गुरुवार, 12 मार्च 2020

डब्ल्यूएचओ ने वार्ड का निरीक्षण किया

ग़ाज़ीपुर। कोरोना वायरस को लेकर सरकार और स्वास्थ्य विभाग बेहद गंभीर है। इसके लिए जनपद में की गयी। तैयारियों पर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) की टीम भी बराबर नजर रख रही है। डब्ल्यूएचओ के सब रीजनल टीम लीडर आशा राघवन ने गोरा बाजार स्थित जिला अस्पताल में बने 10 बेड के कोरोना आइसोलेशन वार्ड का निरीक्षण किया।


इस दौरान टीम के द्वारा कोरोना वायरस को लेकर की गई तैयारियों की बारीकी से जानकारी ली गई और तैयारियों पर संतुष्टि जाहिर की गयी। जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ. उमेश कुमार ने बताया कि 11 मार्च को यह टीम जिला अस्पताल पहुंची थी और कोरोना वायरस की तैयारियों को लेकर जानकारी ली और जानकारी से पूरी तरह संतुष्ट दिखे। उन्होंने बताया कि इसी संबंध में जिला अस्पताल के सभागार में 13 मार्च को वार्ड से संबंधित सभी कर्मचारियों और अधिकारियों की बैठक होगी और कोरोना वायरस से संबंधित जानकारियां भी दी जाएंगी। मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जी.सी. मौर्य ने बताया कि इसी को लेकर गुरुवार को शासन द्वारा वीडियो कांफ्रेंसिंग की गयी, जिसमें जिला सर्विलांस अधिकारी, डीसीपीएम, डीपीएम, महिला और पुरुष अस्पताल के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक, मेट्रन, सिस्टर इंचार्ज, हॉस्पिटल मैनेजर, जिला क्वालिटी कंसलटेंट के साथ ही ब्लॉक के बीपीएम, बीसीपीएम और एचईओ भी शामिल हुये। उन्होंने बताया कि वीडियो कांफ्रेंसिंग में मिली जानकारी के आधार पर ब्लॉक से सभी लोग अपने-अपने ब्लॉक पर आशा, एएनएम एवं अन्य कर्मचारियों को प्रशिक्षण देंगे।
इस दौरान सीएमएस डॉ. निसार, बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. तनवीर, डब्ल्यूएचओ के विजय प्रकाश, पूर्व सीएमएस डॉ. डी.के. चौधरी आदि उपस्थित रहे।


ईरान में फंसे छात्रों से संपर्क करें सरकार

नई दिल्ली। ईरान में कोरोना वायरस के प्रकोप के बीच कई भारतीय छात्र फंसे हुए हैं। इन छात्रों ने वतन वापस आने के लिए मदद की गुहार लगाई है। दिल्ली हाईकोर्ट में दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने केंद्र सरकार को निर्देश दिया है कि इन छात्रों से संपर्क किया जाए।
सुनवाई के दौरान दिल्ली हाईकोर्ट में केंद्र सरकार की तरफ से बताया गया कि केंद्र ने बहुत सारी सावधानियां बरती हैं, वहां फंसे भारतीयों का स्वाइप मंगवाया गया है। ईरान से 58 भारतीयों को भारत लाया जा चुका है। बता दें कि तेहरान सहित पूरे ईरान में तकरीबन 3 हजार श्रद्धालु और भारतीय छात्र फंसे हुए हैं।


इस पर जज ने पूछा कि क्या सरकार को जानकारी है कि छात्र कहां हैं? क्या भारतीय एंबेसी वहां काम कर रही है? जवाब में केंद्र ने कहा कि एंबेसी पूरी तरह काम कर रही है।एंबेसी वहां लोगों के संपर्क में है। ट्विटर का भी इस्तेमाल किया जा रहा है। वहीं, याचिकाकर्ता ने कोर्ट के बताया कि परिजनों का कहना है कि वो ईमेल के जरिए छात्रों के संपर्क में हैं। उन्होंने बताया कि वहां भारतीय एंबेसी ठीक से रिस्पॉन्ड नहीं कर रही है।
केंद्र ने कहा कि 26 फरवरी से ही ईरान सरकार ने एयरलाइंस बंद कर दी थी, सिर्फ एक एयरलाइंस ही चल रही है। इंडियन एयरफोर्स के एक विमान को परमिशन दी गई थी, जिसमें 58 भारतीयों को वापस लाया गया। इसमें महिला, बच्चे और पुरुष शामिल हैं। केंद्र ने ये भी बताया कि डब्ल्यूएचओ की गाइडलाइंस को भी फॉलो करना है। उन लोगों को वापस लाने से पहले पता भी करना है कि वो संक्रमित हैं या नहीं। जज ने पूछा- आपने इन 58 लोगों की पहचान कैसे की? याचिकाकर्ता ने अपने पास मौजूद छात्रों की जानकारी और लोकेशन सरकार को उपलब्ध करवाई। इस पर याचिकाकर्ता ने कहा कि छात्रों के पास फ्लाइट के टिकट थे, लेकिन फ्लाइट कैंसिल हो गई। जज ने कहा कि सरकार को तय करना चाहिए कि इस तरह की स्थिति में कैसे काम करना है। केंद्र की तरफ से मामले में सुनवाई सोमवार को करने के लिए कहा गया, लेकिन याचिकाकर्ता ने मंगलवार को सुनवाई का आग्रह किया।


