शुक्रवार, 20 मार्च 2020

कानून व्यवस्था और प्रणाली ?

देश को दहला देने वाले निर्भया मामले के सभी चार दोषीयो को सुबह ५.३० पर वे फांसी के फंदे पर लटका दिया गया। भारत में न्याय और निर्णय की यह घड़ी आठ साल बाद बमुश्किल आई है। न्याय में देर के कारण इस घृणित अपराध का विकल्प हैदराबाद का एक ऐसे ही मामले का पुलिस एनकाउंटर भी समाज में दिखा। भारतीय समाज को यह दोनों मामले कुछ सीख देंगे क्या ?
भारत की राजधानी दिल्ली के वसंत विहार इलाके में १६  दिसंबर, २०१२ की रात २३  साल की पैरामेडिकल छात्रा निर्भया के साथ चलती बस में बहुत ही बर्बर तरीके से सामूहिक दुष्कर्म हुआ था। घटना के बाद उसे बचाने की हर संभव कोशिश हुई, पर उसकी मौत हो गयी। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने बस चालक सहित छह लोगों को गिरफ्तार किया था। जिनमें एक नाबालिग भी था, जिसे तीन साल तक सुधार गृह में रखने के बाद रिहा कर दिया गया। जबकि एक आरोपी राम सिंह ने जेल में खुदकुशी कर ली।
फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सितंबर, २०१३ में इस मामले में चार आरोपियों पवन, अक्षय, विनय और मुकेश को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनायी| मार्च, २०१४ में हाइकोर्ट ने इस सजा को बरकरार रखा। मई, २०१७ में सुप्रीम कोर्ट ने भी इस फैसले पर मुहर लगा दी। मई, २०१७  में ही  देश की सर्वोच्च अदालत ने जिस फैसले की पुष्टि कर दी, उसके गुनहगारों को कल तक सजा नहीं मिली, आज वो दिन बमुश्किल आया। वैसे फांसी की तारीख २२ जनवरी तय हुई थी, पर न्यायिक दांव-पेच के कारण यह टल गयी और आज जैसे-तैसे मामला अंतिम अंजाम तक पहुंचा है। कई बार निर्भया की मां अदालत में फूट-फूट कर रोई, उन्होंने कोर्ट से कहा था कि मेरे अधिकारों का क्या? मैं भी इंसान हूं, मुझे सात साल हो गये, मैं हाथ जोड़ कर न्याय की गुहार लगा रही हूं। सब जानते हैं यह वह घटना है, जो महीनों तक देशभर के मीडिया की सुर्खियों में रही। इसे लेकर कई शहरों में व्यापक विरोध प्रदर्शन हुए थे। जन आक्रोश को देखते हुए तत्काल जस्टिस जेएस वर्मा की अध्यक्षता में एक समिति बनायी गयी थी और ऐसी घटनाओं की रोकथाम के लिए रेप कानूनों में बदलाव कर कड़ा किया गया था। दुष्कर्म के मामलों के लिए फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित किये जाने की व्यवस्था हुई थी।
मामला फास्ट ट्रैक कोर्ट में चला, सजा भी सुनाई गयी, लेकिन गुनहगारों को सजा नहीं मिल पायी। जेल नियमों के अनुसार एक ही अपराध के चारों दोषियों में से किसी को भी तब तक फांसी नहीं दी जा सकती, जब तक कि वे दया याचिका सहित सभी कानूनी विकल्प नहीं आजमा लेता। लिहाजा, सभी दोषी एक-एक कर अपने विकल्पों का इस्तेमाल कर व्यवस्था की कमजोरी का फायदा उठाते रहे।
 इससे आम आदमी के जहन में पूरी कानून व्यवस्था पर सवाल खड़े हो गये। यह स्थिति किसी भी भी तरह समाज के लिए अच्छी नहीं है। परिणाम, हैदराबाद के बहुचर्चित रेप कांड में पकड़े गये चारों अभियुक्तों का पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया। इस एनकाउंटर के ‘तत्काल न्याय’ से पूरी न्याय प्रणाली पर देशव्यापी बहस छेड़ दी। मुठभेड़ की खबर लगते ही लोग घटनास्थल पर पहुंचे और कुछेक लोग पुलिस पर फूल बरसाते भी नजर आये। दोनों ही प्रणाली समाज के सामने आज प्रश्न चिन्ह हैं ? ऐसी घटनाओं से हमारी पूरी न्याय व्यवस्था पर संकट उत्पन्न होने का खतरा है, लेकिन इस सवाल का जवाब भी देना जरूरी है कि क्या दुष्कर्म जैसे जघन्य अपराध की शिकार बेटी को तुरंत न्याय पाने का अधिकार नहीं है?
राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के अनुसार २०१४ में अदालतों ने दुष्कर्म के २७.४ प्रतिशत मामलों में फैसले सुनाये थे।२०१७ में ऐसे मामलों में फैसला सुनाने में गति में मामूली तेज हुई और ३१.८ प्रतिशत   हो गयी, लेकिन अपराधी सबूत मिटाने की गरज से दुष्कर्म पीड़िता को जला देते हैं। ऐसे मामले बड़े। देश में इस भांति के कुल ५७४  मामलों में से 90 प्रतिशत अब भी अदालतों में लंबित हैं।
बड़ी संख्या में लोगों का हैदराबाद प्रणाली के पक्ष में झुकाव देखने को मिला यह सामाजिक व्यवस्था की विफलता का भी संकेत है। पूरे देश और समाज को यह चिंतन करना होगा कि न्याय प्रणाली को दुरुस्त कैसे किया जाए? खासकर ऐसे मामलों में।


