है, उसी तरह सरकार बनने पर प्रदेश की कमान भी उन्हें सौंपी जा सकती है। ऐसा हुआ तो चौहान प्रदेश में चौथी बार मुख्यमंत्री बनने वाले पहले राजनेता होंगे। चौहान को सीएम की दावेदारी में पहले स्थान पर रखने वालों का दावा है कि प्रदेश में बड़ी तादाद में उपचुनाव होना है, ऐसी परिस्थितियों में चौहान ही उपचुनाव में विजय दिलवा सकते हैं।


तोमर इसलिए रेस में


मोदी सरकार में लंबे समय से केंद्रीय मंत्री पद संभाल रहे नरेंद्र सिंह तोमर को भी मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल सकता है। तोमर पहले भी प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वे दो बार भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष की कमान संभाल चुके हैं। कार्यकर्ताओं और विधायकों से भी तोमर का गहरा नाता है। जहां आगे उपचुनाव होना हैं, उनमें से अधिकांश सीटें ग्वालियर-चंबल अंचल की हैं। तोमर भी इसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए पार्टी उन पर भी दांव लगा सकती है।


राकेश सिंह रहे हैं प्रदेश अध्यक्ष


भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह को भी मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल माना जा रहा है। वे लगभग पौने दो साल तक प्रदेश भाजपा की कमान संभाल चुके हैं। पार्टी नेताओं का मानना है कि हाईकमान उन्हें संगठन में ही रखना चाहता है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की नई टीम में सिंह को स्थान मिलने के कयास लगाए जा रहे हैं। यदि विपरीत हालात बने तो उन्हें भी मप्र भेजा जा सकता है।


नरोत्तम की भूमिका भी अहम


भाजपा सरकार के दौरान लंबे समय तक संकटमोचक की जिम्मेदारी निभाने वाले पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल हैं। मिश्रा पहले भी भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष और मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में शामिल रहे हैं। कुछ समय पहले तक नरोत्तम मिश्रा और शिवराज सिंह चौहान के बीच गहरे मतभेद रहे हैं, लेकिन सरकार के लिए जोड़-तोड़ के दौरान दोनों नेताओं के बीच अघोषित समझौता हो गया। सूत्रों के मुताबिक चुनाव के बाद भी शिवराज ने नरोत्तम के नाम का विरोध किया था और इसी वजह से नेता प्रतिपक्ष का पद गोपाल भार्गव को दिया गया। मिश्रा का नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए भी प्रस्तावित था, लेकिन आरएसएस के करीबी माने जाने वाले वीडी शर्मा को जिम्मेदारी मिली।


दे दिया इस्तीफा, लगाए गंभीर आरोप

भोपाल। मध्यप्रदेश में चल रहे सियासी संग्राम पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट के पहले इस्तीफा दे दिया है। वे 1 बजे राज्यपाल से मिलने जायेंगे। वहां राज्यपाल को इस्तीफा सौपेंगे। प्रेस को संबोधित करते हुए मुख्यमंंत्री कमलनाथ ने प्रेस को सम्बोधित करते हुए बीजेपी पर कई गंभीर आरोप लगाए। सीएम ने कहा कि


“मेरा प्रयास था प्रदेश की तस्वीर बदले। मेरे 45 सलाल के राजनितिक करियर पर विकास पर विशवास किया । मुझे जनता ने 5 साल का मौका दिया था, भारतीय जनता पार्टी जो 15 साल तक थी। मुझे 15 महीने मिले, इन 15 महीनो में किये जनहितैषी कार्य बीजेपी को रास नहीं आया.. फिर भी हमने अपना कार्य किया। बीजेपी ने 22 विधायकों को बंधक बनाने का काम किया।


महाराज और उनसे जुड़े लोगो ने लोकतंत्र की हत्या की। इन्हे प्रदेश की जनता कभी माफ़ नहीं करेगी। बीते 15 महीनो में हमने कई बार बहुमत साबित की… मेरी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की गई ये विश्वासघात प्रदेश की जनता से किया गया। हमने किसानो का कर्जा माफ़ किया, किसानो के हक़ में कई फैसले लिए। बीजेपी ने किसानो के साथ षडयंत्र किया, हमने माफिया मुक्त किया जिसके विरोध में भाजपा आई। बीजेपी ने लोकतान्त्रिक मूल्यों की हत्या की। ना हम डरेंगे आ झुकेंगे…प्रदेश की जनता हमारे साथ है। आज के बाद कल भी होता है ये सभी को ध्यान रखना चाहिए।”