अमेरिकी-ब्रिटिश सैनिको पर रॉकेट हमला

बगदाद। इराक में हुए रॉकेट हमले में अमेरिकी और ब्रिटिश सैनिकों के मारे जाने की खबर है। इराक के मिलिट्री बेस पर रॉकेट से हमला किया गया। इस हमले में 2 अमेरिकी सैनिकों और एक ब्रिटिश सैनिक की मौत हो गई। वहीं कई लोग घायल हो गए। अमेरिका के मुताबिक बगदाद के उत्तर में ताजिया बेस पर रॉकेट दागे गए।


कॉगिंस ने ट्वीट किया कि 11 मार्च को शाम 7:35 बजे (इराक टाइम) गठबंधन (ऑपरेशन इनहेरेंट रिज़ॉल्यूशन के लिए अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन) 15 से अधिक छोटे रॉकेटों की पुष्टि करता है, जिसने इराक के कैंप ताजजी की गठबंधन सेना की मेजबानी को प्रभावित किया।
एक अमेरिकी सैनिक, एक ब्रिटिश सैनिक और एक अमेरिकी ठेकेदार को बुधवार को मार दिया गया, एक अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि इराकी सैन्य बेस पर सबसे घातक रॉकेट हमले में विदेशी सैनिकों की मौत हो गई। एक युद्ध निगरानी ने कहा कि हमले से खतरनाक हमले की आशंका है, अमेरिका के नेतृत्व वाले गठबंधन के हवाई हमलों ने पड़ोसी सीरिया में ईरान-गठबंधन वाले इराकी लड़ाकों को तुरंत निशाना बनाया।
बुधवार शाम को 18 रॉकेटों के एक वॉली बगदाद के उत्तर में ताजिया एयर बेस पर हमला किया गया, जो अमेरिकी नेतृत्व वाले गठबंधन से स्थानीय बलों के युद्ध जिहादियों की मदद करने वाले सैनिकों की मेजबानी करता है। गठबंधन के एक बयान में कहा गया है कि इसके तीन कर्मी मारे गए और अन्य 12 घायल हो गए, लेकिन इसने राष्ट्रीयता प्रदान नहीं की। हालांकि, एक अमेरिकी अधिकारी ने समाचार एजेंसी एएफपी को बताया कि मृतकों में दो अमेरिकी और एक ब्रिटिश नागरिक शामिल हैं। इराकी सेना ने कहा कि रॉकेटों को एक ट्रक के पीछे से निकाल दिया गया था, लेकिन इसने किसी भी हताहत की टिप्पणी नहीं की।
इस बीच अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पोम्पिओ और ब्रिटिश विदेश मंत्री डोमिनिक राब ने टेलीफोन कॉल में हमले की निंदा की।


नोएडाः तीन पार्टनरो में चली गोली, मौत

गौतम बुध नगर। थाना बादलपुर क्षेत्र में यूपी टेलीलिंक लिमिटेड केबिल बनाने वाली कंपनी के 03 पार्टनर के बीच  विवाद इतना बढ़ गया। आपस में गोलियां चलने लगी। जिसमें 2 लोगों की मौका वारदात पर मौत हो गई।


प्राप्त जानकारी के अनुसार प्रदीप के द्वारा गोली चलाई गई थी। गोली चलने से नरेश व प्रदीप की मृत्यु हो गयी है। राकेश  घायल है। जिनको आन्नदाअस्पताल में भर्ती कराया गया है। मौके पर पुलिस बल मौजूद है, पुलिस के द्वारा वारदात को कई एंगल से जांचा परखा जा रहा है ताकि इस हत्याकांड के पीछे की वास्तविकता सबके सामने आ सके।