राकेश दुबे


20 राज्यों में संक्रमण, 5 लोगों की मौत

नई दिल्ली। कोरोना वायरस से देश में पांचवीं मौत हो गई है। राजस्थान में इतालवी नागरिक की मौत हुई है। वह कोरोना से संक्रमित था। शुक्रवार सुबह तक पीड़ितों की संख्या 200 को पार कर गई है। इसमें से 20 ठीक हो चुके हैं। शुक्रवार को लखनऊ में चार नए मरीज मिले। लखनऊ के केजीएमयू अस्पताल में अब 9 मरीजों का इलाज चल रहा है। कोरोना अब 20 राज्यों में पाव पसार चुका है और सबसे ज्यादा महाराष्ट्र प्रभावित है।


अगर राज्यवार कोरोना वायरस के केसों की बात करें तो आंध्र प्रदेश में 3, दिल्ली में 12, हरियाणा में 17, कर्नाटक में 15, केरल में 28, महाराष्ट्र में 49, पंजाब में एक, राजस्थान में 9, तमिलनाडु में 3, तेलंगाना में 16, जम्मू-कश्मीर में 4, लद्दाख में 8, उत्तर प्रदेश में 23, उत्तराखंड में 3, ओडिशा में 2, गुजरात में 2, पश्चिम बंगाल में 2, चंडीगढ़ में एक, पुदुचेरी में एक और छत्तीसगढ़ में एक मरीज सामने आए हैं।


अब तक 5 की मौत


कोरोना की चपेट में आकर अभी तक चार लोग जान गंवा चुके हैं। पहली मौत कर्नाटक के कलबुर्गी में हुई थी। उसके बाद दूसरी मौत दिल्ली के राम मनोहर लोहिया अस्पताल में हुई। तीसरी मौत मुंबई के कस्तूरबा अस्पताल में हुई और चौथी मौत कल यानी गुरुवार को पंजाब में हुई है। खास बात है कि जिन चारों की मौत हुई है, उनकी उम्र 60 साल से अधिक थी। इसके अलावा शुक्रवार यानी आज राजस्थान में एक इतालवी नागरिक की मौत हो गई है। उसका कई दिनों से इलाज चल रहा था।