5 बजे दोषियों को फांसी, पीएम को भेजा

अकाशुं उपाध्याय


नई दिल्ली। निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया है। तिहाड़ जेल प्रशासन ने समय अनुसार सुबह 5:00 बजे इन सभी दोषियों को फांसी के फंदे से लटका दिया । फांसी से चंद घंटे पहले आधी रात तक भी इन दोषियों की फांसी के ऊपर बहस होती रही। लेकिन आखिर में इंसाफ की जीत हुई। कोर्ट ने साफ कह दिया कि इनकी फांसी रोकी नहीं जा सकती और पहले ही तीन डेथ वारंट रद्द हो चुके हैं। अब यह चौथा टेस्ट वारट है अब कोई फरियाद इन दोषियों की नहीं चलेगी। क्योंकि अगर यह चौथा डेथ वारंट रद्द होता है तो हर भारतीय का इंसाफ से विश्वास हट जाएगा, जो कि कोर्ट नहीं चाहता । ताजा जानकारी मिली है कि इन दोषियों को फांसी के बाद अब तिहाड़ जेल से डीडीयू अस्पताल ले जाया जाएगा। जहां इनका पोस्टमार्टम किया जाएगा और इस पोस्टमार्टम की खास बात यह रहेगी कि इस पोस्टमार्टम की प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी। ताकि इन दोषियों के सब ऊपर भी कोई उंगली ना उठा सके ।


सलाम है निर्भया की मां को जो अपनी बेटी के लिए लड़ी, देश की बेटियों के लिए लड़ी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि हम पिछले सात साल में निर्भया से अलग नहीं हुए हैं, हर पल हमने उसके दुख को महसूस किया। निर्भया का दुख ही हमारा संघर्ष बना और इंसाफ के लिए हमने लड़ाई लड़ी। आशा देवी ने कहा कि 20 मार्च को निर्भया दिवस और महिला सुरक्षा के रूप में मनाएंगे। उन्होंने कहा कि आज का ये दिन देश की बेटियों के नाम है। एक- एक चुनोतियों का सामना कर आज यहां पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि कहते हैं देर आये दुरुस्त आये। 7 साल के बाद आखिर इंसाफ मिला है, देश के लोगों ने निर्भया के लिए लड़ाई लड़ी है। 


बता दें कि वर्ष 2012 में दिल्ली में दंरिदों की हैवानियत का शिकार हुई निर्भया को आज इंसाफ मिला है। तमाम कोशिशों और पैंतरों के बाद निर्भया के दोषियों को फांसी टालने की कोशिशों में कामयाबी नहीं मिली। मामले में गुरुवार रात से शुक्रवार अलसुबह 4 बजे तक हुई सुनवाई में न्याय मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने पवन गुप्ता की याचिका को खारिज किया। गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सर्वोच्च अदालत में रात को ढाई बजे सुनवाई हुई और करीब 3.30 बजे याचिका को खारिज कर दिया गया। दोषियों को बचाने की सारी दलीलों को खारिज करते हुए फैसला सुनाया। इससे पहले निर्भया के दोषियों की याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज किया। करीब 2 घण्टे चली सुनवाई के बाद हाई कोर्ट के जस्टिस मनमोहन और जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने याचिका खारिज कर दी। दोषियों ने फांसी से बचने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश को चुनोती देने एक बार फिर दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन बचाव पक्ष के कोई तर्क काम नहीं आए।


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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


मार्च 21, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-222 (साल-01)
2. शनिवार, मार्च 21, 2020
3. शक-1942,चैैत्र - कृष्ण पक्ष, तिथि- त्रयोदशी, संवत 2077


4. सूर्योदय प्रातः 06:20,सूर्यास्त 06:38
5. न्‍यूनतम तापमान 17+ डी.सै.,अधिकतम-29+ डी.सै., भारी बारिश की संभावना रहेगी।