अलीगढ़ बवाल का आरोपी विनय गिरफ्तार

अलीगढ़। नागरिकता संशोधन कानून के खिलाफ प्रदर्शन को लेकर हुआ अलीगढ़ में बवाल को लेकर योगी सरकार ने बड़ी कार्यवाही की है। जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाते हुए अलीगढ़ प्रशासन ने फ़ायरिंग और बवाल के आरोपी हिंदूवादी नेता विनय वार्ष्णेय को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है।


पुलिस ने बीती देर रात्रि विनय वार्ष्णेय को जेल भेजा है। बताते चलें कि बवाल में घायल तारिक को विनय पर गोली मारने का आरोप है। भड़काऊ भाषण देने के लिए विख्यात विनय के फायरिंग करते हुए कई वीडियो वायरल हुई थे।घायल तारिक गंभीर है और उसका जेएन मेडिकल कालेज में इलाज चल रहा है।


भाजपा-कांग्रेस का गणित 'विविध'

बड़ा अजीब असमंजस है , कांग्रेस के बागी विधायकों की बात उनके नेताओं के वक्तव्यों से मेल नहीं खा रही । उधर भाजपा में बस करो महाराज कहने वाले शिवराज साफ़ कह रहे है अब महाराज और शिवराज साथ। इस बात के भी दो मायने है, महाराज और शिवराज भोपाल में एक साथ या दिल्ली में एक साथ। बातें तो बातें है बातों क्या ? वैसे ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रभाव क्षेत्र के वे अफसर बदल दिए गये हैं जिन्हें उनकी सिफारिश पर पदस्थ किया गया था।  कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने दावा कर रहे कि मध्य प्रदेश में २२  बागी विधायकों में से १३  ने उन्हें आश्वस्त किया है कि ‘वे कांग्रेस छोड़कर नहीं जा रहे हैं।' साथ दिग्विजय सिंह को मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार के विश्वास मत जीतने का भरोसा है। दिग्विजय अब नया नारा लाये हैं “‘हम चुप नहीं रहे, हम सो नहीं रहे हैं।
सकंटग्रस्त कांग्रेस सरकार को बचाने के प्रयासों के तहत   अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए राजस्थान की राजधानी जयपुर भेज चुकी है|कल  मुख्यमंत्री निवास पर जमा होने के बाद कांग्रेस के विधायक तीन बसों में भोपाल के हवाई अड्डे पर पहुंचे और बाद में विशेष विमान से जयपुर के लिए रवाना हो गए|मुख्यमंत्री कमलनाथ के विश्वासपात्र मंत्री सज्जन सिंह वर्मा ने कहा है  कि हम अपने विधायकों के साथ जयपुर जा रहे हैं| जयपुर के बाद वे खुद बेंगलुरु भी जायेंगे और वहां ठहरे हुए कांग्रेस के विधायकों से बात करेंगे| उन्होंने दावा किया कि इन विधायकों को गुमराह करके बेंगलुरु ले जाया गया है और इनसे त्यागपत्र लिए गए हैं| सच क्या है कोई बताने को तैयार नहीं |कांग्रेस सूत्रों के अनुसार पार्टी के विधायकों के साथ सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायक भी जयपुर रवाना हुए हैं| हालांकि कांग्रेस सरकार के कुछ वरिष्ठ मंत्री और विधायक रणनीति बनाने के लिए भोपाल में ही डेरा डाले हुए हैं |
एक मंत्री प्रियव्रत सिंह ने कहा, ‘‘वर्तमान राजनीतिक परिदृश्य में उत्पन्न हुए तनाव को दूर करने के लिए कांग्रेस के सभी विधायक एक साथ जयपुर घूमने जा रहे है|:हवाई अड्डे पर 95 विधायक हैं और हम अपना बहुमत साबित करेंगे.' उन्होंने निर्दलीय, बसपा और सपा विधायकों का भी सरकार को समर्थन हासिल होने का दावा किया| इससे इतर भाजपा का दावा है। सिंह ने कहा कि इनमें से १०  से १२ विधायक शक्ति परीक्षण के दौरान कांग्रेस को समर्थन करेंगे क्योंकि इन्हें गुमराह करके वहां ले जाया गया है। यह एक बड़ा सवाल है कैसे और क्यों ? कांग्रेस ने विधायकों को जयपुर भेजने का कदम सिंधिया और उनके 21 समर्थकों के  कांग्रेस से त्यागपत्र देने के बाद उठाया है। सिंधिया समर्थक विधायकों के इस्तीफे  से  पुरानी कमलनाथ सरकार गिरने की कगार पर आ गई है। अब कांग्रेस कमलनाथ सरकार को बचाने के लिए सभी संभव प्रयास कर रही है। जिसमें अंतिम अस्त्र के रूप में मध्यावधि चुनाव की सिफारिश भी है ।
दूसरी ओर भाजपा ने भी अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए भोपाल में विधायक दल की बैठक के तुरंत बाद रात को ही विशेष विमान से भोपाल से रवाना कर हरियाणा के मानेसर भेज दिया है| सही संख्या वे भी नहीं बता रहे हैं |
यही संख्या बल राज्यसभा  चुनाव के लिए महत्वपूर्ण है|
२२८ /(३+१ )=५७  +१ =५८  वोट चाहिए १ राज्यसभा सीट जीतने के लिए|
वर्तमान में भाजपा का दावा १०७ विधायक का है|
कांग्रेस के पास कल ११४ थे, आज १९  विधायकों ने इस्तीफा दे दिया तो अब कांग्रेस के पास ९५  विधायक बचे!
कांग्रेस की विधायक दल की बैठक में ८८ कांग्रेस के विधायक और ४  निर्दलीय विधायक शामिल हुए।
कांग्रेस के 19 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया है तो मध्यप्रदेश में कुल विधायकों की संख्या होगी (२२८ -१९ )२०९ |
तय प्रक्रिया के अनुसार अब २०९ /(३+१ )=५२.२५+१ =५३  वोट एक राज्यसभा सीट जीतने के लिए चाहिए | भाजपा
इस गणित के अनुसार दो सीटों पर जीत मान रही है | कांग्रेस के पास ९५ विधायक हैं, उसके खाते में एक सीट
आती नजर आ रही है और सरकार......!