खींचतानः भाजपा में सीएम के 5 दावेदार

भोपाल । सर्वोच्च न्यायालय द्वारा मप्र विधानसभा में आज कमल नाथ सरकार का फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश देने के बाद भाजपा में नई सरकार के गठन की सुगबुगाहट शुरू हो गई है। सरकार बनने की स्थिति में बतौर मुख्यमंत्री उसका नेतृत्व कौन करेगा, इसे लेकर खींचतान शुरू हो गई है। फिलहाल सारे मोर्चो पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान नेतृत्व कर रहे हैं, लेकिन अगला सीएम कौन होगा, इसे लेकर भाजपा नेतृत्व ने पत्ते नहीं खोले हैं। पार्टी नेताओं का कहना है कि नेतृत्व का फैसला हाईकमान ही करेगा।


संभावित भाजपा सरकार में मंत्री पद के लिए भी दावेदारों के बीच जोर-आजमाइश शुरू हो जाएगी। सिंधिया गुट के जिन 22 विधायकों ने इस्तीफे दिए हैं, उनमें से भी कुछ को मंत्री बनाया जा सकता है। हालांकि उन्हें छह माह में विधानसभा उपचुनाव जीतना होगा, तभी मंत्री पद कायम रह सकेगा। पूर्व केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया द्वारा कांग्रेस का दामन छोड़ने के बाद ये तय माना जा रहा है कि अब प्रदेश में भाजपा की सरकार बनेगी।


तोमर, मिश्रा, सिंह भी रेस में


भाजपा की तरफ से अभी मुख्यमंत्री पद के चार दावेदार सक्रिय हैं। पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को तो सीएम पद का दावेदार माना ही जा रहा है। 13 साल तक प्रदेश की बागडोर संभालने वाले पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को चौथी बार भी मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल सकता है। साथ में ऐसे कयास लगाए जा रहे है कि केंद्रीय नेतृत्व की ओर से नरेंद्र सिंह तोमर को भी भेजा जा सकता है। वहीं पूर्व प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह और पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी सीएम की दौड़ में शामिल हैं।


नंबर एक पर शिवराज


माना जा रहा है कि जिस तरह से भाजपा ने पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को पार्टी ने अब तक सभी मोर्चो में आगे किया हुआ है, उसी तरह सरकार बनने पर प्रदेश की कमान भी उन्हें सौंपी जा सकती है। ऐसा हुआ तो चौहान प्रदेश में चौथी बार मुख्यमंत्री बनने वाले पहले राजनेता होंगे। चौहान को सीएम की दावेदारी में पहले स्थान पर रखने वालों का दावा है कि प्रदेश में बड़ी तादाद में उपचुनाव होना है, ऐसी परिस्थितियों में चौहान ही उपचुनाव में विजय दिलवा सकते हैं।


तोमर इसलिए रेस में


मोदी सरकार में लंबे समय से केंद्रीय मंत्री पद संभाल रहे नरेंद्र सिंह तोमर को भी मुख्यमंत्री बनने का मौका मिल सकता है। तोमर पहले भी प्रदेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं। वे दो बार भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष की कमान संभाल चुके हैं। कार्यकर्ताओं और विधायकों से भी तोमर का गहरा नाता है। जहां आगे उपचुनाव होना हैं, उनमें से अधिकांश सीटें ग्वालियर-चंबल अंचल की हैं। तोमर भी इसी क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करते हैं, इसलिए पार्टी उन पर भी दांव लगा सकती है।


राकेश सिंह रहे हैं प्रदेश अध्यक्ष


भाजपा के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष राकेश सिंह को भी मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल माना जा रहा है। वे लगभग पौने दो साल तक प्रदेश भाजपा की कमान संभाल चुके हैं। पार्टी नेताओं का मानना है कि हाईकमान उन्हें संगठन में ही रखना चाहता है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा की नई टीम में सिंह को स्थान मिलने के कयास लगाए जा रहे हैं। यदि विपरीत हालात बने तो उन्हें भी मप्र भेजा जा सकता है।