6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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 (सर्वाधिकार सुरक्षित)


 


गुरुवार, 19 मार्च 2020

पीएम संबोधनः बचाव ही उत्तम उपाय

कविता उपाध्याय


नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा देश की जनता को संबोधित किया। वैश्विक महामारी को केंद्रित करते हुए कहा कि देश की जनता को विचलित और भयभीत होने की आवश्यकता नहीं है। यह एक अंतरराष्ट्रीय समस्या है। जिसके लिए हमें सूझबूझ और समझदारी से काम लेना होगा। किसी भी नागरिक को यह समझने की आवश्यकता नहीं है कि वह खुलेआम भीड़भाड़ वाले स्थानों पर घूम सकता है। भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों से परहेज किया जाए क्योंकि भीड़ से ही कोरोना बीमारी का संक्रमण फैलता है। और आपका जीवन आपके परिजनों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। इसलिए मैं प्रत्येक नागरिक से यह अपील करता हूं कि वह इस लाइलाज बीमारी से बचने का जतन करें। देश में खदान की किसी प्रकार की कोई कमी नहीं है। अन्य किसी प्रकार की चिंता करने की भी आवश्यकता नहीं है। गवर्नमेंट प्रत्येक व्यक्ति के प्रति चिंतित और जिम्मेदार है। सभी देश वासियों से अनुरोध है कि वह भीड़ से बचे भीड़भाड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचें। समाज को सार्वजनिक समारोह से बचना चाहिए। वृद्ध, दिव्यांग और बच्चे  घर पर ही रहे तो बेहतर होगा।
हमें कुछ नहीं होगा, अत्याधिक आत्मविश्वास वाली सोच से बचें। जितना सम्भव हो सके दफ्तर का काम अपने घर से करें। 22 मार्च रविवार को सुबह 7 से रात 9 बजे तक जनता कर्फ्यू का पालन करने की अपील।कोई भी नागरिक इस दौरान घरों से बाहर ना निकले।घर मे रहने की सलाह। जनता कर्फ्यू के माध्यम से आने वाली चुनोतियों से निपटने में सक्षम होंगे। भारत की सभी राज्य सरकारों से जनता कर्फ्यू लागू करवाने का अनुरोध।


निश्चित समय पर आरोपियों को फांसी

नई दिल्ली। निर्भया के गुनहगारों को 20 मार्च की सुबह फांसी दी जाएगी। चार आरोपियों में से एक पवन की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में दायर की गई क्यूरेटिव पिटिशन को खारिज कर दिया गया है। पवन ने खुद को नाबालिग बताते हुए सुप्रीम कोर्ट में क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल की थी। लेकिन उसने कोर्ट ने खारिज कर दिया।


निर्भया के गुनहगार अब तक कानूनी हथकंडों का इस्तेमाल कर खुद को फांसी से बचाते रहे हैं। हालांकि अब सुप्रीम कोर्ट से लेकर निचली अदालतों तक को यह खेल समझ में आ गया है। कोर्ट ने बचाव पक्ष के वकील के रवैया पर बुधवार को आपत्ति भी जताई थी। इस मामले में अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने गुरुवार की रात 12 बजे तक तिहाड़ जेल के अधिकारियों और राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी और कहा है कि अंतिम समय तक अदालत का रुख किया जाना बिल्कुल हैरत भरा है। निर्भया के चारों दोषियों को फांसी पर लटकाने के लिए नए डेथ वारंट जारी हुआ है। निर्भया के गुनहगारों को 20 मार्च को सुबह साढ़े 5 बजे फांसी दी जाएगी। इससे पहले 22 जनवरी,1 फरवरी और 3 मार्च डेथ वारंट तय हुआ था, लेकिन दोषियों को फांसी नहीं हो पाई।


डीएम की अध्यक्षता में मासिक बैठक आयोजित

डीएम की अध्यक्षता में मासिक बैठक आयोजित  भानु प्रताप उपाध्याय  मुजफ्फरनगर। जिलाधिकारी उमेश मिश्रा की अध्यक्षता में विकास भवन के सभाकक्ष में ...