राकेश दुबे


उत्तल-पुथल के कदम 'संपादकीय'

मधुकर कहिन


आगामी अप्रैल माह से पहले राजस्थान में भी मध्य प्रदेश की तर्ज पर सत्ता परिवर्तन 
दोनों प्रदेशों के सत्ता परिवर्तन का असली राज़


 नरेश राघानी



 ग्वालियर राजपरिवार के दिवंगत महाराजा माधवराव सिंधिया के सुपुत्र ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद अटकलों का बाजार गर्म है। 


 राजस्थान का राज़


आगामी अप्रैल माह की 9 तारीख को राजस्थान राज्य के तीन राज्यसभा सांसदों का कार्यकाल पूरा हो रहा है । यह तीनों राज्य सभा सांसद भाजपा से है। जिसमें रामनारायण डूडी विजय गोयल और नारायण लाल पंचारिया अपना कार्यकाल अप्रैल 2020 में समाप्त कर रहे हैं । इन तीनों को सन 2014 अप्रैल में राज्यसभा चुनाव प्रक्रिया के दौरान चुना गया था। यह तब हुआ जब भाजपा की 163 सीटें राजस्थान विधानसभा में थी।


 इसके बाद 2019 में भी एक राज्यसभा सांसद की सीट खाली हुई थी । जिस पर पूर्व प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह को चुनाव लड़ा कर राज्यसभा में लिया गया। शायद अशोक गहलोत को जब मुख्यमंत्री पद के लिए हरी झंडी दी गई थी,  तब संभव है कि प्रदेश अध्यक्ष सचिन पायलट से यह वादा किया गया हो कि आने वाले राज्यसभा चुनाव में उन्हें राज्यसभा से सांसद बना कर भेजा जाएगा। परंतु विडंबना यह है कि जब केंद्र में अब कांग्रेस की सरकार ही नहीं है। तो सचिन पायलट राज्यसभा से आकर करे भी क्या ??  क्योंकि आगे केंद्र में मंत्री तो बन नहीं सकते थे ।


 तो प्रबल बहुत संभावना है कि सचिन पायलट 9 अप्रैल 2020 के बाद भाजपा में शामिल हो जाएं , और इन तीन खाली होने वाली राज्यसभा सीटों में से किसी एक पर आसीन होकर केंद्र में चल रही भाजपा सरकार में मंत्री बन जाएं ।