नरोत्तम की भूमिका भी अहम


भाजपा सरकार के दौरान लंबे समय तक संकटमोचक की जिम्मेदारी निभाने वाले पूर्व मंत्री नरोत्तम मिश्रा भी मुख्यमंत्री की दौड़ में शामिल हैं। मिश्रा पहले भी भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष और मप्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष की दौड़ में शामिल रहे हैं। कुछ समय पहले तक नरोत्तम मिश्रा और शिवराज सिंह चौहान के बीच गहरे मतभेद रहे हैं, लेकिन सरकार के लिए जोड़-तोड़ के दौरान दोनों नेताओं के बीच अघोषित समझौता हो गया। सूत्रों के मुताबिक चुनाव के बाद भी शिवराज ने नरोत्तम के नाम का विरोध किया था और इसी वजह से नेता प्रतिपक्ष का पद गोपाल भार्गव को दिया गया। मिश्रा का नाम प्रदेश अध्यक्ष पद के लिए भी प्रस्तावित था, लेकिन आरएसएस के करीबी माने जाने वाले वीडी शर्मा को जिम्मेदारी मिली।


दे दिया इस्तीफा, लगाए गंभीर आरोप

भोपाल। मध्यप्रदेश में चल रहे सियासी संग्राम पर मुख्यमंत्री कमलनाथ ने फ्लोर टेस्ट के पहले इस्तीफा दे दिया है। वे 1 बजे राज्यपाल से मिलने जायेंगे। वहां राज्यपाल को इस्तीफा सौपेंगे। प्रेस को संबोधित करते हुए मुख्यमंंत्री कमलनाथ ने प्रेस को सम्बोधित करते हुए बीजेपी पर कई गंभीर आरोप लगाए। सीएम ने कहा कि


“मेरा प्रयास था प्रदेश की तस्वीर बदले। मेरे 45 सलाल के राजनितिक करियर पर विकास पर विशवास किया । मुझे जनता ने 5 साल का मौका दिया था, भारतीय जनता पार्टी जो 15 साल तक थी। मुझे 15 महीने मिले, इन 15 महीनो में किये जनहितैषी कार्य बीजेपी को रास नहीं आया.. फिर भी हमने अपना कार्य किया। बीजेपी ने 22 विधायकों को बंधक बनाने का काम किया।


महाराज और उनसे जुड़े लोगो ने लोकतंत्र की हत्या की। इन्हे प्रदेश की जनता कभी माफ़ नहीं करेगी। बीते 15 महीनो में हमने कई बार बहुमत साबित की… मेरी सरकार को अस्थिर करने की कोशिश की गई ये विश्वासघात प्रदेश की जनता से किया गया। हमने किसानो का कर्जा माफ़ किया, किसानो के हक़ में कई फैसले लिए। बीजेपी ने किसानो के साथ षडयंत्र किया, हमने माफिया मुक्त किया जिसके विरोध में भाजपा आई। बीजेपी ने लोकतान्त्रिक मूल्यों की हत्या की। ना हम डरेंगे आ झुकेंगे…प्रदेश की जनता हमारे साथ है। आज के बाद कल भी होता है ये सभी को ध्यान रखना चाहिए।”


5 बजे दोषियों को फांसी, पीएम को भेजा

अकाशुं उपाध्याय


नई दिल्ली। निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटका दिया गया है। तिहाड़ जेल प्रशासन ने समय अनुसार सुबह 5:00 बजे इन सभी दोषियों को फांसी के फंदे से लटका दिया । फांसी से चंद घंटे पहले आधी रात तक भी इन दोषियों की फांसी के ऊपर बहस होती रही। लेकिन आखिर में इंसाफ की जीत हुई। कोर्ट ने साफ कह दिया कि इनकी फांसी रोकी नहीं जा सकती और पहले ही तीन डेथ वारंट रद्द हो चुके हैं। अब यह चौथा टेस्ट वारट है अब कोई फरियाद इन दोषियों की नहीं चलेगी। क्योंकि अगर यह चौथा डेथ वारंट रद्द होता है तो हर भारतीय का इंसाफ से विश्वास हट जाएगा, जो कि कोर्ट नहीं चाहता । ताजा जानकारी मिली है कि इन दोषियों को फांसी के बाद अब तिहाड़ जेल से डीडीयू अस्पताल ले जाया जाएगा। जहां इनका पोस्टमार्टम किया जाएगा और इस पोस्टमार्टम की खास बात यह रहेगी कि इस पोस्टमार्टम की प्रक्रिया की वीडियो रिकॉर्डिंग की जाएगी। ताकि इन दोषियों के सब ऊपर भी कोई उंगली ना उठा सके ।