 क्योंकि सन 2024 तक केंद्र में भाजपा की सरकार है जहां वे आराम से केंद्र मंत्री का दर्जा प्राप्त कर सकते हैं।
अब सूत्रों के अनुसार राजस्थान की मौजूदा कांग्रेस सरकार के लगभग 20 से 24 विधायक , जिनमें सचिन पायलट द्वारा टिकट दिए गए और कुछ अन्य को मिलाकर सभी ,भाजपा के संपर्क में है। और कोई बड़ी बात नहीं कि आने वाले अप्रैल माह के करीब इस तरह का माहौल राजस्थान में भी दिखाई दे। यह बात मैं नहीं कह रहा हूं, यह बात वह लोग बोलो रहे हैं , जो लगातार भाजपा मुख्यालय और सचिन पायलट के बेहद करीबी है।


हालांकि फिलहाल देखने पर ऐसा नहीं लगता है कि सचिन पायलट कोई ऐसा कदम उठाएंगे। परंतु सूत्रों की मानें तो लगभग 20 दिन पहले पायलट और सिंधिया के बीच इस मुद्दे को लेकर खूब चर्चा हुई है । और इस चर्चा के चलते सिंधिया का इस तरह से पार्टी छोड़ कर उस तरफ जाना इस योजना का पहला कदम मात्र है।


मध्य प्रदेश का राज़


बात यदि मध्य प्रदेश की करें तो ज्योतिरादित्य सिंधिया के पार्टी छोड़ने के पीछे मूल कारण पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह है। जिनका राज्यसभा का कार्यकाल 10 अप्रैल 2014 को शुरू हुआ था और 9 अप्रैल 2020 को समाप्त हो रहा है। ऐसी सूरत में यह सीट खाली होने पर कांग्रेस अगर चाहती तो आराम से सिंधिया को यहां पर समायोजित कर सकती थी।
               परंतु फिर वही !!! कमलनाथ को जब मुख्यमंत्री बनाया गया तब दिग्विजय सिंह से पार्टी आलाकमान ने यह वादा किया था कि आप को राज्यसभा में भेजा जाएगा । तभी जाकर कमलनाथ की सरकार बन पाई। और शायद यही वादा सिंधिया से भी किया गया होगा। सो कांग्रेस ने दिग्विजय सिंह को चुना।     


         अब ऐसे में यदि दिग्विजय सिंह को दरकिनार कर सिंधिया को भेजा भी जाता तो *सिंधिया के लिए घाटे का सौदा होता। क्योंकि केंद्र में कांग्रेस की सरकार नहीं है। सो सिंधिया न भाजपा का दामन थामने की सोची। जिसके पीछे मुख्य कारण यह था कि मध्य प्रदेश में अन्य दो जगह भाजपा समर्थित राज्यसभा सीटें भी अप्रैल 2020 में खाली हो रही है। जिन पर सत्यनारायण जटिया और प्रभात झा 2014 से राज्यसभा सांसद है। उन्ही पर से किसी एक पर सिंधिया अब नामांकन भर के राज्य सभा जाने वाले हैं।


सो अब मध्य प्रदेश से ज्योतिरादित्य सिंधिया राज्यसभा से नामांकन दाखिल करेंगे , और बतौर राज्यसभा सदस्य चुनकर केंद्र में मंत्री बनाए जाएंगे। उसके पश्चात भाजपा मध्य प्रदेश की सरकार पर बहुमत का दावा ठोकेगी। जिसके चलते जरूरी नहीं शिवराज सिंह चौहान को ही मुख्यमंत्री बनाया जाए। कोई और नया चेहरा भी भाजपा ला सकती है। सरकार बनवाने में मदद करने की एवज में सिंधिया के साथ आए विधायकों में से एक को उपमुख्यमंत्री का पद दिया जा सकता है। अब जल्द ही भाजपा प्रदेश कार्यालय पर सिंधिया का स्वागत होना बाकी है ।जिसमें समस्त मध्य प्रदेश भाजपा के पदाधिकारी शामिल होंगे।


यह है असली किस्सा बाकी सब मोह माया


यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें

यूक्रेन द्वारा कजान पर ड्रोन के माध्यम से हमलें  सुनील श्रीवास्तव  मॉस्को। यूक्रेन द्वारा अमेरिका के 9 /11 जैसा अटैक करते हुए कजान पर ड्रोन ...