सलाम है निर्भया की मां को जो अपनी बेटी के लिए लड़ी, देश की बेटियों के लिए लड़ी। सुप्रीम कोर्ट का फैसला आते ही निर्भया की मां आशा देवी ने कहा कि हम पिछले सात साल में निर्भया से अलग नहीं हुए हैं, हर पल हमने उसके दुख को महसूस किया। निर्भया का दुख ही हमारा संघर्ष बना और इंसाफ के लिए हमने लड़ाई लड़ी। आशा देवी ने कहा कि 20 मार्च को निर्भया दिवस और महिला सुरक्षा के रूप में मनाएंगे। उन्होंने कहा कि आज का ये दिन देश की बेटियों के नाम है। एक- एक चुनोतियों का सामना कर आज यहां पहुंचे हैं। उन्होंने कहा कि कहते हैं देर आये दुरुस्त आये। 7 साल के बाद आखिर इंसाफ मिला है, देश के लोगों ने निर्भया के लिए लड़ाई लड़ी है। 


बता दें कि वर्ष 2012 में दिल्ली में दंरिदों की हैवानियत का शिकार हुई निर्भया को आज इंसाफ मिला है। तमाम कोशिशों और पैंतरों के बाद निर्भया के दोषियों को फांसी टालने की कोशिशों में कामयाबी नहीं मिली। मामले में गुरुवार रात से शुक्रवार अलसुबह 4 बजे तक हुई सुनवाई में न्याय मिला है। सुप्रीम कोर्ट ने पवन गुप्ता की याचिका को खारिज किया। गुरुवार को दिल्ली हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ निर्भया के दोषियों के वकील एपी सिंह ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। सर्वोच्च अदालत में रात को ढाई बजे सुनवाई हुई और करीब 3.30 बजे याचिका को खारिज कर दिया गया। दोषियों को बचाने की सारी दलीलों को खारिज करते हुए फैसला सुनाया। इससे पहले निर्भया के दोषियों की याचिका को दिल्ली हाई कोर्ट ने खारिज किया। करीब 2 घण्टे चली सुनवाई के बाद हाई कोर्ट के जस्टिस मनमोहन और जस्टिस संजीव नरूला की बेंच ने याचिका खारिज कर दी। दोषियों ने फांसी से बचने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट के आदेश को चुनोती देने एक बार फिर दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था, लेकिन बचाव पक्ष के कोई तर्क काम नहीं आए।


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प्राधिकृत प्रकाशन विवरण

यूनिवर्सल एक्सप्रेस    (हिंदी-दैनिक)


मार्च 21, 2020, RNI.No.UPHIN/2014/57254


1. अंक-222 (साल-01)
2. शनिवार, मार्च 21, 2020
3. शक-1942,चैैत्र - कृष्ण पक्ष, तिथि- त्रयोदशी, संवत 2077


4. सूर्योदय प्रातः 06:20,सूर्यास्त 06:38
5. न्‍यूनतम तापमान 17+ डी.सै.,अधिकतम-29+ डी.सै., भारी बारिश की संभावना रहेगी।


6.समाचार-पत्र में प्रकाशित समाचारों से संपादक का सहमत होना आवश्यक नहीं है। सभी विवादों का न्‍याय क्षेत्र, गाजियाबाद न्यायालय होगा।
7. स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक, संपादक राधेश्याम के द्वारा (डिजीटल सस्‍ंकरण) प्रकाशित।


8.संपादकीय कार्यालय- 263 सरस्वती विहार, लोनी, गाजियाबाद उ.प्र.-201102


9.संपर्क एवं व्यावसायिक कार्यालय-डी-60,100 फुटा रोड बलराम नगर, लोनी,गाजियाबाद उ.प्र.,201102


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 (सर्वाधिकार सुरक्षित)


 


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